पिछले साल कोरोना महामारी के चक्कर में दुनिया दूसरे हादसों से इतनी कट गई थी कि सुर्खियों में आई बड़ीबड़ी और दिल दुखाने वाली खबरों को उस ने मानो नजरअंदाज कर दिया था.

नवंबर का महीना था. उत्तर प्रदेश के बागपत जनपद में ईस्टर्न पैरिफेरल ऐक्सप्रैसवे पर एक रात बहुत बड़ा हादसा हुआ था. हिमाचल प्रदेश से उत्तर प्रदेश के बरेली जा रही तेज रफ्तार डबल डैकर बस कंट्रोल खो कर हाईवे पर पलट गई, जिस में सवार 28 मुसाफिर घायल हो गए.

उस बस में तकरीबन 200 सवारियां थीं और दीवाली पर घर जा रही थीं. बस तेज रफ्तार चल रही थी. मुसाफिरों ने कई बार ड्राइवर को धीरे चलाने के लिए कहा, लेकिन ड्राइवर शराब पी कर गाड़ी चला रहा था. इतने में बस रोड की साइड में टकरा कर पलट गई.

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एक और मामले पर नजर डालते हैं. नवंबर का ही महीना था और साल 2020. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के टाटीबंध चौक के करीब आधी रात को एक तेज रफ्तार कार कंट्रोल खो बैठी और सड़क किनारे लगी लोहे की एक सेफ्टी वाल से टकरा गई. इस हादसे में एक नौजवान की मौके पर मौत हो गई.

पुलिस के मुताबिक कार में बैठे तीनों नौजवानों शुभम पांडेय, वैभव तिवारी और नीतीश यादव ने शराब पी रखी थी. वे रायपुर से भिलाई लौट रहे थे. कार वैभव तिवारी चला रहा था.

टाटीबंध चौक के पास पीछे बैठे नीतीश यादव ने नशे के झोंके में कहा, ‘अब कार मैं चलाऊंगा…’ और यह कह कर वह चलती गाड़ी में ही पीछे की सीट से ड्राइविंग सीट की ओर आगे आने की कोशिश करने लगा. इस से कार बेकाबू हो गई. सेफ्टी वाल का एक टुकड़ा विंड स्क्रीन तोड़ता हुआ कार के अंदर आ गया. इस हादसे में नीतीश यादव की मौके पर ही मौत हो गई.

हमारे देश में शराब पी कर गाड़ी चलाने से होने वाले हादसों की फेहरिस्त बड़ी लंबी है, इस के बावजूद लोग नहीं मानते हैं. इस तरह के हादसों के शिकार हर उम्र के लोग होते हैं, मतलब यह कि बालिग, पढ़ेलिखे और समझदार लोग भी शराब पी कर गाड़ी चलाते हैं और मौत के खतरनाक सफर पर निकल पड़ते हैं.

ऐसे ही आंकड़ों की बात करें तो पता चलता है कि हर साल 14,000 से ज्यादा सड़क हादसे केवल इसलिए हो जाते हैं कि गाड़ी चलाने वाले ने शराब पी रखी होती है. उत्तर प्रदेश में साल 2017 में 3336, साल 2018 में 3595 और साल 2019 में 4496 हादसे शराब पीने के चलते हुए थे. इसी तरह ओडिशा में साल 2017 में 1533, साल 2018 में 1220 और साल 2019 में 1068 हादसे दर्ज किए गए थे.

यह तो महज 2 राज्यों का ब्योरा है, जबकि देशभर के दूसरे राज्यों में भी शराब के नशे में की गई भिड़ंत खबरों की सुर्खियां बनती रहती हैं. पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में भी 90 फीसदी सड़क हादसे चालक के नशे में रहने की वजह से होते हैं. दुख और हैरत की बात है कि इन में मरने वाले ज्यादातर लोगों की उम्र 18 से 35 साल तक होती है.

