उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद के एक गांव रत्न खेड़ा में चौधरी सुमेर सिंह का दबदबा था. वे गांव के मुखिया थे और उन की अंटी भी मजबूत थी. घर क्या पूरी कोठी थी और नौकरचाकर भी हमेशा काम पर लगे रहते थे.
चौधरी सुमेर सिंह का एकलौता बेटा था सुमित, जो अपने घर के पीछे बने एक बड़े से कमरे में एनजीओ चलाता था, जहां गरीब दलित घरों की जवान लड़कियों को सिलाईकढ़ाई सिखाई जाती थी. पर यह सब काम लोगों को भरमाने के लिए किया जाता था. सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक एनजीओ का काम होता था, पर उस के बाद वही कमरा सैक्स का दंगल बन जाता था.
दरअसल, सुमित अपनी कुछ खास गरीब लड़कियों और चमचों के साथ मिल कर पोर्न फिल्में बनाता था और अपने परमानैंट ग्राहकों को भेजता था. वे ग्राहक देशी अनब्याही लड़कियों के पोर्न वीडियो देखने के शौकीन थे और सुमित को पैसा भी देते थे. फिर वे उन वीडियो को चाहे देश में बेचें या विदेश में, सुमित को इस बात से कोई मतलब नहीं था.
सुमित के पिता चौधरी सुमेर सिंह को इस धंधे की खबर थी या नहीं, यह वही बता सकते थे, पर यह जरूर था कि सुमित अपने पिताजी की बहुत इज्जत करता था. वह अपनी मां का लाड़ला था और दिखने में बड़ा हैंडसम था.
सुमित की टीम में 2 लड़कियां खास थीं, माला और सुनहरी. 21 साल की माला गोरी थी और उस के नैननैक्श भी अच्छे थे. 24 साल की सुनहरी के आने से पहले वही सुमित की चहेती थी, पर जब से सुनहरी आई थी, तब से माला के भाव कम हो गए थे.
माला माल थी, तो सुनहरी कमाल थी. वह भले ही गरीब घर की दलित लड़की थी और उस का रंग भी दबा हुआ था, पर देह की खरा सोना थी. बड़े उभार, लंबे बाल और मदमस्त चाल सुनहरी को गजब का रूप देते थे.
सुमित को भी सुनहरी बड़ी पसंद थी और वह उसे माला से भी ज्यादा पैसे देता था. यह बात माला को खाए जा रही थी. उसे सुनहरी से जलन होने लगी थी.
एक दिन माला ने सुमित से पूछा, ‘‘आप सुनहरी को इतना सिर पर क्यों चढ़ा रहे हो? आप और मैं ऊंची जाति के हैं और वह दलित घर की गरीब लड़की, फिर वह सब से ज्यादा पैसे क्यों लेती है? मुझ में क्या कोई कमी है?’’
‘‘तुम में कोई कमी नहीं है, पर वह बिस्तर पर एकदम खुल जाती है. उस का सैक्स वाला वीडियो एकदम असली लगता है और तुम बर्फ सी ठंडी पड़ी रहती हो. शूट करने में मजा ही नहीं आता है. और फिर उस के वीडियो की आज मार्केट में डिमांड है,’’ सुमित ने हकीकत बता दी.
माला को यह बात खल गई. उस ने सुनहरी को सबक सिखाने की सोच ली. उधर, जब से सुनहरी इस धंधे में आई थी, तब से उस की जिंदगी बदल गई थी. घर वाले खुश थे और अब भूखों मरने की नौबत नहीं आती थी.
सुनहरी की मां को वैसे तो घर आता पैसा बुरा नहीं लगता था, पर बेटी के लक्षण देख कर वे थोड़ा चिंतित थीं. एक दिन उन्होंने सुनहरी को टोक दिया, ‘‘बेटी, जब से तू एनजीओ में जाने लगी है, तब से हमें दो वक्त की रोटी तो वक्त पर मिल रही है, पर तू कोई गलत काम तो नहीं कर रही है न?’’
