टिट फौर टैट: जैसे को तैसा

साल की बैस्ट कहानी का अवार्ड लेते ही पूरा हौल तालियों से गूंज उठा था. विजयी लेखिका अरुंधती ने डायस पर आ कर धन्यवाद प्रेषित किया और अपनी कहानी के बारे में बताना शुरू किया-

“आप सब का बहुत शुक्रिया जो आप ने मेरी कहानी को वोट कर के इसे नंबर वन कहानी होने का खिताब दिलवाया. यह इस बात की तस्दीक भी करता है कि मेरी कहानी सिर्फ कहानीभर नहीं, बल्कि बहुत सी औरतों के जीवन की सचाई भी है.

“इस कहानी में एक ऐसी खूबसूरत व हसीन लड़की है जो अपने पति को एक महिला के साथ जिस्मानी संबंध बनाते देख लेती है और पति से इस बात की शिकायत करने पर उस के पति के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती, बल्कि वह और भी बेशर्म व निडर हो जाता है. और अब तो वह खुलेआम दूसरी औरत को घर में भी लाने लगता है. मेरी नायिका दूसरी भारतीय नारियों की तरह इस घटना से रोती नहीं, टूटती नहीं, बल्कि अपने पति को सबक सिखाती है. अगर उस का शादीशुदा पति किसी औरत से शारीरिक संबंध बनाता है तो उसे भी पूरा हक है कि वह अपने पति से तलाक ले और अपनी शर्तों पर जीवन जिए.”

अरुंधती ने कहना जारी रखा-

“मेरी कहानी की नायिका अपने पति की बेवफाई से आहत है. प्रतिशोध लेने के लिए वह एक के बाद एक 4 युवकों से दोस्ती कर लेती है. उन में से 2 युवक शादीशुदा हैं जो अपनी विवाहित जिंदगी से परेशान हैं, जबकि 2 लड़के कुंआरे हैं. और देखिए कि मेरी नायिका पुरुषों की कामुक प्रवत्ति को पहचान कर उन सब को एकसाथ कैसे हैंडल करती है.

“‘हंसिका, मैं कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूं, तुम अभी तक पहुची क्यों नहीं?’ शेखर ने फोन पर परेशान आवाज़ में हंसिका से कहा.

“‘ओह, आई एम सो सौरी. मैं तुम्हें बता नहीं पाई, आज कंपनी के काम से औफिस में ही देर हो जाएगी मुझे.’

“‘पर मैं ने तो आज शाम का पूरा मूड बना लिया था,’ शेखर परेशान हो उठा था.

“‘कोई बात नहीं, तुम अपना मूड बनाए रखो, मैं तुम्हारी कल की शाम हसीन बना दूंगी,’ हंसिका ने फोन पर शेखर को दिलासा देते हुए कहा.

“‘किस से बात कर रही हो जानेमन,’ होटल के कमरे में घुसते हुए आर्यन ने पूछा.

“‘कोई नहीं, बस, ऐसे ही एक सहेली थी.’

“‘साफ क्यों नहीं कहती कि वह बेचारा भी मेरी तरह ही तुम्हारे हुस्न की गरमी का सताया हुआ आशिक है. न जाने तुम में कौन सी कशिश है जो हम आशिकों को तुम्हारे पास बारबार आने को मजबूर करती है.

“‘हम परवानों की बस इतनी सी इबादत है,

बस, तेरे हुस्न में झुलसने की आदत है.’

“यह कह कर आर्यन ने अपनी हंसिका को बांहों में भरा. हंसिका उस की आगोश में सिमटती चली गई. कुछ देर बाद कमरे में कामोत्तेजक सिसकारियां गूंजने लगी थीं. हंसिका और आर्यन एकदूसरे के जिस्म में समा गए थे. जब दोनों का जोश ठंडा हुआ तब हंसिका ने आर्यन के सीने पर सिर रखा और उस से पूछने लगी-

“‘तुम्हारी बीवी तो मुझ से भी खूबसूरत है. फिर भी तुम मेरे आगेपीछे क्यों डोलते रहते हो?’

