Hindi Romantic Story, लेखक – सागर चौधरी
समर एक ऐसी मुहब्बत को जी रहा था, जो शायद बहुत पहले मर चुकी थी. वह इस रिश्ते में कब से अकेला था, बस उसे अहसास नहीं था कि रोशनी कब की, किसी और की हो चुकी थी. वह अब जो भी अपना समय उसे देती, वह सिर्फ पुरानी यादों के नाते.
यों तो एक जमाने में वे दोनों पूरापूरा दिन एकदूसरे को देखते गुजारते थे. हैदराबाद के एक माल में दोनों शोरूम सेल्स स्टाफ थे. समर मैंस वियर में कस्टमर्स को कपड़े दिखाता, तो दूसरी तरफ किड्स वियर में रोशनी मम्मियों की मदद करती.
शाम को वे दोनों 45 नंबर की बस पकड़ते और हुसैन सागर ?ाल के एक किनारे पर उतर जाते. एक घंटा दोनों एकदूसरे के हाथ में हाथ डाल कर बैठते और बातें करते. ?ाल की तरफ से आने वाली हवा रोशनी के घुंघराले बालों को रहरह कर उड़ाती रहती.
समर के लिए सबकुछ स्लो मोशन जैसा चलता था, इसलिए वह अकसर रोशनी की जुल्फों में खो जाता. वह उस की तरफ देख तो रहा होता, मगर कई बार रोशनी की आवाज उसे सुनाई न देती.
फिर वे दोनों वापस 45 नंबर की बस पकड़ते. समर मुशीराबाद उतरता तो रोशनी टोली चौकी. दोनों ही बस्तियों में रहते थे, मगर एकदूसरे से 10 किलोमीटर दूर.
यह साल 2014 था. एक शाम ऐसी बारिश में दोनों फंसे कि घंटों बाद भी 1-2 बसें ही आई थीं, सब ठसाठस भरी हुईं. 2 घंटे के बाद भी बारिश के थमने का नाम न था. रोशनी की अप्पी (बड़ी बहन) कई बार फोन कर चुकी थीं.
रोशनी ने कहा कि वह आटोरिकशा से चली जाएगी और समर को अब लौटना चाहिए, मगर उस ने कहां सुनना था.
आटोरिकशा आते ही समर एकदम से रोशनी के साथ उस में बैठ गया और आटोरिकशा वाले को कहा, ‘‘टोली चौकी ले लो.’’
रोशनी ने परेशान होते हुए उसे कहा, ‘‘तुम क्यों जा रहे हो? तुम वापसी में काफी लेट हो जाओगे.’’
समर ने जवाब दिया, ‘‘लेकिन उतने समय मैं तुम्हारे साथ भी तो रह पाऊंगा.’’
रोशनी कुछ न बोली, बस समर के कंधे पर अपना सिर रख दिया. समर ने भी अपनी बाजू पीछे से सरकाते हुए रोशनी को कमर से पकड़ लिया और दोनों यों ही टोली चौकी पहुंच गए.
पैसे रोशनी ने दिए. उसे मालूम था कि समर के आधे से ज्यादा पैसे तो किराए में खर्च हो जाते हैं.
रोशनी ने समर से कहा, ‘‘तुम इसी आटोरिकशा से लौट जाना.’’
समर ने कहा, ‘‘हां, ठीक है.’’
मगर समर को घर पहुंचने की जल्दी भी तो नहीं थी. अपनी यादों के साथ उसे बस की खिड़की पर बैठ कर जाना ज्यादा पसंद था.
बस स्टौप तक जाते हुए समर खुद ब खुद मुसकरा रहा था. कभी दौड़ता तो कभी चलने लगता. बारिश अब थम सी गई थी और रात इतनी ज्यादा कि अब बस स्टौप पर लोग भी कम थे.
5 साल गुजर गए थे, मगर वह बारिश की रात जैसे कल ही की बात हो. समर आज भी बारिश को बड़ी मुहब्बत से देखता है.
2 साल पहले समर दिल्ली आ गया था. अब वह एक बड़े होटल में स्टीवर्ड था. रोशनी ने उसे इंगलिश बोलना सिखाया था, जिस की वजह से एक दिन जब यह औफर आया था तो रोशनी ने ही जिद की थी कि वह चला जाए. माल की नौकरी में स्टाफ को मैनेजर से बहुत भलाबुरा सुनना पड़ता है. पैसे भी मुश्किल से 8,000 रुपए मिलते थे.