‘‘अरे मां, गलतसही के चक्कर में मत पड़ो और जिंदगी का मजा लो. आज से 6 महीने पहले कोई इस घर में झांकता तक नहीं था और आज मेरे लिए रिश्ते आ रहे हैं. मां, यह सब पैसे की ही माया है और फिलहाल इस माया का मजा उठाओ,’’ सुनहरी ने इतना कहा और एनजीओ के लिए निकल गई.
एनजीओ में अभी सुमित नहीं आया था. माया को मौका मिल गया और उस ने सुनहरी को छेड़ते हुए कहा, ‘‘ऐसी क्या घुट्टी पिला दी, जो सुमित सर तेरे ही सुर में सुर मिला रहे हैं? यह चार दिन की चांदनी है मेरी जान, फिर कब उन की नजर से उतरेगी, तुझे पता भी नहीं चलेगा.’’
‘‘तू अपनी देख. मु झे क्या करना है, मैं जानती हूं. बड़ी आई सलाह देने वाली,’’ सुनहरी भी मुंहफट थी, तो एकदम से बोल पड़ी.
यह सुन कर माला सुलग गई. हद तो तब हो गई, जब सुमित ने पीछे से आ कर यह बात सुन ली और माला को ही डांट दिया.
सब के सामने अपनी इज्जत उतरते देख कर माला को बड़ा गुस्सा आया और उस ने बदला लेने की ठान ली. वह जानती थी कि सुमित सारे वीडियो एक पैन ड्राइव में संभाल कर रखता है,
तो उस ने मौका ताड़ कर एक दिन वह पैन ड्राइव चुरा ली और चौधरी सुमेर सिंह के जानी दुश्मन जगत सेठ के यहां जा पहुंची.
जगत सेठ को सुमेर सिंह का दबदबा रास नहीं आता था. दरअसल, वह गांव का मुखिया बनना चाहता था, पर गांव वाले सुमेर सिंह पर आंख मूंद कर भरोसा करते थे. वह हमेशा इस फिराक में रहता था कि किसी तरह सुमेर सिंह को नीचा दिखा दे, पर उसे मौका नहीं मिल रहा था.
आज माला को अपने पास देख कर जगत सेठ पहले तो हैरान हुआ, फिर अपनी खीज मिटाते हुए बोला, ‘‘तुम इस समय यहां क्या कर रही हो? मैं ने तुम्हें मना किया है न कि ऐसे ही मेरे पास मत आया करो.’’
माला बड़ी बेचैन थी. वह सुनहरी की उस दिन की बात पर आज भी सूखी लकड़ी की तरह सुलग रही थी, ‘‘कल की आई यह कल्लो, मु झे भाषण दे रही है. इस की औकात क्या है मेरे आगे. सुमित ने पता नहीं क्यों इस के इतने ज्यादा रेट बढ़ा रखे हैं. न शक्ल और न सूरत, बस इसे इज्जत की जरूरत.’’
‘‘मैं सम झा नहीं कि तुम क्या कह रही हो. तुम तो सुमित की मुंहलगी हो, फिर आज मेरे दरवाजे पर कैसे आई?’’ जगत सेठ ने माला से पूछा.
‘‘देखो जगत सेठ, सारा गांव जानता है कि आप का और चौधरी सुमेर सिंह का छत्तीस का आंकड़ा है. आप को वह फूटी आंख नहीं सुहाता है. आप का बस चले तो आज ही उस के घर के दरवाजे पर कुर्की का परचा चिपकवा दो,’’ माला ने कहा.
‘‘तो तू क्या आज उस की कुर्की कराने यहां आई है?’’ जगत सेठ ने झल्लाते हुए माला से पूछा.
‘‘उस से बड़ा कांड है जगत सेठजी, बस आप की मदद चाहिए. फिर देखना कि मैं कैसे इस सुनहरी का सारा सुनहरापन मिट्टी में मिलाती हूं,’’ माला जैसे बदले की आग में सुलग रही थी.
‘‘पहेलियां मत बु झाओ. कोई अंदर की खबर है तो दो, वरना अपना रास्ता नापो. मेरे पास फालतू समय नहीं है तेरी राम कहानी सुनने का,’’ जगत सेठ ने दोटूक कहा.