“आर्यन ने अपनी बीवी का जिक्र आते ही बुरा सा मुंह बनाया और कहने लगा- ‘कहावत है कि मर्द के दिल का रास्ता उस के पेट से हो कर जाता है. पर, मेरे लिए मेरे दिल तक आने का रास्ता इस बैड से हो कर जाता है. मुझे सैक्स में थोड़ा पावर और हीट गेम चाहिए पर वह बैड पर किसी ज़िंदा लाश की तरह पड़ी रहती है.’

“‘तो क्या, तुम्हें बिस्तर पर एक ऐथलीट की ज़रूरत है?’ हंसिका ने उस को बीच में रोकते हुए कहा.

“‘नहीं, पर मर्द और औरत के रिश्तों के लिए एक अच्छी सैक्सलाइफ बहुत ज़रूरी होती है. यह बात तो तुम भी मानोगी न,’ यह कह कर आर्यन ने हंसिका को चूम लिया.

“वैसे, हंसिका इन मर्दों का अश्लील वीडियो बनाना नहीं भूलती थी, क्या पता किस मोड़ पर काम आ जाएं.

“हंसिका पूरी रात आर्यन के साथ गुज़ारने के बाद सुबह अपने औफिस गई और फिर पूरा दिन काम करने के बाद अपने फ्लैट पर जाने से पहले उसने ब्यूटीपार्लर जाना जरूरी समझा. उस के साथ में उस की औफिसमेट माया थी.

“‘अरे हंसिका, अभी तूने 2 दिनों पहले ही तो अपने बालों को स्ट्रेट कराया था. और आज फिर से इन्हें कर्ली क्यों करा रही है,’ माया ने पूछा.

“‘क्योंकि आज मेरी आकाश के साथ डेट है,’ मुसकराते हुए हंसिका ने कहा.

“‘आकाश के साथ? पर तेरे बौयफ्रैंड का नाम तो युवराज है.’ चौंक पड़ी थी माया.

“‘तुम नहीं समझोगी, माया. अच्छा बताओ, इंद्रधनुष में कितने रंग होते हैं?’ हंसिका ने पूछा.

“‘सात.’

“‘और एक हफ्ते में कितने दिन?’

“‘सात,’

“‘तो फिर, बौयफ्रैंड एक क्यों, सात क्यों नहीं?’ अपने होंठों पर हलकी सी मुसकराहट लाते हुए हंसिका ने कहा.

“‘अरे, तू क्या सच में सात मान बैठी. सात नहीं, बल्कि सिर्फ 4 बौयफ्रैंड हैं मेरे.’

“‘ओफ्फो, तुझे समझना बहुत मुश्किल है.’

“यह कह कर माया बाहर की ओर जाने लगी, तो हंसिका ने उसे पास बुलाया और बोली, ‘सुन तो, देख, अजीब ज़रूर लग रहा होगा पर आर्थिकरूप से स्वतंत्र रहने का यही तो मज़ा है. चाहे जैसे रहो, कोई टोकने वाला नहीं. और ज़िन्दगी में ऐश करो. पति के सहारे रहने व उस की बेवफाई सहने में भला रखा ही क्या है.’ हंसिका का दर्द छलक आया था. उस ने सिगरेट सुलगाई. माया ने सहमति में सिर हिला दिया.

“करीब 5 फुट 9 इंच की हाइट वाली हंसिका का व्यक्तित्व देखते ही बनता था. गोरा रंग, पतला चेहरा और सुतवां नाक. इस के साथ उस के बाल कमर तक लहराते हुए. अपने बौडीमास को भी बहुत अच्छी तरह से मेन्टेन किया हुआ था हंसिका ने और इस के लिए वह सप्ताह में कम से कम 3 दिन जिम जाती थी.

“हंसिका एक मौडलिंग एजेंसी में काम करती थी जो बेंगलुरु जैसे शहर में अच्छी आय का स्रोत था और इसी पैसे के चलते हंसिका मनचाहे अंदाज़ से अपना जीवन जी रही थी.

