बीमारियों से बचाता है सैनेटरी पैड

माहवारी के दिनों में इस्तेमाल किए जाने वाले सैनेटरी पैड का इस्तेमाल दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है. इस के बाद भी गांवदेहात में इस का इस्तेमाल कम ही हो रहा है जिस से वहां की लड़कियों और औरतों को सेहत से जुड़ी तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस संबंध में डाक्टर सुनीता चंद्रा से बात की गई. पेश हैं, उसी बातचीत के खास अंश:

गांवदेहात में लड़कियों और औरतों में सैनेटरी पैड का कितना इस्तेमाल बढ़ा है?

पिछले कुछ साल से गांवों में सेहत के लिए काम करने वाले लोगों ने सैनेटरी पैड के इस्तेमाल को ले कर जागरूकता फैलाने का काम शुरू किया है. इस से लड़कियों और नई शादीशुदा औरतों में सैनेटरी पैड का इस्तेमाल करने की आदत बढ़ी है. इस के बावजूद वहां 70 से 85 फीसदी औरतें और लड़कियां इस का इस्तेमाल नहीं कर रही हैं.

आज भी गांवदेहात में रहने वाली ज्यादातर लड़कियां और औरतें माहवारी के दिनों में सैनेटरी पैड की जगह पुराने कपड़ों का इस्तेमाल करती हैं.

वे सैनेटरी पैड की जगह पुराने कपड़े क्यों इस्तेमाल करती हैं?

पुराना कपड़ा घर में ही मिल जाता है और सस्ता पड़ता है. कई बार तो जब खून का बहाव ज्यादा होता है तो वे कपड़े के अंदर और कई कपड़े भर लेती हैं. कई बार जब नए कपड़े नहीं मिलते हैं तो वे पहले इस्तेमाल किए गए कपड़ों को धो कर दोबारा इस्तेमाल कर लेती हैं. कई बार तो वे कपड़े के अंदर चूल्हे की राख या बालू भर कर अंग पर बांध लेती हैं. इस की वजह से वे कई तरह की बीमारियों की शिकार हो जाती हैं.

माहवारी में सैनेटरी पैड का इस्तेमाल न करने से किस तरह की बीमारियां हो सकती हैं?

गंदे कपड़ों का इस्तेमाल करने से उस जगह पर खुजली होती है, दाने और लाल चकत्ते पड़ने लगते हैं. धीरेधीरे गंदगी से इंफैक्शन अंदर तक पहुंच जाता है. इस से सफेद पानी आना, ल्यूकोरिया और दूसरी तरह की तमाम बीमारियां लग सकती हैं. ये बीमारियां औरत के मां बनने की कूवत पर बुरा असर डालती हैं. कई बार तो उन को बांझपन का दंश झेलना पड़ता है. यह इंफैक्शन कैंसर की वजह भी बन जाता है.

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माहवारी के दिनों में औरतों को सामाजिक रूप से किस तरह के भेदभाव का सामना करना पड़ता है?

माहवारी के दौरान औरतों को अछूत सा समझा जाता है. इस वजह से माहवारी के संबंध में बात करने को भी गलत माना जाता है. जब किसी औरत को माहवारी आती है तो उस के साथ भेदभाव सा होता है.

कई घरों में उस को सोने के लिए अंधेरे कमरे में बिस्तर लगा दिया जाता है. उस को किसी दूसरे घर वाले के साथ उठनेबैठने नहीं दिया जाता है. साफसफाई रखने के बजाय उसे नहाने नहीं दिया जाता है. सामान्य खाने की जगह रूखासूखा खाना दिया जाता है. रसोई में जाने से मना किया जाता है.

माहवारी में इस्तेमाल किए गए कपड़े या सैनेटरी पैड को किस तरह से नष्ट किया जाता है?

आमतौर पर इन को बाहर खुले में फेंक दिया जाता है जिस से ये गंदगी फैलाने की वजह बनते हैं. जो औरतें खुले में शौच के लिए जाती हैं वहीं फेंक देती हैं. कुछ समझदार औरतें इन को मिट्टी के बड़े बरतन में रख देती हैं. बरतन ऊपर से बंद कर दिया जाता है. हवा आनेजाने के लिए बरतन में छेद कर दिया जाता है. कुछ दिन बाद जब कपड़े सूख जाते हैं तो खेत या खुली जगह में ले जा कर जला दिया जाता है. शहरों में इन को ठीक तरह से कूड़ेदान में फेंक देना चाहते है.

परीक्षा से डर कैसा : यह रिजल्ट आखिरी तो नहीं

मनोवैज्ञानिक और काउंसलर अब्दुल माबूद कहते हैं, ‘‘यह काफी नाजुक दौर होता है, बच्चों को उन की जिंदगी की कीमत समझाना अभिभावकों का पहला काम होना चाहिए.’’

अब्दुल माबूद ने यह बात बच्चों की परीक्षा और उन के मानसिक दबाव को ले कर कही है. दरअसल,  परीक्षाओं का दौर खत्म होने के बाद छात्रों को कुछ दिनों की राहत तो मिलती है पर साथ ही रिजल्ट का अनचाहा दबाव बढ़ने लगता है. बच्चे भले ही हम से न कहें पर उन्हें दिनरात अपने रिजल्ट की चिंता सताती रहती है. बोर्ड एग्जाम्स को तो हमारे यहां हौआ से कम नहीं माना जाता, जबकि यह इतना गंभीर नहीं होता जितना हम इसे बना देते हैं.

आजकल तो छोटी क्लास के बच्चों पर भी रिजल्ट का दबाव रहता है और इस दबाव की वजह सिर्फ और सिर्फ उन के पेरैंट्स होते हैं. ज्यादातर पेरैंट्स बच्चों के रिजल्ट को अपने मानसम्मान और प्रतिष्ठा से जोड़ कर देखते हैं. यही वजह है कि वे खुद तो तनाव में रहते हैं, बच्चों को भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से तनाव का शिकार बना देते हैं.

छात्रों पर बढ़ता दबाव

एग्जाम्स के रिजल्ट आने से पहले ही छात्रों के मनमस्तिष्क पर अपने रिजल्ट को ले कर दबाव पड़ने लगता है. एक तो स्वयं की उच्च महत्त्वाकांक्षा और उस पर प्रतिस्पर्धा का दौर छात्रों के लिए कष्टकारक होता है.

वैसे तो छात्रों को पता होता है कि उन के पेपर कैसे हुए और अमूमन रिजल्ट के बारे में उन्हें पहले से ही पता होता है, इसीलिए कुछ छात्र तो निश्चिंत रहते हैं पर कुछ को इस बात का भय सताता रहता है कि रिजल्ट खराब आने पर वे अपने पेरैंट्स का सामना कैसे करेंगे.

