पति-पत्नी के रिश्ते को किया बदनाम

दक्षिणपूर्वी दिल्ली के थाना शाहीनबाग के अंतर्गत नई बस्ती ओखला के रहने वाले कपिल की ससुराल उत्तर प्रदेश के जिला फिरोजाबाद के आसफाबाद में थी.

करीब 3 साल पहले किसी बात को ले कर उस का अपनी पत्नी खुशबू से विवाद हो गया था. तब खुशबू अपने मायके चली गई थी और वापस नहीं लौटी थी. इतना ही नहीं, ढाई साल पहले खुशबू ने फिरोजाबाद न्यायालय में कपिल के खिलाफ घरेलू हिंसा व गुजारा भत्ते का मुकदमा दायर कर दिया था.

कपिल हर तारीख पर फिरोजाबाद कोर्ट जाता था और तारीख निपटा कर देर रात दिल्ली लौट आता था. 10 फरवरी, 2020 को भी वह इसी मुकदमे की तारीख के लिए दिल्ली से फिरोजाबाद आया था. वह रात को घर नहीं पहुंचा तो घर वालों ने उसे 11 फरवरी की सुबह फोन किया. लेकिन उस का फोन बंद मिला. इस से घर वाले परेशान हो गए. उन्होंने 11 फरवरी की शाम तक कपिल का इंतजार किया. इस के बाद उन की चिंता और भी बढ़ गई.

12 फरवरी को कपिल की मां ब्रह्मवती, बहन राखी, मामा नेमचंद और मौसी सुंदरी फिरोजाबाद के लिए निकल गए. कपिल की ससुराल वाला इलाका थाना रसूलपुर क्षेत्र में आता है, इसलिए वे सभी थाना रसूलपुर पहुंचे और कपिल के रहस्यमय तरीके से गायब होने की बात बताई.

थाना रसूलपुर से उन्हें यह कह कर थाना मटसैना भेज दिया गया कि कपिल कोर्ट की तारीख पर आया था और कोर्ट परिसर उन के थानाक्षेत्र में नहीं बल्कि थाना मटसैना में पड़ता है. इसलिए वे सभी लोग उसी दिन थाना मटसैना पहुंचे, लेकिन वहां भी उन की बात गंभीरता से नहीं सुनी गई. ज्यादा जिद करने पर मटसैना पुलिस ने कपिल की गुमशुदगी दर्ज कर ली. गुमशुदगी दर्ज कर के उन्हें थाने से टरका दिया. इस के बाद भी वे लोग कपिल की फिरोजाबाद में ही तलाश करते रहे.

इसी बीच 15 फरवरी की दोपहर को किसी ने थाना रामगढ़ के बाईपास पर स्थित हिना धर्मकांटा के नजदीक नाले में एक युवक की लाश पड़ी देखी. इस खबर से वहां सनसनी फैल गई. कुछ ही देर में भीड़ एकत्र हो गई. इसी दौरान किसी ने इस की सूचना रामगढ़ थाने में दे दी.

कुछ ही देर में थानाप्रभारी श्याम सिंह पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. उन्होंने शव को नाले से बाहर निकलवाया. मृतक के कानों में मोबाइल का ईयरफोन लगा था.

पुलिस ने युवक की शिनाख्त कराने की कोशिश की, लेकिन वहां मौजूद लोगों में से कोई भी उसे नहीं पहचान सका. पुलिस ने उस अज्ञात युवक की लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला चिकित्सालय फिरोजाबाद भेज दी.

कपिल की मां ब्रह्मवती और बहन राखी उस समय फिरोजाबाद में ही थीं. शाम के समय जब उन्हें बाईपास स्थित नाले में पुलिस द्वारा किसी अज्ञात युवक की लाश बरामद किए जाने की जानकारी मिली तो मांबेटी थाना रामगढ़ पहुंच गईं. उन्होंने थानाप्रभारी श्याम सिंह से अज्ञात युवक की लाश के बारे में पूछा तो थानाप्रभारी ने उन्हें फोन में खींचे गए फोटो दिखाए.

फोटो देखते ही वे दोनों रो पड़ीं, क्योंकि लाश कपिल की ही थी. इस के बाद थानाप्रभारी ब्रह्मवती और उस की बेटी राखी को जिला अस्पताल की मोर्चरी ले गए. उन्होंने वह लाश दिखाई तो दोनों ने उस की शिनाख्त कपिल के रूप में कर दी. लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद थानाप्रभारी ने भी राहत की सांस ली.

थानाप्रभारी ने शव की शिनाख्त होने की जानकारी एसपी (सिटी) प्रबल प्रताप सिंह को दे दी और उन के निर्देश पर आगे की काररवाई शुरू कर दी.

थानाप्रभारी श्याम सिंह ने मृतक कपिल की मां ब्रह्मवती और बहन राखी से बात की तो उन्होंने बताया कि कपिल की पत्नी खुशबू चरित्रहीन थी.

इसी बात पर कपिल और खुशबू के बीच अकसर झगड़ा होता था, जिस के बाद खुशबू मायके में आ कर रहने लगी थी. राखी ने आरोप लगाया कि खुशबू ने ही अपने परिवार के लोगों से मिल कर उस के भाई की हत्या की है.

पुलिस ने राखी की तरफ से मृतक की पत्नी खुशबू, सास बिट्टनश्री, साले सुनील, ब्रजेश, साली रिंकी और सुनील की पत्नी ममता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी.

चूंकि रिपोर्ट नामजद थी, इसलिए पुलिस आरोपियों की तलाश में जुट गई. पुलिस ने मृतक की पत्नी खुशबू व उस की मां को हिरासत में ले लिया. उन से कड़ाई से पूछताछ की गई. खुशबू से की गई पूछताछ में पुलिस को कोई खास जानकारी हाथ नहीं लगी, बस यही पता चला कि कपिल पत्नी के चरित्र पर शक करता था.

फिर भी पुलिस यह समझ गई थी कि एक अकेली औरत कपिल का न तो मर्डर कर सकती है और न ही शव घर से दूर ले जा कर नाले में फेंक सकती है. पुलिस चाहती थी कि कत्ल की इस वारदात का पूरा सच सामने आए.

इस बीच जांच के दौरान पुलिस को एक अहम सुराग हाथ लगा. किसी ने थानाप्रभारी को बताया कि खुशबू चोरीछिपे अपने प्रेमी चंदन से मिलती थी. दोनों के नाजायज संबंधों का जो शक किया जा रहा था, उस की पुष्टि हो गई.

जाहिर था कि हत्या अगर खुशबू ने की थी तो कोई न कोई उस का संगीसाथी जरूर रहा होगा. इस बीच पुलिस की बढ़ती गतिविधियों और खुशबू को हिरासत में लिए जाने की भनक मिलते ही खुशबू का प्रेमी चंदन और उस का साथी प्रमोद फरार हो गए.

इस से उन दोनों पर पुलिस को शक हो गया. उन की सुरागरसी के लिए पुलिस ने मुखबिरों का जाल फैला दिया. मुखबिर की सूचना पर घटना के तीसरे दिन पुलिस ने खुशबू के प्रेमी चंदन व उस के साथी प्रमोद को कनैटा चौराहे के पास से हिरासत में ले लिया. दोनों वहां फरार होने के लिए किसी वाहन का इंतजार कर रहे थे.

थाने ला कर दोनों से पूछताछ की गई. थाने में जब चंदन और प्रमोद से खुशबू का आमनासामना कराया गया तो तीनों सकपका गए. इस के बाद उन्होंने आसानी से अपना जुर्म कबूल कर लिया.

अपराध स्वीकार करने के बाद पुलिस ने खुशबू, उस के प्रेमी चंदन उर्फ जयकिशोर निवासी मौढ़ा, थाना रसूलपुर, उस के दोस्त प्रमोद राठौर निवासी राठौर नगर, आसफाबाद को कपिल की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया.

उन की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त रस्सी, मोटा सरिया व मोटरसाइकिल बरामद कर ली. खुशबू ने अपने प्यार की राह में रोड़ा बने पति कपिल को हटाने के लिए प्रेमी व उस के दोस्त के साथ मिल कर हत्या का षडयंत्र रचा था. खुशबू ने पति की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस तरह थी-

दक्षिणपूर्वी दिल्ली की नई बस्ती ओखला के रहने वाले कपिलचंद्र  की शादी सन 2015 में खुशबू के साथ हुई थी. शादी के डेढ़ साल तक सब कुछ ठीकठाक रहा. कपिल की गृहस्थी हंसीखुशी से चल रही थी. करीब 3 साल पहले जैसे उस के परिवार को नजर लग गई. हुआ यह कि खुशबू अकसर मायके चली जाती थी. इस से कपिल को उस के चरित्र पर शक होने लगा. इस के बाद पतिपत्नी में तकरार शुरू हो गई.

पतिपत्नी में आए दिन झगड़े होने लगे. गुस्से में कपिल खुशबू की पिटाई भी कर देता था. गृहक्लेश के चलते खुशबू अपने बेटे को ले कर अपने मायके में आ कर रहने लगी. ढाई साल पहले उस ने कपिल पर घरेलू हिंसा व गुजारा भत्ते के लिए फिरोजाबाद न्यायालय में मुकदमा दायर कर दिया.

मायके में रहने के दौरान खुशबू के अपने पड़ोसी चंदन से प्रेम संबंध हो गए थे. हालांकि चंदन शादीशुदा था और उस की 6 महीने की बेटी भी थी. कहते हैं

प्यार अंधा होता है. दोनों एकदूसरे को दिलोजान से चाहने लगे थे. मायके में रहने के दौरान चंदन खुशबू के पति की कमी पूरी कर देता था. लेकिन ऐसा कब तक चलता.

एक दिन खुशबू ने चंदन से कहा, ‘‘चंदन, हम लोग ऐसे चोरीछिपे आखिर कब तक मिलते रहेंगे. तुम मुझ से शादी कर लो. मैं अपने पति से पीछा भी छुड़ाना चाहती हूं. लेकिन वह मुझे तलाक नहीं दे रहा. अगर तुम रास्ते के इस कांटे को हटा दोगे तो हमारा रास्ता साफ हो जाएगा.’’

दोनों एकदूसरे के साथ रहना चाहते थे. चंदन को खुशबू की सलाह अच्छी लगी. इस के बाद खुशबू व उस के प्रेमी चंदन ने मिल कर एक षडयंत्र रचा.

मुकदमे की तारीख पर खुशबू और कपिल की बातचीत हो जाती थी.

