कोरोना जैसी वैश्विक महामारी को लेकर, आपने लापरवाही का ऐसा घटनाक्रम कहीं नहीं देखा होगा. आइए! आपको ले चलते हैं आज छत्तीसगढ़ – जहां भूपेश बघेल की सरकार है. जहां कोरोना नाम मात्र को नहीं था और आज कोरोना जयपुर, इंदौर, भोपाल रांची से भी आगे निकल रहा है.
जी हां! यह कमाल यहां डॉक्टरों ने दिखाया है की एक पेशेंट की दो रिपोर्ट आ गई – एक में बताया कोरोना नेगेटिव और दूसरे में कोरोना पॉजिटिव. है ना कमाल की बात.
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यहां छत्तीसगढ़ में सब कुछ संभव है.क्योंकि यहां मुखिया भूपेश बघेल का प्रशासनिक अश्व कहे जाने वाली व्यवस्था पर जरा भी अंकुश नहीं है. एक समय में जब छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस दूर-दूर तक दिखाई नहीं देता था. तब की हुई लापरवाही ने आज छत्तीसगढ़ को कोरोना वायरस की खंदक की लड़ाई के बीच ला खड़ा किया है. इसका खामियाजा यहां की आवाम झेल रही है. और सरकार केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर के रुपए पैसों की मदद मांग रही है. यह दृश्य देखकर बेहद कोफ्त होती है कि छत्तीसगढ़ किस तरह लूज पुंज हाथों में आकर तबाही की ओर बढ़ रहा है. जिसका सबसे ज्वलंत उदाहरण है यह एक मामला -जब एक युवक की कोरोना पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों रिपोर्ट आज सार्वजनिक हो करके सुर्खियों में है. और आम जनता सवाल पूछ रही है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी! छत्तीसगढ़ में यह क्या हो रहा है और आप इस पर क्या एक्शन करने जा रहे हैं?
बेवजह मारा गया युवक!
सबसे दुखद स्थिति यह है कि बिलासपुर के “अपोलो अस्पताल” ने पॉजिटिव बताकर उसी के मुताबिक़ उपचार किया और युवा मरीज की अंततः तड़प-तड़प कर मौत हो गई.
दूसरी तरफ उसी युवक को-
“सिम्स” ने बताया निगेटिव. संपूर्ण घटनाक्रम इस प्रकार है कि अपोलो अस्पताल बिलासपुर में मनेंद्रगढ़ निवासी शुभम कुमार यादव नामक जिस युवक का कोविड-19 के पॉजिटिव मरीज के रूप में इलाज किया जा रहा था. उसी मरीज के कोरोना वायरस कोविड-19 की कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट को सिम्स द्वारा नेगेटिव बताया है . अब, किस रिपोर्ट को सही मानें और किसे गलत…यह सवाल मनेंद्रगढ़ के मृतक शुभम कुमार यादव के परिजनों को हैरान कर रहा है. और हैरानी की बात ही है की अपोलो जैसा प्रतिष्ठित अस्पताल उस मरीज को कोविड-19 का पॉजिटिव बताकर इलाज कर रहा था जिसकी टेस्ट रिपोर्ट को छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस (सिम्स) अपनी रिपोर्ट में नेगेटिव बता रहा है.
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यह एक उदाहरण है जो साफ बता रहा है कि छत्तीसगढ़ में कोरोनावायरस कोविड-19 के नाम पर मरीजों के साथ इस तरह का जानलेवा खिलवाड़ किया जा रहा है. चिंता की स्थिति यह है कि सिम्स के द्वारा नेगेटिव बताए गए जिस शुभम यादव को पॉजिटिव बता कर अपोलो अस्पताल के द्वारा पता नहीं कौन सा उपचार किया जा रहा था? जिससे उसकी मौत हो गई. प्रदेश शासन और जिला प्रशासन तथा सीएमएचओ बिलासपुर को इस मामले को गंभीरता से लेकर पूरी जांच करनी चाहिए मगर सभी विभाग मौन है, अगर जांच की जाती है तो दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता है. क्या प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग इसे भी गंभीर आपराधिक चूक का मामला नहीं मानता..?
