सूर्या ने परफ्यूम की बोतल को ही तकरीबन खाली कर दिया. अगर वह किसी लड़की से मिलने जा रहा हो, तब तो कहने ही क्या. उसे ब्लाइंड डेट का रिवाज बेहद भाता है. आजकल कितनी ही औनलाइन साइटें हैं, जो इस तरह की डेट सैट करने में काफी मदद कर देती हैं.

सूर्या आज पहली बार ब्लाइंड डेट पर नहीं जा रहा है. हां, लेकिन आज की डेट का नाम उसे बहुत लुभा रहा है… चेरी. होटल के बेसमैंट में रैस्टोरैंट था. एक कोने की टेबल पहले ही रिजर्व थी. एक लड़की वहां पहले से ही बैठी थी.

‘‘माफ कीजिए चेरी, मुझे देर हो गई क्या? या फिर आप को मुझ से भी ज्यादा जल्दी थी?’’ तिरछी मुसकान लिए सूर्या फ्लर्ट करने में माहिर था.

‘‘नहीं, मैं ही कुछ जल्दी आ गई. वह नया फ्लाईओवर खुल गया है न, सो आने में समय ही नहीं लगा,’’ चेरी भी बातचीत करने लगी.

शाम का रंग बढ़ने लगा और अपना परिचय देने के बाद वे दोनों एकदूसरे की पसंदनापसंद पर बात करने लगे.

सूर्या एक प्राइवेट हवाईजहाज कंपनी में पायलट था और चेरी एक मैनेजमैंट इंस्टीट्यूट में बिजनैस मैनेजमैंट पढ़ाती थी.

‘‘तुम्हारा इतना लजीज नाम किस ने रखा वैसे, चेरी मेरा पसंदीदा फल है. देखते ही जी चाहता है कि गप से मुंह में रख लूं,’’ सूर्या अपनी आदत के मुताबिक फ्लर्ट किए जा हा था.

चेरी भी शरमाने के बजाय आग में घी डाल रही थी. वह बोली, ‘‘अपने मन को ज्यादा नहीं तरसाना चाहिए. लेकिन यहां सब के सामने नहीं. कहो तो होटल में चलते हैं. वहां जितना जी चाहे, उतनी ‘चेरी’ खा लेना.’’

सूर्या फटी आंखों से चेरी को ताकता रह गया, फिर आननफानन उठा और बोला, ‘‘तो चलो.’’

दोनों होटल में गए. सूर्या रिसैप्शन पर जाने लगा, तो चेरी ने हाथ पकड़ कर उसे रोक लिया और बोली, ‘‘मेरे नाम पर एक कमरा बुक है.’’

‘‘ओह, वैरी फास्ट,’’ जुमला कस कर सूर्या चेरी के पीछेपीछे हो लिया.

अब वे दोनों चेरी के कमरे में थे.

‘‘तुम बैठो, मैं हाथमुंह धो कर आई,’’ कहते हुए चेरी बाथरूम में चली गई.

सूर्या आया तो था सिर्फ एक दोस्ती भरी गपशप के लिए, लेकिन उस की अचानक लौटरी लग गई. लड़की खुद न्योता देते हुए उसे अपने कमरे तक ले आई थी.

सूर्या ने कमरे की खिड़की पर परदे डाल दिए और बत्तियां बंद कर दीं. अब कमरा हलकी पीली रोशनी से जगमगा रहा था.

तभी बाथरूम का दरवाजा खुला. चेरी एक छोटी सी लाल पोशाक में खड़ी इतराने लगी. सूर्या ने बांहें पसार दीं. चेरी मटकते हुए उन बांहों में समा गई. दोनों धप से बिस्तर पर गिरे.

सूर्या चेरी को बेतहाशा चूमने लगा. उस के हाथ चेरी के बदन पर दौड़ने लगे.

चेरी सूर्या की कमीज उतारने लगी. कुछ ही देर में सूर्या की कमीज और पैंट कमरे की कुरसी पर पड़े थे.

अब सूर्या की बारी थी. उस ने चेरी की पोशाक की जिप पर अपनी उंगली फिराई ही थी कि कमरे का दरवाजा खड़का.

उन दोनों के बिना खोले ही दरवाजा खुला और पुलिस की वरदी में एक आदमी सामने खड़ा था.

यह देख सूर्या हैरान रह गया. उस ने चेरी की ओर देखा. वह शांति से बिस्तर पर बैठी रही.

उस पुलिस वाले ने सूर्या के गाल पर एक तमाचा जड़ पर दिया. सूर्या का चेहरा झन्ना उठा.

‘‘हर जगह को बाजार समझ रखा है क्या? अच्छे घरों के लोगों का यह हाल है. बताओ, पढ़ेलिखे होते हुए भी…’’ कहते हुए वह पुलिस वाला कमरे की छानबीन करने लगा.

‘‘नहीं सर, आप गलत समझ रहे हैं. हम दोनों तो फ्रैंड हैं. वह तो बस यों ही थोड़ा भावनाओं में बह गए थे.