“जो दिखता है वाही बिकता है के सिद्धांत को मानने वाली हंसिका अपने यौवन का भरपूर दिखावा करना अच्छी तरह से जानती थी. अपने अलगअलग बौयफ्रैंड्स के साथ वह सैक्स करने में पीछे कभी नहीं हटती. अलगअलग दिनों में हंसिका के शारीरिक संबंध अलगअलग बौयफ्रैंड से बनते.

“हंसिका के बौयफ्रैंड यह बात अच्छी तरह जानते थे कि हंसिका के संबंध उन लोगों के अलावा और लोगों से भी हैं पर उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था क्योंकि हंसिका जैसी खूबसूरत लड़की पर एकाधिकार दिखा कर वे उसे खोना नहीं चाहते थे. उन के लिए तो हंसिका जैसी दिलकश हसीना के शरीर को भोग लेना ही बहुत बड़ी बात थी.

“आज हंसिका की डेट आकाश नाम के व्यक्ति के साथ थी. आकाश एक समय में हंसिका का फेसबुक फ्रैंड था. आकाश शादीशुदा था. वह अपनी पत्नी की बेवफाई से दुखी था. उस की पत्नी का स्कूल के एक टीचर के साथ अफेयर था जिस के बारे में उसे भनक लग गई थी और दुखी हो कर आत्महत्या के बारे तक में सोचने लगा था. अपनी निराशा से जुड़ी बातें आकाश ने फेसबुक मैसेंजर पर हंसिका से शेयर कीं तो हंसिका को मामले की गंभीरता के बारे में पता चला.

“उस ने अपनी बातों से टूटे हुए आकाश को दिलासा दी और उसे मिलने के लिए बुलाया. दोनों में मुलाकातें होने लगीं. वहीं से आकाश पूरी तरह से हंसिका के रूप का दीवाना हो गया. और हंसिका ने उसे भी अपनी देह का स्वाद चखाने में देर नहीं की. हंसिका अपने इन बौयफ्रैंड्स को अच्छी तरह यूज़ करना जानती थी. कब किस से कितने पैसे की डिमांड करनी है, इस का अच्छी तरह ज्ञान था उस को.

“हंसिका अनचाहे गर्भ से बचने के लिए कंडोम का प्रयोग एक अनिवार्य शर्त बना देती थी. पर इस बार पता नहीं किस से और कैसे चूक हुई कि हंसिका गर्भवती हो गई थी. अपने गर्भवती हो जाने की बात हंसिका ने किसी भी बौयफ्रैंड को नहीं बताई. दिन बीतते रहे. अपनी व्यस्त जीवनशैली के कारण जब हंसिका अपना गर्भपात कराने के लिए डाक्टर के पास पहुंची तो डाक्टर ने यह कह कर गर्भपात करने से मना कर दिया कि समय अधिक हो गया है, अब यह संभव नहीं है, इसलिए आप को बच्चे को जन्म देना ही होगा.

“हंसिका ने सब से पहले यह बात अपने एक पुराने बौयफ्रैंड आर्यन से बताई, ‘सुनो आर्यन, यार, बड़ीड़ा प्रौब्लम हो गई है.’

“‘ऐसा भी क्या हो गया मेरी जान जो तुम इतना घबरा कर बोल रही हो,’ आर्यन ने कहा.

“‘यू नो, आई एम प्रैग्नैंट,’ हंसिका ने फुसफुसा कर कहा.

“‘बधाई हो, मिठाई खिलाओ भाई,’ आर्यन ने चुटकी ली.

“‘मज़ाक मत करो, मैं बहुत परेशान हूं,’ हंसिका चिड़चिड़ा रही थी.

“‘अब तुम कोई दूध पीती बच्ची तो नहीं जो तुम्हें बताना पड़ेगा कि अगर तुम शादी से पहले प्रैग्नैंट हो गई हो तो बच्चे को अबौर्ट करवा दो.’

“‘तुम्हें क्या लगता है कि मैं डाक्टर के पास नहीं गई थी? गई थी पर डाक्टर ने गर्भपात करने से मना कर दिया. अब मुझे बच्चे को जन्म देना ही होगा.’

