Diwali 2023- 10 टिप्स : त्यौहारों के मौसम में ऐसे रखें खुद को फिट

त्यौहार ढेर सारी खुशियां और आनंद लाते हैं लेकिन कई स्वास्थ्य समस्याओं की आशंका को भी बढ़ा देते हैं. ऐसे में जरूरी है कि ‘एक दिन की लापरवाही से क्या फर्क पड़ता है’ वाला रवैया न अपनाएं और पहले से ही प्लानिंग कर लें ताकि आनंद और उल्लास का यह मौसम आप के लिए स्वास्थ्य समस्याओं का निमंत्रण न बने.

1. मीठा थोड़ा ही अच्छा

मीठा भोजन ठंडा और भारी होता है और यह कफ बढ़ाता है. ज्यादा मीठा खाने से थकान, भारीपन, भूख कम लगना, अपच जैसी समस्याएं होती हैं. शूगर हाइपरटैंशन बढ़ाती है, मस्तिष्क के संकेतों को दबाती है. मीठे भोजन से कोलैस्ट्रौल बढ़ता है. मिठाइयों को एकसाथ खाने से पेटदर्द, डायरिया, लूज मोशन जैसी समस्याएं शुरू होने की आशंका बढ़ जाती है. इसलिए, मिठाई थोड़ी मात्रा में ही खाएं. हमेशा स्वस्थ्य और पोषक खाद्य पदार्थों का विकल्प चुनें. मिठाइयों के बजाय सूखे मेवे, फल, फ्लेवर्ड दही को प्राथमिकता दें

2. तैलीय, मसालेदार भोजन से बचें

हमारे देश में मसालेदार भोजन खाने की परंपरा है और त्योहारों के समय तो यह और बढ़ जाती है. मसाले गरम होते हैं. ये शरीर का ताप बढ़ा देते हैं जिस से अनिद्रा की समस्या हो जाती है. अधिक मसालेदार और तीखा खाने से पेट की कई समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं. पेट की अंदरूनी सतह पर सूजन आ जाती है, एसिडिटी की समस्या हो जाती है. अधिक तैलीय व वसायुक्त भोजन करने से रक्तचाप और शूगर का स्तर बढ़ता है.

3. ऐक्सरसाइज न करें तो डांस करें

अगर आप के लिए ऐक्सरसाइज करना कठिन हो तो आप दिल खोल कर नाचें. इस से काफी मात्रा में कैलोरी जल जाएंगी. कई प्रकार की मिठाइयां और घी का सेवन करने के बावजूद स्वस्थ रहने के लिए यह सब से अच्छा वर्कआउट हो सकता है.

4. ओवरईटिंग न करें

इन दिनों कई लोगों का वजन 3-5 किलो तक बढ़ जाता है, इसलिए अपनी प्लेट पर नजर रखनी जरूरी है. लोग  बगैर सोचेसमझे सबकुछ खाते चले जाते हैं. हाई कैलोरी फूड अधिक मात्रा में खाने से हमारी पाचनक्रिया धीमी पड़ने लगती है और हम अधिक थकान महसूस करते हैं. त्योहारों के माहौल में ऐसे भोजन से दूर रहना तो संभव नहीं है, लेकिन इन का सेवन कम मात्रा में करें ताकि कैलोरी इनटैक को कंट्रोल में रखा जा सके.

5. मिलावटी चीजों से रहें सावधान

कई मिठाइयों में कृत्रिम रंगों का उपयोग  किया जाता है. इन से किडनी स्टोन और कैंसर हो सकता है. ऐसी मिठाई को खाने से उलटी, डायरिया की समस्या हो जाती है. कई दुकानदार लड्डू, पनीर, बर्फी और गुलाबजामुन बनाने में मेटानिल यलो, लेड नाइट्रेट और म्युरिएटिक एसिड का इस्तेमाल करते हैं. इन के सेवन से शारीरिक ही नहीं, मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है. मिलावट से बचने के लिए मिठाइयों को घर पर ही बनाएं या किसी अच्छी दुकान से खरीदें.

6. डाइट प्लान का पालन करें

हैवी ब्रेकफास्ट करें, इस से आप का पेट अधिक समय तक भरा हुआ रहेगा. जो भी खाएं, फाइबर और पोषक तत्त्वों से भरपूर हो. दोपहर के खाने में प्रोटीन की मात्रा अधिक रखें. यह पेट को लंबे समय तक भरा हुआ रखेगा और आप भोजन कम मात्रा में खाएंगे. अपने फ्रिज और किचन में हैल्दी स्नैक्स, हरी पत्तेदार सब्जियां और फलों के विकल्प अधिक मात्रा में रखें. सफेद चीनी या कृत्रिम स्वीटनर के बजाय प्राकृतिक स्वीटनर जैसे खजूर, शहद या अंजीर का उपयोग  करें. आप गुड़ का इस्तेमाल भी कर सकती हैं.

7. भरपूर मात्रा में पानी पिएं

हर रोज भरपूर मात्रा में पानी पिएं. अपने दिन की शुरुआत पानी से करें. सुबह खाली पेट 1 लिटर पानी पिएं, इस से आप का पाचनतंत्र साफ रहेगा और आप के शरीर में जल का स्तर भी बना रहेगा. यह रक्त से विषैले पदार्थों को भी साफ कर देगा. एक दिन में कम से कम 3 लिटर पानी पिएं. जो लोग पार्टियों में जम कर ड्रिंक करते हैं, ध्यान रखें कि अल्कोहल के कारण डिहाइड्रैशन होता है. नियमित रूप से अधिक मात्रा में पानी का सेवन कर के शरीर से टौक्सिन को निकालने में सहायता करें. पानी शरीर में अल्कोहल के प्रभाव को भी कम करता है.

8. खरीदारी के लिए जाएं

खरीदारी करना आप के लिए उपयोगी हो सकता है. अपनी शौपिंग की योजना ऐसे बनाएं कि आप को अधिक से अधिक पैदल चलना पड़े. कोशिश करें कि अपनी कार का इस्तेमाल न करें. औनलाइन शौपिंग  करने के बजाय अगर आप मौल या लोकल मार्केट में घूमघूम कर शौपिंग  करेंगे तो आप अधिक मात्रा में कैलोरी खर्च करेंगे. यह आप के लिए फायदेमंद होगा.

9. डिटौक्सिफिकेशन तकनीक

मानव शरीर की रचना ऐसी होती है कि वह अपनेआप ही शरीर से हानिकारक रसायनों को निकाल देता है. लेकिन त्योहारों के मौसम में शरीर में टौक्सिंस की मात्रा ज्यादा बढ़ जाती है. अपने शरीर से टौक्सिंस को निकालने का प्रयास करें. चाय और कौफी के बजाय ग्रीन टी का सेवन करें. अपने दिन की शुरुआत एक गिलास गुनगुने पानी से करें जिस में नीबू का रस भी हो, ताकि शरीर से टौक्सिंस निकल जाएं.

10. हाइपरटैंशन

त्योहारों के मौसम आते ही अधिक कैलोरीयुक्त भोजन का सेवन बढ़ जाता है, जिस से पूरा डाइट प्लान गड़बड़ा जाता है. मिठाइयां घी और चीनी से भरपूर होती हैं जिस से उन में कैलोरी की मात्रा काफी अधिक बढ़ जाती है. त्योहार के दिनों  में खानपान में कंट्रोल नहीं होता और यह पाचनतंत्र पर भारी पड़ता है. इसलिए इन दिनों आप को ज्यादा एहतियात रखने की जरूरत है.

Diwali 2023: ऐसे करें गिफ्ट की आकर्षक पैकिंग

Diwali Special for Lifestyle: साल का सब से बड़ा त्योहार दीवाली (Diwali) है, जिस का वर्षभर सब को इंतजार रहता है. दीवाली की तैयारियां कई दिन पहले से ही शुरू हो जाती हैं जिस में घर की साजसज्जा (Decoration) , घर में नई चीजों का आगमन, नए कपड़ों की शौपिंग(Shopping) के अलावा एक अन्य अहम चीज होती है उपहारों (Gifts) का लेनदेन. सब की चाहत होती है कुछ ऐसा उपहार देने की जो निराला हो. क्योंकि ये उपहार ही हैं जो त्योहार की खुशियों को दोगुना करते हैं व रिश्तों (Relation) में अपनेपन की मिठास लाते हैं.

आप भी इस दीवाली पर अपनों को कुछ उपहार देने की तैयारी कर रहे होंगे. इस दीवाली पर आप अपनी इस तैयारी को दीजिए कुछ खास ट्विस्ट. हर बार की तरह साधारण तरीके से गिफ्ट पैकिंग करने के बजाय अपने उपहारों की पैकिंग कुछ हट कर खास अंदाज में कीजिए जिस से आप न केवल अपनों के बीच हिट हो जाएंगे बल्कि आप को एक अद्भुत खुशी का एहसास भी होगा.

उपहारों को सजाइए हट कर

दीवाली में उपहारों के तौर पर ट्रैडिशनल दीयों से ले कर, कैंडल्स, डिजाइनर दीये, कैंडल्स स्टैंड, क्रौकरी, होम फर्निशिंग, बच्चों के लिए चौकलेट्स, जूस, बड़ों के लिए ज्वैलरी, ड्राईफू्रट, पेंटिंग, आर्टिफैक्ट्स आदि वस्तुएं दी जाती हैं. जब उपहारों के चुनाव में इतनी मेहनत की जाती है तो फिर इन्हें प्रैजेंट आकर्षक तरीके से क्यों न किया जाए ताकि इन की खूबसूरती और महत्ता दोगुनी हो जाए. आइए जानें गिफ्ट पैकिंग एक्सपर्ट संगीता गोयल से उपहारों को खास अंदाज में पैक करने के कुछ तरीके :

चौकलेट पैकिंग

दीवाली पर चौकलेट बच्चों के साथसाथ बड़ों को भी बेहद पसंद आती हैं. आप हर बार बाजार से चौकलेट की पैकिंग खरीद कर गिफ्ट करते होंगे. लेकिन इस बार उन्हें गिफ्ट कीजिए खास आकर्षक अंदाज में.

चौकलेट को पैक करने के लिए केन या मैटल की टोकरी लें. उसे कलर्ड टिश्यू मैट या आजकल बाजार में उपलब्ध आई वुडन मल्टीकलर ग्रास को टोकरी पर बिछा दें व उस में आकर्षक पैकिंग वाली लूज चौकलेट रखें. ऊपर से आप टोकरी को कलर्ड सैलोफिन पेपर से ढक दें व बीच में रंगीन आर्टिफिशियल फ्लावर लगा दें. चौकलेट की यह आकर्षक पैकिंग सब को बहुत भाएगी.