आत्महत्याएं चिंता का विषय

प्रतिस्पर्धा के दौर में सब से आगे रहने की महत्त्वाकांक्षा और इस महत्त्वाकांक्षा का पूरा न हो पाना छात्रों को अवसाद की तरफ धकेल देता है, जिस पर पेरैंट्स हर वक्त उन की पढ़ाई पर किए जाने वाले खर्च की दुहाई देते हुए उन पर लगातार दबाव डालते रहते हैं. इस से कभीकभी छात्र यह सोच कर हीनभावना के शिकार हो जाते हैं कि वे अपने पेरैंट्स की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर सके. यही वजह कभीकभी उन्हें अवसाद के दलदल में धकेल देती है और वे नासमझी में आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं.

पेरैंट्स के पास सिवा पछतावे के कुछ नहीं बचता. ऐसे में उन्हें यह विचार सताने लगता है कि काश, उन्होंने समय रहते अपने बच्चे की कद्र की होती. जिसे इतने अरमानों से पालापोसा, बड़ा किया वह उन के कंधों पर दुख का बोझ छोड़ कर चला गया. पिछले 15 सालों में 34,525 छात्रों ने केवल अनुत्तीर्ण होने की वजह से आत्महत्या की. ये आंकड़े सच में निराशाजनक और चिंतनीय हैं जिन पर सभी को विचार करने की जरूरत है.

बच्चों के साथ फ्रैंडली रहें

पेरैंट्स यदि बच्चों के साथ ज्यादातर सख्ती से पेश आएंगे तो बच्चे उन्हें अपने मन की बात नहीं बताएंगे. अगर वे रिजल्ट को ले कर तनाव में हैं तो भी डर के कारण नहीं बता पाएंगे. बच्चों के साथ आप का दोस्ताना व्यवहार उन्हें आप के नजदीक लाएगा और वे खुल कर आप से बात करना सीखेंगे. इस से न केवल वे तनावमुक्त रहेंगे बल्कि उन का आत्मविश्वास भी बढ़ेगा. उन्हें इस एहसास के साथ जीने दें कि चाहे जो भी रिजल्ट आए, पेरैंट्स उन के दोस्त के रूप में उन के साथ हैं.

तुम हमारे लिए सब से कीमती

बच्चों को इस बात का एहसास कराएं कि इस दुनिया में आप के लिए सब से कीमती वे हैं न कि बच्चों का रिजल्ट. अपने मानसम्मान को बच्चों के कंधों का बोझ न बनाएं. बच्चों के सब से पहले काउंसलर उन के पेरैंट्स ही होते हैं. यदि वे उन्हें नहीं समझेंगे तो हो सकता है बच्चे अवसाद के शिकार हो जाएं. उन्हें यह एहसास दिलाना होगा कि कोई भी परिणाम हमारे लिए तुम्हारी सलामती से बढ़ कर नहीं है.

शिक्षा को अहमियत देना गलत नहीं है लेकिन शिक्षा व परीक्षा के नाम व्यक्तिगत जिंदगी से सबकुछ खत्म कर लेना और उसे ही जीवन का अंतिम सत्य मान लेना खुद को कष्ट पहुंचाना ही है. अगर जीवन के हर भाव व पहलुओं का आनंद लेना है तो बच्चों की खुशी का भी ख्याल रखना होगा.

रिजल्ट के दिनों में पैरेंट्स के लिए बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखना बेहद जरूरी है. यह देखें कि कहीं वे गुमसुम या परेशान तो नहीं, ठीक से खाना खाते हैं या नहीं, जीवन के बारे में निराशावादी तो नहीं हो रहे हैं. इस समय पेरैंट्स को धैर्य का परिचय दे कर बच्चों के लिए संबल बनना चाहिए, न कि उन पर दबाव डालना चाहिए. उन्हें यह विश्वास दिलाएं कि उन का रिजल्ट चाहे जैसा रहे, उन के पेरैंट्स हमेशा उन के साथ हैं.

जीवन चलने का नाम है. एक बार गिर कर दोबारा उठा जा सकता है. जीवन में न जाने कितनी परीक्षाएं आतीजाती रहेंगी. उठो, चलो और आगे बढ़ो. अपनी क्षमताओं को पहचानो.

दुनिया ऐसे उदाहरणों से भरी पड़ी है जिन में बचपन में पढ़ाई में कमजोर रहे छात्रों ने बाद में सफलता के कई नए रिकौर्ड कायम किए हैं, आविष्कार किए हैं. यह परीक्षा जीवन की आखिरी परीक्षा नहीं है. जीवन चुनौतियों का नाम है. फेल होने का मतलब जिंदगी का अंत नहीं होता. इंसान वह है जो अपनी गलतियों से सीख कर आगे बढ़े.

प्लंबर बनें और कमाई करें

प्लंबिंग के काम का इतिहास बहुत पुराना है. सिंधु घाटी की सभ्यता में ऐसे सुबूत मिले हैं जब पानी को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए इस तरह की तकनीक को अपनाया जाता था.

प्लंबिंग का काम कम पढ़ेलिखे लोगों के लिए रोजगार का अच्छा जरीया है और आज के दौर में तो प्लंबर की अकसर जरूरत पड़ती है. खेतखलिहानों से ले कर घर, औफिस या फैक्टरी सभी जगह प्लंबर की काफी मांग बनी रहती है.

प्लंबिंग का काम किसी कुशल प्लंबर के साथ रह कर सीखा जा सकता है. इस के अलावा इस काम को सिखाने के लिए अनेक संस्थाएं हैं जैसे आईटीआई, पौलीटैक्निक जो इस काम की ट्रेनिंग देती हैं.

इस कोर्स को करने के बाद डिप्लोमा या सर्टिफिकेट मिलता है. प्राइवेट संस्थानों में ट्रेनिंग की फीस ज्यादा हो सकती है लेकिन सरकारी संस्थानों में फीस काफी कम होती है.

आईटीआई और पौलीटैक्निक से प्लंबिंग में डिप्लोमा लेने के लिए कम से कम 10वीं पास होना जरूरी है. आईटीआई में एक साल का डिप्लोमा कोर्स होता है. इस के अलावा 8वीं जमात पास लोगों के लिए भी 6 महीने का सर्टिफिकेट कोर्स है, जिसे सोसाइटी फोर सैल्फ एंप्लौयमैंट (स्वरोजगार समिति) दिल्ली सरकार के तहत कराया जाता है.

स्वरोजगार समिति में प्लंबिंग के मास्टर सुरेंद्र सिंह ने बताया कि 8वीं जमात पास नौजवान भी इस कोर्स को कर सकते हैं. ट्रेनिंग पूरी होने पर एक सर्टिफिकेट दिया जाता है. अगर छात्र 10वीं पास है तो वह दिल्ली जल बोर्ड में लाइसैंस के लिए भी अप्लाई कर सकता है. लाइसैंस मिलने पर वह सरकारी व प्राइवेट काम के ठेके भी ले सकता है.