“ओह्ह, तो यह बात है,’ आर्यन ने गहरी सांस छोड़ते हुए कहा और चुप हो गया. कुछ देर बाद आर्यन ने ही कहना शुरू किया, ‘कोई बात नहीं, तुम फिक्र मत करो. अस्पताल का सारा खर्चा मैं देने के लिए तैयार हूं. पर क्या यह बच्चा वास्तव में मेरा ही है?’

“‘ये कैसी बातें कर रहे हो आर्यन, क्या मतलब है तुम्हारा?’

“‘मेरा मतलब है कि मेरे अलावा तुम्हारे पति का भी तो हो सकता है?’ आर्यन ने कहा. जबकि, उसे अच्छी तरह पता था कि हंसिका अपने पति से अलग रह रही है और उस ने पति से तलाक लेने का मुकदमा दायर कर रखा है.

“‘अगर भरोसा नहीं है तो बच्चे का डीएनए टैस्ट करवा लो.’

“डीएनए टैस्ट करवाने की बात तो आर्यन के मन में भी आई थी पर अगर डीएनए टैस्ट में बच्चा किसी और का निकलता तो बहुत मुमकिन था कि आर्यन को हंसिका से विरक्ति हो जाती और वह उसे खो देता.

“‘अरे, ऐसी कोई बात नहीं है. तुम तो ज़रा सी बात में नाराज़ हो गई. मैं तो मज़ाक कर रहा था,’ आर्यन ने बात बनाते हुए कहा.

“हंसिका के संबंध कई मर्दों से थे. सभी मर्द इस बात को अच्छी तरह से जानते भी थे. हंसिका जैसी चिड़िया किसी एक पिंजरे में बंद हो कर नहीं रह सकती पर वे सब हंसिका जैसी सैक्सी व दिलकश लड़की को छोड़ना नहीं चाहते थे. इसलिए, वे सब उस की लगभग हर बात मानते थे.

हंसिका ने इसी तरह बारीबारी अपने सभी बौयफ्रैंड्स को अपने गर्भवती होने की बात बताई. और उन सब ने कमोबेश यही कहा कि हंसिका, बच्चे को अस्पताल में जन्म दे और वे लोग उसे हर तरह का खर्चा देने के लिए तैयार हैं.

“जब अपने चारों बौयफ्रैंड्स से हंसिका ने बात कर के उन से पैसे मिलने की बात कन्फर्म कर ली, तब जा कर उस को सुकून मिला और वह अपने होने वाले बच्चे के भविष्य को ले कर आश्वस्त हो गई.

“मेरी नायिका हंसिका ने अपने औफिस से मैटरनिटी लीव ली और समय आने पर बच्चे को जन्म दिया.

“हंसिका अपने हर बौयफ्रैंड को अलगअलग यही एहसास कराती रहती कि जैसे यह बच्चा उस का ही है और उन लोगों से अलगअलग बच्चे के पालनपोषण के लिए पैसे भी लेती रही.

“कालांतर में हंसिका के अविवाहित बौयफ्रैंड्स की शादी भी हो गई और कुछ समय बाद बच्चे भी. पर उन प्रेमियों ने हंसिका व उस के बच्चे का ध्यान रखना नहीं छोड़ा.

“हंसिका के कई पुरुषों से संबंध को दुश्चरित्रता इसलिए भी नहीं कहा जा सकता क्योंकि मर्दों के इस समाज में हंसिका ने ‘टिट फौर टैट’ अर्थात ‘जैसे को तैसा’ वाला आचरण दिखा कर एक नई मिसाल पेश की है. और फिर, अगर एक औरत अपने पति की किसी भी तरह की बेवफ़ाई के खिलाफ किसी भी तरह का सार्थक कदम उठाती है तो उस का स्वागत किया जाना चाहिए. और मुझे पता है कि इस समाज में हंसिका जैसी बहुत औरते हैं जो पति की बेवफाई सह रही हैं. भले ही वे सब अपने मर्द के खिलाफ कुछ न कर पा रही हों पर मेरी इस कहानी को पसंद कर उन्होंने इस साल की बैस्ट कहानी बना कर हंसिका का साथ देने की मूक स्वीकृति तो दे ही दी है.”

