‘Bajigar 2’ में दोबारा दिखेंगे शाहरुख और काजोल, बाजीगर के सीक्‍वेल की तैयारी शुरू

शाहरुख खान (Shahrukh khan) बौलीवुड की जान है और उनकी जोड़ी काजोल (Kajal) के साथ आज भी पर्दे पर या किसी रिएलिटी शो में देखने के लिए फैंस बेताब रहते हैं. उनकी जोड़ी दोनों की पहली फिल्म ‘बाजीगर’ से हिट हुई थी. इसी मूवी ने शाहरुख का पैर बौलीवुड में जमाने में मदद की . जल्‍दी ही फिल्म ‘बाजीगर’ का सीक्‍वेल बनने जा रही है. इसके लीड रोल में शाहरुख खान ही नजर आने वाले हैं, यही बात मूवी की एक्‍ट्रैस काजोल के लिए भी कही जा रही है.

मिली थी जान से मारने की धमकी

आपको बता दें कि इन दिनों शाहरुख खान सुर्खियों में है क्योंकि उनको जान से मारने की धमकियां मिल रही थी. इसी बीच शाहरुख के चाहने वालों के लिए ‘बाजीगर 2’ की खबर आ गई. बता दें कि ‘बाजीगर’ को रिलीज हुए 31 साल हो चुके हैं. फिल्म के प्रोड्यूसर रतन जैन का कहना है कि बाजीगर 2 के स्क्रिप्ट पर काम चल रहा है. यह फिल्म जरूर बनेंगी और शाहरुख ही इस फिल्म में  हीरो का रोल करेंगे.

आपको बता दें, कि शाहरुख खान के करियर के शुरुआती दिनों की ये फिल्म है जिसमें उन्हें नेगेटिव रोल किया था. शाहरुख खान का यह रोल विलेन जैसा था. इन्होंने फिल्म में एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी के किरदार का मर्डर किया था, फिर उसकी बहन काजोल को प्यार में फंसाया था. दरअसल वह ये सब अपनी पिता और बहन की मौत का बदला लेने के लिए करते हैं. कहा जाता है कि यह रोल शाहरुख खान से पहले अक्षय कुमार को औफर किया गया था लेकिन अक्षय ने नेगेटिव रोल को देख कर बाजीगर करने से इनकार कर दिया.

शाहरुख के करियर के शुरुआती दिनों में उनके लुक के बारे में यह कहा जाता था कि वह हीरो की तरह तो बिलकुल नहीं दिखते हैं. इस कारण वह हिंदी मूवीज में हीरो का रोल नहीं निभा पाएंगे. इस वजह से पहले उन्हें  दूरदर्शन पर  फौजी  नाम के सीरियल में एक्टिंग करने का मौका मिला. हिंदी मूवीज में बाजीगर को एक लैंडमार्क मूवी माना जा सकता है कि क्‍योंकि इसी के बाद हीरो के किरदार को ग्रे शेड में नजर आना शुरू हुआ, ग्रे से यहां मतलब है अच्‍छा और बुरा दोनों का अंश.

अब एक बार फिर से बाजीगर के मेकर्स में नई उम्मीद जागी है इसलिए वे ‘बाजीगर पार्ट 2’ लेकर आ रहे हैं इसमें शाहरुख नए रोल में पुराने एक्टर के तौर पर नजर आएंगे. मेकर्स का कहना है कि वे शाहरुख से इस बारे में बात कर रहे हैं लेकिन उनकी तरफ से अभी तक कोई रिएक्शन नहीं आया है. अभी स्क्रिप्ट की तलाश में है और डायरेक्‍शन भी नया रखना चाहते हैं. इस मूवी के तीनों स्‍टार शिल्‍पा शेट्टी, काजोल और शाहरुख खान आज बौलीवुड में अपनी जबरदस्‍त पहचान बना चुके हैं.

‘कहे तोसे सजना’ गाने के लिए शारदा सिन्‍हा को मिले थे 76 रुपए, सास नहीं चाहती थीं बहू गाए

भोजपुरी गीतों की मशहूर गायिका शारदा सिन्‍हा नहीं रहीं, लेकिन 90 के आखिरी दशक में हिट फिल्म ‘मैं ने प्‍यार किया’ के एक गाने ने उनको हर घर तक पहुंचा दिया था. इसके बोल थे, ‘कहे तोसे सजना ये तोहरी सजनिया…’

 

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भोजपुरी को बौलीवुड में पौपुलर बनाने का श्रेय

‘मैं ने प्‍यार किया’ मूवी ने इंडियन सिनेमा को बहुत कुछ दिया. इस मूवी से सलमान खान की पहचान मजबूत हुई थी. इस के साथ ही राजश्री प्रोडक्‍शन की नई पीढ़ी के रूप में डायरैक्‍टर सूरज बड़जात्‍या एक बड़ा नाम बन कर उभरे थे. इतना ही नहीं, एक साधारण नाम भाग्‍यश्री रातोंरात मशहूर हीरोइन बन गई थीं. इस के अलावा इस सुपरहिट मूवी की जो बात दर्शकों को बहुत पसंद आई थी, वह था इस का मशहूर गाना ‘कहे तोसे सजना ये तोहरी सजनिया, पगपग लिए जाऊं तोहरी बलैया…’

उस दौर में कोई कल्‍पना भी नहीं कर सकता था कि हिंदी मूवी के रोमांटिक गाने में भोजपुरी भाषा का इतनी खूबसूरती से इस्‍तेमाल किया जा सकता है. यही वजह थी कि उस दौर की यंग जनरेशन की जबान पर यह गाना आसानी से चढ़ गया था, जो आज भी कानों में गूंज रहा है.

पहला गाना केवल 76 रुपए में गाया

कहा जाता है कि ‘मैं ने प्‍यार किया’ मूवी में गाने के लिए लोकगायिका शारदा सिन्‍हा को 76 रुपए मिले थे, जबकि इस मूवी से बतौर ऐक्‍टर डैब्‍यू कर रहे सलमान खान को 30,000 रुपए मिले थे. इस मूवी का बजट 1 करोड़ रुपए था, जबकि इस ने 45 करोड़ रुपए की कमाई की थी.

‘मैं ने प्‍यार किया’ में गाए अपने गाने के अलावा शारदा सिन्‍हा के 2 गाने और भी बहुत पौपुलर हुए थे. शारदा सिन्‍हा ने मूवी ‘हम आप के हैं कौन’ में ‘बाबुल जो तुम ने सिखाया, जो तुम से पाया, सजन घर ले चली…’ गाया था. यह गाना दुलहन की विदाई के सीन के साथ रखा गया था. यह गाना इतना पौपुलर हो चुका है कि आज साल 2024 में भी दुलहनों की विदाई के दौरान इसे बजाया जाता है.