खुशबू ने चंदन को बता दिया था कि कपिल हर महीने मुकदमे की तारीख पर फिरोजाबाद कोर्ट में आता है. 10 फरवरी को अगली तारीख है, वह उस दिन तारीख पर जरूर आएगा. तभी उस का काम तमाम कर देंगे.

कपिल 10 फरवरी को कोर्ट में अपनी तारीख के लिए आया. कोर्ट में खुशबू व कपिल के बीच बातचीत हो जाती थी. कोर्ट में तारीख हो जाने के बाद खुशबू ने उसे बताया, ‘‘अपने बेटे जिगर की तबीयत ठीक नहीं है. वह तुम्हें बहुत याद करता है. उस से एक बार मिल लो.’’

अपने कलेजे के टुकड़े की बीमारी की बात सुन कर कपिल परेशान हो गया और तारीख के बाद खुशबू के साथ अपनी ससुराल पहुंचा.

कपिल शराब पीने का शौकीन था. खुशबू के प्रेमी व उस के दोस्त ने कपिल को शराब पार्टी पर आमंत्रित किया. शाम को ज्यादा शराब पीने से कपिल नशे में चूर हो कर गिर पड़ा.

कपिल के गिरते ही खुशबू ने उस के हाथ पकड़े और प्रेमी चंदन व उस के साथी प्रमोद ने साथ लाई रस्सी से कपिल के हाथ बांधने के बाद उस के सिर पर मोटे सरिया से प्रहार कर उस की हत्या कर दी.

कपिल की हत्या इतनी सावधानी से की गई थी कि पड़ोसियों को भी भनक नहीं लगी. हत्या के बाद उसी रात उस के शव को मोटरसाइकिल से ले जा कर बाईपास के किनारे स्थित नाले में डाल दिया गया. 15 फरवरी को शव से दुर्गंध आने पर लोगों का ध्यान उधर गया.

एसपी (सिटी) प्रबल प्रताप सिंह ने बताया कि कपिल की हत्या के मुकदमे में नामजद आरोपियों की भूमिका की जांच की जा रही है. जो लोग निर्दोष पाए जाएंगे, उन्हें छोड़ दिया जाएगा.

पुलिस ने तीनों हत्यारोपियों को गिरफ्तार करने के बाद न्यायालय में पेश किया, जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया. निजी रिश्तों में आई खटास के चलते खुशबू ने अपनी मांग का सिंदूर उजाड़ने के साथ पतिपत्नी के पवित्र रिश्ते को कलंकित कर दिया. वहीं कांच की चूडि़यों से रिश्तों को जोड़ने के लिए मशहूर सुहागनगरी फिरोजाबाद को रिश्तों के खून से लाल कर दिया.

जानलेवा बना पत्नी के प्रेमी से अवैध संबंध

उस दिन मई 2021 की 11 तारीख थी. तीर्थनगरी हरिद्वार के पथरी थाने के थानाप्रभारी अमर चंद्र शर्मा अपने औफिस में बैठे कुछ आवश्यक काम निपटा रहे थे, तभी उन के पास एक महिला आई और बोली, ‘‘साहब, मेरी मदद कीजिए.’’

वह महिला बड़े ही दुखी लहजे में बोली, ‘‘मेरा नाम अंजना है और मैं रानी माजरा गांव में रहती हूं. साहब, परसों 9 मई को मेरा पति संजीव सुबह फैक्ट्री गया था, लेकिन शाम को वापस नहीं लौटा. उस के न लौटने पर उस की फैक्ट्री व परिचितों के घर जा कर पता किया लेकिन उस का कुछ पता नहीं चला. उस के बारे में कुछ पता न चलने पर मैं आप के पास मदद मांगने आई हूं. अब आप ही मेरे पति को तलाश सकते हैं.’’

‘‘ठीक है, हम तुम्हारे पति को खोज निकालेंगे. तुम लिखित तहरीर दे दो और साथ में अपने पति की एक फोटो दे दो.’’ थानाप्रभारी ने कहा.

‘‘ठीक है साहब. मुझे शक है कि मेरे गांव के ही प्रधान ने मेरे पति को गायब कराया है. कहीं उस ने मेरे पति के साथ कुछ गलत न कर दिया हो. इस बात से मेरा दिल बैठा जा रहा है.’’ वह बोली.

‘‘ठीक है, जांच में सब पता लगा लेंगे. अगर प्रधान का इस सब में हाथ हुआ तो उसे सजा जरूर दिलाएंगे.’’ इंसपेक्टर शर्मा ने उसे आश्वस्त करते हुए कहा.

‘‘ठीक है साहब,’’ कह कर वह महिला अंजना वहां से चली गई. कुछ ही देर में वह वापस लौटी और एक तहरीर और फोटो थानाप्रभारी शर्मा को दे गई तो उन्होंने संजीव की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करा दी.

थानाप्रभारी शर्मा अभी कुछ प्रयास करते, उस से पहले ही अगले दिन फिर अंजना उन से मिलने आ गई. उस ने गांव के प्रधान द्वारा अपने पति को मार देने का आरोप लगाते हुए लाश जंगल में पड़ी होने की आशंका जाहिर की.

उस ने यह बात उस की इस हरकत से इंसपेक्टर शर्मा को उस पर शक हो गया. ऐसी हरकत तो इंसान तभी करता है, जब वह खुद उस मामले में संलिप्त हो और दूसरे को फंसाने की कोशिश करता है.

अंजना भी जिस तरह से गांव के प्रधान को बारबार इंगित कर रही थी, उस से यही लग रहा था कि अंजना का अपने पति संजीव को गायब कराने में हाथ है और इस में वह गांव के प्रधान को फंसाना चाहती है.

संजीव ने गांव के कई विकास कार्यों के बारे में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांग रखी थी. इस से प्रधान और संजीव के बीच विवाद चल रहा था. इसी का फायदा शायद अंजना उठाना चाहती थी.

अंजना पर शक हुआ तो इंसपेक्टर शर्मा ने अंजना के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. उस में एक नंबर पर अंजना की काफी बातें होने की बात पता चली. 9 मई को भी कई बार बातें हुई थीं. दोनों की लोकेशन भी कुछ देर के लिए साथ में मिली.

अंजना पर जब शक पुख्ता हो गया तो 16 मई, 2021 को थानाप्रभारी शर्मा ने अंजना को पूछताछ के लिए थाने बुलाया. फिर महिला कांस्टेबलों बबीता और नेहा की मौजूदगी में अंजना से काफी सवाल किए, जिन का सही से अंजना जवाब नहीं दे पाई. जब सख्ती की गई तो अंजना ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया.

अंजना ने ही अपने पति संजीव की हत्या की थी. हत्या में उस का साथ उस के प्रेमी शिवकुमार उर्फ शिब्बू ने दिया था, जोकि धनपुरा गांव में रहता था. उसी ने हत्या के बाद संजीव की लाश पैट्रोल डाल कर जलाई थी. पुलिस ने शिवकुमार को उस के घर से गिरफ्तार कर लिया.

दोनों की निशानदेही पर पीपली गांव के जंगल के काफी अंदर जा कर संजीव की अधजली लाश पुलिस ने बरामद कर ली. मौके से ही हत्या में प्रयुक्त रस्सी और प्लास्टिक बोरी भी बरामद हो गई.

लाश को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया गया. दोनों अभियुक्तों से पूछताछ के बाद जो कहानी निकल कर सामने आई, वह काफी हैरतअंगेज थी.

उत्तराखंड के शहर हरिद्वार के पथरी थाना क्षेत्र के गांव रानी माजरा में रहता था संजीव. संजीव पदार्था स्थित पतंजलि की फूड पार्क कंपनी में काम करता था. परिवार के नाम पर उस की पत्नी और 12 साल का बेटा सनी था.

जब परिवार का मुखिया सही न चले तो परिवार का बिगड़ना तय होता है. संजीव में कई गलत आदतें थीं, जिस से अंजना काफी परेशान रहती थी. संजीव को अप्राकृतिक यौन संबंध बनवाने का शौक था, जिस के चलते वह शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार भी रहता था.

कभीकभी उस की मानसिक स्थिति काफी बदतर हो जाती थी. घर के सामने से कोई कुत्ता गुजर जाता तो वह कुत्ते को जम कर मारतापीटता था. कई बार उस ने पुलिस कंट्रोल रूम में फोन कर के पुलिसकर्मियों को गालियां दीं. पुलिसकर्मियों ने शिकायत की तो उस की हालत देख कर थाना स्तर से कोई काररवाई नहीं की जाती. उस के दिमाग में कब क्या फितूर बस जाए कोई नहीं जान सकता था.

धनपुरा गांव में रहता था 45 वर्षीय शिवकुमार उर्फ शिब्बू. शिवकुमार के परिवार में पत्नी, एक बेटी और एक बेटा था. शिवकुमार दूध बेचने का काम करता था. संजीव के घर वह पिछले 10 सालों से दूध देने आता था.

संजीव से उस की दोस्ती थी. संजीव ने शिवकुमार को अपनी पत्नी अंजना से मिलाया. दोनों मे दोस्ती कराई. दोस्ती होने पर शिवकुमार दूध देने घर के अंदर तक आने लगा. अंजना से वह घंटों बैठ कर बातें करने लगा. कुछ ही दिनों में वे दोनों काफी घुलमिल गए. उन के बीच हंसीमजाक भी होने लगा.

एक दिन दूध देने के बाद शिवकुमार अंजना के पास बैठ गया. उसे देखते हुए बोला, ‘‘भाभी, लगता है आप अपना खयाल नहीं रखती हो?’’

अंजना को उस की बात सुन कर हैरत हुई, बोली, ‘‘अरे, भलीचंगी तो हूं …और कैसे खयाल रखूं?’’

‘‘सेहत पर तो आप ध्यान दे रही हो, जिस से स्वस्थ हो लेकिन अपने हुस्न को निखारनेसंवारने में बिलकुल भी ध्यान नहीं दे रही हो.’’

‘‘ओह! तो यह बात है. मैं भी सोचूं कि मैं तो अच्छीखासी हूं.’’ फिर दुखी स्वर में बोली, ‘‘अपने हुस्न को संवार कर करूं भी तो क्या.  जिस के साथ बंधन में बंधी हूं, वह तो ध्यान ही नहीं देता. उस का शौक भी दूसरी लाइन का है. मुझे खुश करने के बजाय खुद को खुश करने के लिए लोगों को ढूंढता फिरता है.’’

‘‘क्या मतलब…?’’ चौंकते हुए बोला.

शिवकुमार कुछकुछ समझ तो गया था लेकिन अंजना से खुल कर पूछने के लिए उस से सवाल किया.

