सुबह 2 ग्लास पानी रखे आपकी सेहत को स्वस्थ

सुबह उठकर आप जो भी करते उससे कहीं ने कहीं आपके पूरे दिन में असर पढ़ता हैं. दिन की शुरुआत अगर थोड़ी एक्सरसाइज करे तो काफई अच्छा रहेंगा. इसके साथ अगर आप अपने ब्रेकफास्ट पर भी ध्यान देंगे तो ये अपको पुरी दिल खुश और सेहतमंद रखेंगे. इसके साथ ही सुबह की एक ऐसा भी आदात है जो आपको स्वस्थ रखने में काफी मदद करेंगी और वो है दो ग्लास पानी. दो ग्‍लास पानी के साथ अपने दिन की शुरुआत करना स्वस्थ आदत है जिसकी आदत सभी को डालनी चाहिए. इसको शुरूआत में करने पर आपको थोड़ी परेशानी हो सकती है, मगर कुछ ही दिन में आप आसानी से सुबह दो ग्‍लास पानी पीने लग जाएंगे. अगर ये पानी थोड़े गुनगुने होंगे तो इसके लाभ दोगुने हो सकते हैं.

पेट साफ तो हर रोग माफ

सुबह अगर आपका पेट साफ नही होता तो 2 ग्लास पानी आपे लिए वरदान हो सकता हैं. यह मल त्याग में सुधार कर सकता है और इससे संबंधित सभी पाचन विकारों को रोक सकता है. यदि आप नियमित रूप से खाली पेट पानी पीते हैं तो आपको रोज मल त्याग आसानी से होगा.

मेटाबौलिज्‍म के रखे स्वस्थ

पानी का सेवन आपके मेटाबौलिज्‍म को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है. खाली पेट पानी पीने से मेटाबौलिज्‍म बेहतर होगा. सिर्फ सुबह का पानी ही नहीं, आपको अपने मेटाबौलिज्‍म को बेहतर बनाने के लिए दिन भर में पर्याप्त पानी पीना चाहिए.

चेहरे पर निखार लाता है पानी

पानी का सेवन आपकी त्वचा के स्वास्थ्य से विभिन्न तरीकों से संबंधित है. सुबह-सुबह एक या दो ग्‍लास पानी भी आपकी त्वचा की सेहत में सुधार करेगा और आपकी त्वचा को ग्लो देगा. त्वचा के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पर्याप्त पानी का सेवन सबसे आसान तरीका है.

एनर्गी को बढ़ता है पानी

खाली पेट पर पानी पीना आपके दिन को बेहतर बनाता है. ये आपके एनर्गी लेवल को बढ़ा सकता है क्योंकि ये आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों (Toxic substances) को बाहर निकालता है. नियमित रूप से खाली पेट पानी पीने की कोशिश करें और फर्क महसूस करें.

6 टिप्स: जाने क्या होता है ब्‍लैडर इनफेक्शन

ब्‍लैडर इनफेक्शन एक ऐसी समस्या है जो महिला और पुरुषों दोनों को हो सकती है. आमतौर पर तो देखा जाता है की इस समस्या से ज्यादा परेशान महिला होती है पर अब ये  समस्या पुरुषों में भी देखी जाती हैं. ब्‍लैडर इनफेक्शन को साइस्‍ट‍िसिस और ब्‍लैडर में सूजन भी कहा जाता है. लड़को में उम्र के साथ ब्‍लैडर इनफेक्शन होने की आशंका बढ़ जाती है. ऐसा अंडकोश के आकार में बढ़ोत्तरी होने के कारण होता है.

1. ब्‍लैडर इनफेक्शन के लक्षण

ब्‍लैडर इनफेक्शन में व्‍यक्ति को यूरीन करते समय जलन होती है. यह ब्‍लैडर इनफेक्शन का सबसे सामान्‍य लक्षण है.

2. यूरीन ज्यादा आना

अगर आपको ज्यादा यूरीन आता है तो आप ब्‍लैडर इनफेक्शन की समस्या हो सकती हैं. बहुत तेज यूरीन आने पर भी पूरी तरह से मूत्र त्‍याग न कर पाना  भी इसका एक लक्षण हैं.

3. यूरीन से तेज बदबू आना

अगर आपके यूरीन से तेज बदबू आती है और यूरीन का रंग लाल या काला होता है तो शायद आपको ब्‍लैडर इनफेक्शन हो सकता हैं.

4. मूत्राशय में ऐंठन

अधिक उम्र में लोगों को काफी अधिक थकान और मानसिक दुविधा हो सकती है- ये अधिक गंभीर मूत्राशय संक्रमण का कारण हो सकता है।

5. किडनी हो सकती है प्रभावित

यूरीन करते वक्त दर्द और साथ में उल्‍टी, बुखार, ठंड और कमर या पेट में दर्द होने का मतलब है की इंफेक्शन ने आपकी किडनी को भी प्रभावित कर दिया है. इन सबका अर्थ यह भी है कि आपके प्रोस्‍टेट भी संक्रमित हो चुके हैं या आपको किडनी ट्यूमर हो चुका है. इन परिस्थितियों में फौरन चिकित्‍सीय सहायता लीजिए.

6. डाक्टर नहीं लगा पाए पता की क्यों होता है इंफेक्शन

आखिर पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में इस इंफेक्शन के क्‍या कारण हैं. उनकी ऐसी राय है कि क्‍योंकि महिलाओं का मूत्रमार्ग पुरुषों की अपेक्षा छोटा होता है, इसलिए उन्‍हें यह संक्रमण होने का खतरा अधिक होता है. यह मार्ग काफी छोटा होता है. यह करीब डेढ़ इंच का होता है, ऐसे में मूत्रमार्ग का बैक्‍टीरिया से प्रभावित होने का खतरा बढ़ जाता है.

टाइट अंडरवियर कर सकती है स्पर्म काउंट कम, जानें 4 तरीकों से कैसे

ऐसा देखा जाता है की फैशन को फौलो करने के चक्कर में कपड़ो के साथ साथ अंडरगारमेंट्स भी अब पीछे नही है. मार्केट मे अलग अलग प्रकार के अंडरवियर आपको देखने को मिलेंगे. इन अंडरवियर को पहनने में जरुर अच्छा अनुभव होगा पर, क्या आप जानते है अंडरवियर का गलत चुनाव आपको पिता बनने से रोक सकता है. हाल ही में औक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च से पता चलता है की कि टाइट अंडरवियर पहनने से पुरुषों में स्पर्म काउंट कम सकती है. जिसके कारण लड़के भविष्य में पिता बन नही पाते.