डायरैक्‍टर अनुराग कश्‍यप की फेमस मूवी ‘गैंग्स औफ वासेपुर’ में भी शारदा सिन्‍हा ने एक गाना गाया है, जिस के बोल हैं, ‘तार बिजली के जैसे हमारे पिया…’ लेकिन धीरेधीरे कर के शारदा सिन्‍हा ने बौलीवुड से दूरी बना ली. काफी सालों बाद इन्‍होंने हुमा कुरैशी की एक्टिंग से सजी वैब सीरीज ‘महारानी’ में ‘निर्मोहिया’ गाना भी गाया.

संगीत के साथ स्‍टडी भी करती रहीं

शारदा सिन्‍हा का जन्‍म बिहार के सुपौल जिले में साल 1952 में हुआ था. इनके पिता सुखदेव ठाकुर शिक्षा विभाग से जुड़े थे. ऐसा कहा जाता है कि शारदा सिन्‍हा के परिवार में कई दशकों तक बेटी का जन्‍म नहीं हुआ था, इसलिए इन के जन्‍म के बाद इन्‍हें काफी लाड़दुलार मिला. शारदा सिन्‍हा 8 भाईबहनों में एकलौती लड़की थीं. गाने की शौकीन होने की वजह से ही शारदा का दाखिला उन के पिताजी ने भारतीय नृत्‍य कला केंद्र में कराया. संगीत की स्‍टडी करने के साथसाथ उन्‍होंने सामान्‍य शिक्षा भी जारी रखी. उन्‍होंने ग्रेजुएशन और पोस्‍ट ग्रैजुएशन किया.

सास को पसंद नहीं था बहू गाना गाए

मैथिली गीतों से अपनी पहचान बनाने वाली शारदा सिन्हा की शादी 1970 में ब्रज किशोर सिन्‍हा से हुई. इन के 2 बच्‍चे हैं बेटा अंशुमन सिन्‍हा और बेटी वंदना. एक इंटरव्‍यू के दौरान शारदा सिन्‍हा ने कहा था कि उन की सासु मां नहीं चाहती थीं कि वे गाना गाएं. यहां तक कि गांव की ठाकुरबाड़ी में भी उन्‍हें गाने की इजाजत नहीं थी.

बाद में शारदा सिन्‍हा ने पीएचडी किया और बिहार के समस्‍तीपुर कालेज में लेक्‍चरर के रूप में जौइन किया और बाद में वहीं प्रोफैसर भी बनीं.

कैसे हुआ लोकगीत से साक्षात्‍कार

एक इंटरव्‍यू के दौरान शारदा सिन्‍हा ने बताया था कि जब भी उन के पिता का ट्रांसफर होता, तो वे छुट्टियों में गांव चली जाती थीं. इसी दौरान उन्‍होंने गांव में लोकगीत सुने. धीरेधीरे यह रुचि में बदल गई. क्‍लास 6 से उन्‍होंने संगीत सीखना शुरू किया. इन के गुरु पंडित रघु झा पंचगछिया घराने के संगीतज्ञ थे.

लोक‍गायिका शारदा सिन्‍हा को ‘ब‍ि‍हार की स्‍वर कोकिला’ कहा जाता है. 1991 में ‘पद्मश्री’ और 2018 में ‘पद्मभूषण’ से सम्‍मानित लोकगायिका शारदा सिन्‍हा ने दिल्‍ली के आल इंडिया इंस्‍टीट्यूट औफ मैडिकल साइंसेज में आखिरी सांस ली. करीब डेढ़ महीना पहले ही शारदा सिन्‍हा के पति बृज किशोर सिन्‍हा का ब्रेन हैमरेज की वजह से देहांत हो गया था. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार साल 2017 से ही शारदा सिन्‍हा ब्लड कैंसर से जूझ रही थीं. शारदा सिन्‍हा को बिहार में राजकीय सम्‍मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी.

होटल में किया काम तो किसी के साथ हुई छेड़छाड़, ऐसा रहा भोजपुरी एक्ट्रेसेस का करियर

भोजपुरी की एक्ट्रैसेस आज अपने उस मुकाम पर है जहां वह पहुंचना चाहती थी. भोजपुरी की कई ऐसी एक्ट्रेसेस है जो अपनी कड़ी मेहनत और स्ट्रगल के साथ यहां तक पहुंची है और एक पौपुलर एक्ट्रेस बनीं है. लेकिन इनका यहां तक पहुंचने का सफर असान नहीं रहा है कई ऐसी एक्ट्रेसेस है जिन्होंने कास्टिंग काउच का भी सामना किया तो, कई एक्ट्रेस ने एक्टिंग से पहली कई तरह की नौकरियां की. जाने भोजपुरी की इन एक्ट्रेस के स्ट्रगल के बारें में जो आज यहां तक पहुंची है.

 

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मोनालिसा ने 120 रुपए के लिए होटल में किया था काम     

एक्ट्रेस मोनालिसा का शरुआती करियर बहुत मुश्किलों से भरा रहा. एक्ट्रेस की कड़ी मेहनत और टैलेंट के चलते आज वे इस मुकाम पर है. लेकिन एक टाइम ऐसा था जब एक्ट्रेस को 120 रुपय की नौकरी के लिए होटल में खड़े होकर काम किया करती थी.

मोनालिसा ने 15 साल की उम्र से ही काम करना शुरु कर दिया था. साथ ही उन्होंने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी. पढ़ाई के साथ उन्होंने टीवी शोज और म्यूजिक एल्बम में काम करना शुरु किया था. मोनालिसा बंगाली हिंदू परिवार से है. उन्होंने भोजपुरी, हिंदी, बंगाली, उड़िया, तमिल, कन्नड़, और तेलुगु भाषाओं की फिल्मों में काम किया है.

एक बार एक्ट्रेस को सेक्सुअली अब्यूज भी किया गया था, जब वे केवल 11 साल की थी. मोनालिसा कोलकाता में घूमने आई थी. जिस दौरान एक शख्स ने बहाने से उन्हे सेक्सुअली अब्यूज किया था.

सबिया शेख से रानी चटर्जी बनने को मजबूर हुई थी एक्ट्रेस

रानी चटर्जी उन एक्ट्रेसेस में से है जो सबसे ज्यादा कमाई करने वाली एक्ट्रेस है. रानी चटर्जी का असली नाम सबिया शेख है. वे एक मुस्लिम परिवार से थी, उन्होंने अपने करियर की शुरुआत केवल 14 साल की उम्र में की थी. वे बौलीवुड और भोजपुरी सिनेमा में अपने एक्टिंग के लिए मशहूर हैं. लेकिन रानी का नाम सबिया शेख क्यों बदल गया. इसके पीछे उनकी दिलचस्प कहानी है.

