साल 1996 में गुलजार की फिल्म ‘माचिस’ से ऐक्टिंग कैरियर की शुरुआत करने वाले जिम्मी शेरगिल को उस के 4 साल बाद आई फिल्म ‘मोहब्बतें’ से थोड़ी कामयाबी मिली थी. फिर उन्होंने ‘हासिल’, ‘ए वैडनैसडे’, ‘तनु वैड्स मनु’, ‘मुक्काबाज’ समेत कई फिल्मों में अपनी बेहतरीन अदाकारी दिखाई.
इसी बीच जिम्मी शेरगिल ने कई पंजाबी फिल्मों में भी काम किया और साल 2011 से 2013 के बीच उन्होंने खुद 4 पंजाबी फिल्में भी बना डालीं, पर अच्छे अनुभव नहीं हुए, तब वे दोबारा हिंदी फिल्मों में बिजी हो गए.
इन दिनों जिम्मी शेरगिल श्रवण तिवारी की फिल्म ‘आजम’ को ले कर सुर्खियों में हैं. पेश हैं, उन से हुई बातचीत के अंश : अब तक के अपने फिल्म कैरियर के उतारचढ़ाव पर आप क्या कहना चाहेंगे?
मैं ने अब तक जो भी फिल्में की हैं, वे लोगों को पसंद आई हैं और आज भी दर्शक उन की चर्चा करते हैं. मैं ने कुछ प्रयोगात्मक फिल्में भी कीं, जिन्हें लोगों ने सिरे से नकार दिया. पर आज जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूं तो खुशी होती है कि मैं ने अपने मन के मुताबिक फैसले लिए थे.
क्या आप को ऐसा नहीं लगता कि आप ने अपने कैरियर में जितने प्रयोग किए, उतने प्रयोग करने की हिम्मत कोई कलाकार नहीं दिखाता?
सच कहूं, तो मैं इस तरह से चीजों को नहीं देखता हूं. मैं तो सिर्फ अपने काम पर ही गौर करता हूं. मेरी कोशिश कुछ अलग करने की थी. मैं हमेशा अपनेआप को अलग किरदार में देखना चाहता था. फिर उस से कुछ अलग करना चाहता था.