हौल में लगातार तालियां बजे जा रही थीं हंसिका जैसी नायिका के लिए. पर यह बात केवल अरुंधती ही जानती थी कि हंसिका की यह कहानी किसी और की नहीं, बल्कि उस की अपनी है.

Women’s Day: मर्द की मार सहे या घर छोड़ दे औरत?

लेखक- धीरज कुमार

माला का पति महेश रोज शराब पी कर घर आता है. वह बातबात पर अपनी पत्नी से झगड़ा करता है, लेकिन जब शराब का नशा उतरता है, तो माला से खूब प्यारभरी बातें करता है

माला भी उस की प्यार भरी बातों में पिघल जाती है. वह अपने पति की मार और दुत्कार को भूल जाती है.

जब माला महेश को अपनी कसम दे कर शराब छोड़ने की बात करती है, तो वह जल्दी ही मान जाता है. लेकिन शाम होतेहोते वह फिर पुरानी बातों पर आ जाता है. वह अपनी पत्नी की कसम को भूल जाता है और फिर से शराब पी कर आ जाता है. फिर वह रोज की तरह अपनी पत्नी और बच्चों को गालियां देता है और मारपीट करता है.

महेश और माला के 2 बच्चे हैं. माला घरेलू औरत है और खुद बाहर काम नहीं कर पाती है. उस के मायके में कोई उसे सहारा देने वाला भी नहीं है. वह चाह कर भी अपने पति महेश को छोड़ नहीं पा रही है. वह किसी तरह अपने बच्चों की ठीक से परवरिश करना चाहती है. वह चाहती है कि उस के बच्चे पढ़लिख कर अच्छे इनसान बनें.

लेकिन माला के पति के शराब पीने की लत के चलते घर में हमेशा पैसे की तंगी बनी रहती है. उस का पति मोटरगैराज में काम करता है. वहां वह अच्छा कमा लेता है, पर शाम होतेहोते आधे से ज्यादा पैसे की शराब पी जाता है. उसे बाकी चीजों पर तो काबू है, पर वह खुद को शराब पीने से नहीं रोक पाता है.
आज भी देशभर में औरतों के साथ घरेलू हिंसा की घटनाएं हो रही हैं. भले ही हमारे देश में पढ़ाईलिखाई का लैवल बढ़ा हो, लेकिन इन घटनाओं में कमी नहीं आई है. आज भी औरतों को मर्दों से कमतर आंका जाता है. उन्हें कमजोर समझा जाता है. वे भोगने की चीज समझी जाती हैं, इसलिए उन के साथ आज भी घरेलू हिंसा बरकरार है.

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जब कोई मर्द अपनी औरत के साथ झगड़ा करता है, तब वह उस का मुंह बंद करने के लिए हाथ उठाने से भी गुरेज नहीं करता है, जबकि औरतें ऐसा नहीं कर पाती हैं. आज भी औरतें पति को काफी इज्जत देती हैं. पति को बड़ा समझती हैं और खुद को उन के पैर की जूती मानती हैं, इसी सोच का पति नाजायज फायदा उठाते हैं.

कई बार औरतें घरेलू हिंसा सहती रहती हैं, पर कानून की मदद नहीं ले पाती हैं, क्योंकि उन का मानना है कि ऐसा करने पर उन के घरपरिवार की इज्जत नीलाम हो जाती है. वहीं दूसरी तरफ वे खुद को कोर्टकचहरी के चक्कर से भी बचाना चाहती हैं, क्योंकि घरेलू हिंसा की शिकार औरत के पास इतनी ताकत नहीं बचती है कि वह अलग से कोर्टकचहरी और थाने के चक्कर लगा सके.
आज भी हिंसा की शिकार औरतें घुटघुट कर जीती हैं. वे चाह कर भी अपने पति से अलग नहीं हो पाती हैं. पति उन पर कितना भी जुल्म करता रहे, वे उस के साथ जिंदगी गुजारने के लिए मजबूर होती हैं.

इस की बड़ी वजह यह है कि अकेली औरत को कई परेशानियां झेलनी पड़ती हैं. मसलन, किराए का मकान नहीं मिलना, लोगों के नजरिए में बदलाव. अकेली औरत को देख कर लोग तरहतरह की कहानियां गढ़ने लगते हैं. छोटे शहरों, गांवकसबों में तो और भी कई तरह की परेशानियां हैं.