‘‘सौरी सर, गलती हो गई. आइंदा ऐसा नहीं होगा,’’ सूर्या बिना सांस लिए कहने लगा. वह इस मामले को रफादफा करना चाह रहा था.

पुलिस वाले ने चेरी के बालों को पकड़ कर उस का चेहरा ऊपर किया और अपना फोन निकाल कर वीडियो बनाने लगा, ‘‘कहां से पकड़ लाया इस छम्मकछल्लो को लड़की तो कम उम्र की लग रही है या…?’’ फिर उस ने अपने मोबाइल फोन का कैमरा सूर्या की ओर घुमा दिया.

‘‘अरे सर, क्या कर रहे हैं आप? मेरी नौकरी खतरे में पड़ जाएगी. बदनामी होगी सो अलग,’’ सूर्या उस पुलिस वाले के हाथपैर जोड़ने लगा.

‘‘यह बात ठीक कही तू ने. जो होना था, हो लिया. अब तेरी नौकरी छीन कर मुझे क्या मिलेगा. देख भाई, तू ने अपने मजे ले लिए, अब मुझे भी कुछ मिल जाता तो…’’ पुलिस वाला लेनदेन पर उतर आया.

‘‘बोलिए सर, क्या कर सकता हूं मैं आप के लिए?’’ कहते हुए सूर्या ने अपना पर्स निकाला और उस में जितने रुपए थे, सब उस को थमाने लगा.

‘‘यह क्या चिल्लर दे रहा है मुझे? एटीएम कार्ड थमा,’’ पुलिस वाले की नीयत का खोट अब सामने था.

सूर्या सकपका गया. एटीएम या क्रेडिट कार्ड का मतलब था बेहिसाब नुकसान. पर मरता क्या ना करता.

चेरी को वहीं छोड़ वे दोनों पास के एटीएम चल दिए. वहां पुलिस वाले ने एटीएम से 25 हजार रुपए निकाल कर अपनी जेब में रख लिए, फिर वह अपने रास्ते चलता बना.

सूर्या ने चैन की सांस ली. वह फौरन होटल के उसी कमरे में जा पहुंचा. कमरे में घुसा तो पाया कि चेरी कपड़े बदल कर कुरसी पर अपना सिर पकड़ कर बैठी थी.

चेरी के चेहरे की हवाइयां उड़ी देख सूर्या बोला, ‘‘गया वह पुलिस वाला. आई एम सो सौरी. मेरी वजह से आप… चलिए, जो हुआ उस पर तो अब कोई जोर नहीं. अब यहां से निकलना ही बेहतर होगा. चलिए, मैं आप को छोड़ देता हूं. बताएं, कहां जाना है आप को?’’

‘‘आप जाइए यहां से. मैं… मैं…’’ चेरी अभी भी घबराई हुई?थी.

‘‘घबराइए मत. मैं आप की मरजी के खिलाफ कुछ नहीं करूंगा. मुझ पर यकीन कीजिए. मैं तो बस आप को यहां से निकालना चाहता हूं.’’

‘‘मैं खुद चली जाऊंगी. आप जाइए यहां से, प्लीज,’’ चेरी के कहने पर सूर्या ने वहां से चले जाना ही ठीक समझा.

घर पहुंच कर सूर्या ने चैन की सांस ली. उस ने एक गिलास ठंडा पानी लिया और चुपचाप अपने बिस्तर पर निढाल पड़ गया. दिमाग थक चुका था और इसी वजह से शरीर भी थकावट महसूस कर रहा था. कब आंख लग गई, पता ही नहीं चला.

जब आंख खुली, तब रात के 3 बज रहे थे. पेट में भूख के मारे गुड़गुड़ाहट हो रही थी. रसोई में जा कर फ्रिज से ब्रैड निकाल वह उस पर मक्खन लगाने लगा.

‘उफ, कहां फंस गया था आज. कम पैसों में ही जान छूट गई, वरना वह पुलिस वाला…’ मन अब भी उसी परेशानी में उलझा था. पर दिमाग खुद ही सारी घटना दोहरा कर सुलझाने की कोशिश में था.

चेरी के नाम पर उस होटल में कमरा रिजर्व क्यों था और उस के कपड़े भी थे उस कमरे में. उस ने तो बताया था कि वह किसी मैनेजमैंट इंस्टीट्यूट में टीचर है, तो फिर होटल में क्यों रहती है?

पुलिस वाले ने उसे इतनी आसानी से कैसे और क्यों छोड़ दिया और वह भी केवल यही जोर दे रही थी कि सूर्या वहां से चला जाए. तो क्या चेरी और उस पुलिस वाले की कोई मिलीभगत थी? कहीं ऐसा तो नहीं कि यह सब एक जाल हो पैसा ऐंठने के लिए?

‘खैर, जान बची और लाखों पाए. अब ब्लाइंड डेटिंग के बारे में सोचूंगा भी नहीं,’ यह सोच कर सूर्या एक बार फिर अपने रोजाना के कामों में मसरूफ हो गया था. पर अगले 2 दिन बाद ही सूर्या को उस पुलिस वाले का फिर फोन आया.

