चुनावी खर्च जिस तरह बेलगाम होते जा रहे हैं उस पर यह एक टिप्पणी बहुत महत्वपूर्ण है -
" बेहतर होगा की चुनाव आयोग इन मामलों की स्वयं जांच करे. पता लगाए कि अवैध बरामदगी के पीछे कौन-सा प्रत्याशी या दल है और फिर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो.इस तरह की सख्ती के बिना चुनावों में धनबल का दखल नहीं रूकेगा.

यह सही है कि चुनाव में धनबल का प्रयोग रोकने के लिए चुनाव आयोग की सतर्कता बढ़ी है, लेकिन यह सिर्फ धर-पकड़ तक सीमित है.ऐसे मामलों में सजा की दर बहुत कम है, क्योंकि चुनाव के बाद स्थानीय प्रशासन और पुलिस मामले को गंभीरता से नहीं लेते। अक्सर असली सरगना छुट भैय्यों को फंसा कर बच जाते हैं.

-बृजेश माथुर
सोशल मीडिया पर दरअसल , लोकतंत्र महा कुंभ कहलाने वाला लोकसभा चुनाव में आज जिस तरह चुनाव में करोड़ों रुपए प्रत्येक लोकसभा संसदीय क्षेत्र में खर्च हो रहे हैं उससे साफ हो जाता है कि आम आदमी या कोई सामान्य योग्य व्यक्ति संसद में पहुंचने के लिए सात जन्म लेगा तो भी नहीं पहुंच पाएगा.
लोकसभा चुनाव 2024 में माना जा रहा है कि खर्च के मामले में पिछले सारे रेकार्ड ध्वस्त हो जाएंगे और दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश कहलाने वाले भारत राष्ट्र में चुनाव खर्च अपनी पर पराकाष्ठा में होंगे अर्थात भारत दुनिया की सबसे खर्चीली चुनावी व्यवस्था होगी.

चुनाव पर गंभीरता से नजर रखने वाले जानकारों के अनुसार इस बार लोकसभा चुनाव 2024 में अनुमानित खर्च के 1.35 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने की संभावना है.अगर बात की जाए लोकसभा चुनाव 2019 में खर्च की तो 60,000 करोड़ रुपये से दोगुने से भी अधिक है.

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