1. तेजी से बड़ रही है स्पर्म काउंट और क्वालिटी की समस्या

दुनियाभर के युवाओं में इन दिनों स्पर्म काउंट और क्वालिटी दोनों घटे हैं. इसका एक बड़ा कारण पुरुषों का अंडरवियर हो सकता है. पुरुषों के लिए बाजार में 2 तरह के अंडरवियर उपलब्ध हैं- ब्रीफ और बौक्सर. हम काफी इन अंतर पर ज्यादा ध्यान नही देते और फैशन के चक्कर में टाइट अंडरवियर पहनना पसंद करते है. जिससे हमें लगता है की इससे अच्छा शेप नजर आएंगा.

2. ढीले अंडरवियर क्यों है सही

आपको जानकर हैरानी होगी पर जो लोग ढीले-ढाले अंडरवियर पहनते हैं, उनके स्पर्म की क्वालिटी उन पुरुषों से बेहतर होती है, जो टाइट अंडरवियर पहनते हैं. ये रिसर्च औक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रकाशित Human Reproduction नामक जर्नल में छापी गई है. पिछले काफी समय से इस बारे में रिसर्च की जा रही थी कि पुरुषों के अंडरवियर का उनकी सेहत पर क्या प्रभाव पड़ता है. खराब स्पर्म क्वालिटी या कम काउंट के कारण पुरुषों के पिता बनने की क्षमता प्रभावित होती है. पुरुषार्थ से जुड़ी ऐसी कई समस्या है जो अंडरगारमेंट्स के कारण देखी जाती है.

3. कैसी अंडरवियर है सही?

पुरुषों के लिए बौक्सर अंडरवियर की शुरुआत 19’s में हुई थी. ये अंडरवियर जांघों के पास से ढीले होते हैं. इसके लगभग एक दशक बाद ब्रीफ अंडरवियर की शुरुआत हुई. ब्रीफ की खास बात ये थी कि ये बिकनी की तरह त्वचा से चिपकी रहती थीं. ब्रीफ का आकार छोटा होने, फिटिंग अच्छी होने के कारण कुछ लोगों को आज भी ये बौक्सर के मुकाबले ज्यादा स्टाइलिश लगता है.

4. कैसे होता है स्पर्म काउंट प्रभावित

स्पर्म का निर्माण टेस्टिस में होता है. ये बेहद संवेदनशील अंग है, जो तापमान से प्रभावित होता है. यह तो आप भी जानते हैं कि हमारे शरीर का अंदरूनी तापमान ज्यादा होता है. अंडकोषों को हेल्दी स्पर्म बनाने के लिए आपके शरीर के वास्तविक तापमान से 2-4 डिग्री सेल्सियस कम का तापमान होना जरूरी है. शायद यही कारण है कि प्रकृति ने पुरुषों के इस अंग को शरीर के बाहर एक अलग जगह दी है, ताकि इस अंग को पर्याप्त ठंडक मिल सके. ये व्यवस्था सिर्फ इंसानों ही नहीं, बल्कि ढेर सारे स्तनधारी जीवों में प्रकृति ने स्वयं की है. जब कोई व्यक्ति टाइट अंडरवियर पहनता है, तो शरीर से निकलने वाली गर्मी के कारण अंडकोष भी गर्म हो जाते हैं और स्पर्म के सेहतमंद प्रोडक्शन में बाधा पहुंचती है. वहीं जब कोई व्यक्ति ढीले-ढाले अंडरगारमेंट्स पहनता है, तो शरीर की गर्मी बाहर निकलती रहती है और ताजी हवा का प्रवेश भी त्वचा तक आसानी से हो जाता है. इसलिए जब आप अब मार्केट अंडरवियर खरीदने जाएंगे तो इस बात पर जरुर ध्यान दे की आप ऐसी अंडरवियर खरीदे को इतनी ढिली हो की उससे हवा पास होती रहे.

लड़कों के लिए क्यों जरूरी है अपने प्राइवेट पार्ट की ग्रूमिंग करना, जानें यहां

हमारे शरीर पर कई ऐसी जगह होती है जहां काफी बाल उगते है. इन पार्ट्स को टाइम टाइम पर ग्रूम करना काफी जरुरी है. लड़के अपने सिर के बालों की ग्रू‍मिंग पर हमेशा ध्‍यान देते हैं, लेकिन वे हमेश अपने प्राइवेट पार्ट के बालों को नजरअंदाज करते हैं. प्राइवेट पार्ट को आप अपने सर के बालों से ज्यादा ध्यान दे क्योंकी इन्हें नज़रअंदाज़ करना न सिर्फ आत्मविश्वास को कमज़ोर करता है बल्कि निजी स्वच्छता को भी प्रभावित करता है. जबकी महिलाएं इस मामले में ज्यादा सजग नज़र आती हैं. प्राइवेट पार्ट की ग्रूमिंग क्यों जरुरी है आइंए जानते है.

साफ-सफाई है एक बड़ा कारण

अगर आप प्राइवेट पार्ट्स की समय पर ग्रूमिंग नहीं करते, तो बढ़े हुए बालों के कारण गर्मी, पसीने और बैक्टीरिया उनके आस-पास इकट्ठा हो जाते हैं. इस पार्ट की ट्रिमिंग या शेव करने से किसी भी अवांछित संक्रमण से बचाव होता है और स्वच्छता बनाए रखने में भी मदद मिलती है.

प्राइवेट पार्ट को बड़ा दिखाता है ग्रूमिंग

प्राइवेट पार्ट के बालों की सफाई न करने पर ये आपके आत्‍मविश्‍वास को प्रभावित करते हैं, क्‍योंकि इनके बड़े होने पर आपका प्राइवेट पार्ट छोटा नजर आता है. इसलिए इस जगह के बालों की सफाई जरूरी है.

स्वस्थ नजर आए प्राइवेट पार्ट

प्राइवेट एरिया को ग्रूम करने पर वो साफ और  स्वस्थ नजर आता है. इस एरिया की सफाई यह सुनिश्चित करती है कि आपको किसी प्रकार का संक्रमण या बीमारी नहीं है और इससे आपका प्राइवेट एरिया भी स्वस्थ रहता है. इसके विपरीत प्राइवेट एरिया को ग्रूम करने से आप देख पाते हैं कि इस जगह कोई रेशेज या इनफेक्शन तो नहीं हो रहा है. जो उस एरिया के लिए बेहद जरुरी है.

अगर दिखाना हो आकर्षक

प्राइवेट पार्ट के एरिया की सफाई करने से यह अधिक आकर्षक नजर आता है. इससे आपके पार्टनर को भी समस्‍या नहीं होती है और आपका पार्टनर आपके साथ प्‍यार के पलों में असहज नहीं होता है. प्राइवेट पार्ट के आस-पास की त्वचा छूने में बेहद संवेदनशील होती हैं. और जब इस स्थान पर साफाई रहती है तो स्पर्श का बेहतर अनुभव होता है.

