एक विधवा को सुबह देखने से हमारा दिन खराब हो जाता है. हम सारी दकियानूसी बातों, परंपराओं, कुप्रथाओं का समर्थन करते हुए विश्व गुरु बनने का जो सपना देख रहे हैं, शायद वह खयालीपुलाव है या फिर आसमान के चांदसितारे तोड़ लाने की बातें.
हम आप को भारत के कुछ अजीबोगरीब मंदिरों के बारे में बताना चाहेंगे. लाखों की तादाद में लोग इन मंदिरों में माथा टेकते हैं और मन्नतें मानते हैं, जबकि इन मंदिरों को बनाने में चालाक किस्म के पंडेपुजारियों का हाथ रहता है.
मंदिर का झूठा गुणगान करने में इन की ही जातबिरादरी के लोग होते हैं. उन को पता होता है कि इन मंदिरों से हमारी बिरादरी वालों को फायदा होगा, बाकी लोग तो बेवकूफ बनेंगे.
इन मंदिरों में पुजारी सवर्ण जाति के ब्राह्मण पंडे ही होते हैं और मंदिर की मूर्ति का झूठा यशोगान कर के वे आम लोगों से ठगी करते रहते हैं. सरकार भी इन मंदिरों को इसलिए बढ़ावा देती रहती है कि इस देश की आम जनता में वैज्ञानिक सोच का विकास नहीं हो और वह मंदिरमसजिद में उलझी रहे.
चूतड़ टेका मंदिर
गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा के तकरीबन बीच में हनुमान का एक मंदिर है, जिस का नाम है चूतड़ टेका मंदिर. यहां पर परिक्रमा करने वाले लोगों को चूतड़ टेकना अनिवार्य माना जाता है.
कितना हास्यास्पद लगता है इस मंदिर में चूतड़ टेकना. अगर कोई सभ्य देश का नागरिक इस तरह का मंजर देखे तो पहली नजर में वह चूतड़ टेकने वाले को पागल ही समझेगा. इस मंदिर में पढ़ेलिखे और अनपढ़ सभी लोग आते हैं.
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बीड़ी बाबा का मंदिर
बिहार के भभुआ जिले के तहत अघौरा जाने वाले रास्ते में मुख्य सड़क के किनारे बीड़ी वाले बाबा का मंदिर है, जहां लोग चढ़ावे के रूप में बीड़ी चढ़ाते हैं और बीड़ी पीते भी हैं.
पूछने पर पता चला कि यहां एक बाबा थे जो बीड़ी पीने के शौकीन थे. उन की मौत हो जाने के बाद लोगों ने खुद ही मंदिर बनवाया और बीड़ी चढ़ाना शुरू कर दिया.
भूतना मेला
बिहार के औरंगाबाद जिले के तहत अमजेर शरीफ, मनोरा शरीफ, शिहुली वगैरह जगहों पर भूतना मेला लगता है, जहां भूतप्रेत से तथाकथित ग्रसित लोग अंधभक्ति का शिकार हो कर लोग आते हैं. इन मेलों में ज्यादातर वैसे लोग आते हैं जिन के कोई औलाद नहीं होती है.
इन मेलों में ज्यादातर हिस्टीरिया रोग से पीडि़त लोग आते हैं. मुरगे और बकरे की यहां पर कुरबानी दी जाती है.
इस मजार पर जमीन से संबंधित विवाद है और स्थानीय जमीन मालिक और सरकार के बीच मुकदमा चल रहा है. सब से बड़ी बात यह है कि साल में यहां पर 2 बार भूतना मेला लगता है. लाखों रुपए की इस से आमदनी है. अभी सरकार के अधीन है. इस का फायदा सरकार भी उठा रही है.
सिगरेट वाले बाबा
इंदौर में एक ऐसा मंदिर है, जहां सिगरेट चढ़ाई जाती है. इस मंदिर में आने वाला हर श्रद्धालु हारफूल, प्रसाद और अगरबती के साथ सिगरेट भी लाता है.
सिगरेट के हर डब्बे पर लिखा हुआ रहता है कि सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, वहीं इस मंदिर में लोग सिगरेट चढ़ा कर एक धार्मिक और सामाजिक मान्यता दे रहे हैं, जो गलत है.
लंबे अंग वाले इलोजी
राजस्थान में इलोजी का मंदिर है. यहां कोई मूंछ रखे हुए देवता हैं. लंबा अंग, नंगधड़ंग. औरतमर्दों दोनों में प्रिय. मर्द इन के जैसा अंग चाहते हैं, काम शक्ति चाहते हैं और बेशक औरतें भी. दूल्हा नईनवेली दुलहन को अपने साथ ले जा कर दर्शन करता है. दुलहन इस का आलिंगन करती है. ब्याहता औरतें भी उस के अंग को छूती हैं और बेटे की प्राप्ति की कामना करती हैं.