मास्टर सुरेंद्र सिंह ने आगे बताया कि प्लंबिंग में 3 तरह की ट्रेनिंग दी जाती है. सब से पुरानी तकनीक है जीआई पाइप (ग्लैवनाइज्ड आयरन पाइप) की फिटिंग. इस में लोहे के पाइपों की फिटिंग की जाती है. दूसरी सीपीवीसी तकनीक है जिस में पीवीसी पाइपों को सोल्वैंट सीमेंट (एक तरह का तरल पदार्थ) के जरीए फिटिंग की जाती है. तीसरी है पीपीआर तकनीक. इस के तहत पीपीआर मशीन से पाइपों के किनारों को गरम कर के फिटिंग की जाती है.

प्लंबिंग में घरेलू फिटिंग, फैक्टरी की फिटिंग, बिजली मोटर पंप लगाना, गीजर लगाना, सिंक, वाशवेसिन वगैरह लगाने के अलावा सीवर लाइन की फिटिंग जैसे काम भी आते हैं और आज तरक्की के इस दौर में खाना बनाने वाली घरेलू गैस भी बड़े शहरों में पाइपों के जरीए घरों में सप्लाई की जा रही है. मतलब, नौब खोलो और गैस का इस्तेमाल कर खाना बनाओ. यानी अब गैस के सिलैंडर की जरूरत ही नहीं. इस दिशा में भी रोजगार के अच्छे मौके मिल सकते हैं.

आज के समय में लोहे के पाइपों की फिटिंग की जगह दूसरी नई तकनीकों ने ले ली है. इन तकनीकों में लोहे के पाइपों की फिटिंग के मुकाबले खर्च भी कम होता है और इस में मेहनत भी कम लगती है लेकिन मजदूरी पूरी मिलती है.

6 महीने की ट्रेनिंग लेने के बाद कोई भी बहुत ही कम खर्च में अपना धंधा शुरू कर सकता है. अपनी दुकान खोल सकता है या घर पर रह कर भी अपना कामधंधा शुरू कर सकता है.

2,000 से 5,000 रुपए तक में औजार खरीद कर अपना काम शुरू किया जा सकता है. कुछ औजार सैनेटरी हाईवेयर वालों से किराए पर भी मिल जाते हैं. औसतन हर महीने कम से कम 15 से 20,000 रुपए की कमाई आसानी से हो सकती है. कई दफा ठेके पर काम ले कर ज्यादा कमाई भी हो जाती है. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत लोन ले कर भी अपने रोजगार को बढ़ाया जा सकता है.

अगर आप प्लंबिंग का कोर्स करना चाहते हैं या इस बारे में ज्यादा जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो प्लंबिंग मास्टर सुरेंद्र सिंह के मोबाइल फोन नंबर 9899102589 पर सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक फोन कर सकते हैं या सोसाइटी फोर सैल्फ एंप्लौयमैंट के दिल्ली दफ्तर ई-3, फ्लैटेड फैक्टरीज, झंडेवाला कांप्लैक्स, नई दिल्ली-110055 से भी फोन नंबर 011-23673098 जानकारी ले सकते हैं.

मासूम की बलि, जिसकी कहानी हैरान कर देगी

अशोक कुमार पंजाब के जिला जालंधर के गांव मलको में पत्नी रजनी और 2 बच्चों 7 वर्षीय गुरप्रीत चुंबर उर्फ गोपी एवं 4 वर्षीय मनप्रीत के साथ रहता था. वह कौंप्लेक्स स्थित एक फैक्ट्री में खराद मशीन का मिस्त्री था. फैक्ट्री के लिए वह सुबह 8 बजे घर से निकलता तो रात को लगभग 8 बजे ही घर आता था. उस का बड़ा बेटा गांव के ही सरकारी स्कूल में कक्षा 2 में पढ़ता था. उसे स्कूल तक पहुंचाने और छुट्टी के बाद घर लाने की जिम्मेदारी रजनी की थी. गुरप्रीत बड़ा ही खूबसूरत, मासूम दिखने वाला हंसमुख स्वभाव का था, इसलिए मोहल्ले के सभी लोग उस से स्नेह रखते थे.

अशोक कुमार के पड़ोस में 2-4 मकान छोड़ कर जीतराम और उस के बेटे राजकुमार का मकान था. जुलाई 2016 के अंतिम सप्ताह में राजकुमार के मकान में मंगतराम पत्नी के साथ किराए पर रहने आया. वह मूलरूप से  फाजलवाल का रहने वाला था.  वह मकान बनाने के ठेके लेता था, इसीलिए गांव के लोग उसे मंगत ठेकेदार कहते थे.

मंगत के बगल वाले कमरे में इंद्रजीत रहता था. वह मंगतराम के साथ ही काम करता था. दोनों साथ ही काम पर जाते थे और साथ ही रात को घर लौटते थे. मंगतराम की पत्नी जानकी हंसमुख और मिलनसार स्वभाव की थी, इसलिए पड़ोस की औरतों से उस की खूब पटती थी.

जानकी शाम को मोहल्ले के बच्चों को घर बुला कर नि:शुल्क ट्यूशन पढ़ाती थी. इस से उस का समय भी कट ही जाता था और बच्चों को भी फायदा होता था. अशोक कुमार का बेटा गुरप्रीत चुंबर भी रोजाना शाम को जानकी के घर ट्यूशन पढ़ने जाने लगा था.

जानकी ने 8 अगस्त, 2016 को मोहल्ले में सब से कह दिया कि वह अपने पति के साथ माता चिंतपूर्णी मंदिर जा रही है. उस के लौटने तक उस का देवर इंद्रजीत बच्चों को ट्यूशन पढ़ाएगा. उस दिन शाम को तय समय पर ट्यूशन पढ़ने के बाद बच्चे घर नहीं पहुंचे तो उन के घर वाले मंगतराम के घर जा पहुंचे. सब ने देखा इंद्रजीत बच्चों को पढ़ा रहा था. उस ने कहा कि थोड़ी देर में वह बच्चों को घर भेज देगा.

15 मिनट बाद सभी बच्चे अपनेअपने घर पहुंच गए, पर गुरप्रीत नहीं आया. रजनी को जब पता चला कि उस के बेटे के अलावा सभी बच्चे ट्यूशन पढ़ कर घर आ गए हैं तो वह मंगतराम के घर गई.