माला ने समय न गंवाते हुए वह पैन ड्राइव जगत सेठ के हाथ में थमा दी, जिस में बेहूदा वीडियो की भरमार थी. माला इतनी शातिर थी कि उस ने अपने वीडियो पहले ही अलग कर दिए थे. इस पैन ड्राइव में दूसरी लड़कियों के वीडियो थे, जिन्हें सुमित और उस के चमचे शूट किया करते थे.
सारे वीडियो देख कर जगत सेठ की आंखों में चमक आ गई, ‘‘अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे…’’ वह बुदबुदाया और फिर माला से बोला, ‘‘वाह, मेरी जानेमन, आज तो तू ने मेरा दिल ही जीत लिया. अब मैं चौधरी सुमेर सिंह को कैसे कंगाल और अपनी माला को मालामाल बनाता हूं, बस तू देखती रहना.’’
माला उछल कर जगत सेठ से लिपट गई और उसे चूम लिया. जगत सेठ ने वह पैन ड्राइव अपनी इलैक्ट्रोनिक तिजोरी में रखी और माला को बैडरूम में ले गया.
अगले दिन जगत सेठ अपने खास दोस्त इंस्पैक्टर ताराचंद के साथ थाने में चाय पी रहा था. ताराचंद वह पैन ड्राइव देख चुका था. उस ने जगत सेठ से पूछा, ‘‘अब आगे क्या करना है? सुबूत तो एकदम पक्का है. सुमित एनजीओ की आड़ में लड़कियों के गंदे वीडियो बनाने का धंधा कर रहा है. उस के बाप को इस गोरखधंधे की भनक तो होगी, पर आंख बंद किए बैठा होगा.’’
‘‘ताराचंद, मुझे उन दोनों के चेहरे झुके देखने हैं तेरे थाने में. बड़ी अकड़ दिखाते हैं अपने चौधरी होने की. उन की सारी हेकड़ी न निकाल दी, तो मेरा नाम भी जगत सेठ नहीं.’’
उसी शाम को चौधरी सुमेर सिंह के घर पर पुलिस की रेड पड़ गई. सुमित को अंदाजा नहीं था कि माला उसे जहरीली नागिन की तरह डस लेगी. कोठी के उस खास कमरे का सारा सामान जब्त कर लिया, जहां पर सारे वीडियो शूट हुए थे.
सुनहरी और बाकी लड़कियों को उस कमरे से धर दबोचा था. सुमित का बाकी स्टाफ भी पुलिस के हत्थे चढ़ चुका था. चौधरी सुमेर सिंह उस समय कोठी में नहीं थे. उन्हें तो इस सारे कांड की भनक तक नहीं थी.
थोड़ी देर में सब थाने में थे. सुनहरी सम झ चुकी थी कि माला ने ही यह मुखबिरी की है और हो न हो, इस में जगत सेठ का भी हाथ है. वे दोनों कई दिनों से एकसाथ देखे गए थे. पर माला यह कह कर टाल जाती थी कि जगत सेठ उसे अपनी रातें रंगीन करने के लिए बुलाता है और इनाम भी खूब देता है.
पुलिस इंस्पैक्टर ताराचंद ने सुमित को हड़काते हुए कहा, ‘‘यह क्या रायता फैला रखा है तुम ने… एनजीओ की आड़ में पोर्न वीडियो बनाए जा रहे हैं. अपने बाप की इज्जत का तो लिहाज कर लिया होता.’’
सुमित जानता था कि ताराचंद एक नंबर का घूसखोर है, पर फिलहाल उस के हाथ में सुमित की दुखती रग थी, तो उस ने कहा, ‘‘अरे थानेदार साहब, आप भी पता नहीं किस पैन ड्राइव की बात कर रहे हैं. वैसे भी हमारे यहां काम करने वाली सब लड़कियां बालिग हैं और अपनी मरजी से लोगों के मनोरंजन के लिए ऐसी फिल्में बनाती हैं.
‘‘पूछ लो किसी से भी कि हम ने किसी के साथ कोई जोरजबरदस्ती की हो. सब को अपनी मेहनत का पैसा एडवांस में मिल जाता है और किसी को इस काम से कोई शिकायत नहीं है.’’