दीये व कैंडल्स पैकिंग

बाजार से आकर्षक केन या ब्रास की ट्रे खरीदें. उस में कलर्ड कड़क नेट बिछाएं व मल्टीकलर्ड दीयों व डिजाइनर कैंडल्स को रखें व ऊपर से ट्रांसपैरेंट सैलोफीन शीट से टेप द्वारा सील कर दें. आप चाहें तो कार्डबोर्ड को दीये की शेप में भी काट कर उस में दीये सैट कर सकते हैं.

ईकोफ्रैंडली गिफ्ट

आजकल लोगों में ईकोफ्रैंडली गिफ्ट देने का भी प्रचलन है. वे अपने दोस्तों, रिश्तेदारों व जानकारों को बोनसाई प्लांट्स व फू्रट बुके भी गिफ्ट के तौर पर दे रहे हैं. इस के तहत आप बोनसाई प्लांट के पौट को आकर्षक ट्रे में रख कर दे सकते हैं. इसी तरह बाजार से फल खरीद कर उन का आकर्षक फू्रट बुके बना सकते हैं.

उपहारों में अनोखेपन व अपनेपन का एहसास लाने के लिए आप पैकिंग को दीजिए ये आकर्षक लुक.

फोटो का जादू

गिफ्ट पैकिंग में नजदीकी व अपनेपन का टच देने के लिए आप गिफ्ट पैक के ऊपर, जिसे गिफ्ट दे रहे हैं उस की आकर्षक फोटो लगा सकते हैं. गिफ्ट पैकिंग का यह अनोखा अंदाज उन्हें पुरानी यादों में ले जाएगा.

एथनिक लुक

अगर आप अपने उपहार की पैकिंग को एथनिक लुक देना चाहते हैं तो मीनाकारी व स्टोन वर्क वाला वुडन बौक्स लें. उस में अपने गिफ्ट को रख कर ऊपर से पतली मैटल शीट से कवर कर दें और बैल्स (घंटियों) से सजा कर उसे म्यूजिकल पैकिंग बनाएं. आप चाहें तो इस में फेब्रिक फ्लावर भी लगा सकते हैं.

पोटली पैकिंग

बाजार में अनेक रंग, डिजाइन व आकार की पोटलियां मौजूद हैं जिन में आप दीवाली के उपहार पैक कर सकते हैं. पोटलियों में आप ड्राई फू्रट्स, चांदी के सिक्के पैक कर सकते हैं. इन पोटलियों पर साटन के रिबन वाले फूल भी बांध सकते हैं.

क्रोशिया बैग

अगर आप अपने दोस्तोंरिश्तेदारों को अपनी हस्तकला से परिचित करवाना चाहती हैं तो अपने उपहार को अपने हाथ से बने क्रोशिए के बैग में भी पैक कर सकती हैं. बैग पर मोरपंख या सूखे फूलों व आकर्षक पत्तियों को लगा कर और स्टाइलिश लुक दे सकती हैं.

ऐलिगैंट व स्टाइलिश पैकिंग

आप इस दीवाली गिफ्ट पैकिंग को ऐलिगैंट लुक देने के लिए उपहार को अपनी पुरानी बनारसी या ब्रोकेड की सिल्क साड़ी या दुपट्टे के बौर्डर से बांध कर बो या फूल का आकार दे सकती हैं. सैंटर में लगा मैटल का ब्रोच आप के गिफ्ट पैक को और खूबसूरत बना देगा.

Diwali 2023: त्योहारों की उमंग जीवन में भरे रंग

Diwali Festival 2023 : भारतीय जनजीवन में त्योहारों (Festivals) और उत्सवों का आदिकाल से ही काफी महत्त्व रहा है. यहां मनाए जाने वाले सभी त्योहार मानवीय गुणों को स्थापित कर लोगों में प्रेम, एकता व सद्भावना को बढ़ाने का संदेश देते हैं. दरअसल, ये त्योहार ही हैं जो परिवारों (Family) और समाज (Society) को जोड़ते हैं. त्योहार हमारी संवेदनाओं और परंपराओं (Rituals) के ऐसे जीवंत रूप हैं जिन्हें मनाना या यों कहे कि बारबार मनाना हमें अच्छा लगता है क्योंकि अनोखे रंग समेटे त्योहार हमारे जीवन में उमंग और उत्साह की नई लहरों को जन्म देते हैं.

क्यों जरूरी हैं त्योहार

  1. त्योहार जीवन को खुशहाल व रिश्तों को मजबूत बनाने में एक अटूट कड़ी की भूमिका निभाते हैं.
  2. होली का त्योहार जहां मस्ती और मौज का संदेश देता है वहीं दीवाली अंधकार को दूर कर के जीवन में रोशनी भरने का.
  3. त्योहार अच्छा खाना, अच्छा पहनना, खुश रहने और जीवन को खुशनुमा बढ़ाने का श्रेष्ठ माध्यम होते हैं.
  4. ऐतिहासिक विरासत और जीवंत संस्कृति के सूचक ये त्योहार विदेशियों के समक्ष भी हमारे सरस और सजीले सांस्कृतिक वैभव का प्रदर्शन करते हैं और हमें गौरवान्वित होने का अवसर देते हैं.
  5. जीवन को नई ताजगी देते त्योहार जीवन में जीने का उत्साह और उल्लास का रंग भरते हैं जिस से जीने का हौसला दोगुना हो जाता है. रोजमर्रा की परेशानियों को भुला कर हमें सजनेसंवरने और नए स्वाद चखने का भी अवसर देते हैं ये त्योहार.

रोशनी का त्योहार

अमावस्या के अंधकार में ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ यानी अंधेरे से रोशनी की तरफ जाने का संदेश देता दीवाली का त्योहार आकाश में पटाखों की रोशनी  और समृद्धि की अभिव्यक्ति है. आशाओं के उत्सव के रूप में मनाए जाने वाले इस त्योहार का महत्त्व जीवन के अनमोल पहलुओं से जुड़ा हुआ है. इस का उद्देश्य भाईचारे को बढ़ाते हुए एकदूसरे के दुखसुख का हमसफर बनना है.

नएपन का एहसास

बदलते समय के साथ बदल रहा है समाज और बदल रहा है त्योहारों को मनाने का अंदाज भी. ‘मैं तो लूंगा खीलखिलौने तुम भी लेना भाई’ की जगह अब औनलाइन गिफ्टिंग, हाईटैक डिजिटल दीवाली और मौल संस्कृति का नया रूप देखने को मिल रहा है. आइए, नजदीक से देखें दीवाली के बदले रूप को.

औनलाइन गिफ्टिंग

उद्योग जगत के एक अनुमान के अनुसार, औनलाइन गिफ्टिंग का बाजार 1,000 करोड़ रुपए से अधिक का है. औनलाइन गिफ्टिंग के जरिए दूर बैठे अपनों को उपहारों के जरिए दीवाली की खुशियां बांटने का यह माध्यम दिनोंदिन जोर पकड़ रहा है. गिफ्टिंग का यह बदला अंदाज दूरियों को नजदीकियों में बदलने का बेहतर माध्यम सिद्ध हो रहा है.

मिठाइयों, चौकलेट्स, कार्ड्स, फ्लावर बुके, ज्वैलरी, कौर्पोरेट गिफ्ट्स सभीकुछ औनलाइन शौपिंग साइट्स पर मौजूद हैं. इन साइट्स पर पीवीआर मूवी गिफ्ट कार्ड्स, कैफेकौफी डे गिफ्ट वाउचर्स, स्पा सैलून की अनेक स्कीम्स भी मौजूद हैं जिन्हें आप बस एक क्लिक पर अपनों को, वे चाहे कहीं भी हों उपहारस्वरूप दे कर उन की खुशियों में अपनी खुशियां ढूंढ़ सकते हैं.

बढ़ते उपयोगी उपहार

चौकलेट के विज्ञापनों ने भारतीय रिश्तों व परिवार के आपसी प्रेम को त्योहारों से जोड़ दिया है, फिर चाहे वह रोशनी का त्योहार दीवाली हो या भाईबहन के अटूट बंधन का रक्षाबंधन. विदेशी कंपनियां भारतीय त्योहारों को ध्यान में रख कर अपने प्रौडक्ट लौंच कर रही हैं. हाटबाजारों, मेलों की जगह मौल संस्कृति जन्म ले रही है. बाजारों में सस्ते और विभिन्न वैरायटी के इतने उपहार मौजूद हैं कि आप के लिए चुनना मुश्किल हो जाएगा. यह बदलाव व नयापन अच्छा तभी होगा जब वह समाज के हर वर्ग के हित में हो, विदेशी कंपनियों के कुचक्र में छोटे व्यापारियों के हितों की बलि न चढ़े और बाजारीकरण हावी न हो.

दीयों की रात वादों की सौगात

दीवाली की खुशियां आप की जिंदगी में ताउम्र बनी रहें, इस के लिए आप भी पूरे करें वे वादे जो आप को और आप के अपनों को सही माने में दीवाली की खुशियां दें.

बड़ों को खुशियां देने का वादा : रोहित के बुजुर्ग पिता घुटनों में दर्द की शिकायत से परेशान रहते थे. प्राइवेट नौकरी की भागदौड़ में रोहित समझ नहीं पा रहा था कि कैसे वह अपने पिता की तकलीफ दूर करे. ऐसे में रोहित के एक दोस्त ने उसे सलाह दी कि वह अपने पिता को एक मसाजर गिफ्ट करे. रोहित ने दोस्त की सलाह मान कर अपने पिता को मसाजर गिफ्ट किया. मसाजर से रोहित के पिता की तकलीफ दूर हो गई और रोहित को यह खुशी हुई कि उस ने अपने पिता के लिए कुछ किया.

दरअसल, कई बार नौकरी व व्यवसाय की भागदौड़ में हम उन की परेशानियों और जरूरतों को समझ नहीं पाते. ऐसे में छोटीछोटी बातों से कुछ ऐसा करें जिन से वे खुश रहें, वे खुश रहेंगे तो आप भी खुश रहेंगे.

बच्चों को समय देने का वादा : बच्चे हमारे जीवन की सब से बड़ी पूंजी होते हैं. उन के विकास के लिए हम उन्हें अच्छी शिक्षा, सुखसुविधाओं के साथसाथ समयसमय पर उपहार दे कर उन्हें खुशियां देने का प्रयास करते हैं. लेकिन कई बार हम उन की सब से जरूरी जरूरत यानी उन्हें समय देना भूल जाते हैं, उन के साथ हंसीखुशी के पल बांटना भूल जाते हैं. पेरैंटिंग का सब से जरूरी नियम है बच्चों की भावनात्मक जरूरतों को समझना, उन के विचारों, मनोभावों को जानना.

स्वस्थ रहने का वादा : इस दीवाली आप खुद से एक वादा कीजिए कि आप अपने साथसाथ पूरे परिवार को फिट व हैल्दी रखने की जिम्मेदारी उठाएंगे यानी हैल्थ पर विशेष ध्यान देंगे.

देर से सोने व जागने की आदत को करेंगे अलविदा.

