Social Story : एडवोकेट फुरकान काला तो था ही, उस का जिस्म भी भद्दा था. उस की छोटीछोटी आंखों में मक्कारी और बेरहमी साफ झलकती थी. वह गले में सोने की मोटी सी चेन और हाथ में कीमती घड़ी पहने रहता था.
शहर के पौश इलाके में उस का शानदार बंगला था. एक आदमी की जिंदगी में जो कुछ चाहिए, वह सब उस के पास था. ये सब उस ने मक्कारी और साजिशों से कमाया था. उस के साथी वकील उसे जोड़तोड़ और चालाकी का बादशाह कहते थे. कैसा भी पेचीदा केस हो, कितना ही घिनौना मुजरिम हो, उस के पास आ कर मजफूज हो जाता था. वह अपनी चालों और तिकड़म की भारीभरकम फीस वसूलता था.
फुरकान के पास बेपनाह दौलत थी. साजिश और तिकड़म से आई दौलत के साथ कई तरह की बुराइयां भी आ जाती हैं. शराब और शबाब के शौक ने उस के अंदर के इंसान को बिलकुल खत्म कर दिया था. उस की जिंदगी में सिर्फ एक अच्छाई यह थी कि वह अपनी बेटी नाहीद से बेपनाह मोहब्बत करता था. एक दिन फुरकान अपने औफिस में बैठा था, तभी उस के इंटरकौम की घंटी बजी. दूसरी ओर उस का मुंशी था. उस ने क्लाइंट की खबर दी तो उस ने पहला सवाल यही पूछा, ‘‘आसामी पैसे वाली है न?’’
‘‘जी साहब, तगड़ी पार्टी है.’’ मुंशी ने जल्दी से कहा.
फुरकान ने क्लाइंट को केबिन में भेजने को कहा. उस की केबिन में जो आदमी दाखिल हुआ, वह महंगा सूट पहने था. उस की अंगुलियों में हीरे की अंगूठियां चमक रही थीं. कुरसी पर बैठते हुए उस ने कहा, ‘‘मेरा नाम राहत खान है. मैं राहत इंडस्ट्रीज का मालिक हूं.’’
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