‘‘हां भई, तुम तो पुण्यात्मा हो और समाज की भलाई का काम कर रहे हो. ये तुम्हारी साथी सब दूध की धुली हैं और देश की तरक्की के लिए नए रोजगार पैदा कर रही हैं. पैन ड्राइव में जो सैक्स का नंगा नाच दिख रहा है, वह तो आजकल बहुत मामूली बात है न,’’ इंस्पैक्टर ताराचंद ने सुमित पर ताना कसा.
‘‘साहब, आप चाहते क्या हो, यह बताओ? मु झे पता है कि यह सब माला की करतूत है. लड़ाई मेरे और उस के बीच की थी, फिर वह हम सब के पेट पर क्यों लात मारना चाहती है…’’ सुमित कुछ बोलता, उस से पहले ही सुनहरी ने अपनी बात रख दी.
‘‘आप की तारीफ?’’ इंस्पैक्टर ताराचंद ने सुनहरी को ऊपर से नीचे तक घूरते हुए देखा. सुनहरी का रंग जरूर काला था, पर उस के जिस्म में अजीब सी कसावट थी.
‘‘जी, मेरा नाम सुनहरी है और मैं दलित समाज की लड़की हूं. सुमित साहब ने हम से कभी कोई जबरदस्ती नहीं की है, बल्कि ये तो हमारे घरपरिवार का पेट पाल रहे हैं.’’
‘‘मतलब, जो तुम लोग कर रहे हो, वह कानूनन गलत नहीं है?’’ इंस्पैक्टर ताराचंद ने पूछा.
‘‘कानून का तो आप जानो, पर हम ने कुछ गलत नहीं किया है. यह तो हर जगह हो रहा है. न जाने कितने वीडियो बनाने वाले रोज पकड़े जाते हैं. हाल ही में कर्नाटक में एक तथाकथित बड़ा स्कैंडल सामने आया है, जिस में एचडी देवेगौड़ा के बेटे एचडी रेवन्ना और पोते प्रज्वल रेवन्ना का नाम शामिल है.’’
इंस्पैक्टर ताराचंद ने आंखें तरेरते हुए सुनहरी से पूछा, ‘‘तुझे पूरा मामला पता भी है?’’
सुनहरी बोली, ‘‘साहब, बेशक मैं इस धंधे में देह खपा रही हूं, पर दीनदुनिया में कौन सी खबर गरम तवे पर तेल सी उछल रही है, इस की पूरी तह में जाती हूं. 10वीं जमात पास हूं, इस का मतलब यह नहीं है कि मु झ में पढ़ने की ललक नहीं है.’’
इंस्पैक्टर ताराचंद ने उबासी लेते हुए कहा, ‘‘ज्यादा ज्ञान मत बांच, खबर क्या जानती है यह बता…’’
सुनहरी ने बताया, ‘‘खबर में छपा था कि कार्तिक गौड़ा नाम का एक आदमी रेवन्ना परिवार का पुराना ड्राइवर हुआ करता था. उस ने तकरीबन 15 साल तक रेवन्ना परिवार की गाडि़यां चलाई थीं, पर फिर न जाने क्यों धीरेधीरे रेवन्ना परिवार से उस के रिश्ते खराब होने लगे.
‘‘इस के बाद कार्तिक ने नौकरी छोड़ दी. उस की मानें तो रेवन्ना परिवार ने उस की जमीन पर कब्जा कर लिया था और इस बात की खिलाफत करने पर प्रज्वल ने उस के और उस की पत्नी के साथ मारपीट भी की थी. वह अपने साथ हुई इस ज्यादती के खिलाफ इंसाफ चाहता था.
‘‘चूंकि कार्तिक को रेवन्ना परिवार की काली करतूतों की खबर थी, उस ने अलगअलग लड़कियों के साथ रेवन्ना के बेहूदा वीडियो से भरा एक पैन ड्राइव हासिल कर लिया. इस पैन ड्राइव के साथ उस ने भारतीय जनता पार्टी के एक नेता देवराज गौड़ा से मुलाकात की.
