7 से 11 जनवरी 2021 के बीच सिडनी में खेले गये इस टेस्ट मैच में सब कुछ था. रोमांच, हार-जीत की नजदीकियां, खिलाड़ियों का गुस्सा, दर्शकों की खीझ और इन सबमें सबसे ऊपर था, भारतीय खिलाड़ियों का लड़ने, मरने का जज्बा. भारत ने पहले औस्ट्रेलिया को 338 रनों में आउट कर दिया, इसके बाद 70 रनों की एक बेहतर ओपनिंग से शुरु हुई भारतीय पारी पहले ही विकेट के गिरने के साथ ही धीरे-धीरे बिखरती गई और 244 रनों पर आल आउट हो गई.
इस तरह औस्ट्रेलिया को 94 रनों की लीड मिली और उसने दूसरी पारी में 312 रन और बनाकर भारतीय टीम को 407 रनों का लक्ष्य दिया. चौथी पारी में 400 रन हाल के सालों में कोई भी टीम नहीं बना पायी, बनाना तो दूर कोई टीम इसे बनाने की कोशिश करते हुए भी नहीं दिखी.
यही से शुरु होती है भारतीय टीम के जज्बे की कहानी. पहली पारी की तरह ही दूसरी पारी में भी भारत की ओपनिंग जोड़ी ने ठीकठाक किया. अगर पहली पारी में ओपनिंग जोड़ी ने 70 रन बनाये थे, इस दूसरी पारी में भी पहला विकेट 71 रनों पर शुभमन गिल का गिरा. हालांकि शुभमन गिल दोनो पारियों में अच्छी लय के साथ शुरुआत की, लेकिन दोनों बार ही वे अपनी पारी को बढ़ा नहीं सके. पहली पारी में जरूर शुभमन ने 50 रन बनाए, मगर दूसरी पारी में 31 रन बनाकर ही वो आउट हो गये. लेकिन शुभमन भले आउट हो गये थे, लेकिन रोहित शर्मा लय में लग रहे थे.
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हालांकि 52 रन बनाकर वह भी आउट हो गये. इस तरह चैथे दिन शाम को ही भारत अपने दोनों सलामी बल्लेबाज गंवा चुके थे, अब सारा दारोमदार कप्तान अजिंक्य रहाणे और चेतेश्वर पुजारा के कंधों पर था.
हर भारतीय यह दुआ कर रहा था कि पांचवें दिन चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे कम से कम लंच तक तो खेलें ही तभी मैच बचाने की सोची जा सकती है. लेकिन पिछले दिन के रनों में महज 10 रन ही जुड़े थे कि कप्तान अजिंक्य रहाणे आउट हो गये. उस समय भारत के खाते में कुल 102 रन थे और करीब करीब पूरे दिन का खेल बचा हुआ था, लग रहा था भारत का मैच बचाना तो दूर, हार भी इज्जत के साथ नसीब नहीं होगी. क्योंकि पिछली पारी में बल्ले और गेंद से जज्बा दिखाने वाले रविंद्र जडेजा और ऋषभ पंत दोनो ही घायल हो गये थे.
ऋषभ पंत ने तो कीपिंग भी नहीं की थी, उनकी जगह रिद्धिमान शाहा ने कीपिंग की थी और जडेजा भी मैदान से बाहर थे. पंत की एल्बो भयानक रूप से सूजी हुई थी और रविंद्र जडेजा को फ्रेंक्चर हुआ था.
लेकिन बात जज्बे की थी, मैच को बचाने की थी, तो पंत और अजिंक्य रहाणे के बाद मैदान पर उतरे और न सिर्फ उतरे क्या शानदार ताबड़तोड़ बल्लेबाजी की.
उनकी बल्लेबाजी को देखकर तो यही लग रहा था कि अगर अगले 15 ओवर तक वह और टिक जाएंगे तो हर हाल में भारत मैच जीत जायेगा. लेकिन सांसें रोक देने वाले इस मैच की भविष्यवाणी इतनी आसान नहीं थी. 118 गेंदों पर 97 रनों की ताबड़तोड़ पारी खेलने वाले पंत शतक से महज 3 रन पहले आउट हो गये. उनकी इस धुआंधार पारी में 12 चौक्के और 3 छक्के शामिल थे. जिस गेंद में वे बाउंड्री पर पकड़े गये, अगर उसमें बच जाते तो न सिर्फ यादगार शतक बनाते बल्कि कहानी ही कुछ और लिख जाते.