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इस मंदिर में आने वाले लोगों को अंधविश्वासी कहा जाए या फिर और कुछ? समाज में कुछ इस तरह की परंपराएं चल पड़ती हैं कि पीढ़ी दर पीढ़ी लोग उन्हें मानते चले आ रहे हैं. लोग वैज्ञानिक आधार पर कोई बात समझने के लिए तैयार नहीं होते हैं. लोग यही बोलते देखे जाते हैं कि बापदादा करते थे, हम लोग भी कर रहे हैं.
वीजा वाले हनुमानजी
अहमदाबाद के इस चमत्कारिक हनुमानजी के मंदिर में लोग विदेश जाने के लिए भगवान से वीजा दिलाने की प्रार्थना करते हैं. मान्यताओं में आस्था रखने वाले लोग बड़ी तादाद में यहां आते हैं और कनाडा, आस्ट्रेलिया, अमेरिका, यूरोप जाने के लिए भगवान से वीजा मांगते हैं.
सोचने वाली बात है कि अगर हम पासपोर्ट नहीं बनवाएंगे, वीजा के लिए कोई कोशिश नहीं करेंगे तो क्या इस मंदिर में माथा टेकने से वीजा मिल जाएगा? सारी कोशिश करने के बाद यहां अर्जी लगाते हैं और वीजा मिल जाता है तो अपनी मेहनत पर विश्वास न कर के इस मंदिर पर विश्वास करते हैं और दूसरे को भी बता कर इस ढकोसले को बढ़ावा देते हैं.
कुतिया महारानी मां मंदिर
बुंदेलखंड क्षेत्र के झांसी जनपद में रेवन और ककवारा गांवों के बीच लिंक रोड पर कुतिया महारानी मां का एक मंदिर है, जिस में काली कुतिया की मूर्ति है.
झांसी के मऊरानीपुर के गांव रेवन और ककवारा के बीच 3 किलोमीटर का फासला है. इन दोनों गांवों को आपस में जोड़ने वाले लिंक रोड के बीच सड़क किनारे एक चबूतरा बना है. इस चबूतरे पर एक छोटा सा मंदिरनुमा मठ बना हुआ है. इस मंदिर में काली कुतिया की मूर्ति है. मूर्ति के बाहर लोहे की जालियां लगाई गई हैं, ताकि कोई इस मूर्ति को नुकसान न पहुंचा सके.
जिंदा कुतिया को तो दरवाजे पर से मार कर भगा देते हैं, लेकिन घोर अंधविश्वासी लोग कुतिया महारानी की पूजा करते हैं.
बुलेट बाबा का मंदिर
जयपुर, राजस्थान के पाली इलाके में एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान नहीं बल्कि बुलेट की पूजा होती है. लड्डुओं की जगह शराब चढ़ाई जाती है. लोगों का मानना है कि ऐसा करने से हादसा नहीं होता है और यहां के बाबा उन की हिफाजत करते हैं.
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सती माता के चौरे
वैसे तो पूरे देश में, लेकिन खास राजस्थान में आप को बहुत से मंदिर मिल जाएंगे, सती माता के मंदिर पर बाकायदा मेले लगते हैं. सुना तो यही है कि बेचारी औरत को जबरदस्ती नशा पिलाया जाता था और फिर भीड़ उसे ठेलतीठालती पति की चिता तक ले जाती थी. उस की चीखें ढोलनगाड़ों के शोर में दबा दी जाती थीं और जिंदा जला दिया जाता था. फिर शुरू होती थी उस की पूजा.
राजस्थान में झुंझुनूं नामक जगह पर हर साल सती माता का बहुत बड़ा मंदिर है, मेला लगता है. इन सती मंदिरों का महिमामंडन करना घोर अनर्थ है. किसी न किसी रूप में इन मंदिरों में सती की पूजा कर हम सती प्रथा को बढ़ावा दे रहे हैं. इन मंदिरों पर सरकार को तत्काल रोक लगानी चाहिए.
डकैत ददुआ का मंदिर
पाठा की सरजमीं पर तकरीबन 40 साल से भी ज्यादा लंबे समय तक आतंक का दूसरा नाम रहे दस्यु सम्राट ददुआ की मूर्ति का अनावरण धाता, फतेहपुर में कर दिया गया. अब वे मरणोपरांत भगवान की श्रेणी में आ गए हैं, जबकि अपने संपूर्ण जीवनकाल में ददुआ का दूसरा मतलब दहशत ही था.
कितना हास्यास्पद लगता है एक डकैत की पूजा करना. क्या हमारे आदर्श यही डकैत थे?
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