घर से बिना ब्रैकफास्ट किए नहीं निकलेंगे.

अतिरिक्त वजन घटाएंगे.

जंकफूड की जगह हैल्दी फूड को खानपान का हिस्सा बनाएंगे.

साल में 1 बार स्वास्थ्य जांच अवश्य कराएंगे.

मौर्निंग वाक और ऐक्सरसाइज को दिनचर्या का हिस्सा बनाएंगे.

ईकोफ्रैंडली दीवाली : जीवन से अंधेरे को दूर कर के रोशनी फैलाने वाले इस त्योहार पर आप खुद से वादा करें कि आप ‘सेव नेचर सेव लाइफ’ पर आधारित ईकोफ्रैंडली दीवाली मनाएंगे और पर्यावरण को प्रदूषणमुक्त रखने में अपना योगदान देंगे.

  1. दीवाली सैलिब्रेशन का समय निर्धारित कर के मात्र 3-4 घंटे ही दीवाली मनाएंगे.
  2. ईकोफ्रैंडली पटाखों का इस्तेमाल करेंगे, कैमिकल बेस्ड पटाखों का इस्तेमाल नहीं करेेंगे. बिजली की झालरों की जगह परंपरागत मिट्टी के दीयों का इस्तेमाल करेंगे. इस से बिजली की बचत होगी.
  3. रंगोली में प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करेंगे, जैसे सफेद रंग के लिए चावल पाउडर, लाल रंग के लिए कुमकुम, पीले के लिए हल्दी वगैरह.
  4. घर की सजावट ताजे गेंदे व रजनीगंधा के फूलों से करेंगे. आम के पत्तों व गेंदे के ताजे फूलों की बंदनवार से घर सजाएंगे.
  5. पटाखे अकेले अपने परिवार के साथ छोड़ने के बजाय दोस्तों, रिश्तेदारों के साथ मिल कर छोड़ेंगे.

बचत का वादा : दीवाली के नजदीक आते ही जहां एक ओर बाजार व शौपिंग मौल रंगबिरंगे उपहारों व सजावटी सामानों से भर जाते हैं वहीं कंपनियां इस समय विभिन्न औफर्स ला कर ग्राहकों को लुभाने का प्रयास करती हैं. नतीजतन, लोगों में ‘मौका भी है और दस्तूर भी’ की राह पर शौपिंग का क्रेज उमड़ने लगता है, जो बाद में जेब व बजट दोनों पर भारी पड़ता है. इसलिए इस दीवाली में खुद से वादा कीजिए कि व्यर्थ की फुजूलखर्ची करने के बजाय किफायत से काम लेंगे.

वैसे, ध्यान रखिए कि स्मार्ट होममेकर स्मार्ट चीजें ही खरीदते हैं. इस दीवाली फुजूलखर्ची न कर के आप ने जो बचत की है उसे विभिन्न निवेश प्लान में लगा कर घर और परिवार के भविष्य को सुरक्षित करेंगे और बचत में समझदारी के वादे को पूरा करेंगे.

दोस्तों से वादा : आज की व्यस्त जिंदगी में रिश्तों के साथ दोस्त भी कहीं पीछे छूट जाते हैं. तो इस दीवाली अपनेआप से वादा कीजिए कि दोस्तों के हमेशा टच में रहेंगे. अपने हर सुखदुख उन के साथ बांटेंगे. टच में रहने के लिए आप मैसेजेस, सोशल नैटवर्किंग साइट्स के साथसाथ महीने में 1 बार वीकेंड पर और त्योहारों पर गेटटुगेदर पार्टी का सहारा ले सकते हैं. पार्टी का आयोजन आप घर पर कर सकते हैं, इस से बचत तो होगी ही साथ ही, दोस्तों का एकदूसरे के परिवार से मेलजोल बढ़ेगा. ऐसी पार्टियों से पुरानी यादें ताजा हो जाती हैं और माहौल खुशनुमा हो जाता है.

आडंबरों को न ढोने का वादा : दीवाली के दिन हर घर में जलने वाले दीये की रोशनी का उद्देश्य मन में छिपे व्यर्थ के अंधविश्वासों व आडंबरों को दूर करना है लेकिन व्यर्थ की पूजापाठ व पंडेपुजारियों के चक्कर में पड़ कर लोग मेहनत व ईमानदारी के बजाय ऐसे काम करते हैं जिन से वे अकर्मण्यता की ओर अग्रसर होते हैं. इस दीवाली आप वादा कीजिए कि आप अंधविश्वासों व आडंबरों के बजाय समाज की प्रगति में निवेश करेंगे. उदास चेहरों पर खुशियां ला कर दीवाली की जगमगाहट को और फैलाएंगे न कि व्यर्थ की परंपराओं को ढो कर खुशियों के त्योहार को बोझ बनाएंगे.

ये सारे वादे आप को न सिर्फ करने हैं बल्कि निभाने भी हैं. इन्हीं वादों के बीच एक वादा यह भी कि आप न सिर्फ दीवाली के दिन बल्कि हर दिन अपनेआप को प्रैजैंटेबल बनाए रखेंगे. खुद को खूबसूरत दिखने का कोई मौका न छोड़ेंगे. तो, इस तरह खुद से किए गए आप के ये वादे आप को सब की नजरों में प्रशंसा का पात्र बना देंगे और फिर आप को हर दिन हर पल खास नजर आएगा.

हर साल नई आशा नई चुनौती : हर बार की तरह दीवाली एक बार फिर आ गई है. घर सज गए हैं, बाजारों में रौनक हैं, सभी जम कर खरीदारी कर रहे हैं, नए कपड़े, घर की साजसजावट, उपहारों का आदानप्रदान हो रहा है लेकिन इन सभी के बीच हर साल कुछ चुनौतियां और कुछ नई आशाएं होती हैं कि यह दीवाली पिछली दीवाली से और अच्छी हो, सब के चेहरों पर खुशियों की रोशनी जगमगाए लेकिन यह तभी होगा जब हम कुछ खास बातों का ध्यान रखें :

सेहत का न निकालें दिवाला : हर साल दीवाली पर मिठाइयों में मिलावट के अनेक मामले सामने आते हैं. खोये में मैदा, सिंथेटिक दूध, डिटर्जेंट पाउडर, यूरिया, चांदी के वर्क की जगह एल्यूमिनियम फौयल, नकली रंग का कैमिकल, सस्ती सैक्रीन जो एक प्रकार का कैमिकल होती है, का प्रयोग किया जाता है. जिस में लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ होता है और खुशियों का त्योहार दुख के मातम में बदल जाता है. त्योहारों के अवसर पर ऐसे अपराध समाज के लिए चुनौती हैं और उम्मीद करते हैं कि ऐसे अपराध करने वाले लोग दूसरों की जिंदगियों से नहीं खेलेंगे.

पर्यावरण के लिए चुनौती : दीवाली के अवसर पर पटाखों का शोर और उन से निकलने वाले हानिकारक धुएं से न सिर्फ पर्यावरण संबंधी समस्याएं जन्म लेती हैं स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ती हैं. डाक्टरों के अनुसार, 90 डैसीबल से अधिक तेज आवाज वाले पटाखे सुनने की शक्ति के लिए हानिकारक होते हैं जबकि दीवाली पर बिकने वाले अधिकांश पटाखे 120 डैसीबल से अधिक आवाज वाले होते हैं.

त्योहारों का रिश्ता सारे समाज से है उन्हें केवल निजी खुशियों तक सीमित न रख कर पूरे समाज के सुखदुख की दृष्टि से देखना ही लोगों के जीवन से अंधकार को दूर करेगा और जीवन में रंगों की रंगोली व खुशियों का प्रकाश फैलाएगा.

पटाखे जलाते समय इन 9 बातों का रखें ध्यान

दीवाली के त्योहार पर पटाखे जलाते समय सावधानी बरतनी बेहद जरूरी है, खासकर तब जब घर में बच्चे पटाखे फोड़ रहे हों. ऐसे में मातापिता यदि बच्चों के साथ न हों तो दुर्घटना कभी भी हो सकती है. लेकिन, अगर किसी तरह पटाखे फोड़ते वक्त शरीर का कोई हिस्सा जल जाए तो क्या करना चाहिए और क्या नहीं, बता रहे हैं दिल्ली स्थित विनायक स्किन ऐंड कौस्मेटोलौजी क्लिनिक के त्वचा विशेषज्ञ डा. विजय कुमार गर्ग.

  1. पटाखे जलाते समय शरीर का कोई हिस्सा जल जाए तो जल्द से जल्द क्या करना चाहिए, इस के लिए पहले यह जान लेना जरूरी है कि जलने का प्रकार क्या है. एक होता है माइनर बर्न जो छोटे साइज का बर्न है जिस से स्किन लाल पड़ जाती है या एकआधा छाला हो जाता है. इस तरह के माइनर बर्न्स में जल्द से जल्द ठंडे पानी में हाथ डाल देना चाहिए. इस से राहत मिलेगी.

2.  दूसरा, कोई भी एंटीसैप्टिक क्रीम लगा लेनी चाहिए. सिल्वर सल्फाडाइजीन एंटीसैप्टिक क्रीम है जो  साधारणतया इस्तेमाल किया जाने वाला ड्रग है. इसे जल्द ही लगाने से फायदा पहुंचता है.

4. कुछ लोग जले पर बरनौल, मेहंदी, टूथपेस्ट आदि लगा लेते हैं जोकि नहीं लगाना चाहिए. लोग बर्फ भी लगाते हैं जिसे लगाने में कोई बुराई तो नहीं है लेकिन पानी से जितना फायदा पहुंचता है उतना बर्फ से नहीं पहुंचता. बर्फ से रक्त का थक्का बन सकता है. हां, यदि उस बर्फ को किसी पौलिथीन में डाल कर सिंकाई की जाए तो फायदा है.

5. पानी और बर्फ से होता यह है कि जलने वाले स्थान पर जो रैडनेस है उस की इन्फ्लेमैंशन को ये दोनों कम करते हैं.

6. बच्चों में अकसर पटाखों से या तो हाथ जलता है या चेहरा. यदि ज्यादा जला है तो प्लास्टिक रैप से जले स्थान को कवर कर अस्पताल पहुंचा जाए और किसी क्वालिफाइड डाक्टर से ट्रीटमैंट कराया जाए. प्लास्टिक रैप से सैकंडरी इन्फैक्शन होने की संभावना कम हो जाती है.

7. प्लास्टिक रैप जोकि आसानी से मैडिकल की दुकान पर मिल जाता है, घाव पर ढीला रैप करने से चिपकता नहीं है और इस से घाव के इन्फैक्टेड होने का खतरा भी कम हो जाता है.

8. यदि जलने का अनुपात बहुत ज्यादा है, बहुत सारे छाले हो गए हैं या स्किन काफी ज्यादा जल गई है तो जल्द से जल्द अस्पताल में  भरती कराने की सलाह है. क्योंकि एंटीबायोटिक तो चाहिए ही, पेनकिलर भी चाहिए, ये सब रोगी की मेजर जरूरत हैं.