लेकिन 250 रनों के स्कोर पर भारत का चैथा विकेट गिर गया, जबकि अभी जीत के लिए 197 रनों की दरकार थी. पुजारा अभी भी डटे हुए थे, लेकिन पुजारा से यह उम्मीद तो की जाती है कि वह टिके रहेंगे, लेकिन मैच विनिंग पारी खेलना हाल फिलहाल के उनके खेल को देखकर आसान नहीं लगता. हालांकि पुजारा ने काफी देर तक रूकने की कोशिश की, लेकिन 22 रनों के बाद आखिरकार 205 गेंदों में 77 रन बनाकर वो भी चलते बने.
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भारत का पांचवा विकेट गिर चुका था और खेल अभी करीब 44 ओवरों का बचा हुआ था. हार निश्चित दिख रही थी. इसलिए भी क्योंकि चेतेश्वर पुजारा के साथ क्रीज में डटे हनुमा विहारी की हैम्सट्रिंग खिंच गई थी, वह लंगड़ाकर चल रहे थे, एक एक रन लेना उनके लिए मुश्किल था और जिस किस्म से पिच अनियमित उछाल ले रही थी, उसे देखते हुए बड़े और लंबे शाॅट खेलना उनके लिए संभव नहीं लग रहा था.
बहरहाल उनका साथ देने रविचंद्रन अश्विन आये. हालांकि कई मौकों पर उन्होंने अच्छी बल्लेबाजी की है, लेकिन हैं तो वह अंततः गेंदबाज ही. इसलिए लग नहीं रहा था कि अब कुछ चमत्कार बचा है. लेकिन मैच जैसे जैसे आगे बढ़ा, चमत्कार अपनी शक्ल लेने लगा. अश्विन न सिर्फ एक मंझे हुए बल्लेबाज की तरह बल्लेबाजी कर रहे थे, बल्कि अपनी तकनीक में वे राहुल द्रविड़ की याद दिला रहे थे तो हनुमा विहारी अपने जज्बे में वीवीएस लक्ष्मण जैसे बन गये थे और धीरे धीरे उन्होंने वह करके दिखा दिया, जो लक्ष्मण और द्रविड़ ने इसी औस्ट्रेलिया टीम के विरूद्ध कोलकाता के उस ऐतिहासिक मैच में किया था, जिसमें फाॅलोआन के बाद भी न केवल मैच में वापसी करते हुए भारत ने अपना रंग जमाया बल्कि औस्ट्रलिया को चारो खाने चित भी किया.
औस्ट्रलियाई खिलाड़ी न सिर्फ विकेट के लिए तरस गये बल्कि वे भारतीयों के इस जज्बे से बुरी तरह से खीझ भी गये. यहां तक स्मिथ जैसा विश्व का बेहतरीन बल्लेबाज आसन्न ड्रा को देखते हुए ऐसी हरकतें करने पर उतर आया, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती थी. लेकिन हनुमा विहारी और अश्विन इन तमाम बेचैनियों से बेफिक्र अपने मिशन में लगे रहे और मैच को ड्रा कराके ही छोड़ा. दोनों बल्लेबाजों ने 256 गेंदे खेलीं और 62 रन बनाए. हनुमा विहारी ने कुल 161 गेंदे खेलीं और अश्विन ने 128 गेंदे खेलीं. विहारी ने एक पार्टनरशिप पुजारा के साथ भी बनायी थी.
हनुमा विहारी ने चोटिल होने के बावजूद 161 गेंदों में जो 23 रन बनाये, उसके इस बैटिंग जज्बे की तारीफ आईसीसी ने भी की. आईसीसी ने ट्वीट कर सिडनी टेस्ट मैच के पांचवे दिन खेली गई हनुमा विहारी की पारी को सलाम किया. औस्ट्रेलियाई टीम अंत तक आते आते इस कदर निराश हो गई कि अंततः औस्ट्रेलियाई कप्तान टिम पैने ने आखिरी ओवर के पहले ही मैच ड्रा मान लिया. औस्ट्रलिया इस ऐतिहासिक ड्रा को आसानी से नहीं भूल पायेगा.