‘‘यही कि वह आदमी है और आदमी से ही प्यार करता है, उसे औरत में कोई लगाव नहीं है. जैसेतैसे उस ने कुछ दिन मुझे बेमन से खुशी दी, जिस की वजह से एक बेटा हो गया. उस के बाद उस ने मेरी तरफ देखना ही बंद कर दिया. उस के शौक ही निराले हैं.’’

इस पर शिवकुमार उस से सुहानुभूति जताते हुए बोला, ‘‘यह तो आप के साथ अत्याचार हो रहा है, शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से. आप कैसे सह लेती हो इतना सब?’’

‘‘क्या करूं…जब नसीब में ही सब लिखा है तो भुगतना तो पडे़गा ही.’’ दुख भरे लहजे में अंजना ने कहा.

‘‘जैसे वह आप का खयाल नहीं रखता, वैसे आप भी उस का खयाल मत रखो. आप का भी अपना वजूद है, आप को भी अपनी खुशी का खयाल रखने का हक है.’’ उस ने उकसाया.

‘‘खुद को खुश रखने की कोशिश भी करूं तो कैसे, संजीव मेरी खुशियों में आग लगाने में पीछे नहीं हटता. अब उस से बंध गई हूं तो उस के साथ ही निभाना पड़ेगा.’’

‘‘आप अपनी खुशी के लिए कोई भी कदम उठा सकती हैं. इस के लिए आप पर कोई बंधन नहीं है. जरूरत है तो आप के एक कदम बढ़ाने की.’’

‘‘कदम तो तभी बढ़ेंगे, जब कोई मंजिल दिखे. बिना मंजिल के कदम बढ़ाने से कोई फायदा नहीं, उलटा कष्ट ही होगा.’’ वह बेमन से बोली.

‘‘मंजिल तो आप के सामने ही है लेकिन आप ने देखने की कोशिश ही नहीं की.’’ शिवकुमार ने अंजना की आंखों में देखते हुए कहा.

शिवकुमार की बात सुन कर अंजना ने भी उस की आंखों में देखा तो वहां उसे अपने लिए उमड़ता प्यार दिखा. अंजना के दिल को सुकून मिला कि उसे भी कोई दिल से चाहता है और उस का होना चाहता है.

‘‘लेकिन शिव, हम दोनों का ही अपना बसाबसाया परिवार है. ऐसे में एकदूसरे की तरफ कदम बढ़ाना सही होगा.’’ अंजना ने सवाल किया.

‘‘मेरी छोड़ो, अपनी बात करो. कौन सा परिवार… परिवार के नाम पर पति और एक बेटा. पति ऐसा कि जो अपने लिए ही मस्ती खोजता रहता है, जिसे अपनी पत्नी की जरूरतों का कोई खयाल नहीं और न ही उस की भावनाओं की कद्र करता है. ऐसे इंसान से दूर हो जाना बेहतर है.’’

‘‘कह तो तुम ठीक रहे हो शिव. जब उसे मेरा खयाल नहीं तो मैं क्यों उस की चिंता करूं.’’

‘‘हां भाभी, मैं आप को वह सब खुशियां दूंगा, जिस की आप हकदार हैं. बस आप एक बार हां तो कहो.’’

अंजना ने उस की बात सुन कर मूक सहमति दी तो शिवकुमार ने उसे बांहों में भर कर कर सीने से लगा लिया. उस के बाद शिवकुमार ने अंजना को वह खुशी दी, जो अंजना पति से पाने को तरसती थी. उस दिन शिवकुमार ने अंजना की सूखी जमीन को फिर से हराभरा कर दिया.

फिर तो उन के बीच नाजायज संबंध का यह रिश्ता लगभग हर रोज निभाया जाने लगा. अंजना का चेहरा अब खिलाखिला सा रहने लगा. वह अब अपने को सजानेसंवारने लगी थी. शिवकुमार के बताए जाने पर वह शिवकुमार के दिए जाने वाले कच्चे दूध से चेहरे की सफाई करती. दूध उबालने के बाद पड़ने वाली मोटी मलाई को अपने चेहरे पर लगाती, जिस से उस के चेहरे की चमक बनी रहे.

समय का पहिया निरंतर आगे बढ़ता गया. संजीव से उन के संबंध छिपे नहीं रहे. उसे पता चला तो उसे बिलकुल गुस्सा नहीं आया. अमूमन कोई भी पति अपनी पत्नी के अवैध रिश्ते के बारे में जानता तो गुस्सा करता, पत्नी के साथ मारपीट लड़ाईझगड़ा करता, लेकिन संजीव के मामले में ऐसा कुछ नहीं था. उस के दिमाग में तो और ही कुछ चल रहा था. जो उस के दिमाग में चल रहा था उसे सोच कर वह मंदमंद मुसकरा रहा था.

अब संजीव दोनों पर नजर रखने लगा. एक दिन उस ने दोनों को शारीरिक रिश्ता बनाते रंगेहाथ पकड़ लिया. उसे आया देख कर शिवकुमार और अंजना सहम गए.

संजीव ने दोनों को एक बार खा जाने वाली नजरों से देखा, फिर उन के सामने कुरसी डाल कर आराम से बैठ गया और बोला, ‘‘तुम दोनों अपना कार्यक्रम जारी रखो.’’

उस के बोल सुन कर शिवकुमार और अंजना हैरत से एकदूसरे को देखने लगे. उन के आश्चर्य की सीमा नहीं थी. संजीव ने जो कहा था उन की उम्मीद के बिलकुल विपरीत था. संजीव के दिमाग में क्या चल रहा है, दोनों यह जानने के लिए उत्सुक थे.

उन दोनों को हैरत में पड़ा देख कर संजीव मुसकरा कर बोला, ‘‘चिंता न करो, मुझे तुम दोनों के संबंधों से कोई एतराज नहीं है. मैं तो खुद तुम दोनों को संबंध बनाते देखने को आतुर हूं.’’

संजीव के बोल सुन कर अंजना के अंदर की औरत जागी, ‘‘कैसे मर्द हो जो अपनी ही बीवी को पराए मर्द के साथ बिस्तर पर देखना चाहते हो. तुम इतने गिरे हुए इंसान हो, मैं तो सपने में भी नहीं सोच सकती थी.’’

‘‘तुम्हारे प्रवचन खत्म हो गए हों तो आगे का कार्यक्रम शुरू करो.’’ बड़ी ही बेशरमी से संजीव बोला.

‘‘क्यों कोई जबरदस्ती है, हम दोनों ऐसा कुछ नहीं करेंगे.’’ अंजना ने सपाट लहजे में बोल दिया.

संजीव ठहाके लगा कर हंसा, फिर बोला, ‘‘मुझे न बोलने की स्थिति में नहीं हो तुम दोनों. मैं ने बाहर वालों को तुम दोनों के नाजायज संबंधों के बारे में बता दिया तो समाज में मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगे.’’

बदनामी का भय इंसान को अंदर तक हिला कर रख देता है. अंजना और शिवकुमार भी बदनाम नहीं होना चाहते थे. वैसे भी जिस से उन को डरना चाहिए था, वह खुद उन को संबंध बनाने की छूट दे रहा था. ऐसे में दोनों ने संबंध बनाए रखने के लिए संजीव की बात मान ली.

अंजना और शिवकुमार शारीरिक संबंध बनाने लगे. संजीव उन के पास ही बैठ कर अपनी आंखों से उन को ऐसा करते देखता रहा और आनंदित होता रहा. किसी पोर्न मूवी में फिल्माए जाने वाले दृश्य की तरह ही सब कुछ वहां चल रहा था.

अंजना के साथ संबंध बनाने के बाद संजीव ने शिवकुमार से अपने साथ अप्राकृतिक संबंध बनाने को कहा. शिवकुमार ने न चाहते हुए उस की बात मान ली. संजीव को उस की खुशी दे दी. अब तीनों के बीच बेधड़क संबंधों का यह नाजायज खेल बराबर खेला जाने लगा.

अंजना और शिवकुमार को संजीव ब्लैकमेल कर रहा था. दोनों को अपने प्यार में बाधा पहुंचाने वाला और बदनाम करने की धमकी देने वाला संजीव अब अखरने लगा था. उस से छुटकारा पाने का एक ही तरीका था, वह था उसे मौत की नींद सुला देने का. दोनों ने संजीव को ठिकाने लगाने का फैसला किया तो उस पर योजना भी बना ली.

शिवकुमार का फेरूपुर गांव में खेत था, उसी में उस ने अपना एक अलग मकान बनवा रखा था. 9 मई को अंजना संजीव को यह कह कर वहां ले गई कि वहीं तीनों मौजमस्ती करेंगे. संजीव अंजना के जाल में फंस गया. उस के साथ शिवकुमार के मकान पर पहुंच गया. शिवकुमार वहां पहले से मौजूद था.

शिवकुमार के पहुंचते ही शिवकुमार ने अंजना को इशारा किया. अंजना ने तुरंत पीछे से संजीव को दबोच लिया. दुबलापतला संजीव अंजना के चंगुल से तमाम कोशिशों के बाद भी छूट न सका.

शिवकुमार ने संजीव के गले में रस्सी का फंदा डाल कर कस दिया, जिस से दम घुटने से संजीव की मौत हो गई. शिवकुमार ने उस की लाश प्लास्टिक बोरी में डाल कर बोरी बंद कर दी और उस बोरी को बाइक पर रख कर वह पीपली गांव के जंगल में ले गया और जंगल में काफी अंदर जा कर संजीव की लाश फेंक दी. लाश ठिकाने लगा कर वह वापस आ गया.

योजना के तहत 11 मई, 2021 को अंजना ने पथरी थाने में पति की गुमशुदगी दर्ज करा दी. अंजना ने ग्राम प्रधान पर हत्या का शक जाहिर किया, जिस से हत्या में ग्रामप्रधान फंस जाए. इधर अंजना को पता नहीं क्यों भय सताने लगा कि वे दोनों किसी बड़ी मुसीबत में फंसने वाले हैं.

इस भय के कारण 14 मई को ईद के दिन अंजना ने शिवकुमार से संपर्क किया और शिवकुमार से कहा कि लाश को पैट्रोल डाल कर जला दो. शिवकुमार ने फिर से जंगल जा कर संजीव की लाश पर पैट्रोल डाल कर जला दी.

लेकिन दोनों की ज्यादा होशियारी काम न आई, दोनों पुलिस के हत्थे चढ़ गए. चूंकि अंजना ही वादी थी, ऐसे में पीडि़त को गुनहगार साबित करना पुलिस के लिए टेढ़ी खीर साबित होता है. लेकिन थानाप्रभारी अमर चंद्र शर्मा ने बड़ी सूझबूझ से पहले पुख्ता सुबूत जुटाए, फिर अंजना को उस के प्रेमी शिवकुमार के साथ गिरफ्तार किया.