मकान का दरवाजा अंदर से बंद था. दरवाजा खटखटाने पर इंद्रजीत बाहर निकला तो पूछने पर उस ने बताया कि बस 2 प्रश्न रह गए हैं. उन्हें पूरा करने के बाद वह खुद गुरप्रीत को घर पर पहुंचा देगा. उस की बात से संतुष्ट हो कर रजनी घर लौट आई. पर आधे घंटे बाद भी जब गुरप्रीत नहीं आया तो रजनी को चिंता हुई.

वह उसे लेने के लिए बड़बड़ाती हुई घर से निकली कि ऐसी कौन सी पढ़ाई है, जो खत्म नहीं हो रही है. वह फिर से मंगतराम के घर पहुंची तो दरवाजे पर लगा ताला देख कर उस का माथा ठनक गया. उस के मुंह से निकला, ‘अरे ताला डाल कर ये कहां चले गए और मेरा गोपी कहां है?’

रजनी ने घबरा कर शोर मचा दिया तो मोहल्ले के तमाम लोग जमा हो गए. पूछने पर रजनी ने अपने बेटे और इंद्रजीत के गायब हो जाने की बात बता दी. मोहल्ले वाले भी सोच में पड़ गए कि इंद्रजीत बच्चे को ले कर पता नहीं कहां चला गया है? किसी अनहोनी की कल्पना से रजनी का दिल बैठा जा रहा था. उस समय शाम के साढ़े 7 बज रहे थे. मोहल्ले वाले गोपी को इधरउधर खोजने लगे.

एक दुकानदार ने बताया कि करीब सवा 6 बजे के करीब इंद्रजीत गुरप्रीत को ले कर उस की दुकान पर आया था. उस ने गुरप्रीत को 2 चौकलेट और 2 कुरकरे के पैकेट दिलाए थे.

‘‘ऐसा कैसे हो सकता है?’’ रजनी ने कहा, ‘‘सवा 6 बजे से 7 बजे तक मैं ने खुद गुरप्रीत को इंद्रजीत के यहां ट्यूशन पढ़ते देखा था.’’

दुकानदार ने विश्वास दिलाते हुए कहा कि सवा 6 बजे के करीब ही वह दुकान पर आया था. अब रजनी को मामला गड़बड़ नजर लगने लगा. वह सोचने लगी कि जब वह सवा 6 बजे के करीब इंद्रजीत के घर गई थी तो वहां घर में कौन था? लोगों ने कुछ ही देर में गांव का कोनाकोना छान मारा गया, पर गुरप्रीत और इंद्रजीत का कहीं पता नहीं चला. अब रजनी रोने लगी. गांव के एक आदमी ने मंगतराम और जानकी को फोन कर सारी बात बताई. मंगतराम ने कहा कि इस समय वह चिंतपूर्णी माता के मंदिर में है. इसलिए इस मामले में कुछ नहीं कर सकता. बात खत्म कर के उस ने अपना फोन स्विच्ड औफ कर दिया.

संयोग से उस समय अशोक घर पर नहीं था. उस की नाइट ड्यूटी थी. गुरप्रीत को ढूंढतेढूंढते रात के 11 बज गए थे. बेटे के गायब होने की सूचना रजनी ने फोन द्वारा पति को दी तो वह तुरंत घर आ गया और बेटे की खोज में लग गया. जब वह कहीं नहीं मिला तो रात करीब साढ़े 12 बजे मोहल्ले के कुछ लोग पड़ोसी की छत से मंगतराम के घर में पहुंचे.

मकान के अंदर कमरों के दरवाजे खुले हुए थे. एक कमरे का नजारा बड़ा ही रहस्यमयी था. कमरे के बीचोबीच एक हवनकुंड बना था, जिस में अधजली लकडि़यां और हवन सामग्री पड़ी थी. कुछ हवन सामग्री हवनकुंड के बाहर भी पड़ी थी. वहीं एक छुरी, कुछ कटे नींबू, लौंग, जायफल, सिंदूर और किसी जानवर के बाल और 7 हड्डियां पड़ी थीं.

यह सब देख कर सभी हैरान थे. उन की समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर यह सब क्या है और गुरप्रीत कहां है? इस के बाद सभी दूसरे कमरे में पहुंचे तो उस कमरे का ज्यादातर सामान गायब था. एक कमरे में एक तख्त पड़ा था और लोहे की एक पुरानी अलमारी रखी थी.

जब उस अलमारी को खोल कर देखा गया तो सभी के होश उड़ गए. अलमारी खुलते ही उस के अंदर रखी गुरप्रीत की लाश फर्श पर गिर पड़ी. अपने जिगर के टुकड़े की हालत देख कर अशोक की चीख निकल गई. लोगों ने लाश उठा कर तख्त पर लिटा दी. मकान का मेनगेट खुलने पर रजनी भी अंदर आ गई थी. बेटे की लाश देख कर वह भी दहाड़े मार कर रोने लगी. फौरन पुलिस को सूचना दी गई.

सूचना मिलते ही थाना लंबड़ा के थानाप्रभारी सरबजीत सिंह टीम के साथ घटनास्थल पर आ पहुंचे थे. घटनास्थल पर पूरा गांव जमा था. थानाप्रभारी ने इस घटना की सूचना डीसीपी और क्राइम इन्वैस्टिगेशन टीम को दे दी थी. गांव वाले बच्चे की हत्या पर उत्तेजित थे. कुछ ही देर में एडिशनल डीसीपी परमिंदर सिंह भंडाल सहित अन्य अधिकारी भी वहां आ गए थे.

एडिशनल डीसीपी भंडाल ने गांव वालों को समझा कर शांत किया और भरोसा दिया कि जल्द ही हत्यारों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा. घटनास्थल का बारीकी से मुआयना किया गया. बरामद सामान और माहौल देख कर साफ लग रहा था कि कमरे में तांत्रिक क्रिया की गई थी. मृतक बच्चे के माथे पर काला तिलक लगा था. गले में फूलों की माला, हाथों पर सिंदूर और गरदन पर खून के निशान थे. लाश को गोटा लगी लाल सुर्ख रंग की चुनरी में लपेट कर अलमारी में रखा गया था. उस के हाथपैर लाल रंग के मौली धागे से बंधे थे. सिर पर किसी भारी चीज के मारने की चोट थी.

अब तक की जांच से स्पष्ट हो गया था कि इंद्रजीत या किसी तांत्रिक ने गुरप्रीत की बलि दी गई थी. बहरहाल मौके की जरूरी काररवाई पूरी कर के लाश को पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल भेज कर कमरे से जरूरी सबूत कब्जे में ले लिए गए. इस के बाद अशोक कुमार के बयानों के आधार पर पुलिस ने इंद्रजीत के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201, 34 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर उस की तलाश शुरू कर दी.