9. एक और महत्त्वपूर्ण बात यह है कि जब पटाखों का धुआं आंखों में जाए और इरिटेशन होने लगे तो उसे भी ठंडे पानी से साफ कर लेना चाहिए. इस से फायदा मिलता है. चेहरे पर पटाखों के धुएं और धूल से होने वाली किसी भी तरह की एलर्जी को एवौएड करने के लिए साबुन और पानी से मुंह को अच्छी तरह धोएं. इस के अलावा कुछ न करें.

10. स्किन जलने पर यदि छाला हो तो उसे फोड़ने की कोशिश न करें, वह एक से दो दिन में खुद ही बैठ जाएगा. छाले फोड़ने से स्किन ओपन हो जाती है और उस में इन्फैक्शन हो जाता है. कभीकभार जब छाला काफी बड़ा हो और उस में पानी भर जाए तो उसे फोड़ देने से पानी निकल जाता है और स्किन उस के ऊपर बैठ जाती है जिस से इन्फैक्शन के चांसेस कम होते हैं.

Diwali Special: हॉस्टल वाली दीवाली

जो लोग होस्टल में रहे हैं उन्हें पता है कि वे उन की जिंदगी के कभी न भूलने वाले पल हैं. होस्टल की जिंदगी मजेदार भी होती है और परेशानियों से भरी भी. बावजूद इस के, होस्टल में रह कर त्योहारों के समय जो खुशियां मिलती हैं, जो आजादी और मस्ती मिलती है, वह कहीं और नहीं मिलती.

संध्या जब हैदराबाद से दिल्ली के एक एनजीओ में काम करने आई थी तो उस ने कई साल वुमन होस्टल में गुजारे थे. अब तो वह शादी कर के पति के घर में सैटल हो गई है मगर होस्टल के दिन उन्हें नहीं भूलते हैं. घर के ऐशोआराम से निकल कर कम संसाधनों और जुगाड़ों के बीच होस्टल की टफ लाइफ का भी अपना ही मजा था. उस जिंदगी को याद करते वक्त उन्हें सब से ज्यादा दीवाली की याद आती है.

संध्या कहती हैं, ‘‘किसी आसपास के शहर से होती तो त्योहारों में जरूर घर भाग जाती, मगर दिल्ली से ट्रेन में हैदराबाद तक 2 दिन का सफर बड़ा कठिन लगता था और वह भी सिर्फ दोतीन दिन के लिए जाना बिलकुल ऐसा जैसे देहरी छू कर लौट आओ. शुरू के 2 साल तो मैं दीवाली पर घर गई, मगर बाद में होलीदीवाली सब होस्टल में ही मनाने लगी.

‘‘दिल्ली के आसपास रहने वाली ज्यादातर लड़कियां घर चली जाती थीं.  बस, थोड़ी सी बचती थीं. शुरू में तो त्योहार के समय खाली पड़े कमरे को देख कर मु झे भुतहा फीलिंग होती थी, मगर जब शाम को बची हुई लड़कियां होस्टल की छत पर इकट्ठी हो कर पटाखे छुड़ाती थीं तब बड़ा मजा आता था. हम 8-10 लड़कियां नई ड्रैसेस पहन कर सुबह से ही त्योहार की तैयारियों में जुट जाती थीं. हमारी वार्डन काफी सख्तमिजाज महिला थीं, मगर उस दिन उन का मातृत्व हम लड़कियों पर खूब छलकता था. वे सिंगल मदर थीं. पति से तलाक हो चुका था. 14 साल की उन की बेटी थी जो उन के साथ ही रहती थी. त्योहार के दिन होस्टल के रसोइए की छुट्टी रहती थी और किचन हम लड़कियों के हवाले होता था. ऐसे में विशेष मैन्यू तैयार किया जाता. दोपहर और रात के खाने के लिए मनपसंद सब्जियां,  नौनवेज, पूडि़यां, पुलाव हम बनाते थे. इकट्ठे जब इतने सारे बंदे रसोई में पकाने के लिए जमा होते थे तो काम भी फटाफट निबट जाता था. शाम को हम सब होस्टल के गेट पर बड़ी सी रंगोली बनाने में जुट जाते थे. पूरे गेट और दीवार की मुंडेर को दीयों, फूलमालाओं और रंगोली से सजा देते थे.

‘‘अंधेरा होते ही पूरा होस्टल दीयों की जगमगाहट से भर जाता था. दीवाली की रात हम सब छत पर इकट्ठे हो कर आधी रात तक जम कर पटाखे जलाते थे. मगर उस दिन दोस्ती के लिए तो सब को खुली छूट थी. खुद वार्डन भी उन लड़कियों के साथ मस्ती करती. खानेपीने के बाद जब हम सोते तो दूसरे दिन 12 बजे से पहले आंख न खुलती थी.

‘‘फिर वार्डन की आवाज सुनाई देती कि जाओ सब मिल कर छत साफ करो. छत पर जले हुए पटाखों, दीयों, मोमबत्तियों, जूठे बरतनों का ढेर लगा होता था. सारा कूड़ा इकट्ठा कर के बोरियों में भर कर हम कूड़ा गाड़ी पर फेंकने जाते थे. घर की दीवाली में कभी इतना मजा नहीं आया जितना होस्टल की दीवाली में आया करता था. जबकि होस्टल की दीवाली में हमारी मेहनत दोगुनी होती थी लेकिन मजा भी दोगुना था. घर में तो मां ही पूरी रसोई बनाती थीं. वे ही पूजा करती थीं, फिर थोड़े से पटाखे हम भाईबहन महल्ले के बच्चों के साथ जला लेते थे. लो मन गई दीवाली. मगर होस्टल में त्योहार का आनंद ही अलग था. खुलेपन का एहसास जहां होस्टल में हुआ तो बियर का स्वाद भी पहलेपहल वहीं चखा.’’

संध्या बताती हैं, ‘‘मैं बचपन में बहुत दब्बू टाइप थी. मगर होस्टल में आने के बाद काफी बोल्ड हो गई. इस की वजह है होस्टल में हमें अपनी परेशानियों का हल खुद ही निकालना होता है. वहां मांबाप या बड़े भाईबहन नहीं होते जो परेशानी हल कर दें. एक बार की बात है, हमारे होस्टल में सुबह पानी की मोटर जल गई. अब किसी को कालेज के लिए निकलना था, किसी को औफिस के लिए. तब हम सब बाहर सरकारी नल से बाल्टी में पानी भरभर कर लाए और नहाया.

यह तो ऐसा मामला था जो शायद कभीकभार ही हो, लेकिन कुछ बातें तो लगभग हर गर्ल्स होस्टल या पीजी में देखने को मिलती हैं. हर होस्टल में चोरी जरूर होती है. चाहे वह कोई रहने वाली लड़की करे, चाहे कोई नौकर करे या कोई पड़ोसी ही आ कर कुछ चुरा ले जाए. लड़कियों की कटोरीचम्मच से ले कर अंडरगारमैंट्स तक गायब हो जाते थे.

‘‘कभीकभी 2 लड़कियों के बीच इतनी भयानक लड़ाई हो जाती थी कि मामला हाथापाई तक पहुंच जाता था. उस में बीचबचाव करना और सम झाना खुद की लाइफ को बहुत स्ट्रौंग बना देता है. होस्टल एक ऐसी जगह है जहां आजादी, मस्ती, टाइमपास, फैशन,  झगड़े सब होते हैं. लड़कियां अपने घर से दूर, मांबाप की डांट से दूर अपनी उम्र की लड़कियों के साथ जिंदगी का पूरा मजा लेती हैं.’’

वैसे होस्टल लाइफ को ले कर बहुत से लोग कहते हैं, ‘जो कभी होस्टल में नहीं रहा,  उस ने लाइफ में बहुतकुछ मिस किया है.’ राजीव चन्नी अपनी होस्टल लाइफ याद करते हुए कहते हैं, ‘‘पानी जैसी दाल, नहाने के लिए लंबी लाइन और खूसट वार्डन के अलावा भी बहुतकुछ होता है होस्टल में. घर के ऐशोआराम के बाद अगर आप ने होस्टल में संघर्ष कर लिया तो सम झ लो, जीवन सफल हो गया.

‘‘होस्टल में इंसान लाइफ के बहुत सारे स्किल्स सीख लेता है. जैसे, नहाते हुए पानी चले जाने पर शरीर पर लगे साबुन को गीले तौलिए से पोंछना और फ्रैश फील करना, दूसरे की शेविंग क्रीम या शैंपू इस्तेमाल कर लेना और उस को हवा भी न लगने देना, पौटी प्रैशर रोकने में सक्षम हो जाना, मनपसंद सब्जी न होने पर दहीचावल खा कर जीना, पनीर की सब्जी में से पनीर और आलू के परांठों में आलू ढूंढ़ना और जब हद गुजर जाए तो भूखहड़ताल करना वगैरहवगैरह और सब से अहम सीख है ‘एकता’. एकजुट हो कर कोई भी काम करना, स्ट्राइक से ले कर त्योहार मनाने तक.

‘‘दीवाली के दिन तो लड़कों का जोश देखने लायक होता था. कुछ घरेलू किस्म के लड़के जहां अपने कमरों में दीयामोमबत्तियां सजाते थे, पूजा करते और कुछ स्पैशल खाना बनाने में रसोइए की मदद करते थे, वहीं मर्द टाइप के लड़के इस जुगाड़ में रहते थे कि दारू और गर्लफ्रैंड के साथ त्योहार की रात कहां और कैसे मनाई जाए. दीवाली की रात ज्यादातर लड़के होस्टल के बाहर ही बिताते थे. कुछ सिनेमाहौल में तो कुछ होटल वगैरह में पाए जाते थे.

‘‘होस्टल लाइफ थी. खुली छूट थी. कोई रोकटोक नहीं. जब तक चाहो, बाहर रहो. कोई पूछने वाला नहीं था. न मां की  िझक िझक, न बाप की फटकार. कई बार तो हम सुबह के 4 बजे वापस आते और चौकीदार की जेब में 10 रुपए का नोट ठूंस कर आराम से कमरे में जा कर सो जाते. अलग ही आनंद था होस्टल लाइफ में त्योहार मनाने का. वे दिन तो जिंदगीभर नहीं भूलेंगे.’’

Diwali Special: डाइटिंग छोड़ें डाइट का मजा लें

दीवाली के आने का मतलब होता है ढेर सारा खानापीना, ढेर सारी मस्ती करना. ऐसे में अगर हम डाइटिंग के बारे में सोचने लगे तो मजा फीका होगा ही. इसलिए दीवाली पर नो डाइटिंग. एंजौय करने का जो भी मौका मिले उसे कभी भी डाइटिंग के कारण खराब नहीं करना चाहिए. आप ही सोचिए त्योहार क्या रोजरोज आता है, ऐसे में भी अगर हम हर बाइट के साथ मोटे होने की बात सोचेंगे तो न हम खाने का मजा ले पाएंगे और न ही फैस्टिवल को पूरी तरह एंजौय कर पाएंगे.

