लेखक- शोभा रानी गोएल

बिजनैस मीटिंग मे भाग लेने के लिए वह 15 दिनों पहले न्यूयौर्क आया. मीटिंग बहुत अच्छी रही. कंपनी को नया प्रोजैक्ट मिल गया. वह बहुत खुश था. उसे अपनी कामयाबी पर बहुत फख्र हो रहा था. खुशी का एक कारण यह भी कि वह अपने वतन लौटा लौट रहा था. हिंदुस्तान जैसा दूसरा इस जहां में कहां.

हिंदुस्तान की मिट्टी की खुशबू ही अलग है, जिस में रिश्ते पनपते हैं. अमेरिका ने बहुत तरक्की की है, इस में शक नहीं लेकिन संस्कृति में अपने हिंदुस्तान का सानी नहीं. उसे आन्या की याद आई. आन्या उस की पत्नी, साक्षात अन्नपूर्णा है. सभ्य, सुसंस्कृत और मृदुभाषी…22 घंटे के सफर की थकान आन्या के हाथ की एक कप चाय पलभर में छूमंतर कर देगी. बेटे आदित्य के साथ फुटबौल खेलते हुए वह खुद को दुनिया का सब से खुश इंसान समझने लगता है. वह यह सब सोचसोच कर मुसकरा रहा था.

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जब वह अपने देश में आया तो यहां का नजारा बदल चुका था. कोरोना वायरस हिंदुस्तान में कहर बरपा रहा था. दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरते ही एयरपोर्ट ऐडमिनिस्ट्रेशन ने चश्मे जैसे यंत्र से उस की स्क्रीनिंग कर जांच की. उसे बताया गया कि उसे बुखार है.‌ उस ने अधिकारियों और स्वास्थ्य कर्मचारियों से कहा कि थकावट के कारण थोड़ी सी हरारत है. पर, उसे कोरोना संदिग्ध मानते हुए उस से अस्पताल चल कर चैकअप कराने को कहा गया. उस ने कितनी बार मिन्नतें कीं, पर उस की एक न सुनी गई. उसे आश्वासन दिया गया कि उस के परिवार को सूचित कर दिया जाएगा, साथ ही, उस के परिवार का पूरा ध्यान भी रखा जाएगा.

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