आज बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव अपना 31वां जन्म दिन मना रहे हैं. आइए जानें राजद सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के लिए तेजस्वी ही सही उत्तराधिकारी क्यों हैं ?
गंभीर नेता की छवि है तेजस्वी की
तेजस्वी यादव ने अपनी छवि को अपने पिता लालू प्रसाद यादव की तुलना में ज्यादा गंभीर बनाई है. लालू यादव ने अपनी शुरुआती राजनैतिक सफर में एक परिपक्व नेता की छवि बनाई थी, जिनके पास मुद्दे थे, जो बिहार की गरीबी को अच्छी तरह समझते थे, जो वहां के लोगों की समस्याओं से भलीभांति परिचित थे लेकिन बाद में उनकी यह छवि धूमिल हो गई. उन पर घोटालों का आरोप लगता गया. इनमें चारा घाेटाला और लैंड फौर जौब स्कैम शामिल है. लालू यादव पर यह आरोप लगा था कि वह 2004 से 2009 तक रेलमंत्री रहते हुए लोगों को नौकरी देने के नाम परर उनकी जमीन अपने नाम लिखवा ली.
मजाकिया अंदाज से बिगड़ी छवि
राजनीति के शुरुआती दिनों में मंच से दिए गए लालू यादव के भाषणों का मजाकिया अंदाज लोगों को इसलिए पसंद आता था क्योंकि उसमें व्यंग्य होता था. विपक्ष के खिलाफ गंभीर तंज होता था लेकिन बाद में उनके इस अंदाज को मसखरापन माना जाने लगा. लालू के भाषणों से भरपूर मनोरंजन की उम्मीद जताई जाने लगी. वह अपने भाषणों में व्यंग्य बाण के लिए नहीं गंवई अंदाज के लिए चर्चा में रहने लगे. इसके ठीक विपरीत तेजस्वी यादव ने अपनी छवि को गंभीर बनाए रखा है. 9 नवंबर 1989 को जन्मे तेजस्वी यादव बिहार के उप मुख्यमंत्री भी रहे. वे 10 अगस्त 2022 से लेकर 28 जनवरी 2024 तक डिप्टी सीएम के पद पर रहे. वे कभी भी बेवजह चुटीली बातें या मसखरापन करते नहीं नजर आते हैं. उनकी यही छवि आने वाले दिनों में उनके राजनैतिक कैरियर को आगे बढ़ाने का काम करेगी.
लालू के बेटों में सबसे लायक
इसमें दो राय नहीं है कि लालू के 9 बच्चों में तेजस्वी यादव सबसे योग्य हैं. लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव अपनी अजीबोगरीबों हरकतों की वजह से चर्चा में रहते हैं जबकि तेजस्वी ऐसी चीजों से दूर ही रहते हैं. तेजप्रताप यादव अपनी शादी की वजह से भी विवादों में रहे जबकि तेजस्वी यादव ने अपनी शादी में नई मिसाल कायम की. उन्होंने दूसरे धर्म की लड़की रैचेल से प्रेम विवाह किया. उनके लिए यह आसान नहीं था लेकिन उन्होंने अपने परिवार को इसके लिए रजामंद किया और धूमधाम से शादी की. रैचल को अब राजश्री यादव के नाम से जाना जाता है. अकसर पारिवारिक समारोहों में वह अपनी पत्नी और बेटी के साथ दिखते हैं. इससे तेजस्वी की इमेज एक फैमिली मैन की बनी है.
लालू के सभी बच्चों की तुलना में तेजस्वी में राजनैतिक सूझबूझ भी ज्यादा है और चुनाव के दिनों में सक्रिय भी रहते हैं. इससे आम लोगों में यंग लीडर के रूप में उनकी स्वीकार्यता भी बढ़ी है.
बिहार में दो यंग लीडर्स से है उम्मीद
आज की बिहार की राजनीति में यंग लीडर्स की बात करें, तो एक हैं राम विलास पासवान के बेटे चिराग पासवान और दूसरे हैं लालू के बेटे तेजस्वी यादव. तेजस्वी यादव की तुलना अगर अखिलेश यादव से की जाए, तो शायद यह कहना गलत नहीं होगा कि अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम सिंह की जिंदगी में ही खुद को उनकी छत्रछाया से अलग कर लिया था. जिन बातों में वह अपने पिता से सहमत नहीं होते, उसका विरोध करते.
वहीं तेजस्वी यादव अभी भी अपने पिता लालू यादव की छाया तले नजर आते हैं. इसकी एक वजह यह भी है कि लालू भी अपने पुत्र के विरोध में नहीं जाते और उनके बच्चों में तेजस्वी यादव से बेहतर दूसरा कोई राजनैतिक उत्तराधिकारी नजर नहीं आता है. लालू यादव ने अपनी बड़ी बेटी मीसा भारती को भी राजनीति में उतारा था लेकिन मीसा उनके भरोसे पर खरी नहीं उतरी. वह चुनाव भी हार गईं. लालू यादव की एक और बेटी, रोहिणी आचार्य ने भी राजनीति में पैर जमाने की कोशिश की थी लेकिन उन्हें भी चुनाव में हार का सामना करना पड़ा, ऐसे में लालू के पास तेजस्वी से बेहतर दूसरा कोई औप्शन नहीं है.