अगर हम सही डाइट प्लान बना कर चलें तो 4 दिन हैवी डाइट लेने पर हम मोटे या फिर बीमार नहीं होंगे. आप को सिर्फ इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप को जितनी भूख हो उतना ही खाएं. जरूरत से ज्यादा खाना आप को बीमार कर सकता है.

खाएं और खिलाएं भी

फैस्टिवल मूड और घर में पकवान न बने, ऐसा तो हो ही नहीं सकता. दीवाली पर घर में दहीभल्ले, पूरी सब्जी, खीर, पकौड़े बनने लाजिमी हैं. ऐसे में हम पकवानों से भरी प्लेट सामने आते ही डाइटिंग की बात कहने लगें तो घर पर त्योहार जैसा माहौल नहीं बन पाएगा. ऐसे में यदि आप बाकी घर वालों के सामने डाइटिंग के चक्कर में सलाद ले कर बैठ जाएं तो आप ही सोचिए कि इस से आप को और बनाने वाले को कैसा लगेगा. इसलिए त्योहार के मौके पर आप के घर कोई आए तो उसे खूब खिलाएं.

खुशी मिलबैठ कर खाने में

आज की भागदौड़भरी जिंदगी में किसी के पास भी समय नहीं है कि वे साथ बैठ कर खाना खा सकें. सब के औफिस या व्यापारिक प्रतिष्ठान से आने का टाइम अलगअलग होता है. ऐसे में रोज साथ बैठ कर खाना खाना संभव नहीं हो पाता. सिर्फ त्योहार ही ऐसा मौका होता है जब घर में सभी की छुट्टी होती है. ऐसे में हम मिल कर खाना खा सकते हैं और मन को एक अलग ही खुशी मिलेगी. अगर आप औयली चीज देख कर ना कहने लगें तो सामने वाले आप को बोरिंग बोलने से भी नहीं चूकेंगे. इसलिए अपने कारण बाकी लोगों की खुशियों को फीका न करें बल्कि शामिल हो कर दीवाली को यादगार बनाएं.

चार दिन में कोई मोटा नहीं होता

जब आप यह सोच कर बाकी काम कर सकते हो कि 4 दिन अगर पढ़ाई नहीं की तो कौन सा पहाड़ टूट जाएगा या फिर अगर 4 दिन औफिस नहीं गए तो कौन सा वहां का काम रुक जाएगा तो ठीक इसी तरह यदि आप दीवाली पर खुल कर खा लोगे तो कोई मोटापा बढ़ने वाला नहीं है. मोटापा रोजरोज तली हुई चीजें खाने से बढ़ता है न कि कभीकभी खाने से. इसलिए मन से मोटापे का डर निकाल दें.

राष्ट्रीय राजधानी स्थित ईजी डाइट क्लीनिक की डाइटीशियन रेणु चांदवानी कहती हैं कि दीवाली जैसे त्योहार पर न चाहते हुए भी काफी कुछ खा लिया जाता है. ऐसे में हम दीवाली के बाद की डाइट को कंट्रोल कर के संतुलन बना सकते हैं. अगर आप को पूरे दिन में 3 बार मील लेना है तो आप सुबह टोंड दूध लेने के थोड़ी देर बाद फू्रट ले लें या फिर स्प्राउट्स लें. दिन में अगर आप ने एक दाल व एक सब्जी 2 रोटी के साथ ले ली हैं तो फिर रात को खाने में आप दाल व सलाद लें. इस से आप की डाइट बैलेंस रहेगी. आप कुछ दिनों तक उबली हुई सब्जियां खाएं, ऐक्सरसाइज का रुटीन बढ़ाएं. इस से आप को काफी सुधार महसूस होगा.

दीवाली के पर्व पर खूब खाएं पर इस बात का ध्यान रखें कि दीवाली के बाद 1-2 हफ्ते तक फास्टफूड और औयली चीजों को बिलकुल भी न लें. चौकलेट, चिप्स, तले हुए खाद्य पदार्थों को कुछ दिनों तक नजरअंदाज करें. यानी इस दीवाली पर फुल मस्ती. 

क्या करें दीवाली से पहले

पूरी नींद लें : फैस्टिवल पर फुल एंजौय करने के लिए समय पर सोएं व 7-8 घंटे की पूरी नींद लें जिस से आप को थकान महसूस न हो और आप सभी कार्यों को पूरे जोश के साथ कर सकें. जब तक आप की नींद पूरी नहीं होगी तब तक आप तरोताजा महसूस नहीं कर पाएंगे.

त्योहार के पहले ऐक्सरसाइज : दीवाली के 2 हफ्ते पहले से अगर आप रोजाना ऐक्सरसाइज का नियम बना लें तो आप खुद ही अपने में चेंज देखेंगे. इस से दीवाली पर कपड़े पहनने का भी अलग मजा आएगा. स्मार्ट दिखने के लिए अच्छा फिगर होना भी जरूरी है. 2 हफ्ते की ऐक्सरसाइज के बाद अगर आप ने 2-3 दिन खा भी लिया तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

ज्यादा चीनी न लें : उतनी ही चीनी लें जितनी जरूरी हो. ऐसा न करें कि अगर आप ने सुबह दूध में डाल कर 2 चम्मच चीनी ले ली है तो फिर दिन और शाम में भी चीनी वाली चाय या कौफी ले ली. इस से मोटापा बढ़ेगा. पूरे दिन में एक बार ही चीनी लें ताकि बैलेंस डाइट रहे ताकि आप दीवाली पर मिठाइयों का मजा उठा सकें.

कोल्डडिंक्स, फास्टफूड न खाएं : कोल्डडिंक्स व फास्टफूड में कैलोरीज ज्यादा होती है जो आप को बीमार कर सकती है इसलिए त्योहारों से पहले फास्टफूड को कहें बायबाय और हैल्दी फूड यानी फल, सब्जियों को ही अपनी डाइट में शामिल करें.

स्ट्रैस से दूर रहें : स्ट्रैस खुशी के मौके को फीका करता है. साथ ही, ज्यादा स्ट्रैस वजन भी बढ़ाता है क्योंकि जब आप कम सोएंगे तब आप को ज्यादा भूख का एहसास होगा. इसलिए स्ट्रैस से दूर रहें.

दीवाली के बाद

दीवाली के बाद उबली सब्जियां खाएं : दीवाली जैसे त्योहार पर खानेपीने को काफी चीजें हैं. दीवाली के बाद उसे कंट्रोल करने के लिए आप उबली हुई सब्जियां खा कर शरीर को थोड़ा आराम दें. इस से आप को अच्छा महसूस होगा.

ऐक्सरसाइज का टाइम बढ़ाएं : आप को अगर ऐसा लग रहा है कि आप ने दीवाली पर बहुत ज्यादा खा लिया है और शरीर भारीभारी लग रहा है तो ऐक्सरसाइज का टाइम बढ़ाएं. आप पहले आधा घंटा ऐक्सरसाइज करते थे तो उसे 1 घंटा कर दीजिए. इस से आप का शरीर थोड़े ही दिनों में पहले जैसा हो जाएगा.

तले हुए खाद्य पदार्थ से बचें : सब्जियों में ज्यादा घी, तेल न डालें, सिर्फ उतना ही डालें जितनी जरूरत हो. अगर आप दाल में ऊपर से घी डाल कर खाएंगे तो ये आप की सेहत से खिलवाड़ होगा.

Diwali Special: गिफ्ट वही जो हो सही

त्योहार यानी अपनों के साथ खुशियोंभरा समय, जिस में हम अपनी बिजी लाइफस्टाइल में से फुरसत के कुछ पल निकाल कर अपनों के साथ बिताते हैं. उन के साथ बातें करते हैं और खूबसूरत यादें बांटते हैं. अगर इस में उपहार का तड़का लग जाए तो सोने पे सुहागा वाली बात हो जाती है. बता दें कि उपहार लेना भला किसे पसंद नहीं होता. सभी को उपहार भाते हैं. लेकिन कई बार इन उपहारों में थोड़ी स्मार्टनैस न दिखाई जाए तो खुशियों का रंग फीका पड़ सकता है. जबकि, उपहार दे कर आप अपनों के चेहरे पर एक मीठी सी मुसकान बिखेर देते हैं. चलो जानते हैं कि इस दीवाली अपनों के लिए उपहारों का चयन कैसे करें. पसंद की चीजें दें

उपहार चेहरे पर मुसकान ला देता है, दिल को गार्डनगार्डन कर देता है. इस फैस्टिवल पर आप को अपनों को उपहार के नाम पर सिर्फ उपहार दे कर खानापूर्ति नहीं करनी है, बल्कि इस बार आप उन्हें उन की पसंद की चीजें गिफ्ट करें. जैसे बात करें मम्मीपापा को गिफ्ट देने की, तो आप कुछ समय पहले से ही बातोंबातों में उन के मन की बात जानने की कोशिश करें कि उन का क्या लेने का मन है.

अगर मम्मी को किचन के लिए कुछ खरीदने का मन है और आप को उस बात का आइडिया है तो आप उन के लिए वही खरीदें. यकीन मानें, जब आप उन्हें वे गिफ्ट देंगे तो उन के चेहरे पर जो चमक व खुशी नजर आएगी उस का आप को अंदाजा भी नहीं होगा.

ठीक उसी तरह अगर आप के पापा को कपड़ों का शौक है तो आप उन के लिए एक साइज ऊपर के कपड़े खरीदें. कोशिश करें उन के लिए औनलाइन शौपिंग करने की क्योंकि उस में रिटर्न करने में काफी आसानी होती है. मतलब जिस के लिए भी गिफ्ट खरीदें, उस की पसंद का ध्यान जरूर रखें. वरना चेहरे की मुसकान फीकी पड़ने में देर न लगेगी.

सेहतभरे उपहार दें

उपहारों और खुशियों का आदानप्रदान ही है दीवाली का त्योहार. लेकिन कोरोना महामारी के कारण समय ऐसा चल रहा है कि हर कोई अपनी हैल्थ का खासतौर पर ध्यान रख रहा है और ऐसे में अगर आप इस दीवाली अपनों को मिठाई का उपहार देना चाहते हैं तो अपना इरादा बदल दें. मिठाइयां आप के अपनों को बीमार कर सकती हैं. त्योहार के समय में मिठाइयों में मिलावट का धंधा जोरों पर होता है. ऐसे में आप अपनों को ड्राईफ्रूट्स, ग्रेन, बिस्कुट पैक्स, हैल्दी जूस, सूप पैक्स जैसे सेहतभरे उपहार दें. ये पैक्स अट्रैक्टिव लगने के साथसाथ सेहत का भी ध्यान रखने का काम करेंगे.