रानी चटर्जी को फिल्म ससुरा बड़ा पैसे वाला मिली थी. जिसकी शूटिंग गोरखपुर के मंदिर में होनी थी. जिसे लेकर सबको ये चिंता थी कि मंदिर के पंडित को कोई दिक्कत ने की एक्ट्रेस मुस्लिम है जिस वजह से फिल्म के प्रोड्यूसर ने शबिया का नाम रानी रख दिया. जिसके बाद उन्हे रानी के नाम से ही जाना जाने लगा. Bhojpuri

जब रानी के साथ डायरेक्टर ने की थी छेड़-छाड़

रानी को हिंदी फिल्म के लिए एक बड़े बौलीवुड डायरेक्टर ने बुलाया था तो उनके साथ हरासमेंट हुई थीं.रानी डायरेक्टर से मिलने उनके औफिस गई थी जहां रानी के साथ बहुत बद्तमीजी हुई थी.

अंजना सिंह के लिए उड़ाई गई थी अफवाह कि इन्हें एड्स है

अपनी एक्टिंग से सबका दिल जीतने वाली अंजना आज भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में टौप हीरोइन है. भोजपुरी फिल्मों की खूबसूरत एक्ट्रेस अंजना सिंह ने फिल्मों के साथसाथ कई टेलीविजन सीरियल में भी काम किया है, जिसमें महुआ चैनल पर आने वाला सीरियल “भाग ना बचे कोई” भी शामिल है. लेकिन क्या आप जानते हैं एक्ट्रेस बनने से पहले अंजना सिंह कहां जौब किया करती थीं. भोजपुरी सिनेमा में हौट केक के नाम से पहचाने जाने वाली अंजना सिंह एक्टिंग से पहले प्रोडक्शन मैनेजर के तौर पर काम किया करती थीं.

अंजना सिंह की ये जौब डायरेक्टर ने उनके कौन्फिडेंस को देखते हुए दी थी और इस जौब से मिलने वाली सैलरी अंजना के पिता की सैलरी के बराबर थी. अंजना को किसी भी तरह की कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ा, लेकिन अंजना अपने टैलेंट के दम पर भोजपुरी हीरोइन है. लेकिन करियर की शुरुआत में अंजना को कंट्रोवर्सी का सामना जरुर करना पड़ा.

भोजपुरी इंडस्ट्री की एक दूसरी हीरोइन ने अंजना सिंह को लेकर एक बड़ी साजिश रची थी और ये जलन के चलते किया गया था. अंजना सिंह के शुरुआती दौर में उनको लेकर इंडस्ट्री में झूठी बातें फैलाई जा रही थीं. किसी ने अंजना सिंह से दूर रहो क्योंकि उसे एड्स हो गया है जैसा खबर फैलाई थी.

रकुल प्रीत ने सेक्स एजुकेशन पर कहीं ये बात, निभा चुकी है कंडोम टेस्टर का रोल

समाज में आजकल सेक्स एजुकेशन को लेकर बातें तेज हो रही है ये मुद्दा धीरे-धीरे सभी के बीच लोकप्रिय होता जा रहा है. हाल ही में कई ऐसी फिल्में भी आई जिनमें सेक्स एजुकेशन को लेकर बातें हुई है. जैसे की ओएमजी2, छतरीवाली, डॉक्टर जी, जनहित में जारी, हेलमैट ऐसी कई फिल्में है जिनमें सेक्स एजुकेशन का मुद्दा उठाया गया है अब हाल ही में बॉलीवुड एक्ट्रेस रकुल प्रीत ने इस पर अपनी राय साझा की है.

 

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आपको बता दें, कि हाल ही में रकुल प्रीत से एक इंटरव्यू में पूछा गया कि बीते कुछ समय में आई ओएमजी 2, डॉक्टर जी (Doctor G) और छतरीवाली जैसी फिल्मों में सेक्स एजुकेशन पर जो बातें हुई हैं, उनके बारे में आपकी क्या राय हैॽ इस पर रकुल प्रीत सिंह ने कहा कि मेरा मानना है कि फिल्में बड़ी संख्या में लोगों को सिखा सकती हैं. हमारे समाज में हर कुछ किलोमीटर पर लोगों के सोचने का ढंग बदला हुआ मिलता है. दुनिया को लेकर सबका एक्सपोजर अलग-अलग है. ऐसे में सेक्स एजुकेशन हर किसी के लिए महत्वपूर्ण है. रकुल ने कहा कि मेरा मानना है कि लोगों को अच्छी बातें सिखाने के लिए फिल्में बहुत काम आ सकती हैं. ओएमजी 2 ने यही किया है. अपनी फिल्म का जिक्र करते हुए रकुल प्रीत सिंह ने कहा कि हमने फिल्म छतरीवाली में भी यौन शिक्षा का जिक्र किया था.

 

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बताते चले कि छतरवाली में रकुल प्रीत सिंह ने एक कंडोम कंपनी कंडोम टेस्टर (Condom Tester) की भूमिका निभाई थी. एक्ट्रेस ने वह कारण भी गिनाए हैं, जिनकी वजह से इस मुद्दे पर बात करना बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि देश में बलात्कार बढ़ रहे हैं. हमने चंद्रमा पर कदम रख दिए हैं, लेकिन हम ऐसी सभ्यता में रह रहे जहां बच्चों, किशोरियों, महिलाओं और यहां तक कि बूढ़ी महिलाओं का भी बलात्कार (Rape) होता है. शिक्षा ही लोगों को जागरूक करने का सबसे अच्छा तरीका है. उन्होंने कहा कि लोगों को बताने की जरूरी है कि स्त्री और पुरुष के शरीर अलग-अलग हैं. रकुल प्रीत सिंह ने कहा कि मेरा मानना है कि जितना अधिक हम इस बारे में बातचीत को सामान्य बनाएंगे, लोग सेक्स के मुद्दे पर उतने ही सहज हो पाएंगे.

वेकेशन से लौटे तमन्ना भाटिया और विजय वर्मा, मीडिया के सवालों से आया गुस्सा

इन दिनों एक्ट्रेस तमन्ना भाटिया अपनी वेकेशन फोटो को लेकर चर्चा में बनी हुई है उनके साथ वेकेशन पर विजय वर्मा थे. जिन्होने मालदीव पर छुट्टियां बिताई है. ऐसे में उन्हे एयरपोर्ट पर स्पॉट किया गया. जहां मीडिया ने उन्हे घेर लिया और कई सवाल करने लगे. लेकिन एक फोटोग्राफर के कमेंट पर विजय वर्मा भड़कते नजर आएं. जिन्हे काफी गुस्सा आ गया.

 

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आपको बता दें, कि कपल मालदीव पर वेकेशन पर गए थे. जहां की तस्वीरें सोशल मीडिया पर तमन्ना ने अपलोड़ की है हालांकि विजय ने कही फोटो अपलोड़ नहीं की है ऐसे में लोगों ने उनसे कई सवाल किए है. जब लोगों को एयरपोर्ट पर देखा ते मीडिया ने उनके कई सवाल किए. उसी दौरान एक फोटोग्राफर ने उनसे कह दिया कि विजय भाई मालदीव के समंदर के मजे लेकर आए है. इसी बात पर वियज काफी गुस्सा गए. वही इस पर विजय ने जवाब देते हुए कहा कि आप इस तरह की बात नहीं कर सकते है. और उस दौरान विजय के एक्सप्रेशन भी बदल जाते है. पहले वो स्माइल करते है फिर बिना बात किए वहा से चले जाते है.