थानाप्रभारी शर्मा ने दोनों के खिलाफ भादंवि की धारा 302/201/120बी के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया. कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर दोनों को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

बेटे का पाप

Crime in hindi

बेटे का पाप : भाग 2

शिवम उस की तारीफ करते हुए पहले भी ऐसा कुछेक बार कर चुका था. रानी शिवम के मन की यौन जिज्ञासाओं को समझती थी. इसलिए उस की हरकतों का बुरा नहीं मानती थी.

वह जानती थी कि शिवम का मन इस से आगे कुछ और भी चाहता होगा, पर वह शिवम से यही कहती थी, ‘‘बेसब्र मत बनो, मैं तुम से प्यार करती हूं और शादी के बाद पूरी तरह तुम्हारी हो जाऊंगी, तब जो जी चाहे करना.’’

शिवम भी उस की भावनाओं को समझ कर खुद को रोक लेता था. लेकिन आज माहौल एकदम बदला हुआ था. शिवम के नग्न भीगे कसरती बदन को देख कर रानी की सोई हुई भावनाएं जाग उठी थीं. जब शिवम ने उस की पतली कमर में हाथ डाल कर जिस तरह उस के होंठों को चूमा तो उस के बदन में चिंगारियां चटखने लगी थीं.

एक फुट के फासले पर खड़े शिवम के हाथ में रानी की कलाई थी और निगाहों में एक सवाल था. वह अपलक रानी के चेहरे को निहार रहा था. जबकि रानी की झुकी हुई आंखें चोरीचोरी उस के बदन को देख रही थीं. उस की नजरों के लक्ष्य को समझ कर शिवम ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘जब तुम्हारा हूं तो मेरे शरीर का जर्राजर्रा तुम्हारा है इन पर तुम्हारा ही हक है.’’

रानी लजा गई. चेहरे पर हया की लाली फैली तो कांपते होंठों से उस ने कहा, ‘‘तुम बहुत शरारती होते जा रहे हो.’’

‘‘हुस्न का खजाना बांहों में हो तो बड़ेबड़े तपस्वी बेईमान हो जाते हैं.’’ कहते हुए शिवम रानी के एकदम करीब खिसक आया. उस ने अपने दोनों हाथ दीवार पर टिका कर उस ने रानी को अपनी जद में ले लिया. फिर धीरे से अपने होंठ उस के होंठों की तरफ  बढ़ाए.

‘‘नहीं शिवम यह ठीक नहीं है,’’ रानी ने उसे रोकना चाहा, लेकिन शिवम तब तक अपने जिस्म का बोझ उस पर डाल चुका था. तन की गरमी पा कर रानी का विरोध मंद पड़ गया.

रानी भी खुद पर नियंत्रण न रख सकी. फिर दोनों पहली बार आनंद की एक नई दुनिया की सैर को निकल गए. मंजिल मिलने के बाद ही वह एकदूसरे से अलग हुए.

रानी को हासिल करने के बाद शिवम उस का और भी दीवाना हो गया. उस की सुबह रानी से शुरू होती थी और शाम रानी पर खत्म होती थी. उन को अलग होने का बिलकुल भी मन नहीं होता था लेकिन लोकलाज के चलते शिवम अपने घर और रानी अपने घर जाने को मजबूर हो जाती.

दोनों विवाह कर के एक साथ जिंदगी बिताना चाहते थे लेकिन यह संभव नहीं था. क्योंकि वे एक जाति के नहीं थे. ऐसे में लक्ष्मी देवी कभी भी अपने बेटे शिवम को दूसरे कुल में शादी करने की अनुमति नहीं देती.

लक्ष्मी देवी पुजारिन होने के कारण धार्मिक प्रवृत्ति की थी. वह हरगिज दोनों के रिश्ते को मंजूरी नहीं देती. अपनी मां के बारे में शिवम बखूबी जानता था. ऐसे में शिवम के दिमाग में उथलपुथल मचने लगी कि क्या करे, क्या न करे.

उसे सिर्फ एक ही रास्ता सूझा कि वह आर्यसमाज मंदिर में रानी से शादी कर ले और उसे ले कर कहीं दूर चला जाए. रानी से  शिवम ने बात की तो उस का भी यही कहना था कि जब परिवार हमारे मन की करेंगे नहीं, हमारी खुशियों के बारे में नहीं सोचेंगे तो हम क्यों उन के बारे में सोचें. हम भी वही करेंगे जो हमें सही लगेगा.

आपसी सहमति के बाद दोनों ने आर्यसमाज मंदिर में विवाह कर लिया. विवाह कर के दोनों बहुत खुश थे. क्योंकि वह एक नई जिंदगी की शुरुआत जो कर रहे थे.

विवाह करने के बाद शिवम ने कुछ सोच कर अपनी मां लक्ष्मी देवी को रानी के साथ विवाह करने के बारे में बताया तो लक्ष्मी देवी ने उसे खूब खरीखोटी सुनाई, ‘‘निखट्टू घर में पड़ेपड़े मेरे दिए निवाले तोड़ता रहा, कभी एक पैसे का काम नहीं किया. अब ऊपर से चोरीछिपे शादी कर लेने की बात कर रहा है. पहले तुझे, अब उसे भी छाती पर बैठा कर खिलाऊं, ऐसा कभी नहीं हो सकता. वैसे भी मैं तेरी इस शादी को नहीं मानती.’’

‘‘आप मानो न मानो रानी से मेरी शादी हो चुकी है. मैं उसे हरगिज नहीं छोड़ सकता.’’ इतना कह कर शिवम वहां से चला गया.

लक्ष्मी देवी बैठ कर सिसकने लगी और उस दिन को कोसने लगी, जब शिवम पैदा हुआ था. वह सिसकते हुए बोली, ‘‘ऐसे कपूत से तो निपूती रहती.’’

इस के बाद मांबेटे में शादी की बात को ले कर रोज झगड़ा होने लगा.

दूसरी ओर रानी के घरवालों ने उस के लिए उपयुक्त वर देख कर उस का रिश्ता पक्का कर दिया. रानी इस से घबरा उठी. एक तरफ रानी की शादी तय हो गई, दूसरी ओर लक्ष्मी देवी उस को अपनाने को तैयार नहीं थी.

ऐसे में दोनों घर से भाग कर कहीं और अपनी दुनिया बसाने के बारे में सोचने लगे. शिवम के पास कोई कामधाम तो था नहीं, जो पैसे होते. इसलिए शिवम ने फैसला किया कि वह घर में रखे रुपए और गहने चोरी से निकाल कर रानी के साथ भाग जाएगा.

 

बेटे का पाप : भाग 1

जब किसी को किसी से प्यार हो जाए, तो उस की हालत अजीब हो जाती है. सोतेजागते उस का ही खयाल, उस के ही सपने आते हैं. सीने में अजीब सी आग भरी होने का अहसास होता है. इतना ही नहीं, आंखों और नींद में रार मच जाती है. प्रेम दीवानी रानी का यही हाल था. जब तक वह अपने प्रेमी शिवम शर्मा को देख न लेती तब तक बेचैनी उसे सताती रहती थी.

शिवम कहीं दूर नहीं रानी के घर के पास ही रहता था. बचपन से रानी उसे देखती आ रही थी. उस के प्रति मन में कभी किसी प्रकार की भावना नहीं आई थी. मोहल्ले में जैसे सब रहते थे, वैसे ही शिवम रहता था. शिवम का थोड़ा महत्त्व इसलिए था कि दूसरे लोगों के मकान कुछ फासले पर थे, जबकि शिवम रानी के घर के पास ही रहता था.

प्यार के लिए मुद्दत के इंतजार की जरूरत नहीं होती. यह तो कुदरत की वह नेमत है, जो किसी भी पल इंसान को मिल जाती है. गर्मियों की एक सुबह की बात है. कहीं जाने के लिए शिवम रानी के घर के सामने से गुजर रहा था. उस वक्त उस के जेहन में कल्पना तक नहीं थी कि कुछ क्षणों बाद उस के जीवन में एक नया मोड़ आने वाला है.

गरमी के मौसम में लू चलने के कारण धूल बहुत उड़ती है. इसीलिए लोग घरों के सामने पानी की छिड़काव कर देते हैं, ताकि धूल न उड़े.

उस सुबह रानी भी पानी से भरी बाल्टी ले कर अपने घर के सामने छिड़काव करने के लिए दरवाजे पर आई. वह यह नहीं देख पाई कि सामने से शिवम निकल रहा है. उस ने बाल्टी के पानी से मग भरा और दरवाजे से बाहर फेंक दिया. फेंका गया पानी शिवम पर गिरा. कुछ पल के लिए वह चौंक गया और उस के पैर जहां के तहां ठिठक गए.

रानी भी उसे देखती रह गई. मन में वह सोच रही थी कि यह उस से क्या हो गया. शिवम न जाने कहां जा रहा था, उस की एक गलती से उस के कपड़े भीग गए. शिवम अब उसे बहुत डांटेगा.

रानी हैरान तब हुई, जब शिवम ने अपने गीले कपड़े झटके और रानी की आंखों में देख कर मुसकराने लगा. शिवम की मुसकराहट ने रानी के डर को दूर कर दिया, वह बोली, ‘‘मैं ने तुम्हें आते नहीं देखा था, गलती से पानी फेंक दिया, माफ  कर दो.’’

‘‘गरमी के इस मौसम में ठंडा पानी मन को तरावट देता है. थोड़ी देर के लिए ही सही, ताजगी और तरावट का मजा आ गया,’’ शिवम हंसने लगा, ‘‘रही कपड़े भीगने की बात तो उस की चिंता नहीं. मौसम ऐसा है कि कुछ कदम चलते ही गरम हवा कपड़े सुखा देगी.’’ वह एक बार फिर मुसकराया और अपनी राह चल पड़ा.

शिवम की मुसकान में न जाने ऐसा क्या था कि तीर की तरह रानी के जिगर के पार हो गई. उस ने बाल्टी से पानी का मग भरा और अपने सिर पर उड़ेल लिया.

रानी की मां ने यह तमाशा देखा तो वह चिल्लाई,‘‘दरवाजे पर खड़ी हो कर तू खुद को क्यों भिगो रही है, नहाना है तो घर के भीतर आ कर नहा ले.’’

‘‘मम्मी, मैं नहा नहीं रही, ठंडे पानी से कपड़े भिगो कर खुद को ताजगी और तरावट से भर रही हूं.’’ वह बोली.