क्या दोषी लोगों पर सख्त कार्रवाई नहीं होनी चाहिए ताकि आगामी समय में कोरोना वायरस जैसे महामारी को लेकर के चिकित्सा प्रबंधन स्वास्थ्य अधिकारी कर्मचारी मुस्तैद रहें. यहां ऐसी अफरा-तफरी मची हुई है जिसे देखकर शर्म आती है क्योंकि शासन प्रशासन की नाक के नीचे किसी एक की लाश, किसी को दे दी जाती है यहां कोरोना मरीज के मरने के बाद “शव” अदला बदली का खेल भी आंखें बंद करके जारी है. और शासन किसी पर कोई एक्शन नहीं ले रहा था गाज नहीं गिरा रहा.
नामी राजधानियां पीछे हुईं
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कोरोना का जबरदस्त विस्फोट हुआ है.यहां हालात देश के गंभीर संक्रमण वाले शहरों से कहीं आगे निकल चुकी है राजधानी रायपुर में कोरोना संक्रमण के वर्तमान के आंकड़ों को देखा जाए तो रायपुर में जितने मरीज प्रतिदिन सामने आ रहे हैं और जितने अस्पतालों में भर्ती हैं, उतने कभी कोरोना संक्रमण के लिए चर्चित जयपुर, जोधपुर, इंदौर, भोपाल, जबलपुर, रांची, लखनऊ और कानपुर में नहीं है.जबकि रांची को छोड़कर बाकी सभी शहर आबादी के लिहाज से रायपुर से दो और तीन गुना ज्यादा बड़े हैं.
यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि भोपाल, जयपुर और लखनऊ जैसे बड़े महानगरों के साथ-साथ बड़े राज्यों की राजधानी भी है. हां राहत की खबर यह है कि है कि रायपुर में मौतों का आंकड़ा कम है, इस मामले में भोपाल, इंदौर और जयपुर से रायपुर पीछे है.
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साथ ही यह भी सच है कि राजधानी रायपुर में मरीजों के स्वस्थ होने की दर यानी रिकवरी रेट भी इन शहरों से कम है.
विशेषज्ञों के अनुसार रायपुर में लगातार बढ़ रहे मरीजों में वे लोग ज्यादातर हैं जो प्राइमरी कांटेक्ट में आए हैं, इस कारण एक मोहल्ला या एक घर से बड़ी संख्या में लोग कोरोना से संक्रमित निकल रहे हैं.
छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल
सरकार अपने सिस्टम को दुरूस्त करने में लगातार फ्लॉप सिद्ध हुई है, यही कारण है कि रायपुर समेत छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण नगरों के के हालात लगातार बदतर होते जा रहे है.
जानकारी के अनुसार रायपुर में संक्रमण की जांच के लिए जांच सेंटरों में कलेक्ट किए गए प्रभावितों के सैम्पल भी “गुम” हो रहे हैं.जिसके कारण भी सिर्फ चक्कर काटते पीड़ितों का संक्रमण बढ़ रहा है. वहीं उनकी जान जाने का खतरा बढ़ता जा रहा है.
रायपुर के सामाजिक कार्यकर्ता प्रेम गुप्ता के अनुसार सरकार से अपेक्षा है कि सिर्फ चापलूस अधिकारियों के द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के बाद खुश हो जाने वाले प्लान से वे बाहर आएं वहीं
राजस्थान के “भीलवाड़ा” या मध्यप्रदेश के “इंदौर मॉडल” को अपनाते हुए, कोरोना संक्रमण की रोकथाम में विफल रायपुर के प्रशासनिक सिस्टम पर अपनी तीव्र प्रखर दृष्टि डालें.