एडिशनल डीसीपी परमिंदर सिंह भंडाल ने आरोपी की गिरफ्तारी के लिए अतिरिक्त थानाप्रभारी विजय कुमार, एएसआई गुरमेज सिंह, हैडकांस्टेबल जोगिंदर सिंह, तलविंदर सिंह, कांस्टेबल बलजीत  कुमार, कुलदीप सिंह की एक टीम बनाई बनाई, जिस का निर्देशन थानाप्रभारी सरबजीत सिंह को सौंपा गया.

गांव के लोगों को ले कर ले कर टीम माता चिंतपूर्णी के लिए रवाना हो गई. इस के अलावा थानाप्रभारी ने पूरे शहर में इंद्रजीत की तलाश में मुखबिरों को भी लगा दिया था. सरबजीत सिंह ने क्षेत्र में प्रमुख स्थानों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी निकलवा कर देखी. एक फुटेज में इंद्रजीत गुरप्रीत को ले कर जाता दिखाई दिया. उस के हाथ में कुरकुरे के पैकेट थे, एक अन्य फुटेज में इंद्रजीत हैंडबैग ले कर कहीं जा रहा था. शायद यह उस के फरार होने के समय का था.

पुलिस दिनरात इंद्रजीत की तलाश में जुटी थी. माता चिंतपूर्णी गई टीम खाली हाथ लौट आई थी. 4 दिनों बाद मुखबिर ने इंद्रजीत के बारे में पुख्ता सूचना दी. सूचना के आधार पर बस्ती जोधेयाल में दबिश दे कर इंद्रजीत को गिरफ्तार कर लिया गया. वह थका हुआ सा दिखाई दे रहा था.

पूछताछ शुरू करने से पहले ही उस ने अपना अपराध स्वीकार कर के कहा कि उस ने एक ऐसा पाप कर दिया है, जिस की माफी शायद ही उसे मिले. इस के बाद गुरप्रीत की हत्या की उस ने जो कहानी बताई, वह कोई नई नहीं थी. चालाक और शातिर लोग सदियों से दूसरों की कमजोरी का फायदा उठा कर अपना मनचाहा काम करवाते रहे हैं, यह भी उसी का नतीजा थी.

मंगतराम जालंधर में पिछले कई सालों से काम कर रहा था. उस की लगभग 4-5 महीने पहले इंद्रजीत से मुलाकात हुई थी. वह राजमिस्त्री का काम करता था. दोनों की जल्दी ही अच्छी जानपहचान हो गई और उस ने उसे रहने के लिए अपने घर पर जगह दे दी. मंगतराम की पत्नी ने उसे अपना देवर मान लिया और उस का खाना भी वही बनाने लगी. इंद्रजीत को पतिपत्नी ने अपने चक्रव्यूह में फंसा लिया.

इंद्रजीत कपूरथला के गांव रावलपिंडी के एक गरीब परिवार का लड़का था. उस की एक बहन थी जो शादी लायक थी और उस का रिश्ता भी तय हो गया था. 2 महीने बाद उस की शादी होने वाली थी. इंद्रजीत के पिता वृद्ध और कमजोर थे, पर जैसेतैसे वह घर के लिए दो जून की रोटी का इंतजाम कर लेते थे.

3-4 सौ रुपए रोज की मजदूरी में बहन की शादी करनी असंभव थी. शादी के लिए लाखों रुपए की जरूरत थी, इसलिए इंद्रजीत किसी ऐसे बड़े आदमी या बड़े ठेकेदार की तलाश में था, जो उसे लाखों का कर्ज ब्याज पर दे सके या कोई ठेकेदार उसे लाखों रुपए एडवांस दे सके. वह हर महीने एक मुश्त रकम चुकाता रहेगा. यही एक तरीका था बहन की शादी करने का.

इस बात का पता जब मंगतराम को चला तो एक दिन शाम को उस ने घर पर बोतल मंगवा कर इंद्रजीत के साथ पीते हुए पूछा, ‘‘तुम्हें 2 लाख रुपए की जरूरत है न?’’

‘‘हां,’’ इंद्रजीत बोला, ‘‘बहन की शादी के लिए 2 लाख रुपए जल्द चाहिए.’’

‘‘मैं तुम्हें 2 लाख रुपए दे सकता हूं.’’ मंगतराम ने जाल फेंकते हुए कहा.

‘‘क्या?’’ इंद्रजीत ने कुछ कहना चाहा तो मंगतराम ने उसे रोकते हुए कहा, ‘‘पहले मेरी पूरी बात सुन लो, मैं तुम्हें 2 लाख रुपए बिना ब्याज के दूंगा. मतलब 2 लाख रुपए दे कर वापस भी नहीं लूंगा, पर तुम्हें मेरा एक काम करना होगा.’’

‘‘कौन सा काम?’’ इंद्रजीत ने पूछा तो मंगतराम ने कहा कि शादी के कई साल बीत जाने के बाद भी उस की भाभी को औलाद नहीं हुई है. इस की कोख पर किसी जिन्न का साया है. वह खुद तांत्रिक है. उस ने अपनी तंत्र विद्या से जिन्न का साया हटा दिया है. अब उस से किसी ने कहा है कि वह एक 7 साल के बच्चे की बलि दे तो उस की आत्मा उस की पत्नी की कोख से जन्म ले लेगी.

मंगतराम ने बताया कि उस की पत्नी जानकी ने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने के चक्कर में पूरा माहौल तैयार कर लिया है. जिस बच्चे की बलि दी जानी है, उसे चुन लिया है. उसे बस उस के कहे अनुसार उस की बलि देनी है.

बच्चे की बलि की बात सुन कर इंद्रजीत एकबारगी घबरा गया. पर जब उस ने अपने घर में झांक कर देखा तो बच्चे की बलि से अधिक उसे अपनी जरूरत बड़ी लगी. काम कैसे करना है, यह सब मंगतराम ने उसे समझा दिया और सामान आदि के लिए 10 हजार रुपए भी दे दिए.

योजना के अनुसार, 7 अगस्त 2016 को जानकी ने मोहल्ले में कह दिया कि वह चिंतपूर्णी मंदिर जा रही है. उसी दिन मंगतराम पत्नी के साथ घर छोड़ कर चला गया. वे चिंतपूर्णी गए या कहीं और इस बात का अभी तक पता नहीं चला है.

बहरहाल अगले दिन योजना के अनुसार इंद्रजीत ने ट्यूशन पढ़ाने के बहाने सभी बच्चों घर बुला लिया. इस के पहले दोपहर को वह बाजार से पूजा की सामग्री ले आया था, जो उसे मंगतराम लिख कर दे गया था.