इस के बाद वह महसूस करने लगी कि जब शिवम भीगा होगा, तब उस ने ऐसा ही महसूस किया होगा. उस पल से एक अहसास ही नहीं जुड़े, दिल के तार भी जुड़ गए. बस इस के बाद शिवम बहुत तेजी से रानी के दिलोदिमाग पर छाता चला गया.

शिवम का हाल भी रानी से अलग नहीं था. पानी फेंकने में हुई चूक के बाद उस का हैरान चेहरा और फैली आंखें शिवम के दिल में बस गई थीं.

बस इसी एक बात ने उस की सोच को नई दिशा दे दी. शिवम ने रानी के बारे में सोचा तो वह यकायक अपनी सी लगने लगी. दिल भी उछल कर बोलने लगा कि हां उसे भी रानी से प्यार हो गया है.

ताजनगरी आगरा के जगदीशपुरा थाना क्षेत्र के वैशाली नगर, नगला गूजर में रमेश चंद्र शर्मा रहते थे. परिवार में उन की पत्नी लक्ष्मी देवी और इकलौता पुत्र शिवम शर्मा था. रमेश चंद्र पंडिताई का काम करते थे. उसी से परिवार का खर्च चलता था.

करीब 12 साल पूर्व रमेश चंद्र की आकस्मिक मृत्यु हो गई थी. अब लक्ष्मी देवी पर अपना और बेटे का पेट भरने और उसे अच्छी जिंदगी देने की जिम्मेदारी आ गई.

पति की पंडिताई को करते देखते हुए लक्ष्मी भी उस में पारंगत हो गई थी. इसलिए पति की मृत्यु के पश्चात एक मंदिर की पुजारिन बन गई. वहां आने वाले चढ़ावे से अपना और बेटे का पेट पालने लगी.

25 साल के हो चुके शिवम ने केवल इंटरमीडिएट तक ही पढ़ाई की थी. उस ने कुछ दिन एक कपड़े की दुकान पर काम किया, फिर वहां से छोड़ दिया. बेरोजगारी में दिन काटने लगा. मां जो लाती उसी में वह गुजारा कर लेता.

लक्ष्मी देवी के मकान के पास ही कालीचरण का मकान था. 20 वर्षीय रानी कालीचरण की ही बड़ी बेटी थी. रानी ने हाईस्कूल तक ही पढ़ाई की थी. पासपास रहने के कारण दोनों परिवार एकदूसरे से परिचित थे.

बचपन से रानी और शिवम एकदूसरे को देखते आ रहे थे. किशोरावस्था को पार कर के युवावस्था में प्रवेश कर गए, तब भी उन के मन नहीं मचले. उस दिन पानी के मग ने दोनों के बीच एक बेनाम रिश्ता बना दिया. ऐसा बेनाम रिश्ता जिस में तड़प, बेचैनी, कसक और प्यार था.

उस दिन से शिवम और रानी की आंखें एकदूजे के दीदार की प्यासी रहने लगीं. शिवम फुरसत में होता तो वह अपने घर के चबूतरे पर बैठा होता. मन रानी के बारे में सोच रहा होता और प्यासी आंखें उस के द्वार पर टकटकी लगाए होतीं.

शिवम को देखने के लिए किसी बहाने से रानी भी घर के बाहर आ जाती. दोनों की आंखें मिलतीं तो दोनों के लब खिल जाते. इस के साथ ही धड़कनों की गति बढ़ जाती.

रानी और शिवम में बातचीत होनी सामान्य बात थी. पूरे मोहल्ले के सामने बात भी करते तो उन के रिश्ते पर कोई शक नहीं करता. कहते हैं कि न, जब प्यार होता है तो मन में चोर भी पैदा हो जाता है. रानी और शिवम के मन में भी चोर पैर जमाए बैठा था. सो एकांत में सामना होते ही मानो उन की हिम्मत जवाब देने लगती.

शिवम को भी डर लगता कि प्रेम निवेदन सुन कर रानी भड़क गई तो सिर पर इतने जूते पड़ेंगे कि वह गंजा हो जाएगा.

कुछ दिन यूं ही आंखमिचौली चलती रही, फिर एक दिन मौका मिला तो शिवम ने हिम्मत कर के मन की बात कह दी, ‘‘रानी, मुझे तुम से प्यार हो गया है, अब तुम भी अपने प्यार को जता कर मेरे दिल की रानी बन जाओ.’’

शर्म से रानी के गाल गुलाबी हो गए. उस ने सिर झुका लिया और पैर के अंगूठे से जमीन खुरचने की नाकाम कोशिश करने लगी.

रानी के अंदाज से वह समझ गया कि डरने की कोई बात नहीं. रानी भी उस से प्यार करती है.

प्रेम तभी आनंद देता है जब उस का प्रदर्शन किया जाए. शिवम भी रानी के मुंह से उस के दिल का हाल सुनना चाहता था. इसलिए उसे बोलने के लिए उकसाया, ‘‘कहो न, तुम भी मुझ से प्यार करती हो?’’

रानी ने सिर उठा कर शिवम की आंखों में देखा, उस के बाद पुन: नजरें नीची कर लीं. मुसकराई, इकरार में सिर हिलाया और तेजी से उस के सामने से हट गई. शिवम का दिल बल्लियों उछलने लगा, वह समझ गया कि रानी को भी उस से प्यार है.

मोहब्बत का इजहार और इकरार होते ही रानी व शिवम की प्रेम कहानी शुरू हो गई. कभी शिवम का सूना घर, कभी पार्क तो कभी सुनसान स्थान रानी और शिवम की मोहब्बत के खामोश गवाह बनने लगे.

शिवम की मां मंदिर चली जाती तो घर में शिवम ही अकेला रह जाता था. ऐसे में रानी मिलने के लिए शिवम के घर आ जाती थी. वहां उस से घंटों बतियाती, प्यार भरी बातें करती.

एक रोज रानी सजसंवर कर शिवम के घर पहुंची. उस ने नया सूट पहन रखा था. शिवम के कमरे में दाखिल हुई तो उसे शिवम नहीं दिखा, वह बाथरूम में था. रानी ने आवाज लगाई, ‘‘शिवम!’’

‘‘कौन?’’ शिवम ने बाथरूम के अंदर से ही पूछा.

‘‘अच्छा तो जनाब मेरी आवाज भी नहीं पहचानते. आ कर बताऊं कौन हूं मैं?’’ रानी का लहजा शरारत भरा था.

‘‘बिलकुल आ जाओ, मैं कौन सा डरता हूं.’’ वह बोला.

रानी को लगा कि इस समय अन्य कोई वहां आ गया तो बदनामी होगी उस की. वह वापस मुड़ी और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया. दरवाजा बंद करने के बाद उस ने बाथरूम के दरवाजे पर दस्तक दी तो शिवम ने उसे अंदर खींच लिया. शिवम मात्र अंडरवियर पहने हुए था. उस का पूरा शरीर पानी से भीगा हुआ था.

शिवम की आंखों में शरारत नाच रही थी. उस ने रानी को करीब खींचा तो वह चिहुंक उठी, ‘‘छोड़ो मेरा सूट गीला हो जाएगा, आज ही पहना है इसे. मैं तो तुम्हें अपना सूट दिखाने आई थी कि तारीफ  क रोगे तुम मेरी.’’

‘‘तारीफ  तो मैं तुम्हारी हमेशा करता हूं, आज फिर से कह रहा हूं कि तुम से हसीन इस जहां में कोई नहीं है.’’ कहते हुए शिवम ने उस के होंठों को चूम लिया.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

Best Of Manohar Kahaniya: माशूका की खातिर- भाग 1

3 अक्तूबर, 2017 को भैरवनाथ के छोटे बेटे अभय का जन्मदिन था. उस ने इस अवसर पर घर पर एक पार्टी का आयोजन किया था. उस पार्टी में भैरवनाथ ने बोकारो से अपने पिता राजेंद्र प्रसाद और मां गायत्री देवी को भी धनबाद में अपने कमरे पर बुला लिया था. पार्टी में भैरवनाथ ने कालोनी में रहने वाले अपने कुछ जानने वालों को भी बुलाया था. देर रात तक चली पार्टी में भैरवनाथ के बच्चों ने भी खूब मजे किए. बच्चों के साथ बड़ों ने भी इस मौके पर खूब डांस किया था.

कुल मिला कर पार्टी सब के लिए यादगार रही. पार्टी एंजौय से घर के सभी लोग थक गए थे. उन की टांगों ने जवाब देना शुरू कर दिया था, इसलिए वे अपनेअपने कमरों में सोने के लिए चले गए. थकान की वजह से उन्हें जल्द ही नींद भी आ गई.

अगली सुबह रोजमर्रा की तरह घर में सब से पहले राजेंद्र प्रसाद उठे. देखा घर में सन्नाटा पसरा था. उन्होंने सोचा कि रात काफी देर तक बच्चों ने पार्टी का आनंद लिया था, उस की थकान की वजह से देर तक सो रहे हैं.

यही सोचते हुए वह घर से वह बाहर टहलने के लिए निकल गए. थोड़ी देर बाद जब वह वापस घर लौटे तो घर में वैसा ही सन्नाटा था, जैसा जाने से पहले था. यह देख कर उन का माथा ठनका. ऐसा पहली बार हुआ था कि जब बहू अनुपमा और बच्चे इतनी देर तक सो रहे हैं. वह बच्चों को उठाना चाहते थे.

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राजेंद्र प्रसाद पहले बेटे भैरवनाथ के कमरे तक गए तो उस के कमरे पर बाहर से सिटकनी बंद मिली. यह देख कर वे चौंक गए कि सुबहसुबह बेटा और बहू बच्चों को ले कर कहां चले गए, जबकि बाहर जाते हुए वह उन्हें दिखाई भी नहीं दिए थे. सिटकनी खोल कर जैसे ही उन्होंने दरवाजे से भीतर झांका तो बुरी तरह चौंके. बैड पर बहू अनुपमा और दोनों बच्चों की रक्तरंजित लाशें पड़ी थीं. वे चीखते हुए उल्टे पांव वहां से भाग खड़े हुए.

चीखने की आवाज सुन कर उन की पत्नी गायत्री देवी की नींद टूट गई. वह तेजी से उस ओर लपकीं, जिस तरफ से आवाज आई थी. उन्होंने देखा कि आंगन के पास उन के पति खड़े थरथर कांप रहे थे. अभी भी गायत्री ये नहीं समझ पा रही थीं कि उन्होंने ऐसा क्या देख लिया जो कांप रहे हैं. उन्होंने पति को झकझोरते हुए पूछा, ‘‘क्या हुआ?’’