स्किन संवारने लगे हैं कूल डूड

बौलीवुड अभिनेता जौन अब्राहम, रितिक रोशन, सलमान खान और शाहरुख खान अकेले पुरुष नहीं हैं जो अपने शरीर की देखभाल के लिए चर्चा में रहते हैं. इन की तर्ज पर आज के युवा भी अपने शरीर की देखभाल करने में लगे हुए हैं. पहले युवा लड़के ज्यादा से ज्यादा अपने शरीर का खयाल रखने के लिए ही जिम जाते थे. अब युवा अपनी स्किन केयर भी करने लगे हैं.

कौस्मैटिक बाजार के जानकारों का मानना है कि लड़कों के शृंगार का बाजार एक हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का है. लखनऊ में एस्थेवा ब्यूटी ऐंड हैल्थ क्रिएटर की अपर्णा मिश्रा का मानना है, ‘‘युवा लड़के क्लींजर, फेसबौडी स्क्रबर, टोनर, मौइस्चराइजर, नरिशिंग क्रीम, शेविंग क्रीम, सन क्रीम, आफ्टर शेव लोशन, हेयर क्रीम और हेयर जैल का प्रयोग करते हैं. इस के साथ ही साथ स्पा, मसाज और सभी ब्यूटी सुविधाओं का लाभ भी लेते हैं.’’

छोटे से ले कर बड़े शहरों में यूनीसैक्स और मैंस पार्लर खुल गए हैं. वहां पुरुष फेशियल, नेल फाइलिंग, हेयर कलरिंग, हिना, मसाज और स्पा कराने के लिए आते हैं. अपर्र्णा मिश्रा बताती हैं, ‘‘ मैंस पार्लर आने वालों में हर आयु के लोग शामिल हैं. जहां कम आयु के लोग हेयर स्टाइल, फेशियल और हेयर कलरिंग के लिए आने लगे हैं तो वहीं बड़ी उम्र के लोग रिलैक्स करने के लिए आते हैं.

‘‘ये लोग घर से अपना समय काटने के लिए भी यहां चले आते हैं. अब तो पुरुष चैस्ट वैक्सिंग भी कराने लगे हैं. वैसे, ध्यान रखने वाली बात यह है कि कभी भी ब्लीच और शेविंग साथसाथ नहीं कराना चाहिए.’’

युवा बनाती है स्किन केयर

पहले लड़के त्वचा की देखभाल के लिए क्रीम का इस्तेमाल नहीं करते थे लेकिन अब वे भी त्वचा की क्रीम प्रयोग करने लगे हैं. त्वचा की खूबसूरती के लिए यह जरूरी भी है. आज लड़के मुंहासों, पिगमैंटेशन और चेहरे पर पड़े निशानों को मिटाने के लिए पार्लर जाने लगे हैं. जो लड़के हाफस्लीव शर्ट पहनते हैं उन के खुले हाथों का रंग बदल जाता है. इस रंग को साफ करने और खुली त्वचा की देखभाल के लिए वे पार्लरों का सहारा लेने लगे हैं. शायद इसीलिए सौंदर्य प्रसाधन बनाने वाली कंपनियां अब पुरुषों को गोरा बनाने में जुट गई हैं.

आज के दौर में लड़के एक से 2 घंटे अपने सौंदर्य की देखभाल पर खर्च कर रहे हैं. लड़के जमाने को यह दिखाना चाहते हैं कि सुंदरता पर केवल औरतों का ही हक नहीं रह गया है. खूबसूरती और स्मार्टनैस आदमी में आत्मविश्वास जगाते हैं. आज कैरियर के हर क्षेत्र में ऐसे ही लोगों की जरूरत है. इसलिए लड़के ज्यादा से ज्यादा अपने रखरखाव में आगे बढ़ रहे हैं.

त्वचा पुरुष की हो या औरत की, दोनों को ही देखभाल की जरूरत होती है. लड़कों की त्वचा थोड़ी सख्त जरूर होती है पर देखभाल की जरूरत उन को भी पड़ती है. लड़कों के सौंदर्य प्रसाधनों में वही सब होता है जो लड़कियों के सौंदर्य प्रसाधनों में होता है. लड़कों की त्वचा पर इस्तेमाल होने वाली क्रीम थोड़ी ज्यादा स्ट्रौंग होती है.

लड़कों के सौंदर्य प्रसाधनों में 50 रुपए की शेंविग क्रीम से ले कर 400 रुपए तक के सामान मिल रहे हैं. इस के अलावा मास्क की कीमत इस से ज्यादा हो सकती है. गोरा बनाने की क्रीम पहले लड़कियों की ही पसंदीदा होती थी. अब लड़के भी गोरा बनने के नाम पर क्रीम का इस्तेमाल करने लगे हैं. धूप से त्वचा को बचाने के लिए सनस्क्रीन लोशन का प्रयोग पुरुष भी करने लगे हैं. वे भी त्वचा पर झुर्रियां रोकने वाली क्रीम लगाने लगे हैं.

बाजार के जानकार बताते हैं कि बालों और त्वचा की देखभाल में लड़के लड़कियों से ज्यादा पैसा और समय लगाने लगे हैं. कुछ वर्षों से लड़कों में त्वचा की देखभाल करने की जागरूकता आई है. कम उम्र में देखभाल शुरू हो जाने से त्वचा को नुकसान कम पहुंचता है.

हसीन बनने के उपाय

त्वचा की देखभाल के साथ ही साथ चेहरे को मर्दाना हसीन और कम उम्र का दिखाने के लिए कई तरह के इलाज भी होते हैं. इस को स्पैशलिस्ट डाक्टर ही करते हैं.

  •  बोटोक्स में सूई के जरिए झुर्रियां डालने वाली मांसपेशियों को प्रभावहीन कर दिया जाता है. एक बार का असर 3-4 महीने तक रहता है.
  •  नाक और होंठ के आसपास की सिलवटों को सही करने के लिए फिलर का प्रयोग किया जाता है.
  •  फेसलिफ्ट के जरिए ढीली त्वचा को सही किया जाता है. इस से आदमी की उम्र 5 साल तक कम लगने लगती है.
  •  झुर्रियों को कम करने के लिए उन को काट दिया जाता है.
  •  चकत्ते, गले और छाती पर तेज धूप के निशान को कम करने के लिए फोटो फेशियल किया जाता है.
  • हरे पर चमक के लिए माइक्रोडर्माब्रेशन का उपयोग किया जाता है. यह अभी कम प्रचलन में है.

