Best Hindi Story, लेखिका - नीलम झा
रानी एक छोटे से गांव की साधारण लड़की थी, जिस के भीतर असाधारण सपने पलते थे. उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में बसे रामपुर गांव में उस का जन्म हुआ था. पिता किसान थे, जो खेतों में दिनरात मेहनत कर के अपनी जमीन और बच्चों को सींचते थे.
पिता की हथेली पर उकेरी मेहनत की रेखाएं रानी के लिए संघर्ष की पहली पाठशाला थीं. मां घर संभालती थीं, बच्चों को पढ़ाती थीं और गांव की औरतों के साथ हलकीफुलकी गपशप कर के जिंदगी को आसान बनाती थीं.
रानी को पढ़ाई का जुनून था, लेकिन गांव की सामाजिक और भौगोलिक सीमाएं उसे बांधे रखती थीं. स्कूल खत्म होते ही वह घर के कामों में हाथ बंटाती, गायों को चारा डालती और भाईबहनों की देखभाल करती.
उस की रातें सपनों में बीतती थीं. ऐसे सपने जो बौलीवुड की नकली चमक से भरे थे, जहां हीरोइनें स्क्रीन पर राज करती थीं और रानी उस चमक को असली मानती थी.
एक शाम, जब रानी किताबों में खोई थी, मां ने उस के माथे पर हाथ फेरते हुए कहा, ‘‘रानी, ये सपने देखना छोड़ दे. गांव में ही बस जा, शादी कर ले. यही तेरी किस्मत है मेरी बच्ची.’’
रानी ने मुसकराते हुए मां की ओर देखा. उस की आंखों में गांव की मिट्टी से निकली एक अजीब सी जिद थी, जो आसमान छूने को बेताब थी.
‘‘मां, मैं शहर जाऊंगी. कुछ बनूंगी, नाम कमाऊंगी और आप को गर्व महसूस कराऊंगी,’’ रानी ने कहा.
स्कूल खत्म होते ही रानी ने अपना अटूट फैसला लिया. मुंबई, वहां का नाम सुनते ही उस का दिल उत्साह से धड़क उठता. उस ने ट्यूशन पढ़ा कर, घर के काम कर के पाईपाई जोड़ी. जब उस ने ट्रेन का टिकट लिया, तो गांव वालों ने ताने मारे, उन की आवाजें उस के कानों में जहर घोल रही थीं, ‘पागल है यह लड़की.
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