‘‘अरे भैरव की मां, गजब हो गया. किसी ने बहू और दोनों बच्चों का कत्ल कर दिया है. बिस्तर पर तीनों की लाशें पड़ी हैं.’’ कह कर राजेंद्र प्रसाद जोरजोर से रोने लगे.

इतना सुनना था कि गायत्री भी रोनेबिलखने लगीं. वह रोती हुई बोलीं, ‘‘अरे भैरव को बुलाओ, देखो कहां है?’’

‘‘घर में वह कहीं दिखाई नहीं दे रहा. पता नहीं सुबहसुबह कहां चला गया.’’ राजेंद्र प्रसाद ने कहा.

भैरवनाथ के घर में सुबहसुबह रोने की आवाज पड़ोसियों ने सुनी तो वे भी परेशान हो गए. इंसानियत के नाते कुछ लोग भैरवनाथ के घर जा पहुंचे. कमरे में 3-3 लाशें देख कर उन के पैरों तले से जमीन खिसक गई. इस के बाद तो देखतेदेखते वहां मोहल्ले के काफी लोग जमा हो गए.

दिल दहला देने वाली घटना को देख कर लोगों का कलेजा कांप उठा. उसी दौरान किसी ने 100 नंबर पर फोन कर के सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी. धनबाद की न्यू कालोनी जहां यह घटना घटी थी, वह क्षेत्र बरवा अड्डा के अंतर्गत आता है, इसलिए पुलिस कंट्रोल रूम से सूचना थाना बरवा अड्डा को प्रसारित कर दी गई.

तिहरे हत्याकांड की सूचना मिलते ही बरवा अड्डा के थानाप्रभारी मनोज कुमार एसआई दिनेश कुमार और अन्य पुलिस वालों के साथ न्यू कालोनी पहुंच गए. यह जानकारी उन्होंने एसपी पीयूष कुमार पांडेय और डीएसपी मुकेश कुमार महतो को भी दे दी. सूचना दे कर उन्होंने डौग स्क्वायड और फोरैंसिक टीम को भी मौके पर बुला लिया.

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पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल की जांच शुरू कर दी थी. छानबीन के दौरान सब से पहले थानाप्रभारी मनोज कुमार ने राजेंद्र प्रसाद और उन की पत्नी गायत्री देवी से पूछताछ की. उन से पता चला कि भैरवनाथ सुबह से ही गायब है. वह कहीं दिखाई नहीं दिया. यह सुन कर थानाप्रभारी का माथा ठनका.

लाश के पास धमकी भरा पत्र भी मिला

छानबीन के दौरान घटनास्थल से आधार कार्ड की फोटोकौपी पर लाल स्याही से लिखा धमकी भरा 3 पन्नों का खत मिला. खत सिरहाने दूध की बोतल के नीचे दबा कर रखा गया था. लिखने वाले ने अपना नाम नहीं लिखा था. इस में अज्ञात ने राजेंद्र प्रसाद को धमकी दी थी, ‘‘गवाही देने के चलते तुम्हारे बेटे भैरवनाथ का अपहरण कर के ले जा रहे हैं. उस की भी लाश मिल जाएगी. तुम्हारे बेटे ने एक लाख दिया है. 2 लाख रुपए दे कर इसे ले जाना. पुलिस को इस की सूचना नहीं देना वरना अंजाम और भयानक हो सकता है.’’

पत्र पढ़ कर पुलिस को किसी साजिश की आशंका होने लगी.

पुलिस को शक था कि भैरवनाथ ने ही हत्या की वारदात को अंजाम देने के बाद जांच को गुमराह करने के लिए यह पत्र लिखा है. पुलिस कई बिंदुओं पर छानबीन करने लगी.

राजेंद्र प्रसाद से पुलिस ने भैरवनाथ का मोबाइल नंबर लिया. पुलिस ने जब उस नंबर पर काल की तो उस का मोबाइल फोन स्विच्ड औफ आ रहा था. पुलिस ने मौके से बरामद पत्र को अपने कब्जे में ले लिया ताकि उसे जांच के लिए भेजा जा सके.

लाशों का मुआयना करने पर पता चला कि तीनों की हत्याएं अलगअलग तरीके से की गई थीं. अनुपमा का किसी चीज से गला घोंटा गया था, जबकि दोनों बच्चों की हत्या गला रेत कर की गई थी. दूसरे कमरे में अनुपमा के कपड़े फर्श पर बिखरे पड़े मिले थे. अलमारी भी खुली हुई थी. लग रहा था जैसे उस में कुछ ढूंढा गया हो.

सीआईएसएफ की डौग स्क्वायड टीम ने घटनास्थल की जांच की. खोजी कुत्ता शव को सूंघने के बाद घर की सीढ़ी से छत के ऊपर गया और फिर नीचे उतर कर घर से करीब ढाई सौ मीटर दूर एक जुए के अड्डे तक पहुंचा. वहां शराब की बोतल और ग्लास मिले. टीम को शक हुआ कि हत्या के बाद हत्यारों ने यहां आ कर शराब पी होगी.

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सूचना पा कर अनुपमा के पिता राजेंद्र राय परिवार के अन्य लोगों के साथ हजारीबाग के गैडाबरकट्ठा से मौके पर पहुंच गए. उन्होंने आरोप लगाया कि बेटी और उस के बच्चों को भैरवनाथ, उस के पिता राजेंद्र प्रसाद और मां गायत्री ने मिल कर मारा है.

उन से बातचीत करने के बाद पुलिस ने जरूरी काररवाई पूरी कर के जब लाशों को पोस्टमार्टम के लिए भेजने की तैयारी की, तभी अनुपमा के घर वालों ने पुलिस का विरोध करते हुए मांग की कि पहले आरोपियों को गिरफ्तार किया जाए. घटना की सूचना पर विधायक फूलचंद मंडल, जिला पंचायत सदस्य दुर्योधन प्रसाद चौधरी, कांग्रेस नेता उमाचरण महतो आदि ने मौके पर पहुंच कर पीडि़त परिवार के लोगों को ढांढस बंधाया और एसपी पीयूष कुमार पांडेय से हत्या में शामिल लोगों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने की मांग की.

एसपी ने आश्वासन दिया कि जल्द ही केस का खुलासा कर हत्यारों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा. उन के आश्वासन के बाद ही घर वालों ने शव उठाने दिए.

अगले भाग में पढ़ें- अफेयर बना कलह की वजह

Best Of Manohar Kahaniya: माशूका की खातिर- भाग 3

सौजन्य-मनोहर कहानियां

राजेंद्र काफी समझदार और सुलझे हुए इंसान थे. इस बात को वह अच्छी तरह से समझ रहे थे कि दामाद ने जो किया है, वह उचित नहीं है. लेकिन गलतियां इंसान से ही होती हैं.

उस से भी एक भूल हुई है. निश्चय ही उस की यह पहली गलती है, अपनी भूल को सुधारने के लिए उसे एक मौका देना चाहिए. उन्होंने बेटी को समझाया. जमाने भर की उसे नसीहत दी, तब जा कर वह पति के पास लौट जाने को तैयार हुई.

माफी मांगने के बाद भी मिलता रहा प्रेमिका से

उस के बाद राजेंद्र ने इस संबंध में दामाद से बात की. उसे समझाया कि उस ने जो किया है, वह गलत है. फिर कहा, ‘‘तुम्हारा भरपूरा परिवार है. पत्नी और 2 बच्चे हैं. उन मासूम बच्चों का तनिक भी खयाल नहीं आया.’’

ससुर की बात सुन कर भैरव काफी शर्मिंदा हुआ. उस ने ससुर से वादा किया कि उस से दोबारा ऐसी गलती नहीं होगी. यह जून, 2017 की बात है.

एक महीने अनुपमा मायके में रही. पिता के समझाने के बाद वह बच्चों को ले कर पति के पास धनबाद लौट आई. भैरवनाथ ने पत्नी को भरोसा दिया कि दोबारा ऐसा नहीं होगा. लेकिन कुछ दिनों बाद भैरव फिर पुरानी हरकतें करने लगा. लेकिन इस बार सजग हो कर और पत्नी से छिप कर प्रेमिका रूपा से बातें करता था. फिर भी अनुपमा को पति पर शक हो गया कि वह अभी भी रूपा से बातें करता है.

इस बार अनुपमा ने हजारीबाग के रेवाली के रहने वाले अपने ममेरे भाई विवेक राय से बात की. वह भी धनबाद में ही रहता था. विवेक ने किसी तरह उस के फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. उस से पता चला कि भैरव किसी एक नंबर पर ज्यादा बातें करता है. उस नंबर पर विवेक ने काल की तो उसे एक महिला ने रिसीव किया. यह बात विवेक ने अनुपमा को बता दी. अब अनुपमा का शक यकीन में बदल गया कि भैरव के अभी भी रूपा से संबंध बने हुए हैं.

इस के बाद रूपा को ले कर अनुपमा का पति से रोज झगड़ा होने लगा. घर की सारी बातें भैरव रूपा से बता देता था. उसे रूपा दिलोजान से मोहब्बत करती थी. उस से अलग रहने की बात वह सोच भी नहीं सकती थी. ऐसा ही हाल भैरव का भी था. वह रूपा के बिना जीने की कल्पना भी नहीं कर सकता था.

एक दिन रूपा भैरव के साथ रहने की जिद पर अड़ गई लेकिन पत्नी अनुपमा इस के लिए कतई तैयार नहीं थी. भैरव भारी दबाव में था. इस कारण वह तनाव में रहने लगा. वह किसी भी हालत में रूपा को नहीं छोड़ना चाहता था.

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अपनी पत्नी और बच्चे उसे रास्ते का कांटा दिखने लगे क्योंकि उन के होते हुए वह रूपा को घर नहीं ला सकता था. अंत में उस ने पत्नी और बच्चों को रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया. इस के लिए उसे बेटे अभय के जन्मदिन का मौका सब से अच्छा लगा.

3 अक्तूबर, 2017 को भैरव के बेटे अभय का जन्मदिन था. उस ने एक पार्टी का आयोजन किया. पार्टी में उस के मांबाप, मकान में रह रहे अन्य किराएदार, कुछ रिश्तेदारों, मोहल्ले वालों के अलावा रूपा भी आई थी. रूपा को जैसे ही अनुपमा ने देखा, उस का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया. तब पार्टी का मजा किरकिरा हो गया. अनुपमा आगबबूला हो गई और रूपा से उलझ गई. दोनों में काफी झगड़ा हुआ.