15 टिप्स फौर मैन स्किन

  •  जो लोग धूप में ज्यादा रहते हैं उन्हें 15 दिन में एक बार मैंस पार्लर जा कर ‘डेड स्किन रिमूवर क्रीम’ का प्रयोग करना चाहिए.
  •  जिन लोगों की त्वचा धूप में रहने के कारण ज्यादा खराब होती हो उन को औक्सी ब्लीच एवं फेशियल कराना चाहिए.
  • फेशियल एक समय के अंतर पर माह में एक बार ही कराना चाहिए. अधिक बार फेशियल कराने से त्वचा को नुकसान भी होता है.
  •  त्वचा पर अधिक मुंहासे हों तो गोल्ड या चौकलेट फेशियल में विटामिन ई आयल कैप्सूल का प्रयोग करना चाहिए. रात में सोते समय एलोवेरा क्रीम या विटामिन ई का प्रयोग करना चाहिए.
  •  त्वचा पर चमक के लिए खूब पानी पीना चाहिए.
  •  औयली स्किन होने पर औयल कंट्रोल फेसवाश का प्रयोग करें.
  • मुंहासे और दाने होने पर कालीमिर्च शहद के साथ मिलाने से आराम मिलता है.
  • आंखों के नीचे के डार्क सर्कल्स हटाने के लिए आलू का रस लगाने से लाभ होता है.
  •  केला कुदरती क्लींजर होता है. इस से चेहरा साफ होता है.
  •  अनचाहे बालों को हटाने के लिए वैक्सिंग करवाएं. शेविंग करने से त्वचा खराब होती है.
  •  खास मौकों पर गोल्ड एवं पर्ल फेशियल कराएं.
  •  झांइयों और दागधब्बों को हटाने के लिए बेसन में मौसमी का जूस मिला कर लगाने से लाभ होता है.
  •  पिंपल्स ज्यादा होने पर नीबू और मुलतानी मिट्टी को मिला कर लगाने से आराम मिलता है.
  •  स्किन हार्ड होने पर शेव से पहले नीबू का रस लगाएं. शेविंग जैल लगाने के बाद शेव आसानी से बन जाती है. फोम का प्रयोग ज्यादा नहीं करना चाहिए. इस से त्वचा खराब होती है.
  •  गरमी और धूप में पूरी बांह की कौटन शर्ट पहनें. यह त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचाती और त्वचा का रंग भी खराब नहीं होता है.

फैट से हो सकता है लिवर कमजोर, जानें कैसे रहें स्वस्थ

आपके शरीर में जमा फैट कई सेहत से जुड़ी समस्या पैदा कर सकता है इसलिए समय समय पर हमें अपनी सेहत पर ध्यान देने की जरुरत होती पर बिजी लाईफ के चलते हम ऐसा कर नहीं पाते. फैट ना सिर्फ शरीर बल्कि आपके सोचने समझने पर भी प्रभाव डालता. एक उदहारण के तौर पर समझिए तो शरीर एक इंजन है जिसे समय समय पर सफाई और औयल की जरुरत होती है.

अगर ये सफाई और समय कर औयलिंग ना हो तो इंजन ठप्प पड़ जाता हैं शरीर का फैटी, लिवर में सूजन को दर्शाता है. इससे तमाम लोग प्रभावित होते हैं. इस स्थिति में लिवर में फैट जमा होने लगता है. कई बार ज्‍यादा शराब के सेवन से भी फैटी लिवर की समस्‍या हो जाती है. यह तब भी हो सकता है जब आप शराब न पीते हों. हालांकि, नौन-एल्‍कोहौलिक फैटी लिवर रोग का शराब से कोई खास जुड़ाव नही है. इसलिए आज हम लेकर आए है कुछ टिप्स और खाने में बदलाव के फायदे जिसे अपनाकर आप भी स्वस्थ रहेंगे.

लहसुन

दुनिया भर में भोजन और प्राकृतिक उपचार के रूप में लहसुन का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है. एडवांस्ड बायोमेडिकल रिसर्च में एक अध्ययन में पाया गया कि लहसुन पाउडर की खुराक फैटी लिवर की बीमारी वाले लोगों में वसा और शरीर के वजन दोनों को कम करने में मदद कर सकती है.

ग्रीन टी

यह दावा किया जाता है कि ग्रीन टी फैटी लिवर डिजीज सहित कई बीमारियों की रोकथाम और उपचार पर लाभकारी प्रभाव डालती है. शोध बताते हैं कि इस लोकप्रिय पेय को पीने से वसा के अवशोषण में बाधा उत्पन्न हो सकती है, हालांकि फैटी लिवर रोग की रोकथाम और उपचार में ग्रीन टी की प्रभावकारिता का पता लगाने के लिए अधिक काम करने की आवश्यकता होती है. कई अध्ययनों से यह भी पता चला है कि ग्रीन टी में एंटीऑक्सिडेंट प्रभावी रूप से वजन घटाने में सहायता कर सकते हैं.

ब्रोकली

क्रूसीफेरस कुल की इस सब्‍जी में स्‍वास्‍थ्‍य सुरक्षा से जुड़े कई यौगिक होते हैं और कुछ कैंसर के कम जोखिम से जुड़े हैं- जैसे ब्रेस्‍ट, प्रोस्टेट, कोलन और लिवर कैंसर. अध्ययनों से पता चलता है कि ब्रोकली चूहों में लिवर में वसा के निर्माण को रोकने में मदद कर सकती है. हरी सब्जियां का सेवन करने से वजन घटाने को बढ़ावा मिलता है.

अखरोट

अखरोट ओमेगा -3 फैटी एसिड में उच्च होते हैं, जो कि नॉन-एल्‍कोहोलिक फैटी एसिड रोग वाले लोगों में वसा और सूजन को कम करने में मदद करते हैं. शोध में पाया गया है कि जिन लोगों को फैटी लिवर की बीमारी होती है वे अखरोट का सेवन कर सकते हैं, इससे उनके लिवर फंक्‍शन में सुधार होता है. तो ये वो कुछ खाने के आइटम्स जिसे आपने खानपान में शामिल कर आप फैट समस्या से निजाद पा सकते हैं.

पौरुष की कमी से जूझती युवा पीढ़ी

आरती को शिकायत है कि शादी के 8 सालों के भीतर ही उस की वैवाहिक जिंदगी का सारा चार्म खत्म हो गया है. उस के पति अनुराग को अब शायद उस में कोई दिलचस्पी ही नहीं रह गई है. वह देर रात औफिस से आता है, खाना खाता है और सोने चला जाता है. आरती ने अपनी शादीशुदा जिंदगी में रोमांस पैदा करने के लिए सारे जतन कर के देख लिए. पति को रिझाने के लिए वह शाम से ही बनावशृंगार में जुट जाती. पति की पसंद का भोजन बनाती है. बैडरूम को सुसज्जित करती है. खुद भी सुगंध में डूबी रहती है, तो हलकी सुगंध वाले रूम फ्रैशनर से पूरा घर भी महकाए रखती है. मगर पति की नजदीकियां पाने की उस की सारी कोशिशें बेकार चली जाती हैं.

