White Hair : बालों में सफेदी की समस्या
बढ़ती उम्र के साथ बालों का रंग बदलना कुदरती है. लेकिन बालों में सफेदी उम्र के किसी भी दौर में दिखायी दे सकती है. यहां तक कि किशोरों में और बीस-बाईस साल के युवाओं के बालों में भी सफेदी की झलक उभर सकती है. मनुष्यों के शरीर में लाखों हेयर फॉलिकल्स होते हैं, ये त्वचा की भीतरी परत पर छोटी-छोटी थैलियों जैसे होते हैं. इनसे ही बाल पनपते हैं और बालों को रंग देने वाला मेलानिन पदार्थ पैदा करने वाले पिग्मेंट सैल्स भी यहीं बनते हैं. समय के साथ, हेयर फॉलिकल्स अपने पिगमेंट सैल्स खोने लगते हैं जिसके चलते बालों की रंगत सफेद पड़ने लगती है.
विटामिन बी6, बी12, बायोटिन, विटामिन डी, या विटामिन ई में कमी की वजह से भी समय से पहल बालों में सफेदी आने लगती है.
इसके अलावा, एक और महत्वपूर्ण वजह होती है हमारी नस्ल. गोरे लोगों में समय से पहले बालों की सफेदी उनकी उम्र के दूसरे या तीसरे दशक में भी शुरू हो सकती है, जबकि एशियाई नस्ल के लोगों में यह 25 वर्ष के आसपास और अफ्रीकी-अमरीकी आबादी में 30 साल की उम्र से बालों का सफेद होना आम है.
बालों की सफेदी आमतौर पर आनुवांशिक होती है, लेकिन शरीर में में तनाव (ऑक्सीडेटिव स्ट्रैस) की वजह से भी समय से पहले ऐसा हो सकता है. ऑक्सीडेटिव स्ट्रैस की वजह से शरीर में असंतुलन बढ़ता है और इस स्थिति में शरीर में फ्री रैडिक्स के दुष्प्रभावों से बचाने के लिए पर्याप्त एंटीऑक्सीडेंट्स मौजूद नहीं होते. फ्री रैडिकल्स दरअसल, अस्थिर अणुओं को कहते हैं जिनके कारण कोशिकाओं को क्षति पहुंचती है, और इस वजह से एजिंग बढ़ती है और तथा शरीर को रोग भी आ लगते हैं.
ऑक्सीडेटिव स्ट्रैस अधिक होने से रोग बढ़ते हैं, स्किन-पिग्मेंटेशन कंडीशन या विटिलिगो की आशंका भी बढ़ जाती है. विटिलिगो की वजह से बालों से भी सफेदी झांकने लगती है जो कि मेलानिन कोशिकाओं के खत्म हो जाने या उनकी कार्यक्षमता नष्ट होने की वजह से होता है.
दिल्ली में सर्वश्रेष्ठ कॉस्मेटिक सर्जन डॉ.अनूप धीर यह बताते है की, सफेद बाल एक खास तरह के त्वचा संबंधी विकार alopecia areata के कारण भी पनप सकते हैं. इस स्थिति में सिर, चेहरे और शरीर के अन्य भागों से बाल झड़ते हैं और जब दोबारा बाल बढ़ते हैं तो मेलानिन की कमी के कारण सफेद हो जाते हैं.
जीवन में तनाव का होना, जो कि किसी चोट की वजह से हो सकता है, भी समय से पहले बालों को सफेद करने का कारण बन सकता है. इसी तरह, धूम्रपान करने वाले लोगों में 30 साल की उम्र से पहले ही बालों के सफेद होने की संभावना दो से ढाई गुना तक बढ़ जाती है. केमिकल हेयर डाइ और हेयर प्रोडक्ट्स, यहां तक कि शैंपू वगैरह के इस्तेमाल से भी बालों का समय पूर्व सफेद होना देखा गया है. इन प्रोडक्ट्स में नुकसान पहुंचाने वाले तत्व मौजूद होते हैं जो मेलानिन की मात्रा घटाते हैं. अधिकांश डाइ में मौजूद हाइड्रोजन पेरॉक्साइड ऐसा ही एक खतरनाक रसायन है. इनका अत्यधिक इस्तेमाल आपके बालों को ब्लीच करता है जिसके परिणामस्वरूप ये सफेद हो जाते हैं.
याद रखिए कि अगर बालों में सफेदी का कारण आनुवांशिकी या बढ़ती उम्र है, तो आप किसी इसे रोक नहीं सकते. लेकिन अगर बालों में सफेदी का कारण कोई मेडिकल कंडिशन है तो आप दिल्ली में प्लास्टिक सर्जन के द्वारा हेयर ट्रीटमेंट से बालों का कलर पिग्मेंटेशन लौटा सकते हैं.
इसी तरह, अगर खुराक और विटामिन की कमी के कारण बाल असमय सफेद हो रहे हैं, तो इन्हें दुरुस्त कर भी समस्या को गंभीर होने से रोका जा सकता है. इसके लिए सही उपचार काम आता है और बालों को सफेद होने से पूरी तरह रोका जा सकता है तथा कुछ मामलों में तो इस प्रक्रिया को रिवर्स भी किया जा सकता है. संतुलित खुराक और बालों की अच्छी देखभाल भी मददगार होती है. लेकिन कुछ मामलों में यह प्रक्रिया पूरी तरह से अपरिवर्तनीय भी होती है.
नियमित रूप से प्राकृतिक उपाय बालों के सफेद होने की प्रक्रिया को कुछ हद तक धीमा कर सकते हैं या बहुत मुमकिन है कि इसे रिवर्स भी कर सकते हैं. लेकिन एक समय तो ऐसा आता ही है कि हरेक के बाल सफेद होते हैं और व्यक्ति विशेष को ही यह तय करना होता है कि वह बालों को सफेद रखना चाहते हैं या फिर फिर उम्र बढ़ने की इस कहानी को कुछ समय तक के लिए रोक देना चाहते हैं.
कुछ दुर्लभ मामलों में, इंफ्लेमेट्री साइटोकाइंस जैसे कि सोरालेन और साइक्लोस्पोरिन (psoralen and cyclosporin) को लक्षित करने या मेलानोजेनेसिस को उत्प्रेरित करने वाली दवाएं जैसे कि इमेटिनिब या लेटेनोप्रोस्ट (imatinib or latanoprost) से सफेद बालों में रीपिग्मेंटेशन भी देखा गया है.