कुछ देर बाद उस ने सभी बच्चों की छुट्टी कर दी और गुरप्रीत को रोक लिया. गुरप्रीत से उस ने कहा कि वह सब से अच्छा बच्चा है, इसलिए वह उसे इनाम देगा. इनाम के लालच में गुरप्रीत वहीं रुक गया. वह गुरप्रीत को एक दुकान पर ले गया और वहां से उसे चौकलेट और कुरकुरे के पैकेट दिलवा दिए.

दुकान से सामान दिला कर वह गुरप्रीत को घर ले आया और उसे पीने के लिए पानी दिया, जिस में नशे की दवा मिली थी. पानी पीने के कुछ देर बाद गुरप्रीत बेहोश हो गया. इस के पहले कि वह अपना काम शुरू करता, गुरप्रीत को पूछने के लिए उस की मां आ गई.

रजनी को इंद्रजीत ने बहाना बना कर वापस भेज दिया और हवन कुंड में जल्दी से लकडि़यां जला कर मंगतराम द्वारा बताई गई क्रियाएं खत्म कर एक सूआ गुरप्रीत की सांस नली में घुसेड़ कर खून निकाला और बाद में सिर में ईंट मार कर जान ले ली. वह जिंदा न रह जाए, इस के लिए मंगतराम द्वारा बताए तरीके से उस की बलि चढ़ा हत्या कर के उस की लाश एक लाल रंग की चुनरी में लपेट कर अलमारी में रख दी और फरार हो गया.

पुलिस ने इंद्रजीत को अदालत में पेश कर पूछताछ के लिए रिमांड पर ले लिया. रिमांड अवधि के दौरान उस की निशानदेही पर सूआ और ईंट बरामद कर ली गई, रिमांड खत्म होने पर उसे फिर से 18 अगस्त, 2016 को अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

पुलिस इस बलिकांड के सूत्रधार मंगतराम और उस की पत्नी की सरगर्मी से तलाश कर रही है, पर उन के मिलने की संभावनाएं न के बराबर हैं. इस कांड से इंद्रजीत की बहन की शादी में तो समस्या आएगी, साथ ही रजनी को उस का बेटा गुरप्रीत कभी नहीं मिलेगा. तांत्रिक मंगतराम को औलाद होगी या नहीं? यह तो बाद की बात है, पर उस की इस घटिया सोच और अपराध ने एक मां से उस का बेटा जरूर छीन लिया है.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित घटना का नाटकीय रूपांतरण किया गया है.

बैलगाड़ी में बैठ शादी करने चला एनआरआई फर्जी दूल्हा!

अगर शादी ब्याह के मामले में आंख में मूंद कर रिश्ता करेंगे तो आप धोखा खा जाएंगे. विदेश में ऊंचे पद पर ऊंची कमाई का माया जाल फैलाकर किस तरह लोगों को उनकी भावनाओं को आहत करने से लोग बाज नहीं आते. इसका सच आपको दिखाने के लिए आज हम ले चलते हैं. छत्तीसगढ़ के जिला राजनांदगांव. जहां एक युवक ने बड़े ही तामझाम के साथ छत्तीसगढ़ की संस्कृति के अनुरूप ग्यारह बैल गाड़ियों से बारात निकाली. मगर विवाह करने के बाद फर्जी पाया गया और अब जेल की हवा खा रहा है.

बैलगाड़ी पर बारात लेकर छत्तीसगढ़ में चर्चा का सबब बने दूल्हे शैलेंद्र साहू शादी के 72 घंटे बाद दुल्हन के परिवारवालों की शिकायत पर फर्जी दूल्हे के साथ उसके माता-पिता, भाई और भाभी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. वैवाहिक मामले में लोगों की भावनाओं को आहत करने का अजीबो गरीब ठगी का यह मामला छत्तीसगढ़ के जिला राजनांदगांव के डोंगरगढ़ जंगलपुर का है.

यहां एक एन आर आई की शादी काफी चर्चा में थी‌. छत्तीसगढ़ के बस्तर में एक शहीद की छोटी बहन से शादी करने वाला एन आर आई बैलगाड़ी से बारात निकालकर चर्चा का सबब बन गया था. अपनी विशेष बैल गाड़ियों की निकली बारात के कारण इस एन आर आई की विवाह की चर्चा सुर्ख़ियों में थी.

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अमेरिकी मूल की लड़की से की शादी

शैलेंद्र साहू लंबे समय से अमेरिका में बसा हुआ था. इसी दरमियान अमेरिकी मूल की लड़की से ब्याह रचा लिया. जानकार बताते हैं कि इस विवाह से उसके परिजन नाखुश थे. यही कारण है कि शैलेंद्र साहू को अपने गृह ग्राम आना पड़ा और यहां उसके दोबारा विवाह की तैयारी शुरू हो गई. महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि शैलेंद्र साहू का ब्याह बड़े ही शानदार तरीके से संपन्न हो गया. मगर कहते हैं की सच्चाई कभी न कभी सामने आ ही जाती है, शैलेंद्र साहू का सच भी अंततः सामने आ गया. तब तीन दिन पश्चात दुल्हन के परिजनों ने धोखेबाजी का आरोप लगाकर अमेरिका में रह रहे एन आर आई के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई और उसे माता-पिता परिजनों सहित जेल भेज दिया गया.

और ऐसे खुला फर्जी दूल्हे का फर्जीवाड़ा

एन आर आई शैलेंद्र साहू पहले से ही शादी शुदा है. उसने अमेरिकी मूल की लड़की के साथ विवाह किया है, दो बच्चे भी है. मगर उसने उसके परिजनों ने लड़की और उसके परिजनों से यह सच छुपाया. 9 दिसंबर 2020 को शैलेंद्र अपने घर से 11 बैलगाड़ियों से अपनी बारात लेकर दुल्हन (रानी बदला हुआ) नाम के घर पहुंचा. और शैलेंद्र साहू ने बड़े ही शांति पूर्ण ढंग से रीति-रिवाजों के साथ विवाह कर लिया. 2 दिन पश्चात मामले का खुलासा कुछ इस तरह हुआ जो अपने आप में चौंकाने वाला है- जंगलपुर के रहने वाले सीआरपीएफ जवान पूर्णानंद साहू कुछ महीने पहले बीजापुर में नक्सलियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए थे. 21 नवंबर को शहीद की बहन से शादी के लिए अर्जुनी निवासी शैलेंद्र साहू ने प्रस्ताव भेजा था. शैलेंद्र अमेरिका में रहता है.

शादी सामाजिक रस्मो रिवाज के साथ धूमधाम से हो गई लेकिन अंततः लड़की के घरवालों को पता चला कि शैलेंद्र पहले से शादीशुदा है और उसके दो बच्चे भी है.