अनुराग थकाहारा सा दफ्तर से आता है और एक उड़ती सी नजर आरती पर डाल कर अपने काम में व्यस्त हो जाता है. थोड़ी देर अपने 5 साल के बेटे राहुल से खेलता है और फिर खाना खा कर सोने चला जाता है. अब तो आरती को शक होने लगा है कि शायद उस के वैवाहिक जीवन में कोई दूसरी औरत आग लगा रही है. अनुराग का यह व्यवहार उस से अब बरदाश्त नहीं हो रहा है. प्यार और सैक्स के अभाव में दोनों के बीच दूरियां बढ़ गई हैं. कितने दिन हो जाते हैं अनुराग उसे हाथ भी नहीं लगाता. एक कमरे में एक ही बिस्तर पर दोनों अजनबियों की तरह पड़े रहते हैं.

यह समस्या सिर्फ आरती और अनुराग की नहीं, बल्कि हर 10 में से 3 कपल की है. पत्नी समझ ही नहीं पाती कि उस का पति उस से बेरुखी क्यों दिखा रहा है? वह उस से कटाकटा सा क्यों रहने लगा है? वह यह शक भी पाल बैठती है कि हो सकता है इन का कोई ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर चल रहा है. यह सोच पत्नियों  को और ज्यादा तनाव से भर देती है. कुछ पत्नियां सोचती हैं कि शायद उन का रंगरूप पहले की तरह मोहक नहीं रहा. वे सजतीसंवरती हैं कि पति को लुभा सकें. तरहतरह के व्यंजन बनाती हैं कि पति का प्यार पा सकें, मगर पति का दिल फिर भी नहीं पसीजता.

दरअसल, पत्नी के प्रति पति की बेरुखी का कारण हमेशा वह नहीं होता जो पत्नियां सोचसोच कर परेशान होती रहती हैं, बल्कि प्रौब्लम कुछ और होती है. पति की बेरुखी का कारण उन में पौरुष हारमोन की कमी हो सकती है, जिस के चलते पति शारीरिक संबंधों से दूरी बनाने लगते हैं, क्योंकि उन्हें यह डर होता है कि बिस्तर पर वे पत्नी को संतुष्ट नहीं कर पाएंगे. उन पर नामर्दगी का आरोप लगेगा. वे पत्नी की नजरों में गिर जाएंगे. अगर पत्नी को पता चल गया कि वे उसे संतुष्ट करने में अक्षम हैं तो वह किसी दूसरे पुरुष का साथ ढूंढ़ेगी और चोरीछिपे अपनी शारीरिक जरूरत पूरी करने लगेगी. ये तमाम डर पुरुष मन पर हावी हो जाते हैं और पति खामोशी ओढ़ कर पत्नी से दूरी बना लेता है और पत्नी को उस की उधेड़बुन में फंसे रहने देता है. अब पत्नी से कैसे कहे कि वह उसे बिस्तर पर संतुष्टि देने लायक नहीं रहा.

खामोशी है खतरनाक

जीवनसाथी को अपनी कमी को न बता पाने की विवशता अपराधबोध भी पैदा करती है, फिर भी आशंका और बदनामी के भय से मुंह सिले रहते हैं और दांपत्य में दूरियां और गलतफहमियां पैदा होने देते हैं.
पति द्वारा अपनी शारीरिक समस्या पर खामोशी ओढ़े रहना दंपतियों के बीच न सिर्फ दूरी बढ़ा रहा है, बल्कि कहींकहीं तो नौबत तलाक तक जा पहुंची है. पौरुष की कमी की वजह से पुरुष न सिर्फ सैक्स से दूर हो रहे हैं, बल्कि नामर्दगी के डर से उत्पन्न तनाव के कारण कई प्रकार की बीमारियां भी उन में पनप रही हैं.

हाल ही में दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल की एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि 60% मर्द जवानी में ही अपनी मर्दानगी खोने के कगार पर हैं. देश में  40 साल की उम्र तक पहुंचने वाला हर तीसरा पुरुष सैक्सुअल हारमोन की कमी से जूझ रहा है यानी हर तीसरा व्यक्ति टेस्टोस्टेरौन डैफिसिएंसी सिंड्रोम यानी टीडीएस से पीडि़त है. अस्पताल के 745 लोगों पर किए शोध में इस बात के खुलासे से मैडिकल जगत में हलचल मची हुई है.

डाक्टरों का मानना है कि यह परेशानी लगातार बढ़ रही है. अस्पताल ने टीडीएस का पता लगाने के लिए पहले बिना जांच किए सिर्फ लक्षण के आधार पर इस का पता लगाया. इस के लिए शोध में शामिल युवाओं से 10 सवाल पूछे गए. डाक्टर ने बताया कि सैक्स के प्रति रुचि यानी कामेच्छा, क्षमता यानी स्टैमिना और स्ट्रैंथ में कमी जैसे 3 लक्षणों के आधार पर 48.18% लोगों में टेस्टोस्टेरौन हारमोन कम पाया गया. लेकिन जब इन सभी का बायोकैमिकल टैस्ट किया गया तो आंकड़ा बढ़ कर 60.17% हो गया.

टीडीएस का खतरा

सर गंगाराम अस्पताल के यूरोलौजी विभाग के चेयरमैन डाक्टर सुधीर चड्ढा कहते हैं कि इस स्टडी से यह साफ हो रहा है कि हमारी आबादी में हर तीसरा इंसान सैक्स हारमोन की कमी से पीडि़त है. लोग डायबिटीज, हाइपरटैंशन, विटामिन डी की कमी, हार्ट डिजीज जैसे बीमारियों से पीडि़त होते हैं तो उन में टीडीएस यानी टेस्टोस्टेरौन की कमी का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.

टेस्टोस्टेरौन हारमोन पुरुषों में यौन क्षमता बनाए रखने वाला महत्त्वपूर्ण हारमोन है. किसी पुरुष में इस की कमी से सैक्स से जुड़ी परेशानियां पैदा होने लगती हैं. 40 साल की उम्र के बाद टेस्टोस्टेरौन में हर साल 0.4 से 2.6 फीसदी की कमी होने लगती है. भारत में 40 साल से अधिक उम्र का हर तीसरा व्यक्ति सैक्सुअल हारमोन की कमी से जूझ रहा है, जिस के चलते पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने से बचने के कारण उन के वैवाहिक जीवन में असंतुष्टि, शक, कड़वाहट, तनाव और दूरियां बढ़ रही हैं. 40 साल से अधिक उम्र के वे लोग जो डायबिटीज, हार्ट डिजीज, बीपी, विटामिन डी की कमी से जूझ रहे हैं, उन्हें हर साल टीडीएस की जांच जरूर करवानी चाहिए. सैक्स संबंधों में अरुचि का मुख्य कारण तो यह है ही, तनाव, बीपी और हाइपरटैंशन का भी जनक है.