तमन्ना ने कैसा किया रिएक्ट

तमन्ना भी एयरपोर्ट पर स्पॉट की गई. उन्होने काफी हॉट आउटफिट कैरी किया हुआ था. जब उनसे ट्रिप के बारे में पूछा गया तो उन्होने कहा ट्रिप बहुत अच्छा रहा है. जब उनसे कहा गया कि आपकी वेकेशन की फोटो काफी अच्छी है तो उन्होने फ्लाइंग किस किया और वो भी कैमरे की तरफ देखकर. फिर उनसे विजय के बारे में पूछा गया तो वह शर्मा कर चली जाती है.

 

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तमन्ना के वर्क व्रंट की बात करें, तो वो डिज्नी के हॉटस्टार की मर्डर मिस्ट्री में नजर आई थी. यह दिल्ली के बुरारी मर्डर केस पर अधारित वेब सीरिज थीं. वही, विजय लास्ट शो कालकूट में नजर आए थे. अब वह नेटफिल्क्स की थ्रिलर फिल्म जाने जान में नजर आएंगे. जिसमें करीना कपूर और जयदीप अहलावत अहम किरदार में है. फिल्म को सुजॉय घोष ने डायरेक्ट किया है.

बेबी बंप फ्लॉन्ट करती दिखीं स्वरा भास्कर, पति संग दिए रोमांटिक पोज

बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर इन दिनों अपने फोटोशूट को लेकर सुर्खियों में छाई हुई है, उनका वायरल हुआ फोटोशूट कोई सिंपल नहीं है बल्कि बेबी बंप फ्लॉन्ट करती दिख रही है. जी हां, स्वरा भास्कर जल्द ही मां बनने वाली है. इसका उन्होने फोटोशूट कराया है जिसमें वो पति फहाद अहदम के साथ रोमांटिक पोज देती हुई नजर आ रही है.

 

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आपको बता दें, कि स्वरा भास्कर और पति फहाद अहदम ने इसी साल फरवरी में शादी रचाई थी.पहले कपल ने कोर्ट मैरिज की थी फिर उसके बाद दोनों ने मुस्लिम रिती-रिवाजों के साथ निकाह किया. जिसके कुछ ही दिनों बाद स्वरा ने सबको गुड न्यूज दे दी और अब मैटरनिटी फोटोशूट कराया है. जिसमें दोनों साथ-साथ दिखाई दे रहे है, साथ ही बेबी बंप भी शो हो रहा है. बता दें, पेशे से स्वरा के पति एक पॉलिटिशियन है.

 

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इन फोटोज में स्वरा भास्कर व्हाइट कलर की ड्रेस में नजर आ रही है. कपल एक छाते के नीचे खड़े पोज देते दिख रहे है दोनो की ये रोमांटिक फोटो खूब वायरल हो रही है. लोग इन फोटोज पर जमकर प्यार बरसा रहे है दोनों की ये प्यारी सी फोटो सोशल मीडिया की लाइमलाइट में आ गई है. इन तस्वीरों को शेयर करते हुए एक्ट्रेस स्वरा भास्कर ने कैप्शन में लिखा है कि, “कभी-कभी जिंदगी आपको अप्रत्याशित रूप से आशीर्वाद देता है और आपको आत्म-खोज और एकजुटता दोनों की यात्रा पर ले जाता है!” बता दें कि स्वरा भास्कर और फहाद अहमद की पहली मुलाकात साल 2020 में एक रैली के दौरान हुई थी. दोनों में पहले दोस्ती हुई और धीरे- धीरे उनकी ये दोस्ती प्यार में तब्दील हुई.

फिल्म रिव्यू : लोमड़ – औरोशिखा डे व हेमवंत तिवारी का जानदार अभिनय

  • रेटिंग: पांच में से तीन स्टार
  • निर्माता: हेमवंत तिवारी
  • लेखक निर्देशक: हेमवंत तिवारी
  • कलाकार:हेमवंत तिवारी,औरोशिखा डे,परमिल आलोक, नवनीत शर्मा,रोशन सजवान,मेाहित कुलश्रेष्ठ,शिल्पा शभलोक तीर्था मुरबाडकर
  • अवधि: एक घंटा 37 मिनट

 

इन दिनों भारतीय सिनेमा काफी कठिन दौर से गुजर रहा है.फिल्में सिनेमाघरों में सफलता दर्ज नही करा पा रही है.ऐसे ही दौर में  हौलीवुड कलाकार एरिक रॉबर्ट्स और नताशा हेनस्ट्रिज के साथ इंटरनेशनल वेब सीरीज ‘‘मदीनाह’’ में अभिनय कर चुके अभिनेता हेमवंत तिवारी बतौर लेखक व निर्देशक विश्व की पहली ‘‘वन शौट ब्लैक एंड व्हाइट’’ फिल्म ‘‘लोमड़’’ लेकर आए हैं.यानी कि यह फिल्म बिना रूके लगातार शूटिंग करते हुए एक घंटे 37 मिनट में ही फिल्मायी गयी है.इसमें एडीटिंग नही हुई है.रोमांचक क्राइम फिल्म ‘‘लोमड़’’ चार अगस्त को सिनेमाघरों में पहुॅच चुकी है.

 

कहानीः

अभय तिवारी (हेमवंत तिवारी) एक अच्छा युवक है.उसकी अपनी गार्मेंट फैक्टरी है.उसे याद है कि भ्रष्ट,कुख्यात और एक मंत्री  की शह पर किसी की भी हत्याएं करने वाले पुलिसकर्मी (परिमल आलोक) ने ही छह साल पहले उसके पिता की हत्या की थी,जिसके सदमें से उसकी मां पैरलाइज है.अभय की पत्नी नैना, बेटी शताक्षी व बेटा पृथ्वी है.अभय का स्कूल दिनों में रिया  (औरोशिका डे) संग इश्क था.मगर बाद में रिया को मजबूरन अपनी उम्र से दस साल बड़े रोनित से विवाह करना पड़ा.अब दस साल बाद सोशल मीडिया के माध्यम से आकाश व रिया मिले हैं तथा वह दोनों नैना को सरप्राइज देने जा रहे हैं.पर अचानक सुनसान जंगल की सड़क पर उनकी कार खराब हो जाती है.कुछ देर में स्कूटर से उसी सड़क से गुजर रहे राहुल ( मोहित कुलश्रेष्ठ) नामक युवक का एक्सीडेंट हो जाता है.रिया की इच्छा के विपरीत जाकर अभय उस युवक को बचाने की कोशिश करता है.इसके लिए वह रिया के साथ खुद को मुसीबत में डालने के लिए भी तैयार है.इतना ही नही उसी वक्त वहां पहुॅचे भ्रष्ट और कुख्यात पुलिसकर्मी (परिमल आलोक) को भी नुकसान पहुंचाने से इनकार कर देता है.उधर रिया हर स्थिति में खुद को पहले स्थान पर रखती है.रिया, अभय के साथ पकड़े जाने से बचने के लिए किसी मरते हुए आदमी को सड़क के  किनारे छोड़ने या किसी की हत्या करने से नहीं हिचकिचाती. यही बात अभय की पत्नी नैना (तीर्था मुरबादकर) पर भी लागू होती है, जिसका क्षमाप्रार्थी और विनम्र व्यवहार तब गायब हो जाता है,जब वह खुद को दोषी महसूस करती है, भले ही वह गलती हो.वास्तव में राहुल,नैना का प्रेमी है.यानी कि नैना अपने पति अभय को धोखा देते हुए राहुल संग रंगरेलियंा मना रही थी.अभय के अंदर का अजनबी इंसान जागता है.फिर कहानी में कई घटनाक्रम बड़ी तेजी से बदलते हैं.