गिफ्ट वाउचर भी अच्छा औप्शन

अभी तक आप त्योहारों पर अपनी पसंद के गिफ्ट्स अपनों को देते ही आए हैं. लेकिन इस  दीवाली थोड़ा हट कर सोचें. इसलिए इस बार आप अपनों को गिफ्ट नहीं, बल्कि गिफ्ट वाउचर दें, जिसे आप औनलाइन आसानी से खरीद सकते हैं. जिसे आप इस वाउचर को दे रहे हैं, उन के नाम का मैसेज भी उस में ड्रौप कर सकते हैं. बहुत ही यूनीक आइडिया है.

बच्चों को दें क्रिएटिव चीजें

अगर इस दीवाली आप अपने घर के बच्चों के लिए गिफ्ट ले जाने को सोच रहे हैं तो उन्हें प्लास्टिक के टौयज या अन्य खिलौने देने के बजाय कुछ सीखने वाली चीजें दें. जैसे, आप उन्हें साइंस से जुड़े हुए कुछ मौडल बनाने वाले टौयज दे सकते हैं, उन के कोर्स से जुड़ी हुई कुछ काम की किताबें या फिर ऐसे गेम्स जो उन्हें खेलखेल में मजे के साथ लर्न करना भी सिखाएं. इस से उन्हें उपहार भी मिल जाएगा और इस बहाने वे कुछ काम की चीजें भी सीख जाएंगे.

जब कुछ न समझ आए

अगर आप सम झ नहीं पा रहे हैं कि आप इस त्योहार अपने घर गिफ्ट में क्या ले कर जाएं तो आप को हम एक बैस्ट औप्शन बताते हैं, जो हमेशा हर घर की जरूरत में शामिल रहता है. जी हां, हम बात कर रहे हैं बैडशीट की, जो हर मौम या फिर आप जिन्हें भी इसे देंगे, इसे जरूर इस्तेमाल करेंगे और इस गिफ्ट को पा कर वे अपनी खुशी का इजहार न करें, ऐसा हो ही नहीं सकता. कोशिश करें जब भी आप बैडशीट का चयन करें तो साइज बड़ा ही चुनें, क्योंकि अगर आप कई लोगों के लिए ले रहे हैं तो पता नहीं किस के बैड का साइज क्या है. इसलिए, बड़ा साइज चुनने में ही सम झदारी है. यकीन मानिए, यह गिफ्ट हर किसी को पसंद आएगा.

एक्सपायरी जरूर देखें

आप अगर त्योहार पर घर में गिफ्ट के साथ खानेपीने की चीजें ले जाने के बारे में सोच रहे हैं तो कुछ बातों का ध्यान रख कर ही खरीदें. जैसे, प्रोडक्ट्स की एक्सपायरी जरूर चैक करें, पैकेट कहीं से फटा तो नहीं है, इस बात का ध्यान जरूर रखें. मिठाइयां खरीदने से बचें और अगर खरीद भी रहे हैं तो ज्यादा चाशनी वाली व खोए वाली मिठाई खरीदने से बचें क्योंकि चाशनी वाली मिठाई से आप का बैग खराब होने का डर बना रहता है वहीं त्योहारों पर खोए वाली मिठाई में सब से ज्यादा मिलावट के चांसेस रहते हैं, जो अपनों की हैल्थ को खराब कर सकती है. इसलिए आप इस की जगह अच्छी व ब्रैंडेड दुकान से नमकीन, बिस्कुट, ड्राईफ्रूट्स, टौफी के पैकेट खरीद लें. ये त्योहारों पर बहुत काम के साबित होते हैं.

होम लाइट्स भी अच्छा गिफ्ट

दीवाली पर हर किसी को अपने घर को सजाने का दिल करता है. ऐसे में इस त्योहार अगर आप अपने घर जा रहे हैं तो आप घर को सजाने के लिए मार्केट में मिलने वाली अच्छी लाइट्स जैसा गिफ्ट भी अपनों को दे कर उन के चेहरे पर मुसकान ला सकते हैं. इस के लिए आप आजकल डिमांड में चल रहे एलईडी लाइट्स या बल्ब्स के औप्शन को भी चूज कर सकते हैं. यकीन मानिए, इन लाइट्स से जब आप का घर चमकेगा तो आप के अपनों के चेहरे पर खूब खुशी नजर आएगी. तब आप को सम झ आएगा कि शायद इस गिफ्ट से बेहतर और कोई गिफ्ट हो ही नहीं सकता था.

कपड़ों का सलेक्शन ध्यान से

त्योहार मतलब अच्छा खानापीना, लोगों का एकदूसरे के घर आनाजाना व नए कपड़े पहनना व एकदूसरे के साथ खूब खुशियोंभरे पल बांटना. ऐसे में अगर आप अपनों के लिए कपड़े ले जाने की सोच रहे हैं तो थोड़ा सम झदारी से काम लें. अगर ले जाना है तो एक साइज बड़े कपड़े खरीदें या फिर इस संबंध में किसी अपने की सलाह लें ताकि आप को सही साइज की गाइडैंस मिलने के साथ सलैक्शन में आसानी हो. हमेशा ट्रैंड में चल रहे कपड़े ही खरीदें, और जितना संभव हो अपने आसपास या नजदीकी मार्केट से ही खरीदें और साथ ही, रिटर्न पौलिसी के बारे में भी जरूर पूछ लें ताकि बदलने में आसानी हो.

फोटो फ्रेम दें उपहार में

जरूरी नहीं कि दीवाली पर कपड़े या फिर मिठाई ही उपहार के रूप में दी जाएं, आप थोड़ा क्रिएटिव सोचते हुए इस बार अपनों के यादगार पलों को मनचाहे फोटो फ्रेम में कैद कर के अपनों को ये शानदार गिफ्ट दे सकते हैं. जब भी उन की नजर आप के इस गिफ्ट पर जाएगी तो वे उन्हें आप की याद दिलवाने के साथसाथ आप के इस गिफ्ट की तारीफ करने को मजबूर जरूर करेंगे तो थोड़ा यूनीक सोचिए इस बार.

बजट का भी ध्यान रखें

चाहे बात हो औनलाइन की या औफलाइन की, जब भी आप कुछ खरीदें तो बजट का ध्यान जरूर रखें. साइट्स पर कंपेयर कर के ही खरीदें. कोशिश करें कि बिलकुल आखिरी समय पर न खरीदें, क्योंकि इस से आप का बजट गड़बड़ा सकता है. पहले से ही प्लान कर लें कि घर में किस के लिए क्या खरीदना है. इस से आप को चीजों को सलैक्ट करने में आसानी होगी. इस तरह आप दीवाली पर अपनों को जरूरत के हिसाब से व पसंद के गिफ्ट्स दे कर उन के चेहरे पर मुसकान ला सकते हैं.

Diwali Special: बॉयफ्रेंड के साथ दीवाली

दीवाली आते ही खुशियों का माहौल बनने लगता है. खुशियों को मिल कर मनाना चाहिए. ऐसे में दीवाली गर्लफ्रैंड और बौयफ्रैंड मिल कर मनाते हैं. आज समय बदल गया है. गर्लफ्रैंड और बौयफ्रैंड अब जौब वाले भी हैं. वे खुद पर निर्भर होते हैं. पहले गर्लफ्रैंड और बौयफ्रैंड टीनएज में होते थे तो उन के दायरे भी सीमित होते थे. आज युवा जल्दी ही जौब करने लगे हैं. इस के अलावा घरों से दूर होस्टल में या दूसरे शहरों में रह रहे हैं.

ऐसे में वे पहले के मुकाबले ज्यादा आजाद होते हैं. उन के सामने अब अवसर होते हैं कि वे आपस में मिल कर फैस्टिवल मना सकते हैं. पार्टीज करने के लिए जरूरी नहीं है कि महंगे होटल या पब में जाएं. किसी दोस्त के घर या छोटे होटल, पार्क में भी इस को कर सकते हैं.

प्रोफैशनल स्टडीज कर रही इसिका यादव कहती हैं, ‘‘गर्लफ्रैंड और बौयफ्रैंड ही नहीं, हम अपने सामान्य फ्रैंड्स के साथ भी दीवाली कुछ खास तरह से मना सकते हैं. कालेज और होस्टल में रहने वाले लोग छुटिट्यों में अपने घर जाते हैं. ऐसे में दीवाली से पहले दीवाली पार्टी और दीवाली के बाद भी पार्टी का आयोजन कर सकते हैं. उस में खास दोस्तों को बुला सकते हैं. पार्टी में डांस, म्यूजिक, गेम्स और कई तरह के प्राइजेज के साथ खानेपीने के अच्छे मैन्यू रख सकते हैं. युवाओं को यह अच्छा लगता है. दीवाली रोशनी यानी लाइटिंग का त्योहार होता है. पार्टी में लाइटिंग भी होनी चाहिए.’’

होस्टल में रहने वाले और कोचिंग के जरिए जौब की तैयारी करने वाले कुछ युवाओं की जब जौब लग जाती है तो वे अपनी तरफ से भी ऐसी पार्टी का आयोजन दीवाली सैलिब्रेशन के साथ कर लेते हैं जिस से उन की सक्सैस पार्टी भी हो जाती है और दीवाली की सैलिब्रेशन पार्टी भी. अपनी उम्र और अपनी पसंद के लोगों के साथ पार्टी करने का आनंद ही अलग होता है. ऐसे में दीवाली सैलिब्रेशन पार्टी बहुत अच्छी होती है. ज्यादातर लोगों की प्लेसमैंट के बाद इन्हीं महीनों में जौब लग चुकी होती है तो वह एक खास अवसर भी होता है.’’

अलग अंदाज में दें बधाई

दीवाली में बधाई देने का अंदाज पिछले साल से कुछ अलग हो, इस बात का खास खयाल रखें. पहले ग्रीटिंग कार्ड का जमाना था. इस के बाद एसएमएस आया और अब सोशल मीडिया आने के साथ व्हाट्सऐप के जरिए संदेश भेजे जाने लगे. कई बार लोग किसी और के भेजे गए बधाई संदेश आगे फौरवर्ड कर देते हैं.

ध्यान रखें, अब फौरवर्ड किए मैसेज में यह लिख कर आने लगा है कि यह मैसेज फौरवर्ड किया हुआ है. कुछ मैसेज में भेजने वाले का नाम लिखा होता है. कई बार जल्दी मैसेज भेजने के चक्कर में लोग दूसरे का नाम हटाना भूल जाते हैं. यह बहुत हास्यास्पद लगता है. जब भी किसी और का मैसेज आगे भेजते हैं तो उस को ध्यान से देख लें. गर्लफ्रैंड, बौयफ्रैंड ही नहीं, आम फ्रैंड्स को भी दीवाली की बधाई नए अंदाज में दें.