स्टडी में पाया गया कि जिन लोगों को डायबिटीज नहीं थी, उन में टीडीएस का स्तर 52.8% था और डायबिटीज वालों में यह 71.03% था. इसी प्रकार हाई बीपी के मरीजों में टीडीएस का खतरा 72.89% पाया गया और नौनबीपी वालों में यह केवल 54.86% था. कोरोनरी हार्ट डिजीज के 32 मरीज भी इस स्टडी में शामिल हुए थे. इन में से 27 यानी 84.30% में टीडीएस की बीमारी थी. डाक्टरों के मुताबिक, ऐसे लोग जिन की उम्र ज्यादा है और वे डायबिटीज, हार्ट डिजीज, बीपी, विटामिन डी की कमी से जूझ रहे हैं उन्हें हर साल टीडीएस की जांच करानी चाहिए.

क्या है टेस्टोस्टेरौन हारमोन

टेस्टोस्टेरौन हारमोन को पिट्यूटरी ग्रंथि और हाइपोथेलेमस नियंत्रित करते हैं. इस का स्रावण अंडकोष में होता है. सैक्स और शुक्राणुओं की संख्या के लिए यह हारमोन जिम्मेदार है. टेस्टोस्टेरौन हारमोन पुरुष में मर्दानगी के लक्षणों को पैदा करने वाला मुख्य कारक है. सरल भाषा में कहें तो युवावस्था में यह एक लड़के को मर्द बनाता है, जैसे चेहरे पर दाढ़ीमूंछ आना, सीने पर बाल आना, आवाज में भारीपन आना, जननांग का विकसित होना, शरीर का सुडौल होना, ताकतवर मांसपेशियां बनना सब इस हारमोन के कारण ही होता है. शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य के लिए यह हारमोन पुरुषों के लिए जरूरी है. यह उम्र बढ़ने के साथ कम होने लगता है.

एक अनुमान के मुताबिक 30 से 40 की उम्र के बाद इस में हर साल 2 फीसदी की गिरावट आने लगती है. इस में क्रमिक गिरावट सेहत से जुड़ी कोई समस्या नहीं है, लेकिन जब कुछ खास बीमारियों, इलाज या चोटों के कारण यह सामान्य से कम हो जाता है, परेशानी तब शुरू होती है. अंडकोष में चोट, उस की सर्जरी, क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम और आनुवंशिकी गड़बड़ी से पिट्यूटरी ग्रंथि और हाइपोथैलेमस प्रभावित होता है, जिस से हाइपोगोनैडिज्म के हालात पैदा होते हैं.

इन्फैक्शन, लिवर और किडनी में बीमारी, शराब की लत, कीमोथेरैपी या रैडिएशन थेरैपी के कारण भी टेस्टोस्टेरौन हारमोन में कमी आती है. टेस्टोस्टेरौन की कमी वैवाहिक जीवन में कलह का कारण बनती है. इस हारमोन की कमी के चलते पति चाह कर भी पत्नी को शारीरिक सुख नहीं दे पाता.
सोशल टैबू ने जकड़ रखा है भारत में सामाजिक बंधन और शर्मिंदगी की वजह से पुरुष न तो अपनी इस कमी को उजागर करते हैं और न ही इस के इलाज के लिए डाक्टर के पास जाते हैं. इस के विपरीत वे ताकत की दवाएं, झाड़फूंक, योगा या आयुर्वेद जैसी चीजों का सहारा लेने लगते हैं, जो उन की परेशानी को और ज्यादा बढ़ा देते हैं. टेस्टोस्टेरौन की कमी एक प्रकार की बीमारी है, जिस का इलाज ऐलोपैथी में संभव है. औरतों की तरह पुरुषों में भी सैक्स हारमोन रीप्लेसमैंट संभव है. बस जरूरत है सोशल टैबू को भूल कर डाक्टर के पास जाने की.

पत्नी को विश्वास में लें

आप की जीवनसाथी को आप के जीवन पर पूरा अधिकार है. उस से अपनी बीमारी, अपनी कमी, अपनी गलतियां न छिपाएं. उसे विश्वास में लें. उसे बताएं कि आप किस तरह की समस्या का सामना कर रहे हैं. यदि आप ठीक तरीके से अपनी समस्या पत्नी को बताएंगे तो न सिर्फ आप का वैवाहिक जीवन तबाह होने से बचेगा, बल्कि आप के बीच बौंडिंग भी बढ़ेगी. इस के साथ ही जीवनसाथी का साथ और विश्वास पा कर आप में डाक्टर के पास जाने और इलाज करवाने की हिम्मत भी पैदा होगी.

इन 5 कारणों से पिता नहीं बन पाते पुरुष

Lifestyle News in Hindi: इन्फर्टिलिटी (Infertility) एक ऐसी समस्या है जो बीमारी (Disease) ना होकर आत्मसम्मान की लड़ाई ज्यादा है. बातों बातों में एक दुसरे को मर्दानगी दिखने वाले पुरुष अगर ऐसी बीमारी को सार्वजनिक (Public) रुप से उजागर करे तो उनके पुरुषार्थ पर सवाल उठाया जाता है. जिसके चलते सही समय पर इलाज शुरु नहीं हो पाता. इसको ज्ञान की कमी कहें या फिर पुरुष प्रधान (Male Dominated) समाज में अपनी धोक जमाए रखना, जो भी हो पर इन्फर्टिलिटी एक बीमारी जिसका इलाज ना संभव है बल्कि आप इससे पुरी तरह ठीक भी हो सकते है. आपको जानकर आश्चर्य होगा पर एक सर्वे के अनुसार भारत में लगभग 2 करोड़ 75 लाख जोड़े बांझपन का शिकार हैं, यानी हर 10 में से 1 जोड़ा शादी के बाद बच्चा पैदा करने में सक्षम नहीं है.

मेडीकल साइंस की बात करें तो इन्फर्टिलिटी के बारे लोगों की राय काफी गलत है.ये जान कर हैरानी पर ज्यादातर लोगों में बांझपन का कारण उनकी गलत आदतें होती हैं. भारत में बढ़ रहे बांझपन या इन्फर्टिलिटी के पांच कारण है जिसे आपको जानना बेहद जरुरी है. तो जानते है क्या है वो 5 कारण…

1. शादी के उम्र है एक कारण

आजकल लड़के-लड़कियां कैरियर सेट हो जाने और आर्थिक रूप से सक्षम हो जाने के बाद शादी के फैसले ले रहे हैं. यही कारण है कि ज्यादातर लड़के-लड़कियां 30-32 की उम्र तक शादी के बंधन में बंधना चाहते हैं. इसके अलावा शादी के बाद भी वो कुछ समय तक बच्चे की जिम्मेदारियों से बचना चाहते हैं. चिकित्सक मानते हैं कि 35 की उम्र के बाद महिलाओं को मां बनने में सामान्य से ज्यादा मुश्किलें आती हैं. ज्यादातर मामलों में नौर्मल डिलीवरी के बजाय औपरेशन करना पड़ता है और कई जोड़ों में शुक्राणुओं की क्वालिटी भी खराब होने लगती है, जिससे उन्हें प्रेग्नेंसी में परेशानी आती है. दूसरे कारण जो आजकल अधिकांश स्त्रियों में पाये जा रहे हैं वो हैं फाइब्रायड का बनना, एन्डोमैंट्रियम से सम्बन्धी समस्याएं. उम्र के बढ़ने के कारण हाइपरटेंशन जैसी दूसरी समस्याएं भी आ जातीं हैं और इनके कारण महिलाओं में फर्टिलिटी प्रभावित होती है.