वह कभी नहीं चाहती थी कि उस की सौतन बनी रूपा उस के पति के गले की हड्डी बन जाए. रूपा समझ गई थी कि अनुपमा उसे देख कर खुश नहीं है. लेकिन उसे इस से कोई फर्क पड़ने वाला नहीं था.

वह अपनी राह के रोड़े को जल्द से जल्द हटा हुआ देखना चाहती थी. रूपा पार्टी के दौरान भैरव को बारबार उकसाती रही कि मौका अच्छा है, हाथ से जाना नहीं चाहिए. बहरहाल, रात साढ़े 9 बजे केक कटा और खुशी का माहौल था. पार्टी के बाद बाहर के आए लोग अपने घरों को चले गए. रात साढ़े 12 बजे बिजली गुल हो गई, जो करीब 2 बजे आई. तब तक घर के लोग जागे हुए थे. बिजली आने के बाद परिवार के सभी लोग अपनेअपने कमरों में सो गए.

आभा और अभय दादी गायत्री देवी के कमरे में सो रहे थे. भैरव ने दादी के पास सो रहे बच्चों को अपने बैडरूम में पत्नी के पास ला कर सुला दिया. क्योंकि उसे अपनी योजना को अंजाम जो देना था. उधर रूपा के आने से नाखुश अनुपमा पहले ही कमरे में आ कर सो गई थी. बिजली आने के बाद रूपा अपने दूसरे रिश्तेदार के यहां चली गई ताकि उस पर कोई संदेह न करे.

ऐसे दिया वारदात को अंजाम

योजना के अनुसार, तड़के 3 बजे के करीब भैरवनाथ दबेपांव बिस्तर से नीचे उतरा. कमरे से निकल कर बाहर आया. दूसरे कमरे में सो रहे मांबाप के दरवाजे पर उस ने सिटकनी चढ़ा दी. फिर लौट कर वह अपने कमरे में आया, जहां पत्नी और बच्चे गहरी नींद में सो रहे थे. उस ने जूते के फीते से पत्नी का गला उस वक्त तक दबाए रखा, जब तक उस की मौत नहीं हो गई. फिर बाजार से खरीद कर लाए चाकू से पहले बेटी आभा फिर अभय का गला रेत कर मौत के घाट उतार दिया.

उस नराधम का ऐसा करते हुए एक बार भी हाथ नहीं कांपा. फिर साक्ष्य छिपाने और खुद को बचाने के लिए अपने हाथों से लिखे 3 पन्नों के लेटर को बैड के पास ऐसे मोड़ कर रखा ताकि किसी की भी नजर उस पर आसानी से पड़ जाए.

घटना को अंजाम देने के बाद भैरवनाथ भोर में 4 बजे के करीब भाग कर धनबाद रेलवे स्टेशन पहुंचा. वहां से होते हुए रांची चला गया. वहां से पटना होते हुए मुंबई चला गया. मुंबई में ठिकाना नहीं मिलने पर फ्लाइट से फिर पटना लौटा और पटना से रांची होते हुए 14 अक्तूबर को बोकारो के जैनामोड़ पहुंचा.

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उस के पास के सारे पैसे खत्म हो चुके थे, इसलिए वहां के एक दुकानदार के पास अपना मोबाइल गिरवी रख दिया. उस ने खुदकुशी के इरादे से जैनामोड़ में ही सल्फास की 4 गोलियां खा लीं और अपने घर पहुंचा. घर पहुंचते ही तबीयत बिगड़ने पर परिजनों ने उसे बीजीएच हौस्पिटल में भरती करा दिया, जहां से धनबाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उस से सल्फास की गोलियों के बारे मे पूछताछ की तो उस ने मोबाइल गिरवी रख कर सल्फास खरीदे जाने की बात बताई. पुलिस उसे ले कर उस दुकान पर पहुची, जहां उस ने अपना फोन गिरवी रखा था. भैरवनाथ की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त जूते का फीता और मोबाइल फोन भी बरामद कर लिया.

इस के बाद पुलिस ने हत्या के लिए उकसाने के आरोप में रूपा देवी को उस की ससुराल भाटडीह, मुदहा से 24 अक्तूबर, 2017 को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में उस ने भी अपना जुर्म कबूल कर लिया. दोनों से पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. केस की जांच थानाप्रभारी मनोज कुमार कर रहे हैं.

– कथा पुलिस सूत्रों और सोशल मीडिया पर आधारित

Best Of Manohar Kahaniya: माशूका की खातिर- भाग 2

तीनों लाशों का पोस्टमार्टम कराने के बाद लाशें उन के घर वालों को सौंप दी गईं. अगले दिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई थी. रिपोर्ट में बताया कि किसी पतले तार से अनुपमा का गला घोंटा गया था.

जबकि दोनों बच्चों अभय कुमार व आभा कुमारी का गला किसी धारदार हथियार से काटा गया था, जिस से उन की श्वांस नली कट गई थी. आगे की जांच के लिए तीनों का विसरा भी सुरक्षित रख लिया गया था.

राजेंद्र प्रसाद की तहरीर पर थानाप्रभारी मनोज कुमार ने फरार उन्हीं के बेटे भैरवनाथ शर्मा के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर के उस की तलाश शुरू कर दी. उसे तलाश करने के लिए पुलिस की 2 टीमें गठित की गईं.

पुलिस ने अनुपमा के परिजनों से पूछताछ की तो उस के पिता राजेंद्र राय ने चौंका देने वाली बात बताई, ‘‘दामाद भैरवनाथ से बेटी के संबंध कुछ अच्छे नहीं थे. बेटी के साथ वह अकसर मारपीट करता था.’’

अफेयर बना कलह की वजह

‘‘मारपीट करता था, क्यों?’’ इंसपेक्टर मनोज कुमार ने चौंकते हुए पूछा, ‘‘मारपीट करने के पीछे कोई खास वजह थी क्या?’’

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‘‘जी सर, एक युवती से दामाद का अफेयर थे. अनुपमा पति की करतूत को जान चुकी थी. वह ऐसा करने से मना करती थी. इसी बात से चिढ़ कर वह उसे मारतापीटता था.’’

‘‘वह युवती कौन है? उस का नामपता वगैरह कुछ है?’’ मनोज कुमार ने पूछा.

‘‘हां है, सब कुछ है. युवती का नाम रूपा देवी है और उस का मोबाइल नंबर ये है..’’ कहते हुए राजेंद्र राय ने पौकेट डायरी निकाल कर उस में से रूपा का नंबर उन्हें बता दिया. थानाप्रभारी ने उसी समय अपने फोन से वह नंबर डायल किया तो वह नंबर बंद मिला.

पुलिस टीम ने भैरवनाथ को पकड़ने के लिए उस के खासखास ठिकानों पर दबिश दी. मुखबिरों को भी लगा दिया. पर उस के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली. घटना हुए 9 दिन बीत गए, लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला. पुलिस मायूस नहीं हुई. वह उस की तलाश में जुटी रही.

10वें दिन यानी 14 अक्तूबर 2017 को मुखबिर ने पुलिस को एक खास सूचना दी.  उस ने पुलिस को बताया कि आरोपी भैरवनाथ ने जहर खा कर आत्महत्या करने की कोशिश की है. वह बोकारो के एक प्राइवेट अस्पताल की आईसीयू में भरती है.

पुलिस टीम बिना समय गंवाए बोकारो रवाना हो गई. सब से पहले बोकारो के उस अस्पताल पहुंची, जहां भैरवनाथ का इलाज चल रहा था. वह वहीं मिल गया. उस की हालत गंभीर बनी हुई थी, इसलिए डाक्टरों की सलाह मानते हुए पुलिस ने उसे उसी अस्पताल में भरती रहने दिया और खुद उस की निगरानी में लगी रही.

3 दिन बाद जब भैरव की हालत सामान्य हुई तो पुलिस उसे गिरफ्तार कर धनबाद ले आई. पूछताछ में उस ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. उस ने पुलिस को पत्नी और बच्चों की हत्या की जो कहानी बताई, इस प्रकार निकली –

34 वर्षीय अनुपमा मूलरूप से झारखंड के हजारीबाग के गैडाबरकट्ठा की रहने वाली थी. उस के पिता राजेंद्र राय ने सन 2013 में बड़ी धूमधाम से उस की शादी बोकारो के पुडरू गांव के रहने वाले भैरवनाथ शर्मा से की थी. भैरव के साथ अनुपमा हंसीखुशी से रह रही थी. बाद में वह एक बेटी और एक बेटे की मां भी बनी.

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जीविका चलाने के लिए भैरवनाथ पत्नी और बच्चों को ले कर बोकारो से धनबाद आ गया था और वहां न्यू कालोनी में किराए के 2 कमरे ले कर रहने लगा. उस ने एक कारखाने में नौकरी कर ली.

जब दो पैसे की बचत होने लगी तो उस ने मातापिता को अपने पास बुला लिया. मातापिता कुछ दिनों उस के पास और कुछ दिनों गांव में रहने लगे. बड़ी हंसीखुशी के साथ परिवार के दिन कटने लगे. यह बात सन 2015 के करीब की है.

साल भर बाद भैरवनाथ और अनुपमा की जिंदगी में एक ऐसा तूफान आया, जिस ने दोनों की जिंदगी तिनके के समान बिखेर कर रख दी. घर की खुशियों में आग लगाने वाली उस तूफान का नाम था रूपा देवी.

दरअसल रूपा देवी भैरवनाथ की चचेरी भाभी थी. उस का परिवार बोकारो के भाटडीह मुदहा में रहता है. 2 साल पहले उस के पति की लीवर कैंसर से मौत हो गई थी. उस दौरान भैरव ने चचेरे भाई की तीमारदारी में तनमन और धन सब कुछ न्यौछावर कर दिया था. भाई को बचाने के लिए उस ने दिनरात एक कर दिया था.

भाई की मौत के बाद भैरव भाभी रूपा देवी का दुख देख कर टूट गया. उसे उस समय बड़ा दुख होता था, जब वह जवान भाभी के तन पर सफेद साड़ी देखता था. सफेद साड़ी के बीच लिपटी रूपा का मन उसे रंगीन दिखता था. दरअसल, पति की तीमारदारी के दौरान रूपा का झुकाव भैरव की ओर हो गया था. रंगीनमिजाज भैरव ने भाभी के निमंत्रण को कबूल कर लिया था.

एक दिन दोनों ने मौका देख कर एकदूसरे से अपने प्यार का इजहार कर दिया. उन का प्यार परवान चढ़ने लगा. ड्यूटी से लौट कर आने के बाद भैरव सारा काम छोड़ मोबाइल ले कर घंटों तक रूपा से प्यारभरी बातें करने बैठ जाता था. पत्नी जब पूछती कि किस से बातें कर रहे हो तो वह इधरउधर की बातें कह कर टाल देता था. उस के दबाव बनाने पर वह उस पर चिल्ला पड़ता था.