पूजा वाजपेई कहती हैं, ‘‘कोशिश करें कि खास दोस्तों को मिल कर बधाई दें. अगर दोस्त किसी और शहर में है तो फोन से बधाई दें. बधाई देने जाएं तो अपने साथ कुछ गिफ्ट जरूर ले कर जाएं. दोस्त किसी बाहरी शहर में है तो उस को कुरियर से गिफ्ट भेज सकते हैं.

‘‘आजकल औनलाइन गिफ्ट भेजना सरल हो गया है. दीवाली में गिफ्ट की कीमत की जगह आप के इमोशन दिखने चाहिए, यही युवाओं को पंसद आता है. पार्टी भी केवल कौफी की हो तो भी बेहद अच्छी लगती है. पार्टी में इस बात का खयाल रखें कि किसी भी तरह की नशे की चीजों का प्रयोग न करें. आजकल पार्टियों में नशे का प्रयोग होने लगा है. युवा ऐसी पार्टी से बच कर रहें.’’

उपहार में पैकिंग हो खास

उपहार देते समय इस बात का खास खयाल रखें कि गिफ्ट उस को पसंद आए. लड़कियों को डायमंड रिंग, नैकलैस, चौकलेट, परफ्यूम, एथनिक ड्रैसें पसंद आती हैं. ऐसे में अपने फ्रैंड की पसंद की चीजों को गिफ्ट में दें. किसी फ्रैंड को बुक्स बहुत अच्छी लगती हैं. आजकल तमाम तरह के गिफ्ट वाउचर भी हैं जिन को भी गिफ्ट की तरह से दे सकते हैं.

ब्यूटी सैलून के तमाम पैकेज होते हैं. वे अपनी गर्लफ्रैंड को दे सकते हैं. गिफ्ट आइटम की पैकिंग का काम करने वाली प्रीति शर्मा कहती हैं, ‘‘गिफ्ट देते समय इस बात का खास खयाल रखें कि उस की पैकिंग बेहद आकर्षक हो. आजकल ऐसे बहुत सारे प्रयोग होने लगे हैं जिन से दीवाली खास हो जाती है. पैकिंग को देने वाले या पाने वाले की रुचि के हिसाब से भी तैयार किया जा सकता है.‘‘

लड़कों को उपहार देना हो तो अच्छी ड्रैस दे सकते हैं. जैकेट, शर्ट और टीशर्ट आज के युवा बहुत पसंद करते हैं. उन्हें सिलवर या डायमंड के सिक्के भी दे सकते हैं व होम डैकोर की चीजें दे सकते हैं. वाल स्टीकर भी दिए जा सकते हैं. अलगअलग तरह की कैंडल्स भी दी जा सकती हैं. इन सब के साथ खानेपीने की चीजें भी उपहार में दें.

दीवाली में प्रदूषण को ले कर भी जागरूकता की जरूरत होती है. ऐसे में जरूरी है कि हम गिफ्ट में छोटेछोटे प्लांट या बोनसाई भी दे सकते हैं. घर में हरीभरी चीजें देखने को मिलती हैं तो बहुत अच्छा लगता है.

‘छप्पन भोग’ मिठाई शौप के मालिक नमन गुप्ता कहते हैं, ‘‘दीवाली गिफ्ट में अपने इलाके की मशहूर खानेपीने की चीजें दे सकते हैं. आज आसान बात यह है कि इन की औनलाइन शौपिंग कर के देशविदेश कहीं भी भेजा जा सकता है. ज्यादातर लोग एकजैसी खाने की चीजें ही भेजते हैं. सोहन पापड़ी को ले कर तमाम तरह के जोक्स बन चुके हैं. अगर आप अपने यहां की मशहूर खाने की चीजें उपहार में देंगे तो उस का अलग असर पड़ेगा.

‘‘अब कुरियर से तय समय और दिन में भी डिलीवरी देने का सिस्टम बन गया है. ऐसे में दीवाली के दिन शाम को सैलिब्रेशन के समय ही गिफ्ट खास दोस्त तक पहुंच सकता है.’’

Diwali 2022: वातावरण को शुद्ध बनाएं व जीवन मे खुशियां लाएं  

त्योहारों का सीजन शुरू हो गया है. सभी के घरों मे त्योहारों की तैयारी जोरों पर है. लोग घरों की साफ सफाई में जुट गए हैं या शौपिंग करने मे बिजी है. त्यौहारों के सीजन में  हर कोई अपने दोस्तों, रिश्तेदारों से भी मिलने जाते हैं. ऐसे में लोगों के रिश्तों मे मिठास बढ़ती है. लेकिन इस त्यहारों के सीजन में एक और चीज बढ़ रही है जिसकी कोई परवहा नहीं कर रहा है और वो है हमारे आस पास बढ़ता हुआ प्रदूषण का स्तर. चाहे वो धुआं हो, प्लास्टिक कचरा या पटाखों से बढ़ता प्रदूषण. दिवाली से पहले ही आकाश में प्रदूषण के धुंध की चादर फैली हुई है. दिवाली के त्योहार पर बढ़ते प्रदूषण का स्तर आपकी सेहत के लिए खतरा ना बन जाए इस बात को ध्यान में रखते हुए हम कुछ जरूरी टिप्स बता रहे है जिससे आप अपने आस पास प्रदूषण को बढ़ने से बचा सकते हैं.

करो कुछ ऐसा जो प्रकृति को भाए

  • दिवाली पर सब साफ सफाई में जुट जाते हैं. सफाई करते समय ध्यान रखें की अगर आपके पास कोई प्लास्टिक का ऐसा कचरा है जिस को हम किसी न किसी तरह  दोबारा इस्तेमाल कर सकते है तो उसे फेकें नहीं. उससे आप अपने घर की सजावट का सामान बना सकते हैं या उसमे पौधे लगा सकते हैं. जिससे आप वातावरण को भी शुद्ध बना सकते हैं और प्लास्टिक का दोबारा अच्छे तरीके से इस्तेमाल भी कर सकते हैं. क्योंकि प्लास्टिक मिट्टी के उपजाऊपन को नुकसान पहुंचाता है और ये आसानी से नष्ट नहीं होता है.
  • दुकानदार और खरीदार अभी भी प्लास्टिक के बैग का इस्तेमाल कर रहे हैं. पर्यावरण संरक्षण में छोटा सा योगदान देते हुए खरीदार कपड़े के या जूट के बने बैग का इस्तेमाल कर सकते हैं. गिफ्ट रैप करने के लिए भी बड़े पैमाने पर प्लास्टिक रैपर का इस्तेमाल होता है. पेपर से बने या ग्रीन फैब्रिक से बने रैपर का इस्तेमाल करें या ब्राउन बैग का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
  • दिवाली पर हर कोई पटाखे जलता है. पटाखों का जहरीला धुंआ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है और आसमान में भी धुंध सा छा जाता है, और यह वायु प्रदूषण को इतना ज्यादा बढ़ा देता है कि लोगों को मास्क के बिना घर से निकल पाना मुश्किल होता है. इसलिए पटाखों से दूरी बनाये और आप दूसरों को भी पटाखें ना खरीदने को लेकर जागरूक करें.
  • दीवाली को रोशनी का त्योहार कहा जाता है. लोग इस दिन घरों, औफिस और धार्मिक जगहों पर लड़ियां व मोमबत्ती जलाते हैं. इस बार मोमबत्ती की जगह दीए जलाएं. दरअसल, मिट्टी के बने दिए बायोडिग्रेडेबल होते हैं, जिससे पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं होता. और हो सके तो दिए रोड पर बैठे गरीब लोगों से खरीदें  न की दुकानदारों से आपकी खरीदारी उनके घर को रोशन कर सकती हैं.
  • दीवाली के दिन लोग अपने घर को  प्लास्टिक के फूलों से सजाते हैं. आप  प्लास्टिक की जगह फूलों की माला से डेकोरेशन कर सकते हैं. जो कि बहुत खूबसूरत दिखती है और साथ ही प्लास्टिक के इस्तेमाल से भी दूर रखती है.
  • यदि आपके घर मे मिठाई ज्यादा हैं तो किसी गरीब को दें. और हो सके तो कपड़े व खाना गरीबों में भेट करें जिससे वो भी अपना त्यौहार खुशी से मना सकें. ऐसा करने से आपको भी बेहद खुशी व सुकून मिलेगा.

Diwali 2022: दीवाली का पाखंड- पढ़िए दीवाली के पाखंडों का पूरा बहीखाता

हमारे देश में दीवाली के अवसर पर लक्ष्मी यानी धन पाने के लिए तरहतरह के ढकोसले किए जाते हैं. यज्ञहवन से ले कर तांत्रिक क्रिया भी करवाते हैं. दीवाली को ले कर लोगों के मन में कई तरह की मान्यताएं बनी हुई हैं जिस में से एक यह भी है कि दीवाली के दिन तांत्रिक क्रिया के जरिए अपनी बलाएं टाली जा सकती हैं. कुछ लोग दीवाली की रात लक्ष्मी की मूर्ति के आगे मूषक की बलि देते हैं, इस के पीछे यह अंधविश्वास है कि ऐसा करने से साल भर उन्हें भूतपिशाच से मुक्ति मिल जाएगी. सिर्फ यही नहीं, घर की गरीबी को दूर करने के लिए भी अलगअलग कर्मकांड देश के कई हिस्सों में किए जाते हैं. दीवाली के दिन लक्ष्मीगणेश पूजन का इतना महत्त्व दिया जाता है कि इस के लिए लोग पैसे को पानी की तरह बहाते हैं. व्यापारी वर्ग गद्दी पूजा के साथ अपने बहीखातों की भी पूजा करते हैं. लोगों में ऐसी मान्यता भी है कि जो लक्ष्मी पूजन पर जितना ज्यादा पैसा खर्च करता है. लक्ष्मी खुश हो कर उस पर उतने ही धन की वर्षा करती हैं. इस धारणा के चलते ही लाखों परिवार पंडितों का पेट भरते हैं. धर्मभीरु लोग लक्ष्मीगणेश की मूर्ति के सामने हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाते हुए धन, समृद्धि और कल्याण की कामना करते हैं. यही नहीं वे रात भर लक्ष्मी के स्वागत के लिए देशी घी का दीपक जलाते हैं ताकि लक्ष्मी रात में आ कर उन की दौलत को दोगुनाचौगुना कर दें.

कुछ लोग इसी कारण दीवाली के दिन अपने घर का दरवाजा खुला रखते हैं कि लक्ष्मी नाराज हो कर कहीं चली न जाएं. ये सारी कवायद तथाकथित धनदेवी लक्ष्मी को खुश करने के लिए की जाती है. शायद यही वजह है कि लोग लक्ष्मी के आगे शंख और घंटेघडि़याल बजाते हैं कि वह धन की देवी है, अगर खुश हो गई तो पौबारह, रात में आ कर सोना बरसा जाएगी तो आराम से उम्र भर खाएंगे और मौज करेंगे. एक और अंधविश्वास कि धनतेरस पर नया बरतन खरीदना चाहिए क्योंकि धन देवी लक्ष्मी धातु पर विराजमान हो कर घर को धनसंपत्ति से भर देती हैं. इस दिन सब से अधिक जुआ खेला जाता है. जो लोग कभी जुआ नहीं खेलते वे भी इस दिन रीति, परंपरा या लक्ष्मी की प्रसन्नता के नाम पर जुआ खेलते हैं.