 

लेखन निर्देशनः

रंगीन फिल्मों के जमाने में फिल्मकार हेमवंत तिवारी श्वेत श्याम फिल्म लेकर आए हैं,पर यह ‘वन शाॅट श्वेत श्याम’ फिल्म है.विश्व में कुछ वन शाॅट फिल्में बनी हैं,पर वह सभी रंगीन बनी हैं.मगर हेमवंत ने श्वेत श्याम बनायी है. अपनी पटकथा के बल पर हेमवंत तिवारी इस बात को रेखांकित करने मंे सफल रहे हें.क हर इंसान के अंदर लोमड़ /लोमड़ी छिपा होता है,जो कि अजनबी जगह पर अनचाहे मोड़ पर बाहर आता है.यॅूं तो यह बेहतरीन रोमांचक कहानी है.मगर पटकथा में कुछ गड़बड़ी है,जिसके चलते कुछ दृश्य असंगत नजर आते हैं.फिल्म में उसी सुनसान जंगल के रास्ते से गुजरती गर्भवती महिला के दृश्य से फिल्म की कहानी में गतिरोध पैदा होता है.इसका कहानी से कोई संबंध नही है.इसे यदि न रखा गया होता तो फिल्म काफी कसी हुई होती.वैसे पूरी फिल्म देखने के बाद यह अहसास नही होता कि इसे पहली बार निर्देशक बने निर्देशक ने निर्देशित किया है और वह भी वन शाॅट फिल्म को.कुछ दृश्यों को बेवजह रबर की तरह खींचा गया है.शायद वन शाॅट फिल्म होने के चलते व ख्ुाद अभिनय भी करने के चलते निर्देशक बीच में कट नही कर सके.और फिल्म की प्रकृति के चलते इसे एडीटिंग टेबल पर ले जाना नहीं था.फिल्मकार ने कहानी को वर्तमान से एक वर्ष बाद मंे ले जाते समय जिस खूबसूरती से इसे चित्रित किया है,उससे उनकी लेखन व निर्देशकीय काबीलियत उभर कर आती है.हर मिनट कहानी में अतीत के खुलने से जो रहस्यमयता व रोमांच बढ़ता है,वह संुदर लेखन का परिचायक है.बीच बीच में दो तीन जगह दृश्य धीमी गति से चलते हैं,जो कि आवश्यक है.इन दृश्यों को ‘48 फ्रेंम प्रति सेकंड’ पर रखा गया है.अन्यथा पूरी फिल्म ‘24 फ्रेम प्रति सेकंड’ पर है.यह तकनीक पहली बार अपनायी गयी है.निर्देशक ने इस बारे में बताया कि यह पहली बार हुआ है,जब किसी फिल्म को नई तकनीक अपनाते हुए ‘24 फ्रेम प्रति सेकंड ’ की बजाय ‘48 फ्रेम प्रति सेकंड’ में फिल्माने के फिल्म के कुछ दृश्यों को छोड़कर पूरी फिल्म को ‘‘24 फ्रेम प्रति सेकंड’ में बदला है.

फिल्मकार हेमवंत तिवारी के साथ ही कैमरामैन सुप्रतिम भोल ने अपनी खास कलात्मक प्रतिभा के प्रदर्शन से फिल्म को रोचक,मनोरंजक व देखने योग्य बनाया है.

 

अभिनयः

एक असहाय व पीड़ित युवक,वफादार पति,दयालु पिता,उसूलो ंपर चलने वाले आकाश,जो रिया के अचानक गुस्से से भ्रमित हो जाता है,के किरदार को हेमवंत तिवारी अपने अभिनय से संवारने में सफल रहे हैं.अपने पति से खुश न होने के बावजूद अपनी शादी को बचाने के लिए फिक्र मंद रिया के किरदार में ‘‘द वाॅरियर क्वीन आफ झांसी’’सहित तीन इंटरनेशनल फिल्मों व कई सीरियलों में अपने अभिनय का परचम लहरा चुकी अभिनेत्री औरोशिखा डे जानदार अभिनय किया है.मंत्री की षह पर खुद को सर्वेसर्वा मानने वाले कुख्यात व भ्रष्ट पुलिस कर्मी के किरदार में परिमल आलोक अपने अभिनय की छाप छोड़ जाते हैं.मोहित कुलश्रेष्ठ, नवनीत शर्मा,रोशन सजवान और शिल्पा शभलोक के हिस्से करने को कुछ आया ही नहीं.अपने पति को धोखा देने वाली अभरय की पत्नी के छोटे किरदार में तीर्था मुरबाडकर अपने अभिनय की छाप छोड़ जाती हैं.

 

शर्लिन चोपड़ा को साड़ी में देख भड़के लोग, उर्फी से तुलना करते हुए कही ये बात

बॉलीवुड इंडस्ट्री की बोल्ड एक्ट्रेस शर्लिन चोपड़ा एक बार फिर अपने बोल्ड अवतार में लोगो के सामने आई है. जिसे लेकर इन दिनों वह सुर्खियों में बनी हुई है. शर्लिन अक्सर ही अपने बोल्ड लुक को लेकर लोगों का निशाना बनती नजर आई है. ऐसा ही हाल में शर्लीन चोपड़ा ने साड़ी में बोल्ड लुक दिखाया है जिसे देख लोग उन्हे ट्रोल कर रहे है.

आपको बता दें, कि मुबंई की सड़को पर शर्लिन चोपड़ा सबके सामने नजर आई है जहां पैपराजी ने उन्हे घेर लिया और जमकर फोटोज खींचे. शर्लीन चोपड़ा ने ग्रीन रंग की साड़ी कैरी की हुई है.जिसे देख लोगों के होश उड़ गए है. अदाकारा की ऐसी तस्वीरें देख लोग उन्हे सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल कर रहे है. उनकी ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है जिसे देख लोगों का खून खोल उठा है कई लोग उनके स्पोर्ट में बोल रहे है तो कई उनको भद्दे कमेंट्स कर रहे है.

