शिक्षक की हमारे मन में कितनी इज्जत है. कहते हैं शिक्षक दीपक की तरह होता है जो खुद जलकर “रोशनी” फैलाता है. इतिहास में से बढ़कर एक शिक्षक हुए जिन्होंने समाज को दिशा देने में अहम भूमिका निभाई. मगर छत्तीसगढ़  में शिक्षक स्कूलों में ताले लगाकर सरकारी फरमान का निर्वहन करते  आस-पास के गांव में, पेड़ के नीचे, कहीं धूप में नाकेदार बने हुए हैं और करोना काल में आने जाने वालों का हिसाब किताब रख रहे हैं.

दुनिया भर के देशों में फैली कोरोना महामारी (कोविड 19) का असर  छत्तीसगढ़ में भी फैला हुआ है ऐसे में लाॅक डाउन की स्थिति बनी हुई है गांव गांव में लोगों ने नाके और गेट बना कर आवाजाही को रोक दिया है ताकि कोई अनजान व्यक्ति गांव में प्रवेश न कर सके मगर सरकार ने छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में एक फरमान निकाल कर शिक्षकों को गांव गांव के नाको  पर तैनात कर दिया है अब हालात यह है कि स्कूलों में ताले लगे हुए हैं और जो शिक्षक स्कूल में बच्चों को पढ़ाता वह छत्तीसगढ़ सरकार की मेहरबानी से एक अदना सा गेटकीपर बन  कर नाके पर बैठा सरकार की असलियत को उजागर कर रहा है प्रस्तुत है एक खास रिपोर्ट-

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आप हैं हेड मास्टर  राठिया !

और सच  जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती वह सब हमने देखा और आपके लिए लाए हैं वह संपूर्ण  बातचीत वह सारा वीडियो जिसे देख पढ़ कर छत्तीसगढ़ शासन की असलियत को समझ पाएंगे आइए आपको ले चलते हैं छत्तीसगढ़ के जिला रायगढ़ के ग्राम धसकामुड़ा . जहां ग्रामीणों द्वारा बनाए गए  एक नाका दिखाई दे रहा है  यहाँ  एक बुजुर्ग  खड़ा हुआ है. हमने उनसे जानना चाहा आप कौन हैं क्या कर रहे हैं?

उनका जवाब सुनकर हम हैरान रह गए और हमें अपनी व्यवस्था पर शर्म आई. शख्स ने बताया कि वे गांव के प्राथमिक विद्यालय मे हेड मास्टर है.यह है हमारी  नग्न व्यवस्था!  सरकारें शिक्षक के साथ ऐसा ही व्यवहार करती रही है. बुजुर्ग हेड मास्टर ने बताया कि उसका नाम भोजराम राठिया है और वह प्राथमिक शाला धसका  मुड़ा में पदस्थ है. उसके चेहरे के हाव भाव बता रहे थे कि वह अपनी ड्यूटी बड़े ही ईमानदारी से निभा रहा है.हमारा दूसरा प्रश्न  यह था कि  गुरुजी आपको तनख्वाह कितनी मिलती है ? तो उन्होंने बड़े  शालीनता के साथ बताया कि लगभग 74000 हजार  रुपये मासिक वेतन उन्हें मिलता है.

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यह दृश्य यह बताने के लिए पर्याप्त है कि सरकार हमारे शिक्षकों का कितना ख्याल रख रही है.  और सबसे बड़ी विसंगति यह की उन्हें एक  तहसीलदार के लिखित  आदेश पर नाकेदार की ड्यूटी निभानी पड़ रही है. यह संपूर्ण व्यवस्था यह बयां करती है कि किस तरह कोरोना महामारी संक्रमण काल में जब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बारंबार ऑनलाइन पढ़ाई की बात कर रहे हैं करोड़ों रुपए  शासन इस पर खर्च कर रहा है मगर इसका  हश्र क्या है उसकी सच्चाई क्या है यहां जमीन पर दिखाई देती है.

भूपेश बघेल की ऑनलाइन पढाई

एक तरफ छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बारंबार यह कहते दिखाई दे रहे हैं कि नौनिहालों को ऑनलाइन शिक्षा देने की व्यवस्था छत्तीसगढ़ सरकार ने की है. इस हेतु  आदेश जारी कर दिए गए हैं मगर लगता है कि  ऑनलाइन का यह  अश्वमेघ का घोड़ा  यहाँ आकर ठहर गया है . यहां शिक्षकों को गांव गांव के नाकों में ड्यूटी पर लगा दिया गया है जो  बेहद बेहद शर्मनाक है.

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