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युवती शहीद जवान की बहन थी. ऐसे में सीआरपीएफ के नियमों के मुताबिक शहीद के परिजनों को फोर्स की तरफ से अनुदान राशि मिलती है. इसके तहत परिवार ने लड़की की शादी के बारे में अफसरों को बताया था, अफसरों ने लड़के की सारी जानकारी मांगी थी.

सीआरपीएफ ने जब युवक के पासपोर्ट की जांच अपने स्तर पर करवाई तो वो शादीशुदा निकला, और सारा सच सामने आ गया. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. मगर लड़की के परिजनों ने शैलेंद्र साहू के साथ रानी के विवाह को तोड़ दिया और दूल्हे सहित उसके परिजनों को जेल की हवा खिलाई है.

सोशल मीडिया की दोस्ती से आप हो सकते हैं तबाह, पढ़ें पूरी खबर

संपूर्ण देश दुनिया सहित छत्तीसगढ़ में सोशल मीडिया के माध्यम से सेक्स संबंध बनाए जाने और बाद में धोखा देने की घटनाएं हो रही है. आए दिन ऐसी घटनाएं हमारे आसपास घटित हो रही है कि फेसबुक, व्हाट्सएप आदि सोशल मीडिया प्लेटफौर्म के माध्यम से युवक-युवतियों में बातचीत शुरु होती है, संबंध बनते हैं, मुलाकातें होती हैं, और धीरे धीरे स्थिति सेक्स संबंध स्थापित करने तक पहुंच जाती है. और फिर शुरू होता है लड़की का यह आग्रह की मुझे अपना लो, विवाह कर लो. मगर युवक अब आनाकानी करने लगते हैं. और लड़की को अहसास होता है कि मैं छलावे में आ गई, धोखा खा गयी और मेरा जीवन बर्बाद हो गया.

आज हम इस रिपोर्ट में इस प्रकार की कुछ घटनाओं को संकेतिक रूप से यहां प्रस्तुत करते हुए यह बताने का अथक प्रयास कर रहे हैं कि युवक हो या युवतियां फेसबुक की दोस्ती, संबंधों को लेकर एक सीमा के आगे चले जाएंगे तो यह आग से खेलना होगा. सोशल मीडिया की दोस्ती, सेक्स संबंध एक ऐसी चिंगारी है जो जीवन तबाह कर देती है.

छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य जिला जशपुर जिले के बगीचा इलाके का रहने वाले एक युवक अमन तिवारी पीएससी की तैयारी करने के लिए बिलासपुर शहर आया था. यहां उसने फेसबुक के जरिए एक युवती को अपने जाल में फंसा लिया. इसके बाद करीब दो साल तक युवती से दुष्कर्म करता रहा.
युवती ने जब जब शादी के लिए कहा तो युवक ने इंकार कर दिया.

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युवती के मुताबिक युवक ने उससे कहा था -” वह उससे प्यार करता है और शादी भी उसी से करेगा.” इसी का भ्रम जाल बुनकर आरोपी युवक उससे शारीरिक संबंध बनाता रहा. इस दौरान युवती ने जब युवक से शादी करने की बात कही, तो युवक ने उसे अपनाने से इंकार कर दिया.

युवक से मिले इस धोखे से आहत युवती ने आरोपी के खिलाफ बिलासपुर के कोतवाली थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई. युवती की शिकायत पर पुलिस ने आरोपी युवक अमन तिवारी को मौके पर दबिश देकर गिरफ्तार कर लिया.

दोस्ती और प्रेम जाल

एक आदिवासी किशोरी की फेसबुक पर एक साल पहले पाली गांव निवासी रमन शर्मा (28) से दोस्ती हुई . बातचीत करते हुए युवक ने उसे प्रेमजाल में फंसा लिया. युवक उसे राजधानी रायपुर घूमने के बहाने घर से भगाकर अपने साथ ले गया. फिर अपने दोस्त पवन की मदद से किराए के मकान में रंजन ने किशोरी को रखा. वहां वह शादी करने का झांसा देते हुए किशोरी से दुष्कर्म करता रहा. बाद में उसे वापस शहर लाकर छोड़ दिया.किशोरी के परिजनों की रिपोर्ट पर पुलिस ने मामले में आरोपी के खिलाफ अपहरण समेत दुष्कर्म, पाक्सो एक्ट व एट्रोसिटी एक्ट का अपराध दर्ज कर लिया .

आरोपी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की टीम संभावित स्थानों पर गई लेकिन वह हर बार भाग निकलता. आखिर साइबर सेल की मदद से पुलिस द्वारा उसके मोबाइल का लोकेशन खंगाला गया. जिसके बाद उसके बिलासपुर में होने की जानकारी मिली. पुलिस की एक टीम दिल्ली भेजी गई। टीम ने वहां जानकारी जुटाते हुए आरोपी रमन शर्मा को पकड़ लिया.

और झांसा देकर बंधक बना लिया

एक प्राइवेट हास्पिटल में नर्सिंग का काम करने वाली युवती की सोशल मीडिया पर जिस युवक से पहचान हुई थी उसी युवक ने धोखे में उसे गांव ले जाकर बंधक बना लिया. इसके बाद युवक व उसके दोस्तों ने कई दिनों तक युवती के साथ रेप किया. युवती करीब हफ्तेभर बाद किसी तरह भागकर रविवार को जशपुर के लुडेर गांव से अंबिकापुर पहुंची तो मामला सामने आया. युवती के साथ आरोपियों ने मारपीट भी की है. पुलिस ने मामले में जशपुर जिले के ग्राम लुडेर निवासी कुलदीप लकड़ा नामक युवक व उसके तीन अन्य साथियों के खिलाफ केस दर्ज कर उनकी तलाश शुरू कर दी.

युवती मूलत: बलरामपुर जिले के राजपुर इलाके की रहने वाली है. वह अंबिकापुर के मिशन चौक इलाके में किराए के मकान में रहकर एक प्राइवेट हास्पिटल में काम कर रही थी. इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी कुलदीप लकड़ा, अजय और राजकुमार को गिरफ्तार कर लिया. सभी आरोपियों को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. वहीं फरार आरोपी की पुलिस तलाश कर रही है.

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पुलिस ने बताया कि युवती और आरोपी का परिचय फेसबुक पर हुई थी.पहले दोनों ने चैटिंग से बातचीत होती थी. इसके बाद मोबाइल पर बातचीत करने लगे और एक दूसरे के लिए जीने मरने की कसमें खाने लगे. युवक के झांसे में आकर युवती उसके ऊपर विश्वास करने लगी. युवक ने अंबिकापुर में आकर मुलाकात करने की बात की तो वह तैयार हो गई.