 

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अदाकारा शर्लिन चोपड़ा की ये तस्वीरें देखने के बाद कई लोगों ने सोशल मीडिया पर कमेंट कर उन्हें ‘वाहियात’ बताया है. जबकि कुछ लोग उन्हें ‘बेहूदा’ कहते दिखे. बोल्डनेस के मामले में अदाकारा उर्फी जावेद भी किसी से पीछे नहीं हैं. इसी वजह से वो अक्सर ट्रोल होती रहती हैं. मगर एक्ट्रेस की ये तस्वीरें देखने के बाद लोग उनकी तुलना उर्फी जावेद से करने लगे. शर्लिन चोपड़ा की इन तस्वीरों पर लोग कमेंट कर रहे हैं. एक यूजर ने तो कमेंट कर यहां तक लिख दिया कि इससे तो उर्फी जावेद ही अच्छी है. अदाकारा शर्लिन चोपड़ा के हेटर्स यहीं नहीं रुके. कई लोगों ने कमेंट कर उनके ड्रेसिंग स्टाइल और लुक को ‘भद्दा’ तक बता दिया है.

 

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दरअसल, सामने आईं तस्वीरों में अदाकारा साड़ी के पल्लू को साइड में टिकाए हुए थीं. जिसे देखकर लोग उन्हें बुरी तरह से ट्रोल करते दिखे.शर्लीन चोपड़ा की इंस्टाग्राम पर अच्छी खासी फैन फॉलोइंग है उनके इंस्टाग्राम पर 8.8 मिलयन फॉलोअर्स है.

वश फिल्म : ‘‘प्रतिभा को दबाया नहीं जा सकता..’’ – विवेक जेटली

सोनीपत,हरियाणा निवासी और बैंकर पिता के बेटे विवेक जेटली हाई स्कूल की पढ़ाई के बाद ही थिएटर से जुड़ गए थे.पर फिर उन्होने मास कम्यूनीकेषन में मास्टर की डिग्री हासिल की.कुछ माह एक टीवी न्यूज चैनल में एंकरिंग भी की. पर अभिनय जगत में कुछ कारनामा करने के मकसद से उन्होेने टीवी न्यूज चैनल को अलविदा कह माॅडलिग से जुड़ गए.इंटरनेषनल माॅडल बनने के बाद कई म्यूजिक वीडियो किए.अब 21 जुलाई को प्रदर्षित फिल्म ‘‘वष’’ में वह हीरो बनकर आए हैं.

प्रस्तुत है विवेक जेटली से हुई बातचीत के अंष..मास कम्यूनीकेषन में मास्टर की डिग्री हासिल करने के बाद अभिनय की तरफ मुड़ने की कोई खास वजह?

– मैं सोनीपत,हरियाणा का रहने वाला हॅॅंू.पर मेरे पिता जी पंजाब नेषनल बैंक में थे.हर तीन वर्ष बाद उनका तबादला होता रहता था तो हम सोनीपत से करनाल, चंडीगढ़ व दिल्ली सहित उत्तर भारत के कई षहरों में रहे.घर वालों की मर्जी के लिए मैने मास कम्यूनीकेषन में मास्टर की डिग्री हासिल की.जबकि जब मैं ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ रहा था,तब अचानक मेरी मुलाकात अभिनेता अनुज षर्मा से हुई थी.जिनसे प्रेरित होकर मैं थिएटर से भी जुड़ गया था.

तो मेरी पढ़ाई और थिएटर साथ साथ चल रहा था.अब अनुज षर्मा मेरे बड़े भाई की तरह हैं.अनुज षर्मा ने ही मेरे अभिनय की षुरूआत करवायी.उन्होने ही सिखाया कि अभिनय क्या है.अनुज जी खुद ही बहुत बड़े कलाकार हैं.उन्होने कई जटिल किरदार निभाए हैं.मैने उनके साथ तकरीबन पचास से अधिक स्ट्ीट प्ले किए.मास कम्यूनीकेषन की पढ़ाई पूरी करने के बाद मैने जीन्यूज में तीन माह का इंटर्न षिप की.पर वहां मन नही लगा.तब मैं अभिनय की तरफ मुड़ गया.

मुझे अहसास हुआ कि ईष्वर ने मेरे अंदर अभिनय की चीजें दी हैं,पर मुझे उन्हंे पाॅलिष करने की जरुरत है.इस बीच मैंने टीवी चैनल पर एंकर के रूप में काम करना षुरू किया.‘होमषापिंग’ चैनल पर एंकरिंग की.फिर वायस ओवर करने लगा.उसके बाद पिं्रंट माॅडलिंग की.कुछ एड फिल्में की.उसके बाद मुझे लगा कि अब मुंबई जाकर फिल्मी दुनिया’ के समुद्र में गोतेलगाना चाहिए.इसलिए मंुबई आ गया.पर मैने तय कर रखा था कि मुझे टीवी नही करना है.मैने माॅडलिंग में काफी नाम कमाया.

मुंबई पहुॅचने के बाद संघर्ष करना पड़ा या आसानी से काम मिलने लगा?

-अनुज भइया पहले से बाॅलीवुड में सक्रिय हैं,तो मुझे उनके माध्यम से यह बात संभल में आयी कि इस इंडस्ट्ी की कार्यषैली क्या है? यहां काम कैसे होता है? एक कलाकार को काम कहां से मिलेगा? जबकि तमाम लोगों को तो राह पता ही नही होती है.अब तो हाईटेक जमाना है.मैने अनुज भइया से समझकर प्रोडक्षन हाउस के चक्कर लगाए.मैने आॅडीषन दिए.इस तरह अनुज भइया से काफी मदद मिली.मुझे पता था कि इस इंडस्ट्ी में मेरे बाप दादा नही है,तो मुझे सब कुछ अपनी प्रतिभा के बल पर ही पाना है.इसलिए मैने अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए काफी मेंहनत की.

जब आप सुनने की क्षमता रखते हैं तो आप सीखने की भी क्षमता रखते हैं.जो इंसान सीखना चाहता है,उस तो पगडंडी मिलना तय है.उसका बेहतर कलाकार वह बनना तय है.तो मेरा प्रयास खुद को बेहतरीन कलाकार बनाने का ही रहता है. मैने सीखा कि यहां पर पैषन/धैर्य बहुत जरुरी है.मैने संमय रखा और अब ‘वष’ में हीरो बनकर आया हॅूं.

फिल्म ‘‘वष’’ से जुड़ना कैसे हुआ?