अब सवाल यह उठता है कि दीवाली को ही ये सारे कर्मकांड क्यों किए जाते हैं? इस के पीछे यह धारणा है कि इस दिन विष्णु के साथ लक्ष्मी धरती पर विचरण करती हैं और जो पूजापाठ के जरिए उन्हें खुश कर देता है वह उन की सारी मनोकामनाएं पूरी कर देती हैं. शायद यही वजह है कि लोग इस दिन लक्ष्मीपूजन, हवन और दानदक्षिणा देते हैं. यदि हम लक्ष्मी पूजा के मंत्रों की बात करें, तो पंडितों के कहे अनुसार ऐसी मान्यता है कि लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करने से हमें लक्ष्मी की कभी कमी नहीं होगी. दूसरे, अगर लक्ष्मी पूजन से हमारे सारे दुख दूर हो जाते और हम सुखी हो जाते, तो लक्ष्मी की पूजा एक दिन ही क्यों फिर तो पूरे साल की जानी चाहिए.

यह सब अंधविश्वास और ढकोसले भी पंडितों के द्वारा फैलाए गए हैं. पंडितों ने पूजा के लिए एक विशेष दिन बना रखा है. मायावी मंत्रों के जरिए लोगों को इस कदर जकड़ रखा है कि वे इस मकड़जाल में फंसते जाते हैं. उन्हें लगता है पंडित जो कह रहा है वह सच कह रहा है. सवाल उठता है कि अगर ऐसा होता, तो पंडित घरघर जा कर क्यों भटकता है, क्योंकि सब से ज्यादा लक्ष्मी का नाम तो वही लेता है. जब लक्ष्मी उस का ही भला नहीं कर सकती, तो आम जनता का भला क्या वह खाक करेगी. मजेदार बात तो यह है कि दूसरों को भूखे रहने की सलाह दे कर वह खुद उन के यहां भरपेट भोजन कर के आता है.

अब आप इस मंत्र को ही देखिए : अहं श्रुतिस्मृतिपुराणोक्तफलावाप्ति- कामनया ज्ञाता……….

इस संकल्प वाक्य को पढ़ कर जल को गणेशजी के पास छोड़ दें. इस के अलावा एक बानगी और देखिए कि गणेशजी की पूजा करने से पहले बाएं हाथ में अक्षत ले कर आप को एक मंत्र पढ़ना है और वह यह है : ॐ मनो जूतिर्जुषतामाज्यस्य बृहस्पति- र्यज्ञमिमं तनोत्वरिष्टं यज्ञ……….

इस मंत्र को पढ़ते हुए जल गणेश पर छिड़कना होता है और उस के बाद इस मंत्र को पढ़ते हुए फिर दाहिने हाथ से उस अक्षत को गणेश के पास छोड़ना है, लेकिन यह बात समझ से बाहर है कि चार बूंद जल गणेश को छिड़कने से क्या हो जाएगा? एक तो इस का शुद्ध उच्चारण करना कठिन है इसलिए यह सिर्फ एक औपचारिकता है. गौर करने वाली बात यह है कि एक पत्थर की मूर्ति को शुद्ध करने के लिए इतना सब ढोंग किया जाता है और आप जिसे अक्षत कहते हैं वह चावल होता है जिसे यों ही बरबाद कर दिया जाता है. पत्थर की मूर्ति पर अक्षत के नाम पर जो चावल फेंका जाता है, जरा सोचिए कि इस तरह कितना चावल बरबाद किया जाता होगा. अगर एक परिवार 50 ग्राम भी चावल लक्ष्मी पूजा के नाम पर बरबाद करता है, तो देश में कितना अधिक चावल इस नाम पर बरबाद हो रहा है.

आज बिहार में आई कोसी में बाढ़ के कहर के चलते लाखों लोगों को ऐसे चावलों की दरकार है जो अक्षत के नाम पर बरबाद होते हैं. एक और मंत्र देखिए :

महालक्ष्म्यै नम:. पय:स्नानं समर्पयामि. पय:स्नानान्ते शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि. अर्थात गो के कच्चे दूध से स्नान कराएं, पुन: शुद्ध जल से स्नान कराएं.

सवाल यह उठता है कि अपने देश में करोड़ों बच्चे भूख से बिलख रहे हैं, उन्हें पीने के लिए दूध तक नसीब नहीं होता. वहीं अंधविश्वास में डूबे ये पाखंडी हजारों लिटर दूध भगवान पर चढ़ाने के नाम पर नालियों में बहा देते हैं. क्या आप को नहीं लगता कि अगर इस दूध को यों बरबाद करने के बजाय किसी भूखे को पिला दिया जाए, तो आप का भगवान ज्यादा खुश होगा क्योंकि भगवान ही तो कहता है कि गरीब की मदद करो और भूखे को रोटी दो, फिर अगर आप ने वह दूध भगवान पर चढ़ाने के बजाय किसी भूख से बिलखते बच्चे को दे दिया तो क्या वह नाराज हो जाएगा? अगर नहीं तो फिर पंडितों की बातों में आ कर यह ढकोसला क्यों? यह मंत्र देखिए :

मन्दाकिन्यास्तु यद्वारि सर्वपापहरं शुभम्. तदिदं कल्पितं तुभ्यं स्नानार्थ प्रतिगृह्यताम्.

जहां तक बात शुद्ध पेय जल की है, तो यह तो सभी जानते हैं कि शुद्ध जल लोगों को पीने को नहीं है. अशुद्ध जल पीने के कारण लोग हैजे जैसी कितनी ही बीमारियों से घिरे रहते हैं. जब शुद्ध जल पीने को नहीं है तो फिर भगवान की मूर्ति पर चढ़ाने के लिए कहां से आएगा? जरा इस मंत्र को पढि़ए :

रत्नकङ्णवैदूर्यमुक्ताहारादिकानि च. सुप्रसन्नेन मनसा दत्तानि स्वीकुरूष्व भो:.

इस के बाद भी मंत्र चलता रहता है और आखिर में : ॐ महालक्ष्म्यै नम:. नानाविधानि कुण्डलकटकादीनि…

इस मंत्र का जाप कर आभूषण दान करने की बात कही जाती है. इन आभूषणों में सोना, चांदी आदि कुछ भी हो सकता है और जो भी चीज पूजा में चढ़ गई वह पंडित की हो जाती है. इसलिए वे जानबूझ कर और औकात देख कर वस्तु की मांग करते हैं. यह भी सच है कि अमीर जजमान के यहां जाना ये खासतौर से पसंद करते हैं क्योंकि वहां से चढ़ावा भी अच्छा मिलता है. वैसे इन पंडितों से पूछा जाए कि जिस के पास दान देने को कुछ नहीं वह क्या करे? तो इस पर इन का जवाब होता है कि हर व्यक्ति को अपने सामर्थ्य के अनुसार दान देना चाहिए. मतलब यह कि अगर गरीब हो तो भी दान करो, चाहे उस के लिए कर्ज ही क्यों न लेना पड़े. अब इस मंत्र को पढि़ए :

हिरण्यगर्भगर्भस्थं हेमबीजं विभावसो:. अनंतपुण्यफलदमत: शान्ति प्रयच्छ मे.

इस मंत्र का जाप करने के बाद यह मंत्र पढ़ें : ॐ महालक्ष्म्यै नम:, दक्षिणां समर्पयामि.

लगता है कि इस श्लोक को पढ़े बिना पंडितों का लक्ष्मी पूजन अधूरा है. ये लोग इस मंत्र को पूजा के बीचबीच में पढ़ते रहते हैं ताकि दक्षिणा मिलती रहे क्योंकि अगर सब से आखिर में पढ़ा तो हो सकता है कि दक्षिणा न मिले. इन की बुद्धिमत्ता देखिए कि ये मंत्रोच्चारण के बीच में कभी कलश पर कुछ दक्षिणा डालने की बात करते हैं, तोे कभी थाली में कुछ डालने की मांग करते हैं ताकि इन की झोली हरेक मंत्र के बाद भरती रहे. वैसे कार्य समापन पर दक्षिणा ये अलग से लेते हैं जो इन की पूजा कराने से पहले तय हुई है. यह सारा खेल है ही पंडितों का अपनी कमाई करने का. वैसे तो पूरे साल ये ढकोसले चलते रहते हैं लेकिन त्योहारों के अवसर पर खासतौर से इस का लाभ पंडितों को मिलता है.

एक अन्य मंत्र देखिए : ॐ सर्वा बाधा बिनर्मुक्तो धन धान्य सुतान्नित:

मनुष्यों मत: प्रसादेन भविष्यतिन शंसय:. लक्ष्मी माता सभी बाधाओं को दूर करने वाली होती है. धन, धान्य, पुत्र, परिवार सबकुछ सुलभ ही प्राप्त हो जाता है. मनुष्य को इस बारे में कोई शंका नहीं करनी चाहिए. इस संसार में जो लक्ष्मी को मानता है उसे धन की प्राप्ति होती है.

सिर्फ यही नहीं बल्कि कई मंत्रों मेंलोगों को यह बताया जाता है कि जो दिनरात पूजापाठ करता है उस का धन और वैभव बढ़ता ही जाता है लेकिन अगर धन आ जाने के बाद लक्ष्मी की पूजा नहीं करोगे, तो वह धन वापस ले लेगी. कई जगह यह भी कहा गया है कि जो जितना पूजापाठ करेगा उसे उतने ही अधिक धन की प्राप्ति होगी. यानी कि ज्यादा पूजा करने से लक्ष्मी की असीम कृपा होगी. अगर इस बात पर विश्वास किया जाए, तो सब से ज्यादा अमीर तो इन पंडितों को होना चाहिए लेकिन इन का ही कोई ठौरठिकाना नहीं होता तो आम जनता के लिए क्या कहा जा सकता है.

ऐसे एक नहीं कई मंत्र हैं जिन्हें पढ़ कर कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता. त्योहारों पर धार्मिक कर्मकांड दकियानूसी और पिछड़ेपन की इन्हीं मान्यताओं और ढकोसलों की वजह से बढ़ रहे हैं, दीवाली को महिमामंडित करने के लिए ही लक्ष्मी पूजन जैसी किताबों को लिखा गया है ताकि पंडेपुजारी इन कर्मकांडों के जरिए जनता के सामने नमकमिर्च लगा कर पेश कर सके और जनता त्योहार के नाम पर बेवकूफ बन कर इन पंडों की झोली भरती रहे.

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