Celebrity Interview: केके गोस्वामी मूल रूप से बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के रहने वाले हैं. इन्होंने भारतीय टैलीविजन सीरियलों, हिंदी, गुजराती, मराठी, बंगाली, भोजपुरी फिल्मों के जरीए अपनी अदाकारी से सभी को मुरीद बना लिया है.

हाल ही में लखनऊ में हुए ‘छठे सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड्स’ शो में बैस्ट कैरेक्टर ऐक्टर का अवार्ड लेने आए केके गोस्वामी से उन के फिल्म करियर पर बातचीत हुई. पेश हैं, उसी के खास अंश :

कई इंटरव्यू में आप ने अपने शुरुआती संघर्ष पर खुल कर बातें की हैं. क्या आप एक बार उन यादों को हम से साझा करेंगे?

मैं बिहार से ऐक्टर बनने की ख्वाहिश लिए मुंबई आया था. लेकिन मुझे स्क्रीन तक पहुंचने में काफी मशक्कत करनी पड़ी. एक बार मुझे मेरी ही कदकाठी के एक शख्स ने बीयर बार में नौकरी करने की सलाह दी. जब मैं बीयर बार में गया तो वाचमैन ने मुझे डंडा मार कर भगा दिया. यही वह पल था जब मैं ने ठान लिया था कि अब हर हाल में मुझे ऐक्टर बन कर दिखाना है. स्ट्रगल के दौरान ऐसा भी समय आया जब मै हफ्ते में एक दिन खाना खाता था. पैसों की तंगी के बावजूद मैं ने हार नहीं मानी और आखिरकार मुझे कामयाबी मिली.

आप की लवस्टोरी में भी ट्विस्ट रहा है. ऐसा क्या हुआ है?

मेरी हाइट 3 फुट ही है, वहीं मेरी बीवी पीकू मुझ से दोगुनी लंबी हैं. पीकू की हाइट तकरीबन 5 फुट है. मेरी हाइट कम होने के चलते पीकू के घर वालों के मना करने के बावजूद पीकू मुझ से ही शादी करना चाहती थी. आखिरकार पीकू की जिद के आगे घर वालों को मानना पड़ा.

आप के टीवी शो भी पौपुलर रहे हैं. छोटे परदे पर किया गया कौन सा रोल आप के लिए यादगार रहा है?

टीवी सीरियल में जो भूमिकाएं मेरे दिल के बेहद करीब हैं उन में ‘शक्तिमान’ में खली और बली का दोहरा रोल, ‘जूनियर जी’ में बोनापार्ट, ‘शाका लाका बूमबूम’ में क्रिस्टल खास हैं. ‘गुटूरगुं’ में मेरे किरदार पप्पू महाराज को भी लोगों ने खूब पसंद किया है.

हिंदी सिनेमा में किया गया कौन सा रोल आप के दिल के करीब है?

मैं ने जितनी भी हिंदी फिल्मों में काम किया उन में से फिल्म ‘भूत अंकल’ में निभाए गए टिंगु के रोल को काफी सराहना मिली थी. यह रोल देश के मनमस्तिष्क में रचबस गया था.

आप टीवी और हिंदी सिनेमा में काफी हिट रहे हैं, फिर अचानक आप का झुकाव भोजपुरी फिल्मों की तरफ कैसे हो गया?

मैं बिहार की माटी में पलाबढ़ा हूं. भोजपुरी तो मेरे रगरग में बसी हुई है. मेरा शुरुआत से ही भोजपुरी फिल्मों में काम करने की तरफ झुकाव रहा है. मुझे खुशी है कि मुझे जितना प्यार टीवी और हिंदी सिनेमा से मिला, उस से कहीं ज्यादा प्यार भोजपुरी सिनेमा से मिल रहा है.

आप को सरस सलिल पत्रिका की कौन सी बात अच्छी लगती है?

सच कहूं तो एक अभिनेता के रूप में अगर देखें तो दर्शक मेरे फैन हैं और मैं एक पाठक के रूप में ‘सरस सलिल’ पत्रिका का फैन हूं. मुझे ‘सरस सलिल’ के सभी स्तंभ काफी मजेदार, ज्ञानवर्धक, जागरूकता बढ़ाने वाले और रोचक लगते हैं.

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