‘‘उधर, प्रज्वल ने 1 जून, 2023 को इसे ले कर अदालत में दस्तक दी थी और कहा था कि वीडियो के सहारे उस की इमेज खराब की जा रही है.’’
‘‘पर, प्रज्वल रेवन्ना को किसी का गंदा वीडियो बनाने की जरूरत ही क्यों पड़ी?’’ इंस्पैक्टर ताराचंद अब इस मामले की परतें प्याज की तरह खोलना चाहता था.
सुनहरी ने थूक गटका और बोली, ‘‘दरअसल, यह मामला तब शुरू हुआ था, जब रेवन्ना परिवार में रसोइए के तौर पर काम कर चुकी एक औरत ने एफआईआर दर्ज करवाई है, जो एचडी रेवन्ना की पत्नी भवानी की रिश्तेदार बताई जाती है.
‘‘उस औरत ने अपनी शिकायत में बताया है कि जब उस ने रेवन्ना परिवार में रसोइए के तौर पर काम करने की शुरुआत की, उस के 4 महीने बाद उस का जिस्मानी शोषण शुरू हो गया था.
‘‘प्रज्वल रेवन्ना उस औरत की बेटी को फोन कर के उस के साथ गंदी बातें किया करता था. पीडि़ता ने बताया है कि साल 2019 में जब रेवन्ना परिवार के बेटे सूरज की शादी थी, तब उसे काम के लिए बुलाया गया था, लेकिन इस के बाद से जबजब मौका मिलता, रेवन्ना उसे अपने कमरे में अकेले बुलाया करते थे.
‘‘उस परिवार में 6 औरतें और काम करती थीं. सभी की सभी डरी होती थीं खासकर प्रज्वल रेवन्ना के घर आने पर औरतें सहम जाती थीं. यहां तक कि घर में काम करने वाले कुछ मर्द नौकरों ने भी उन्हें सावधान रहने को कहा था. इस तरह सभी डरेसहमे अपनी बारी का इंतजार किया करते थे.
‘‘पीडि़ता ने यह भी आरोप लगाया है कि जब रेवन्ना की पत्नी घर पर नहीं होती थीं, तो वे उसे स्टोररूम में बुला कर फल देने के बहाने उस के साथ गलत हरकत करता था. उस का यौन शोषण करता था.
‘‘कई बार उस के किचन में काम करने के दौरान रेवन्ना ने उस के साथ ज्यादती की थी, जबकि प्रज्वल उस की बेटी को वीडियो काल कर उस से गंदी बातें करता था, जिस के बाद उस की बेटी ने उस का नंबर ब्लौक कर दिया था.’’
‘‘हो सकता है, उस औरत ने आपसी रजामंदी से यह सब किया हो और बाद में रेवन्ना परिवार से फायदा उठाने के लिए यह नाटक रचा हो?’’ इंस्पैक्टर ताराचंद को अब सुनहरी से अपने इस सवाल का जवाब चाहिए था.
‘‘देखो साहब, मुझे यह तो नहीं पता कि कौन सच्चा है और कौन झूठा, पर इतना तो सम झ में आता ही है कि दाल में कुछ तो काला है. इस मामले में आईपीसी की धारा 354 (ए) यानी यौन शोषण, 354 (डी) यानी पीछा करना, 506 यानी जान से मारने की धमकी देना और 509 यानी बातें या इशारों से महिला की गरिमा का अपमान करना जैसी धाराएं शामिल हैं.
‘‘पुलिस सूत्रों की मानें, तो रेवन्ना की शिकार लड़कियों और औरतों में ज्यादातर वे ही शामिल हैं, जो किसी राजनीतिक सपने को पूरा करने या फिर अपने किसी काम को ले कर उन से मिलने आया करती थीं.’’
‘‘कानून का बड़ा ज्ञान है तुझे तो. धाराएं रटी हुई हैं. इन का मतलब भी समझती है?’’ इंस्पैक्टर ताराचंद ने सुनहरी की जानकारी से कुढ़ कर कहा.