समर ने कहा था कि वह वहां जाते ही रोशनी के लिए भी कुछ देखेगा. उस ने सोचा था एक साल के अंदर वे दोनों फिर साथ होंगे, मगर दूसरा और तीसरा साल भी गुजर गया. समर और रोशनी अब भी एकदूसरे को देख नहीं पाए थे.
वे दोनों फोन पर कुछ कहते नहीं, मगर अंदर ही अंदर उन का प्यार एकदूसरे के लिए जहर बनता जा रहा था. न वे एकसाथ रह पा रहे थे, न एकदूसरे से दूर.
समर का अकेलापन उस के अंदर के प्यार के महासागर को कोयला बन कर सोख रहा था. उस की जरूरत अब सिर्फ रोशनी की आवाज सुन कर खत्म नहीं होती थी. वह उसे छूना चाहता था, अपनी बांहों में भरना चाहता था, उस के होंठों को चूमना चाहता था, मगर रोशनी कहीं भी नहीं होती.
दूसरी ओर, रोशनी के लिए समर का होना ही सबकुछ था. उसे फर्क नहीं पड़ता था कि समर उस के पास मौजूद था या नहीं. वह हर रोज उसे अपने दिनभर की बात अब भी वैसे ही शेयर करती, जैसे 5 साल पहले हुसैन सागर झील के किनारे पर किया करती थी. समर के अकेलेपन को खत्म करने के लिए उस ने अपनी तसवीरें भी भेजी थीं. वैसी तसवीरें जिन का हकदार सिर्फ समर ही था.
हालांकि, रोशनी ने शुरू से ही समर को कह दिया था कि उन की शादी नहीं हो सकती. जैसे वह भविष्य को देख चुकी हो. उस का परिवार और समाज कभी समर, एक हिंदू दलित, को स्वीकार नहीं करता.
मगर दिल के अंदर के फासले जिस तरह से बढ़ रहे थे, वे रोशनी को डराने लगे थे. ‘अगर समर सचमुच चला गया तो…’ रोशनी के दिल में यह सवाल अब रहरह कर उठता था.
एक समय वह भी आया जब समर 10 मिनट की फोन काल पर भी प्यार से बात नहीं कर पाता था. किसी न किसी बात पर उस का गुस्सा रोशनी पर निकल आता था.
‘‘जब तुम औफिस से घर जा रही होती हो तभी तुम फोन करती हो. मुझे बस के हौर्न के बीच में तुम्हारी आवाज सुननी पड़ती है… और जब मैट्रो लेती हो तो तुम्हारी आवाज चली जाती है. मुझे नहीं करना बात इस तरह. रखो फोन,’’ समर कहता.
रोशनी अप्पी या बच्चों के सामने घर पर बात नहीं कर पाती थी. एक दिन उस के जीजाजी ने उन के सारे मैसेज पढ़ लिए थे. उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर उसे उन के साथ रहना है तो समर को अपनी जिंदगी से निकालना पड़ेगा.
समर और रोशनी की मुहब्बत ने पिछले 5 साल में ऐसी कई दीवारों को पार किया था, मगर बरसों की दूरी ने उन के बीच एक गहरी खाई बना दी थी सबकुछ खत्म होता लग रहा था.
तभी रोशनी ने समर से कहा कि वह 2 दिन के लिए दिल्ली आएगी और उस के साथ रहेगी. खुशी के मारे समर की आंखों से आंसू निकल आए थे. वह 5 साल बाद रोशनी से मिलने वाला था.
रोशनी ने अपने घर वालों से कहा था कि कंपनी वाले उसे ट्रेनिंग के लिए भेज रहे हैं और रहनेसहने का इंतजाम भी उन्होंने ही किया है.
तब पतझड़ शुरू ही हुआ था. धूप में गरमी और छांव में हलकी सी सिहरन महसूस होती. वे 3 दिन रोशनी और समर की जिंदगी के सब से खूबसूरत पल थे. समय जैसे ठहर सा गया था. वे सब कसमेवादे, सपने जो कुछ महीने पहले टूटते नजर आ रहे थे, वे फिर से जुड़ गए थे.