2. कुछ गलत आदतें भी है कारण

आजकल कम उम्र में सिगरेट, शराब, गुटखा और कई बार ड्रग्स की लत भी लड़के-लड़कियों में काफी बढ़ गई है. इन आदतों के कारण भी वीर्य (Sperm) की गुणवत्ता खराब होती है और स्पर्म काउंट कम होता है. यह होने वाले बच्चे में आनुवांशिक तौर पर बदलाव भी कर सकता है . इसी प्रकार से अल्कोहल भी टेस्टोस्टेरौन के उत्पादन को कम करता है. विशेषज्ञों के अनुसार किसी प्रकार की दवाओं या ड्रग्स के गलत तरीके से इस्तेमाल के कारण भी इन्फर्टिलिटी हो सकती है. स्टेरायड जैसे हार्मोन हमारे शरीर के हार्मोन के स्त‍र में बदलाव लाते हैं जो कि हमारे स्वास्‍थ्‍य को भी प्रभावित कर सकते हैं. बीमारी होने पर भी चिकित्सक की सलाहानुसार ही दवाएं लेनी चाहिए.

3. काम का बढ़ता बोझ

आजकल लगभग हर सेक्टर में काम और सफलता का दबाव पहले से ज्यादा बढ़ गया है. इस कारण से लोग ओवर टाइम, नाइट शिफ्ट या घर पर काम करने को मजबूर होते हैं. काम के साथ-साथ शरीर के लिए आराम भी बहुत जरूरी है. समय कम होने के कारण लोग न तो एक्सरसाइज करते हैं और न ही अपने खानपान पर ध्यान दे पाते हैं. इन कारणों से भी धीरे-धीरे व्यक्ति के स्पर्म की क्वालिटी पर असर पड़ता है.

4. बढ़ती बीमारियां भी है कारण

हाइपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर), डायबिटीज, मोटापा जैसी समस्या आजकल युवाओं में भी आम हो गयी है. इनका प्रभाव व्यक्ति की सेक्सुअल लाइफ पर भी पड़ता है . डायबिटीज़, पी सी ओ डी (पॉलीसिस्टिक ओवरियन डिज़ीज़) के कारण महिलाओं मे बहुत सी बीमारियां आम हो गयी हैं . 60 से 70 प्रतिशत महिलाओं में ओवुलेशन की क्रिया ही नहीं होती . वज़न का बढ़ना और व्यायाम की कमी के कारण भी सही मात्रा में हार्मोन नहीं बन पाते. बचपन से ही लोगों में कंप्‍यूटर और लैपटाप पर बैठना आम है और यह कारण भी कहीं ना कहीं इन्फर्टिलिटी के जि़म्मेदार होते हैं.

5. प्रदूषण और शहरी वातावरण ये सबसे अहम कारण

शहरी वातावरण में बढ़ते प्रदूषण और टाक्सिन ने 45 से 48 प्रतिशत इन्फर्टिलिटी के मामले बढ़ा दिये हैं. जीवनशैली में बदलाव और खानपान की गलत आदतें भी अप्रत्यक्ष रूप से इन्फर्टिलिटी की जि़म्मेदार हैं. पेस्टिसाइड और प्लास्टिक का खानपान के दौरान हमारी फूड चेन में आना हार्मोन के स्तर को प्रभावित करता है. यूनिवर्सिटी आफ नार्थ कैरालिना, चैपल हिल के शोधकर्ताओं ने यह पता लगाया है कि वो महिलाएं जो नाइट शिफ्ट में काम करती हैं उनमें समय से पहले प्रसव की सम्भावना रहती है .

कैसे छुटकारा पाया जाए इन्फर्टिलिटी से

इन्फर्टिलिटी दूर करने के लिए जरूरी है कि आप अभी से अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें. शुरुआत से अपना मोटापा, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर कंट्रोल रखें. सिगरेट, शराब, तंबाकू उत्पादों का सेवन बिल्कुल बंद कर दें. खानपान में पौष्टिक आहार शामिल करें और रोज थोड़ी एक्सरसाइज जरूर करें. साथ ही शरीर में कुछ भी बदलाव हो तो तुरंत डाक्टर से सलाह ले और किसी भी बदलाव को अंदेखा ना करें. इन्फर्टिलिटी को बीमारी की तरह ले जिससे की आप जल्द निजाद पा सकें. समाज के डर से इसको छुपाना समस्या को और बढ़ाना है. इसलिए अगर आप भी बच्चा ना होने से परेशान है तो जल्द से जल्द अपना इलाज शुरु कराए.

इन 6 टिप्स से बचे इरेक्टाइल डिसफंक्शन से

Lifestyle tips in Hindi: इरेक्टाइल डिसफंक्शन (Erectile disfunction) एक यौन समस्या (Sex Problem) है पर ना जाने क्यों लोग इसको अपने आत्मसम्मान (Self-Respect) से जोड़ कर इसका इलाज नहीं कराते और सभी से छुपा कर रखते है. इसके दौरान पुरुषों को इरेक्शन होने में परेशानी होती है. उम्र बढ़ने के साथ इस समस्या की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के कारण आपका यौन जीवन प्रभावित होता है और आपको अपने प्रेम संबंधों के दौरान शर्मिंदगी महसूस करनी पड़ सकती है. समय रहते अगर आप डाक्टर से सलाह ले तो आप जल्द इस समस्या से निजात पा सकते है. पर ऐसा बहुत कम देखा जाता हैं. बहुत से लोग इस समस्या को किसी के साथ साझा नहीं करते, यहां तक कि वो अपने पार्टनर के साथ इस बात को शेयर करने से कतराते हैं. इस कारण समस्या का समाधान और मुश्किल हो जाता है. इसलिए आज हम लेकर आए हैं वो कुछ बचाव जिससे आप इरेक्टाइल डिसफंक्शन को खुद से दूर रख सकते है.