-यह फिल्म मेरी तकदीर में लिखी हुई थी.मैं अंतरराष्ट्ीय स्तर का माॅडल हूं.मैने कुछ म्यूजिक वीडियो में भी अभिनय किया है.मैं मालदीव में एक गाने की षूटिंग करके मंुबई वापस आया था और आस्ट्ेलिया जाने की तैयारी कर रहा था.तभी फिल्म के गीतकार अजय गर्ग के कहने पर आॅडीषन देने चला गया.क्योकि मुझे फिल्म में हीरो दिखना था.जब मैं आॅडीषन देने गया तो निर्देषक जगमीत समुद्री ,अजय गर्ग, कैमरामैन मनोज षाॅ से मिला.टभ्म पसंद आयी.मैने महसूस किया कि यह लोग तो ए ग्रेड की बेहतरीन फिल्म बनाने वाले हैं.तो मैं आॅडीषन देकर वापस आ गया.पर सभी को मेरा आॅडीषन इतना पसंद आया कि उन्हेोने मुझे पेरलल लीड की बजाय मेन लीड में लेने की बात सोचकर दूसरे दिन पुनः आॅडीषन के लिए बुलाया.मंैने आॅडीषन दिया और मेरा चयन मेनलीड के तौर पर हो गया.

आपके अनुसार फिल्म ‘‘वष’’ क्या है?

-यॅूं तो आप भी जानते है कि ‘वष’ का षब्दिक अर्थ किसी को अपने वष में कर लेना होता है.इस फिल्म में भी ऐसा ही कुछ है.मैं निजी जीवन में स्प्रिच्युअल इंसान हॅूं.ईष्वर में यकीन करता हॅूं.जब ख्ुादा है,जब रब है,तो स्वाभाविक तौर पर बुरी ताकतंे भी हैं.वष में आज की युवा पीढ़ी अपनी जड़ों से,अपने कल्चर,अपने ट्ेडीषन से दूर जा चुकी है.जबकि फिल्म ‘वष’ सभी को उनकी अपनी जड़ांे व कल्चर से जोड़ती है.जो कहती है कि ऐसा भी होता है.अन्यथा जब तक हम अनुभव नहीं करते,तब तक यकीन नहीं करते.हम अक्सर सुनते हैं कि रात में बाबा आया और डरा दिया.मैं यकीन से नही कहता कि ऐसा कुछ होता हे या नहीं.लेकिन हमारी जड़ें कहती हंै कि अगर भगवान है,तो षैतान भी है.तो फिल्म ‘वष’में भगवान व षैतान दोनों की बात की गयी है.पर इस फिल्म में किसकी जीत होती है,यह तो फिल्म देखने पर ही पता चलेगा.

आपको नही लगता कि ‘वष’ जैसी फिल्में अंधविष्वास को बढ़ावा देती हैं?

-देखिए,विष्वास व अंधविष्वास के बीच एक बहुत बारीक रेखा है.लेकिन यह कहना गलत होगा कि हमारी फिल्म ‘वष’ में अंधविष्वास को बढ़ावा दिया गया है.इस फिल्म में जो कुछ दिखाया गया है,उस पर निर्देषक ने बाकायदा रिसर्च किया है.इस फिल्म में जो कुछ दिखाया गया है,उसे निर्देषक ने स्वयं देखा है और पढ़ा है.फिल्म देखकर आप यह नही कहेंगे कि यह तो कुछ भी दिखा रहे हैं.इस फिल्म में उसे ही दिखाया गया है, जिसे आप हर धर्म की किताब में पढ़ सकते हैं.

अपने किरदार को किस तरह से परिभाषित करेंगें?

-फिल्म ‘वष’ में मेेरे किरदार का नाम रक्षित है.बहुत साधारण व षरीफ लड़का है.लंदन में पढ़ा बढ़ा है और विवाह करने के लिए हिमाचल प्रदेष,भारत आया है.वह अपने प्यार को पाने और परिवार के लिए कुछ भी कर सकता है.मगर षादी से पहले ही उसके साथ कुछ ऐसी चीजें होती हैं,जो कि उसको सोचने पर मजबूर करती हैं.

कहानी में एक पात्र के तौर पर कई सौ वर्ष पेड़ है.उसके बारे में क्या बताना पसंद करेंगें?

-इस बारे में मैं ज्यादा कुछ नही बता सकता.मगर हमारी फिल्म हिमाचल के जिन घने जंगलों में फिल्मायी गयी है,वहां आप षाम को पांच छह बजे के बाद जा नही सकते.वहां पर जंगली जानवर हैं.अजगर हैं.वहीं पर हमने पूरे 12 दिन क्लायमेक्स फिल्माया.आप जिस पेड़ की बात कर रहे हैं,वह हमारी कहानी का अहम हिस्सा है.हमने जंगल में 12 दिन की षूटिंग के दौरान किसी भी पषु को नुकसान नही पहुंचा.

क्या ओटीटी पर जिस तरह की सामग्री आ रही है,उससे समाज को नुकसान है?

-देखिए,ऐसा नही कह सकते.ओटीटी पर काफी अच्छा कंटेंट आ रहा है.मैं मानता हॅूं कि कुछ कंटेंट नही बनना चाहिए.छोटे छोटे बच्चों को भी वह एक्सपोजर मिल रहा है,जो नही मिलना चाहिए.तो यहां पर पैरेंटिंग बहुत मायने रखता है. हर माता पिता को इस बात पर निगाह रखनी चाहिए कि उसके बच्चे क्या देख रहे हैं.हर बच्चे को उसकी उम्र के अनुसार कंटेंट देखने की अनुमति दी जानी चाहिए.मैं मानता हॅंू कि यदि आपके अंदर प्रतिभा है,तो आप अच्छा कंटेंट बनाकर फेषबुक या इंस्टाग्राम पर डालकर फिल्मकार की नजरों में आ सकते हैं.पर ऐसा करते समय यह भी देखना चाहिए कि आप कौन सा कंटेंट बना रहे हो.क्योंकि सोषल मीडिया पर छोटे बच्चे भी देखते हैं.वैसे हर कंटेंट के अपने फायदे व अपने नुकसान है.हर इंसान बड़ा बनना चाहता है.इस प्रोसेस में कुछ चीजें भी आती हैं,जिनसे नुकसान भी होता है.इसी वजह से कुछ लोग आत्महत्या कर लेते हैं.तो कहीं न कहीं क्रिएटर और माता पिता को भी अंकुष रखना चाहिए.

सोषल मीडिया के चलते प्रतिभा को नुकसान हो रहा है.इंस्टाग्राम के फालोवअर्स की संख्या बल पर कलाकार को फिल्मों में काम मिल रहा है?

-षायद ऐसा हो रहा हो.लेकिन हीरा अपनी चमक तो विखेर ही देगा.जिनके फालोवअर्स ज्यादा हैं,उन्हे षायद जल्दी अवसर मिल जाए.पर निर्देषक व दर्षक तो उनकी प्रतिभा ,उनकी काबीलियत का आकलन करेंगे ही.पर देर सबेर जब भी प्रतिभा को अवसर मिलेगा,वह अपना जलवा दिखाकर ही रहेगा.