रोशनी ने इन सब के बीच समर को यह नहीं बताया था कि घर पर उस की शादी की बात चल रही थी. वह उन 3 दिनों में समर को खुश देखना चाहती थी. वह सबकुछ देना चाहती थी, जो समर का था. मगर उस ने यह भी तय कर लिया था कि यह उन की आखिरी मुलाकात थी.
मानो एक कर्ज था समर के प्यार का जो रोशनी सूद समेत वापस करने आई हो. उस ने सोचा था, ‘समर अब अधूरा महसूस नहीं करेगा और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ेगा.’
मगर समर के लिए तो यह उम्मीद का नया रास्ता था. उसे लगने लगा था कि अब सबकुछ नामुमकिन है. शायद रोशनी उस के साथ भाग कर शादी करने को तैयार हो जाए. जहां रोशनी उस मुलाकात के जरीए 5 साल के मुहब्बत को दफन करने आई थी, वहीं समर की मरी मुहब्बत में एक नई जान आ गई थी.
रोशनी के वापस जाते ही समर फिर से दिनभर उसे फोन करने लगा. इंतजार करना समर का सब से खूबसूरत टाइमपास बन गया.
तभी एक दिन रोशनी ने समर का भरम थोड़ा और कहा, ‘‘मैं सलमान से मिली समर. पहली बार तुम्हें छोड़ कर कोई और आदमी मुझे अच्छा लगा है.’’
समर उस दिन नाइट शिफ्ट में था. किसी बहुत बड़े उद्योगपति ने होटल में पार्टी रखी थी. समर का काम था लोगों का मुसकरा कर स्वागत करना. उस ने रोशनी से कहा था, ‘‘मुबारक हो. अपना खयाल रखना.’’
इतना कह कर समर ने फोन रख दिया था. उस दिन समर ने सब का स्वागत किया. चेहरे पर से मुसकराहट तब तक नहीं गई, जब तक उस ने पार्टी फ्लोर नहीं छोड़ा.
शिफ्ट खत्म होते ही समर ने खुद को बाथरूम में बंद किया और फिर ऐसे रोया जैसे दुनिया खत्म हो गई हो.
एक महीने बाद रोशनी का फोन आया. उस ने कहा, ‘‘समर, अभी मत जाओ प्लीज. इतनी दूर चले हो मेरे साथ, कुछ दूर और चल लो. मैं तुम्हारे बिना यह नहीं कर सकती. एक बार मेरी शादी हो जाए, फिर चले जाना.’’
समर ने रोशनी से इतना प्यार किया था कि वह अगर उसे कह देती कि जीना छोड़ दो तो शायद वह अपनी सांसें बंद कर लेता.
समर ने कहा कि वह जैसा कहेगी वैसा ही होगा. रोशनी जितना और जब चाहती, समर उस के लिए मौजूद रहता.
रोशनी ने कहा, ‘‘समर, हम कभी अलग नहीं होंगे. यह शादी सिर्फ समाज के लिए है. तुम्हारी जगह कोई नहीं ले सकता.’’
फिर एक दिन वह समय भी आया जब शादी की रस्में शुरू हुईं. रोशनी के हाथों में मेहंदी लगी थी.
समर ने उस से पूछा था, ‘‘क्या चाहिए तुम्हें मेरी जान? शादी है तुम्हारी आज, तुम जो कह दोगी वह ला देंगे हम तुम्हें.’’
रोशनी ने कहा था, ‘‘तुम मुझ से एक वादा करो…’’
समर मुसकराया और बोला, ‘‘एक और वादा… तुम जो चाहे मांग लो सब तुम्हारा है.’’
रोशनी ने कहा, ‘‘वादा करो, हम कभी अलग नहीं होंगे.’’
समर ने हामी भर दी.
रोशनी की शादी हुए कई हफ्ते बीत गए थे. समर ने उसे सैकड़ों मैसेज भेजे थे, मगर जवाब एक भी नहीं मिला था उसे.
फिर एक दिन समर ने मैसेज में लिखा, ‘आई लव यू.’
जवाब आया, ‘समर प्लीज, आगे बढ़ो अब.’