यही वजह है कि ड्रंक एंड ड्राइव यानी शराब पी कर गाड़ी चलाने को ले कर साल 2017 में दिल्ली की जिला और सत्र अदालत के जज गिरीश कठपालिया ने तो अपने एक फैसले में यह तक कह दिया था कि शराब पी कर गाड़ी चलाना एक निर्धारित अपराध नहीं है, लेकिन एक गंभीर समाजिक खतरा है. शराब पी कर गाड़ी चलाने वाला इनसान न केवल अपनी जिंदगी को जोखिम में डालता है, बल्कि सड़क पर चलने वाले दूसरे की जिंदगी से भी खेलता है.

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जज ने आगे कहा कि ऐसे हादसों का शिकार सड़क का इस्तेमाल करने वाले लोग और साथ ही शराब पी कर गाड़ी चलाने वाले ड्राइवर का परिवार बेकुसूर होता है. सड़कों पर चलने वाले ऐसे चालक किसी ‘आत्मघाती हमलावर’ से कम नहीं हैं.

ऐसी ही किसी अनहोनी को रोकने के मद्देनजर केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने जुलाई, 2019 में ‘मोटर व्हीकल(संशोधन) बिल, 2019’ को लोकसभा में पेश किया था. इस संशोधित मोटर ह्वीकल ऐक्ट में सड़क यातायात उल्लंघन को ले कर नियमों को कड़ा किया गया है. संशोधित बिल में यह भी प्रस्ताव रखा गया है कि शराब पी कर गाड़ी चलाने पर 10,000 रुपए जुर्माना की सजा होगी.

लेकिन लोग कहां मानते हैं. सब से ज्यादा दिक्कत उन महिलाओं के साथ होती है, जिन के पति या पुरुष साथी अमूमन शराब पी कर गाड़ी चलाते हैं और बगल में बैठने से उन की जान भी सांसत में रहती है. कभीकभार उन्हें ऐसा करना रोमांचक लग सकता, पर उन्हें जज साहब की चेतावनी पर ध्यान देना चाहिए कि शराब पी कर गाड़ी चलाने वाले लोग ‘आत्मघाती हमलावर’ होते हैं.

क्या है इलाज?

यह समस्या उन महिलाओं के सामने ज्यादा पेश आती है, जो खुद ड्राइविंग नहीं जानती हैं और पुरुष साथी के नशे में होने के बावजूद वे उन के साथ बैठने के लिए मजबूर होती हैं. ऐसे हादसों में ड्राइवर की मौत होने या उसे गंभीर चोट आने का खतरा सब से ज्यादा होता है. चूंकि ज्यादातर मामलों में वह पुरुष उस महिला का पति होता है, लिहाजा हादसा होने के बाद सब से बड़ा घाटा महिला का ही होता है.

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अगर वह महिला गाड़ी चला सकती है तो ड्राइविंग कर के ऐसे हादसों को कम कर सकती हैं, पर अगर ऐसा मुमकिन नहीं हो पाता है तो उसे अपने पुरुष साथी के साथ सख्ती से पेश आना चाहिए और इन बातों पर अमल करना चाहिए :

  • हो सके तो पुरुष साथी को शराब पी कर गाड़ी चलाने से मना करें.
  • अगर ऐसा मुमकिन नहीं है तो अपनी गाड़ी को छोड़ कर किसी कैब या प्राइवेट टैक्सी से घर जाने में भलाई है.
  • पुरुष साथी को मजे के लिए शराब पीने के लिए बिलकुल न उकसाएं. यह अपने पैर पर खुद कुल्हाड़ी मारने जैसा है.
  • अगर आप ने खुद शराब पी हुई है और पुरुष साथी भी नशे में है तो उसे तेज रफ्तार गाड़ी चलाने के लिए कतई न कहें.
  • यह बात याद रखें कि शराब पी कर गाड़ी चलाना खुद को खतरे में तो डालता ही है, सामने वाले की जान भी आफत में डाल देता है, इसलिए अपने पुरुष साथी को कंट्रोल में रखें, क्योंकि ऐसे हादसों में मरने वाले के परिवार वाले ज्यादा और उम्रभर तक भुगतते हैं.
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