इस बार वह अपना मुंह बंद रखने के लिए 10 लाख रुपए की मांग कर रहा?था और कह रहा था, ‘और 2 लाख उस बेचारी लड़की के लिए भी लेते आना. उस बेचारी को तो तू ने कुछ भी न दिया.’

अब सूर्या को 2 दिन के अंदर ही 12 लाख रुपए का इंतजाम करना था. इंतजाम हो जाने पर सूर्या ने तथाकथित जगह पर एक थैले में रुपए छोड़ दिए.

कुछ दिन बाद एक सुबह सूर्या अपने काम के लिए हवाईअड्डे के लिए निकल रहा था कि टैक्सी की खिड़की से उसे चेरी दिखाई दी. उस के घर के पास के बाजार में कुछ खरीद रही थी.

सूर्या ने फौरन टैक्सी वहीं छोड़ी और चेरी का पीछा करने लगा. एक सुनसान सी गली में पहुंच कर उस ने आवाज दी, ‘‘चेरी.’’

चेरी ने अचकचा कर मुड़ कर देखा, तो उस के चेहरे की हवाइयां उड़ने लगीं, ‘‘तुम मेरा पीछा क्यों कर रहे हो?’’

‘‘नहीं चेरी, मैं तो यहीं पास में ही रहता हूं. तुम्हें यहां देखा तो… खैर, क्या उस पुलिस वाले से तुम्हारा कोई सरोकार है? कौन हो तुम? क्या है तुम्हारी सचाई?’’ सूर्या के अंदर उबलते सवाल बाहर उफनने लगे.

चेरी चुप रही. सूर्या ने उस का रास्ता रोक लिया. गली में किसी और को न पा कर चेरी अचानक रो पड़ी, ‘‘तुम्हारी तरह मैं भी इस दलदल का शिकार हूं…’’

चेरी आगे कुछ बताती, इस से पहले गली में कुछ लोग आते दिखाई दिए. सूर्या ने जल्दी से अपना फोन नंबर चेरी को बताया और वहां से चलता बना.

शाम ढलने से पहले चेरी का फोन आ गया. उस का असली नाम दीप्ति था.

एक गरीब घर की दीप्ति बड़े शहरों की चकाचौंध में अंधी हो कर एक लड़के के साथ अपने कसबे से मुंबई भाग आई थी. उस समय वह महज 15 साल की थी.

फिर जो होता है, वही हुआ. उस लड़के ने दीप्ति को बेच दिया. कई हाथों में से घूमती हुई वह आखिरकार इस पुलिस वाले के हत्थे चढ़ गई.

जिस्म के बाजार में अनगिनत बार बिकी दीप्ति का तनमन सब बदल चुका था, यहां तक कि नाम भी.

वक्त की ठोकरें खाखा कर वह एक सख्त जान बन गई थी. पुलिस वाला उसे अपने लिए, अपने दोस्तोंयारों के लिए, अपना काम निकालने के लिए और अनजान लड़कों को बेवकूफ बना कर लूटने के लिए इस्तेमाल करता था. लेकिन सूर्या को लूट कर दीप्ति को बिलकुल अच्छा नहीं लगा था.

‘‘क्यों?’’ सूर्या के सवाल पर वह बोली, ‘‘क्योंकि तुम ने मेरे साथ कोई जबरदस्ती नहीं की. और फिर तुम खुद धोखा खाने के बाद भी मुझे मेरे घर छोड़ने के लिए होटल आए.’’

‘‘तो क्या तुम मेरी मदद कर सकती हो?’’ सूर्या ने पूछा.

सूर्या इस दलदल से निकलना चाहता था, वरना वह पुलिस वाला जबतब उसे ब्लैकमेल करता रहेगा.

दीप्ति राजी हो गई. शायद उसे सूर्या से प्यार हो गया था. तन के साथ मन का घायल होना जरूरी नहीं. किसी ने पहली बार उसे एक लड़की के तौर पर इज्जत दी थी.

अगले कुछ दिनों में उस पुलिस वाले का फोन ही आ गया, ‘ओ भाई, जरा पैसे की सख्त जरूरत है. फटाफट 8 लाख रुपए का इंतजाम कर. जगह और दिन मैं फोन कर के बता दूंगा.’’

पैसे देने के लिए इस बार जो जगह और दिन बताया गया, उस की जानकारी सूर्या ने पूरी हिम्मत कर पुलिस स्टेशन जा कर एफआईआर में दर्ज कराई.

पुलिस ने उस की पूरी मदद की. उन का अपना साथी ऐसी हरकत कर रहा है, इस बात को जान कर उन्होंने ऐसी गंदी मछली को तालाब से निकाल फेंकने की योजना बनाई.

तथाकथित जगह और समय पर न केवल सूर्या पहुंचा, बल्कि पुलिस वाले भी पहुंचे और उस भ्रष्ट पुलिस वाले को धरदबोचा गया. पूछताछ करने पर दीप्ति के ठिकाने का भी पता चला और उसे नारी निकेतन भिजवा दिया गया.

दीप्ति की तृष्णा, पुलिस वाले के लालच और सूर्या की कामुकता ने उन तीनों को परेशानी के कीचड़ में उतार दिया था. आखिर में सचाई ही काम आई.

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