जब पत्नी के सामने खुली भैरव की पोल

बात 1-2 बार की होती तो समझ में आती, लेकिन मोबाइल पर लंबीलंबी बातें करना तो भैरव की दिनचर्या में ही शामिल हो गई थी. ड्यूटी से घर आने के बाद बच्चों का हालचाल लेना तो दूर की बात, उन की ओर देखता भी नहीं था और घंटों मोबाइल से चिपका रहता था.

पति की इस हरकत ने अनुपमा को उस पर संदेह करने के लिए विवश कर दिया था. लेकिन वह इस बात से पूरी तरह अनभिज्ञ थी कि उस का पति उस के पीठ पीछे क्या गुल खिला रहा है. ये बातें ज्यादा दिनों तक कहां छिपती हैं. जल्द ही भैरव की सच्चाई खुल कर अनुपमा के सामने आ गई.

इस के बाद अनुपमा ने घर में विद्रोह कर दिया. कलई खुलते ही भैरवनाथ के सिर से इश्क का भूत उतर गया. अपनी इज्जत की दुहाई देते हुए पत्नी के सामने हाथ जोड़ गिड़गिड़ाने लगा कि अब ऐसा नहीं करेगा, गलती हो गई. पति के लाख सफाई देने के बावजूद अनुपमा ने पति की बातों पर यकीन नहीं किया. बच्चों को ले कर वह मायके चली गई. उस ने मांबाप से पति की करतूत बता दी.

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उस वक्त अनुपमा के पिता राजेंद्र राय ने भैरवनाथ से तो कुछ नहीं कहा, वह बेटी को ही समझाते रहे कि अगर पति को ऐसे ही छोड़ दोगी तो मामला बनने की बजाय और बिगड़ जाएगा. अपना गुस्सा थूक दो और पति के पास लौट जाओ पर अनुपमा ने पति के पास लौटने से साफ इनकार कर दिया.

अगले भाग में पढ़ें- ऐसे दिया वारदात को अंजाम

टैस्टेड ओके: क्या कैरेक्टर टेस्ट में पास हुए विशाल और संजय

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टैस्टेड ओके- भाग 1: क्या कैरेक्टर टेस्ट में पास हुए विशाल और संजय

सिमरन और रंजना पूरे 3 साल बाद मिल रही थीं. बीयू से एमबीए फाइनैंस करने के बाद गुरुग्राम में अपना कैरियर सैटल करने में वे दोनों इतना बिजी रहीं कि मिलने की फुरसत ही नहीं मिली.

अब जा कर वे सैटल हुई थीं. सिमरन टैक्नोसौल्यूशन कंपनी में मैनेजर थी, जबकि रंजना मल्टी ब्रांड रिटेल चेन की मार्केटिंग मैनेजर थी.

सिमरन के बियर के गिलास को रंजना ने मना किया, तो सिमरन ने हैरानी से उसे घूरते हुए कहा, ‘‘क्या बकवास है यार… एटीट्यूड मत दिखा… गोयल सर की बर्थडे पार्टी में मैं भी थी. पता है कि तू कितनी बड़ी वाली पियक्कड़ है.’’

रंजना ने हंसते हुए गिलास थाम लिया और बोली, ‘‘वैसे भी बियर थोड़ी न शराब होती है… और सुना सिमरन, शादी, पति, बच्चे का क्या सीन चल रहा है?’’

सिमरन हंसते हुए बोली, ‘‘लिवइन रिलेशनशिप में हूं यार अपने असिस्टैंट के साथ. उम्र में 2 साल छोटा है मुझ से, डाटा ऐनालिस्ट है.’’

‘‘उम्र में 2 साल छोटा और असिस्टैंट,’’ रंजना ने यह कहते हुए सिमरन को बिग चियर्स किया.

रंजना आगे बोली, ‘‘वाह क्या बात है. तुम्हारे शौक ही निराले हैं. यूनिवर्सिटी में भी तुम्हारा जूनियर में ही इंटरैस्ट रहता था. बीकौम औनर्स का अनिकेत याद है, जिस के साथ तुम घूमने चली गई थीं और रात देर होने पर मैटर्न ने जम कर तुम्हारी बैंड बजाई थी?’’

सिमरन ने कहा, ‘‘याद है. वे भी क्या दिन थे यार… टैलीविजन बड़ा हो या छोटा, उन का रिमोट सेम साइज का होता है.’’

इस बात पर उन दोनों ने ठहाके मारते हुए एकदूसरे को ताली दी.

सिमरन ने बात को आगे बढ़ाया, ‘‘डिसाइड नहीं कर पा रही कि लिवइन रिलेशनशिप के साथ शादी करनी चाहिए या नहीं?’’

रंजना ने ड्रिंक को बीच में रोकते हुए कहा, ‘‘सेम प्रौब्लम मेरे साथ भी है. मैं एक पेंटर के साथ कोर्ट में शादी की अर्जी दाखिल कर चुकी हूं. हम साथ में रहते हैं, लेकिन अब अपने परिवार से उसे मिलाने से पहले एक बार उस के कमिटमैंट को टैस्ट करना चाहती हूं.’’

सिमरन बोली, ‘‘वाह, क्या बात है. क्यों न हम एकदूसरे के होने वाले पतियों को टैस्ट करें…’’

रंजना ने हैरान हो कर पूछा, ‘‘मतलब…?’’

सिमरन बोली, ‘‘हम एकदूसरे के पतियों पर लाइन मारते हैं. अगर वे फिसल गए तो हम शादी से मना कर देंगे.’’

इस पर रंजना बोली, ‘‘और अगर हमें एकदूसरे के प्रेमियों से सच्चा वाला प्यार हो गया तो…?’’

सिमरन ने कहा, ‘‘बेवकूफी भरी बातें मत करो. हम कारपोरेट हैं, हमारी कोई बात सच्ची नहीं होती. सब बिजनैस है. फायदे का सौदा जहां हो. वैसे भी सच्चा प्यार सिर्फ किस्सेकहानियों में पाया जाता है. हमारे पैसों पर ऐश करने के लिए, हमारे लग्जरी जिस्म के साथ संबंध बनाने के लिए कोई भी हमें धोखा दे सकता है.’’

रंजना बोली, ‘‘बात तो तेरी सही है. गलत आदमी से शादी हो गई, तो जिंदगी बरबाद समझो अपनी.’’

सिमरन ने कहा, ‘‘ओके डन. करते हैं ऐसा. अगर वे फिसल गए तो हमें मजा मिलेगा और नहीं फिसले तो हमें जीजाजी मिलेंगे.’’

इस बात पर वे दोनों एक बार फिर ठहाके मार कर हंस दीं.

दूसरे दिन तय योजना के मुताबिक रंजना सिमरन के औफिस में बहुत ही टाइट जींस और ढीली शर्ट पहन कर आई थी.

रंजना के बड़ेबड़े नाखून पर नेल्स आर्ट को देख कर सिमरन ने आंख मारते हुए कहा, ‘‘वाहवाह, लगता है अब तुम्हें मास्टरबेट करने की जरूरत नहीं पड़ती है.’’

सिमरन और रंजना बीयू के समता होस्टल में रूममेट रही थीं और एकदूसरे के शौक अच्छी तरह से जानती थीं.

सिमरन ने घंटी बजा कर अपने लिवइन पार्टनर विशाल को अंदर बुलाया और आदेश दिया कि आप मैडम के साथ चले जाइए और इन को रिटेल स्टोर के डैटा को फिल्टर करने में मदद कीजिए.

रंजना अपनी केटीएम मोटरसाइकिल से आई थी. पार्किंग में पहुंच कर उस ने विशाल से मोटरसाइकिल चलाने को कहा.

डीपीजी कालेज रोड पर बनी सिमरन की कंपनी से होंडा चौक, फिर सुभाष चौक होते हुए आर्चीव ड्राइव पर रंजना का फ्लैट 12 किलोमीटर दूर था. केटीएम मोटरसाइकिल को बनाया ही इसलिए गया है कि राइड के दौरान भी प्रेमीप्रेमिका एकदूसरे से अच्छी तरह चिपके रहें.

रंजना कुछ ज्यादा ही खुला बरताव कर रही थी. उस ने अपनी जांघों को विशाल की जांघों से सटा रखा था. उस ने विशाल की पीठ से अपने उभारों को तकरीबन आधा दबा रखा था.

विशाल मोटरसाइकिल को 40 से ज्यादा स्पीड में नहीं चला रहा था, फिर भी रंजना ने तेज भगाने और डर लगने का बहाना बना कर अपने दोनों हाथों से क्रौस बना कर विशाल को आगे की ओर से जकड़ लिया था और अपनी हथेलियों से विशाल के चौड़े सीने को सहला रही थी.

ड्राइव के दौरान ही रंजना ने विशाल की जांघों के बीच अपने काम की तकरीबन हर एक चीज के आकारप्रकार का अंदाजा ले लिया. पैर की पिंडलियों से ले कर कंधों तक रंजना विशाल से इस कदर चिपकी हुई थी कि उन के बीच से हवा भी नहीं गुजर सकती थी.

पूरे रास्ते रंजना को बहुत मजा आया. इस तरीके का करंट उस ने संजय के साथ चिपकते हुए आज तक महसूस नहीं किया था.

महिंद्रा ल्यूमिनेयर के पार्किंग की मंद रोशनी में रंजना ने ध्यान से विशाल को देखा. लिफ्ट में विशाल ने शरमा कर आंखें नीची कर ली थीं, लेकिन रंजना उसे ही ताड़ रही थी. रंजना को सिमरन की किस्मत से जलन हो रही थी.

फ्लैट में पहुंचते ही रंजना विशाल को लिविंग रूम में बैठा कर बाथरूम चली गई. वापस आई तो जींस की जगह तौलिया लपेटे थी. विशाल कंप्यूटर टेबल पर रखा संजय और रंजना का फोटो देख रहा था.

विशाल ने पूछा, ‘‘ये आप के पति हैं?’’

रंजना बोली, ‘‘उन की चिंता छोड़ दो, तुम उन से नहीं मुझ से मिलने आए हो,’’ यह कह कर रंजना ने अपनी कमर पर लिपटे तौलिए को उतार कर फोटो को उस से ढक दिया.

रंजना के गोल, गोरे और चिकने कूल्हे और मांसल जांघें दिखाई देने लगीं, शर्ट के बीच से उस की गुलाबी डोटेड पैंटी भी साफ दिखाई दे रही थी.

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