ताराचंद ऊंची जाति का था और जातिवाद उस की रगरग में भरा था. वह यह बात कैसे सहन कर लेता कि एक दलित लड़की थाने में खड़ी हो कर धड़ल्ले से अपनी बात रख दे.
‘‘साहब, आप ने पूछा तो बता दिया. वैसे भी हम लोगों के पढ़नेलिखने की कद्र ही कहां है. हमारे समाज में तो औरत को घर की जूती समझा जाता है. ऐसी जूती जिसे किसी भी समाज का कोई भी ऐरागैरा पहनना अपना जन्मजात हक सम झता है.
‘‘आज हम जितनी भी लड़कियां पकड़ी गई हैं न, उन में से ज्यादातर वंचित समाज की हैं और उन की इज्जत तो कम उम्र में ही लुट जाती है. मुझे तो कई साल पहले ही एक दबंग की बिगड़ैल औलाद ने खेत में धर लिया था. मना किया तो लातघूंसों से मेरी खातिरदारी की थी, रेप किया सो अलग.’’
‘‘पर, अब तो तू अपनी मरजी से वीडियो बनवा रही थी न?’’
‘‘बिलकुल बनवा रही थी और मु झे इस का कोई अफसोस भी नहीं है. पैसा इनसान की हर कमजोरी को ताकत में बदल देता है. चौधरी साहब के बेटे ने भले ही हमारी वीडियो बनवाई हैं, पर हमें इस का कोई मलाल नहीं है. पैसा भी तो दिया है. और फिर आज की तारीख में कोई भी हमें पैसे से कमजोर नहीं कह सकता है. घर में सुखसुविधा का सारा सामान है. छोटी बहन पढ़ रही है. मांबाप को दो वक्त की रोटी मिल रही है.
‘‘साहब, इस देश में जो औरतों और लड़कियों की तरक्की का ढोल पीटा जा रहा है न, उस की पोल तो वाराणसी का रैडलाइट एरिया मंडुआडीह ही खोल देता है. देश का सब से ताकतवर नेता वहां से लोकसभा का इलैक्शन लड़ता है, पर क्या यह सामाजिक कोढ़ खत्म हो पाया? नहीं न. और होगा भी नहीं.
‘‘प्रज्वल मामले में भी शायद लीपापोती कर दी जाए, तो क्यों न हमें भी शांति से जीने दिया जाए. सब खाकमा रहे हैं, तो किसी के बाप का क्या जाता है.’’
सुनहरी के मुंह से इतना सुन कर इंस्पैक्टर ताराचंद ने चौधरी सुमेर सिंह के बेटे सुमित की ओर देखा और बोला, ‘‘लड़की की बात में दम है. आज मामला थाने में और फिर कल कोर्ट में जाएगा, तो बदनामी तो इस गांव की ही होगी न. किसी को कुछ नहीं मिलेगा.
‘‘ऐसा करो कि इस मामले को यहीं रफादफा करने के 2 लाख रुपए दे दो. तुम लोग कुछ दिन शांत रहना और फिर दोबारा जुट जाना वीडियो बनाने के धंधे में.
‘‘पर, एक बात का खयाल रखना कि दोबारा अपनी निजी लड़ाई को इस तरह थाने में मत घसीटना, वरना मैं लिहाज नहीं करूंगा. बाकी हमें भी कभीकभार अपनी जवानी का रस चखा देना,’’ सुनहरी को ताड़ते हुए इंस्पैक्टर ताराचंद ने अपनी बात खत्म की.
सुनहरी ने एक आंख दबाते हुए कहा, ‘‘इस में कौन सी बड़ी बात है. आप हमारा खयाल रखें और हम आप का. आप की सेवा करने में तो अलग ही मजा है. जब भी फोन कर देंगे, आप की सेवा में हाजिर हो जाऊंगी.’’
सुमित ने थोड़ी देर में ही इंस्पैक्टर ताराचंद को 2 लाख रुपए पकड़ा दिए और अपनी लड़कियों और दूसरे स्टाफ को ले कर वहां से चला गया. अब उन्हें बेखौफ हो कर वीडियो जो बनाने थे.