आरोपी युवक बाइक से अंबिकापुर आया था.यहां गांव गुदरी में युवती को मिलने के लिए बुलाया. इसके बाद घूमने की बात कहकर युवती को बाइक से प्रमुख पर्यटन स्थल मैनपाट ले गया. यहां से फिर परिजनों से मिलाने की बात कहकर उसे अपने घर ग्राम लुडेर ले गया. युवक के गांव में दो घर हैं. एक में घर में कोई नहीं रहता है. इसी घर में युवती को बंधक बनाकर रखा.

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सोशल मीडिया से भड़कती “सेक्स की चिंगारी”

संपूर्ण देश दुनिया सहित छत्तीसगढ़ में सोशल मीडिया के माध्यम से सेक्स संबंध बनाए जाने और बाद में धोखा देने की घटनाएं हो रही है. आए दिन ऐसी घटनाएं हमारे आसपास घटित हो रही है कि फेसबुक, व्हाट्सएप आदि सोशल मीडिया प्लेटफौर्म के माध्यम से युवक-युवतियों में बातचीत शुरु होती है, संबंध बनते हैं, मुलाकातें होती हैं, और धीरे धीरे स्थिति सेक्स संबंध स्थापित करने तक पहुंच जाती है. और फिर शुरू होता है लड़की का यह आग्रह की मुझे अपना लो, विवाह कर लो. मगर युवक अब आनाकानी करने लगते हैं. और लड़की को अहसास होता है कि मैं छलावे में आ गई, धोखा खा गयी और मेरा जीवन बर्बाद हो गया.

आज हम इस रिपोर्ट में इस प्रकार की कुछ घटनाओं को संकेतिक रूप से यहां प्रस्तुत करते हुए यह बताने का अथक प्रयास कर रहे हैं कि युवक हो या युवतियां फेसबुक की दोस्ती, संबंधों को लेकर एक सीमा के आगे चले जाएंगे तो यह आग से खेलना होगा. सोशल मीडिया की दोस्ती, सेक्स संबंध एक ऐसी चिंगारी है जो जीवन तबाह कर देती है.

छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य जिला जशपुर जिले के बगीचा इलाके का रहने वाले एक युवक अमन तिवारी पीएससी की तैयारी करने के लिए बिलासपुर शहर आया था. यहां उसने फेसबुक के जरिए एक युवती को अपने जाल में फंसा लिया. इसके बाद करीब दो साल तक युवती से दुष्कर्म करता रहा.
युवती ने जब जब शादी के लिए कहा तो युवक ने इंकार कर दिया.

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युवती के मुताबिक युवक ने उससे कहा था -” वह उससे प्यार करता है और शादी भी उसी से करेगा.” इसी का भ्रम जाल बुनकर आरोपी युवक उससे शारीरिक संबंध बनाता रहा. इस दौरान युवती ने जब युवक से शादी करने की बात कही, तो युवक ने उसे अपनाने से इंकार कर दिया.

युवक से मिले इस धोखे से आहत युवती ने आरोपी के खिलाफ बिलासपुर के कोतवाली थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई. युवती की शिकायत पर पुलिस ने आरोपी युवक अमन तिवारी को मौके पर दबिश देकर गिरफ्तार कर लिया.

दोस्ती और प्रेम जाल

एक आदिवासी किशोरी की फेसबुक पर एक साल पहले पाली गांव निवासी रमन शर्मा (28) से दोस्ती हुई . बातचीत करते हुए युवक ने उसे प्रेमजाल में फंसा लिया. युवक उसे राजधानी रायपुर घूमने के बहाने घर से भगाकर अपने साथ ले गया. फिर अपने दोस्त पवन की मदद से किराए के मकान में रंजन ने किशोरी को रखा. वहां वह शादी करने का झांसा देते हुए किशोरी से दुष्कर्म करता रहा. बाद में उसे वापस शहर लाकर छोड़ दिया.किशोरी के परिजनों की रिपोर्ट पर पुलिस ने मामले में आरोपी के खिलाफ अपहरण समेत दुष्कर्म, पाक्सो एक्ट व एट्रोसिटी एक्ट का अपराध दर्ज कर लिया.आरोपी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की टीम संभावित स्थानों पर गई लेकिन वह हर बार भाग निकलता. आखिर साइबर सेल की मदद से पुलिस द्वारा उसके मोबाइल का लोकेशन खंगाला गया. जिसके बाद उसके बिलासपुर में होने की जानकारी मिली. पुलिस की एक टीम दिल्ली भेजी गई। टीम ने वहां जानकारी जुटाते हुए आरोपी रमन शर्मा को पकड़ लिया.

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और झांसा देकर बंधक बना लिया

एक प्राइवेट हास्पिटल में नर्सिंग का काम करने वाली युवती की सोशल मीडिया पर जिस युवक से पहचान हुई थी उसी युवक ने धोखे में उसे गांव ले जाकर बंधक बना लिया. इसके बाद युवक व उसके दोस्तों ने कई दिनों तक युवती के साथ रेप किया. युवती करीब हफ्तेभर बाद किसी तरह भागकर रविवार को जशपुर के लुडेर गांव से अंबिकापुर पहुंची तो मामला सामने आया. युवती के साथ आरोपियों ने मारपीट भी की है. पुलिस ने मामले में जशपुर जिले के ग्राम लुडेर निवासी कुलदीप लकड़ा नामक युवक व उसके तीन अन्य साथियों के खिलाफ केस दर्ज कर उनकी तलाश शुरू कर दी.
युवती मूलत: बलरामपुर जिले के राजपुर इलाके की रहने वाली है. वह अंबिकापुर के मिशन चौक इलाके में किराए के मकान में रहकर एक प्राइवेट हास्पिटल में काम कर रही थी. इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी कुलदीप लकड़ा, अजय और राजकुमार को गिरफ्तार कर लिया. सभी आरोपियों को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. वहीं फरार आरोपी की पुलिस तलाश कर रही है.

पुलिस ने बताया कि युवती और आरोपी का परिचय फेसबुक पर हुई थी.पहले दोनों ने चैटिंग से बातचीत होती थी. इसके बाद मोबाइल पर बातचीत करने लगे और एक दूसरे के लिए जीने मरने की कसमें खाने लगे. युवक के झांसे में आकर युवती उसके ऊपर विश्वास करने लगी. युवक ने अंबिकापुर में आकर मुलाकात करने की बात की तो वह तैयार हो गई.

आरोपी युवक बाइक से अंबिकापुर आया था.यहां गांव गुदरी में युवती को मिलने के लिए बुलाया. इसके बाद घूमने की बात कहकर युवती को बाइक से प्रमुख पर्यटन स्थल मैनपाट ले गया. यहां से फिर परिजनों से मिलाने की बात कहकर उसे अपने घर ग्राम लुडेर ले गया. युवक के गांव में दो घर हैं. एक में घर में कोई नहीं रहता है. इसी घर में युवती को बंधक बनाकर रखा.

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