दरअसल, इस के पीछे मायके से मिली सीख का भी गहरा असर होता है. शादी से पहले हर लड़की को यह सीख दी जाती है कि शादी के बाद पति ही सबकुछ होता है. उस की जायज और नाजायज बातों को हर हाल में मानना चाहिए. ससुराल ही सबकुछ होता है. वहीं तुम्हें मरना है, वहीं तुम्हें जीना है. शादी के बाद हर लड़की की ससुराल से ही अर्थी निकलती है यानी उस का अपने मातापिता के घर से नाता टूट जाता है.

इन बातों के चलते लड़की खुद को कमजोर समझने लगती है. वह बुरे से बुरे हालात में भी पति के साथ रहने को मजबूर हो जाती है, इसीलिए कुछ मर्द औरतों के साथ कई तरह के जुल्म करते रहते हैं. ऐसी औरतें ही हिंसा की ज्यादा शिकार होती हैं.

रंजना देखने में खूबसूरत नहीं थी. वह सांवली और छोटे कद की थी. उस के मातापिता ने अपनी हैसियत के मुताबिक दहेज दे कर खातेपीते परिवार में उस का ब्याह किया था.

पर शादी के बाद से ही रंजना का पति उसे नापसंद करने लगा था, क्योंकि यह शादी अरेंज मैरिज थी, इसलिए वह रंजना को पहले नहीं देख पाया था.

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इस का नतीजा यह था कि पति बातबात पर रंजना के साथ झगड़ा और मारपीट करता था. फिर भी रंजना अपने इस रिश्ते को ढोने की कोशिश कर रही थी. उसे उम्मीद थी कि अपने रंगरूप से तो वह पति को आकर्षित नहीं कर पाई, लेकिन अपने अच्छे गुणों से एक न एक दिन उन्हें आकर्षित जरूर कर पाएगी, इसीलिए वह अपने पति और सासससुर की दिनरात सेवा करती रहती थी, फिर भी उन लोगों में कोई बदलाव नहीं हुआ.

रंजना 12वीं जमात तक पढ़ी थी. जब उस के राज्य में प्राथमिक शिक्षक की बहाली निकली, तो उस ने भी अर्जी दे दी. शिक्षक बहाली में 35 फीसदी महिला आरक्षण होने के चलते रंजना को अपने गांव के ही एक स्कूल में नौकरी मिल गई. इस तरह वह आत्मनिर्भर बन गई.

अब रंजना अपना फैसला लेने के लिए आजाद थी. वह सालों से अपने पति, सास, ननद के उलाहने सहती आ रही थी. अब वह सोच रही थी कि अपने पति से अलग हो कर बाकी की जिंदगी अपने बच्चों के साथ गुजारेगी.

लेकिन उस की ससुराल वालों ने परिवार का माली नुकसान देख कर उसे साथ रखने को मना लिया. अब उस के सासससुर और पति कमाऊ पत्नी होने के चलते सबकुछ सहने को तैयार हैं. कल तक रंजना अपने पति और सासससुर के उलाहने झेलती थी, लेकिन अब वह उस परिवार में शान से रहती है.

रंजना के माली हालात बदलते ही पति के परिवार का रवैया बदल गया. कल तक रंजना अपने परिवार से दूर रहना चाहती थी, लेकिन अब वह परिवार के लिए जरूरत बन गई थी, इसलिए उस के परिवार के लोग अब उस के नखरे सहने के लिए तैयार थे.

लिहाजा, जरूरी है कि जो अपनेअपने घरपरिवार, सासससुर, पति द्वारा सताई जा रही हों, तो सब से पहले उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए सोचना चाहिए. कोई जरूरी नहीं है कि सरकारी नौकरी ही मिले. सब से पहले अपने माली हालात ठीक करने के लिए सोचना चाहिए. अपने पैरों पर खड़ी औरत अपना रास्ता खुद बना सकती है. जरूरत पड़ने पर अपने घरपरिवार, ससुराल और पति से अलग भी हो सकती है.

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