1. एल्कोहल से रहें दूर

एल्कोहल का सेवन जहां आपकी सेक्सुअल डिजायर को बढ़ाता है वहीं आपकी परफौर्मेंस को कम कर देता है. इसलिए अत्यधिक मात्रा में शराब का सेवन ना करें. यह आपकी लव लाइफ के लिए खतरा हो सकती है.

2. धमनियों के स्वास्थ्य की करें चिंता

अगर आपको कोलेस्ट्रौल की समस्या है तो इस कारण भी इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या हो सकती है. कोलेस्ट्रौल बढ़ जाने के कारण आपकी धमनियां सिकुड़ने लगती हैं जिससे आपके जनानांग में रक्त का प्रवाह नहीं हो पाता और इरेक्शन होने में दिक्कत होती है. इसलिए कोलेस्ट्रौल को नियंत्रित रखें और धमनियों के स्वास्थ्य पर ध्यान दें.

3. धूम्रपान भी हो सकता है कारण

सिगरेट का सेवन भी आपका यौन जीवन बिगाड़ सकता है. सिगरेट में मौजूद निकोटीन आपकी रक्त धमनियों को सिकोड़ देता है जिससे आपको निजी अंगों में रक्त पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच पाता है और इसी कारण इरेक्शन नहीं होता है.

4. वजन को रखे कट्रोल में

शोध बताते हैं कि जो लोग मोटापे का शिकार होते हैं उन्हें इरेक्शन में अधिक दिक्कत होती है. इसलिए बेहतर है कि आप स्वस्थ वजन रखें. इसके लिए आप नियमित रुप से एक्सरसाइज करें, साथ ही आप सही आहार भी ले सकते हैं. इससे ना केवल आप इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या कम होगी बल्कि आपका संपूर्ण स्वास्थ्य बना रहता है.

5. साइकिल चलाना भी है खतरनाक

अधिक साइकिल चलाने से आपको प्यूबिक एरिया में अधिक दबाव पड़ता है जिसके कारण रक्त धमनियों और नसों में रक्त का प्रवाह ठीक प्रकार से नहीं होता है. इस कारण लिंग तक पर्याप्त मात्रा में रक्त नहीं पहुंचता और यही इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का कारण बनता है.

6. नियमित रूप से यौन संबंध बनाएं

अगर आप नियमित रूप से यौन संबध बनाते हैं तो इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या नहीं होती. इसलिए सप्ताह में एक बार यौन संबंध जरुर बनाएं. तो ये है वो 6 बाते जिसका आपको ध्याल रखना है और आप अगर इस समस्या से वाकई परेशान हो जो शर्माएं नहीं और डाक्टर की सलाह जरुर लें.

क्यों है लहसुन मर्दों के लिए फायदेमंद? जानें यहां

लहसुन को किसी भी सब्जी मे दालने से उसका स्वाद तो बढ़ता है साथ ही वो कई मायनों में फायदेमंद है. लहसुन की अगर बात करें तो वेद में इसको “मेडिसिनल हर्ब”  के  तौर पर जाना जाता है. लहसुन में कई ऐसे पोषक तत्व पाए जाते है जो पेठ संबंध बीमारी के लिए काफी लाभकारी है. पर पुरुषों के लिए लहसुन का सेवन थोड़ा खास है, दरअसल लहसुन की कच्ची कली पेट के जीवाणु और विषाक्त पदार्थों को दूर करने में मदद करती है पर इसके अलावा शरीरिक रूप से कमजोर मर्दों के लिए लहसुन की कलियां बेहद फायदेमंद होती हैं. एक शोध से  ये बात  सामने आई है की शारीरिक रूप से कमजोर मर्द अगर सुबह खाली पेट लहसुन की 2 कलियां चबाए तो उनके प्राइवेट पार्ट के कार्पस कैवर्नोसा में रक्त का बहाव पूरा होता है, जिससे इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या दूर हो जाती है. कच्चा लहसुन उन पुरुषों के लिए रामबाण है, जो किसी कारणवश गुप्त रोग का शिकार हो गए हैं. लहसुन में में ऐफ्रोडिजिएक नाम का कामोत्तेजक गुण पाया जाता है, जो पुरुषों के लिए फायदेमंद साबित होता है.

पुरुषों को लहसुन से होने वाले फायदे क्या है?

  • लहसुन में सेलेनियम नाम का गुण पाया जाता है, जो पुरुषों को इंफर्टिलिटी से बचाता है.
  • लहसुन में प्रोटीन की भी मात्रा होती है, जो मांसपेशियां टोंड करने में मदद करती हैं.
  • लहसुन में पाए जाने वाले कार्बोहाइड्रेट्स से कमजोरी दूर होती है और आपकी बौडी को ऊर्जा मिलती है.
  • लहसुन में पाए जाने वाले एलिसिन से फैट बर्निंग की प्रक्रिया में गति आती है, जिससे वजन नियंत्रित होता है.
  • लहसुन में मौजूद फाइबर कब्ज जैसी पेट की समस्या को दूर करने में मदद करता है.

लहसुन में पाए जाने वाले एलिकिन नाम के तत्व में जीवाणुरोधी, एंटीवायरल, एंटीफंगल और एंटीऔक्सिडेंट गुण होते हैं. इसके अलावा इसमें विटामिन B1, B6 और C के साथ-साथ मैगनीज़ कैल्शिम, तांबा, सेलेनियम और अन्य जरूरी तत्व भी पाए जाते हैं.

ह्रदय संबंधी समस्या

लहसुन खाने से रक्त वाहिकाओं (Blood vessels) में खून का जमाव नहीं होता, जिससे हार्ट अटैक जैसी दिल से संबंधित समस्याओं का खतरा कम हो जाता है. लहसुन और शहद को मिलाकर खाने से दिल तक जाने वाली धमनियों में जमा फैट निकल जाता है, जिससे रक्त प्रवाह सही हो जाता है.

पेट की समस्या को रखें दूर

लहसुन का प्रयोग पेट से जुड़ी बीमारियों जैसे डायरिया और कब्‍ज की रोकथाम में बेहद मददगार है. उबले पानी में लहसुन की कलियां डालें और खाली पेट इस पानी को पी लें. इसे पीने से डायरिया और कब्‍ज से आराम मिलेगा. इतना ही नहीं यह पानी शरीर के अंदर मौजूद जहरीलें पदार्थों को भी बाहर निकालने में मदद करता है.

टेंशन से मिले राहत

लहसुन टेंशन दूर करने में भी मददगार है. दरअसल कई बार हमारे पेट के अंदर कई प्रकार के एसिड बनते हैं, जिनके कारण हमें घबराहट होने लगती है. लहसुन उन एसिडों को बनने से रोकता है, जिससे सिर दर्द और हाइपर टेंशन में आराम मिलता है.

तो ये है लहसुन के कुछ ऐसे फायदे जिससे शायद आप अब तक अंजान थे.

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