आपके षौक क्या हैं?

-किताबें पढ़ने का षौक है.मैं स्प्रिच्युअल किताबें ज्यादा पढ़ता हॅूं.मुझे लिखने का षौक है.मैं षायरी भी लिखता हॅूं.मैं तो कहता हॅूं कि मैने इष्क में पीएचडी किया है.मैने इष्क पर बहुत लिखा है.जिंदगी पर काफी लिखा है.यात्राएं करने का षौक है.

जिम्मी शेरगिल: हर किरदार में फिट

साल 1996 में गुलजार की फिल्म ‘माचिस’ से ऐक्टिंग कैरियर की शुरुआत करने वाले जिम्मी शेरगिल को उस के 4 साल बाद आई फिल्म ‘मोहब्बतें’ से थोड़ी कामयाबी मिली थी. फिर उन्होंने ‘हासिल’, ‘ए वैडनैसडे’, ‘तनु वैड्स मनु’, ‘मुक्काबाज’ समेत कई फिल्मों में अपनी बेहतरीन अदाकारी दिखाई.

इसी बीच जिम्मी शेरगिल ने कई पंजाबी फिल्मों में भी काम किया और साल 2011 से 2013 के बीच उन्होंने खुद 4 पंजाबी फिल्में भी बना डालीं, पर अच्छे अनुभव नहीं हुए, तब वे दोबारा हिंदी फिल्मों में बिजी हो गए.

इन दिनों जिम्मी शेरगिल श्रवण तिवारी की फिल्म ‘आजम’ को ले कर सुर्खियों में हैं. पेश हैं, उन से हुई बातचीत के अंश : अब तक के अपने फिल्म कैरियर के उतारचढ़ाव पर आप क्या कहना चाहेंगे?

मैं ने अब तक जो भी फिल्में की हैं, वे लोगों को पसंद आई हैं और आज भी दर्शक उन की चर्चा करते हैं. मैं ने कुछ प्रयोगात्मक फिल्में भी कीं, जिन्हें लोगों ने सिरे से नकार दिया. पर आज जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूं तो खुशी होती है कि मैं ने अपने मन के मुताबिक फैसले लिए थे.

क्या आप को ऐसा नहीं लगता कि आप ने अपने कैरियर में जितने प्रयोग किए, उतने प्रयोग करने की हिम्मत कोई कलाकार नहीं दिखाता?

सच कहूं, तो मैं इस तरह से चीजों को नहीं देखता हूं. मैं तो सिर्फ अपने काम पर ही गौर करता हूं. मेरी कोशिश कुछ अलग करने की थी. मैं हमेशा अपनेआप को अलग किरदार में देखना चाहता था. फिर उस से कुछ अलग करना चाहता था.

जब ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ फिल्म आई, तो मैं उस में हीरो नहीं था, पर लोगों की समझ में आया कि मैं संजीदा किरदार भी निभा सकता हूं. फिल्म ‘ए वैडनैसडे’ देख कर लोगों को लगा कि जिम्मी तो गुस्सैल किस्म के किरदार भी अच्छे से निभा लेता है. जब ‘तनु वैड्स मनु’ आई, तो लोगों को अहसास हुआ कि जिम्मी तो गंभीर किरदार में भी कौमेडी ले कर आ जाता है.

जब आप का कैरियर ऊंचाइयों पर था, तब आप हिंदी फिल्मों के साथसाथ पंजाबी फिल्मों में भी बिजी थे, तभी आप ने साल 2011 से 2013 के बीच 4 पंजाबी फिल्में बनाई थीं, मगर उस के बाद आप ने पंजाबी फिल्में बनानी क्यों बंद कर दीं?

फिल्म बनाना फुलटाइम जौब है. उस समय अचानक मेरी सेहत से जुड़ी कुछ समस्याएं पैदा हो गई थीं. हिंदी फिल्मों को ले कर मेरे कुछ कमिटमैंट थे, जिन्हें मुझ को जल्द से जल्द पूरा करना था, तो फिल्म बनाने के लिए मुझे पूरा समय देना चाहिए था, जबकि मैं बतौर निर्माता पंजाबी फिल्मों को पूरा समय नहीं दे पा रहा था, जिस के चलते मेरे अनुभव कुछ खास नहीं थे.

क्या आप को नहीं लगता कि सिर्फ पंजाबी सिनेमा ही नहीं, बल्कि पंजाबी गीतसंगीत भी इस कदर लोकप्रिय है कि हिंदी फिल्मों में भी अब पंजाबी गाने नजर आने लगे हैं?

पंजाबी गीतसंगीत तो एक जमाने से लोकप्रिय रहा है. मुझे लगता है कि हिंदी सिनेमा की शुरुआत से पंजाबी गीतसंगीत का इस्तेमाल होता आया है. आप गौर करेंगे तो पता चलेगा कि तकरीबन हर हिंदी फिल्म में एक पंजाबी गाना हुआ करता था. श्रवण तिवारी की फिल्म ‘आजम’ से जुड़ने की कोई खास वजह?

मुझे इस की पटकथा बहुत पसंद आई. कहानी और पटकथा लिखने के तरीके ने ही मुझे इस फिल्म का हिस्सा बनने के लिए मजबूर कर दिया.

आप गुलजार, अनुराग कश्यप, राम गोपाल वर्मा समेत कई दिग्गज डायरैक्टरों के साथ काम कर चुके हैं. अब श्रवण तिवारी के साथ काम करने का कैसा अनुभव रहा?

श्रवण तिवारी बहुत गजब के निर्देशक हैं. वे गजब के लेखक हैं. मेरा अनुभव तो उन के साथ सिर्फ इस फिल्म में काम करने का रहा है, मगर उन्होंने केके मेनन के साथ एक वैब सीरीज ‘मुर्शीद’ बनाई है, जिस के कुछ सीन मैं ने देखे तो पाया कि वे कमाल के डायरैक्टर हैं.

सोशल मीडिया के आने के बाद फिल्म का प्रचार करना कितना आसान हो गया है और इस का असर कितना फायदेमंद है?

सबकुछ इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस चीज का प्रचार कर रहे हैं. पर सोशल मीडिया और इंटरनैट की वजह से कुछ तो आसानी हो गई है. आप एक बटन दबा कर लाखों लोगों तक अपनी चीज भेज देते हैं. मगर यह जरूरी नहीं कि आप की चीज लाखों लोगों को पसंद ही आए.

फिल्म ‘आजम’ के बाद आप नया क्या कर रहे हैं? मैं ने नीरज पांडे के साथ फिल्म ‘औरों में कहां दम था’ पूरी की है, जिस में अजय देवगन और तब्बू भी हैं. इस के अलावा आनंद एल. राय की फिल्म ‘हसीन दिलरुबा 2’ भी पूरी की है.

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