लक्ष्मी के पति लक्ष्मण की चिता की राख अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि वह अपने प्रेमी किशन के घर में बैठ गई. सारी जातबिरादरी में उस की थूथू हो रही थी. लक्ष्मी की गोद में अभी सालभर की बेटी थी. एक बूढ़ी सास थी. परिवार में और कोई नहीं था. वह अपनी बेटी को भी साथ ले गई थी.
दरअसल, लक्ष्मी और किशन के बीच इश्कबाजी बहुत पहले से चल रही थी. जब वह लक्ष्मण से ब्याह कर आई थी, उस के पहले से ही यह सब चल रहा था. वह लक्ष्मण से शादी नहीं करना चाहती थी. एक तो लक्ष्मण पैसे वाला नहीं था, दूसरे वह शादी किशन से करना चाहती थी. वह दलित था, मगर पंच था और उस ने काफी पैसा बना लिया था. मगर मांबाप के दबाव के चलते लक्ष्मी को लक्ष्मण, जो जाति से गूजर था, के साथ शादी करनी पड़ी.
लक्ष्मी तो शादी के बाद से ही किशन के घर बैठना चाहती थी, मगर समाज के चलते वह ऐसा नहीं कर पाई थी. पर उस ने किशन से मेलजोल बनाए रखा था.
शादी की शुरुआत में तो वे दोनों चोरीछिपे मिला करते थे. बिरादरी के लोगों ने उन को पकड़ भी लिया था, मगर लक्ष्मी ने इस की जरा भी परवाह नहीं की थी.
जब लक्ष्मी ज्यादा बदनाम हो गई, तब भी उस ने किशन को नहीं छोड़ा. लक्ष्मण लक्ष्मी का सात फेरे वाला पति जरूर था, मगर लोगों की निगाह में असली पति किशन था.
जब शादी के 5 साल तक लक्ष्मी के कोई औलाद नहीं हुई, तब लक्ष्मण को बस्ती व बिरादरी के लोगों ने नामर्द मान लिया था. शादी के 6 साल बाद जब लक्ष्मी ने एक लड़की को जन्म दिया, तब समाज वालों ने इसे किशन की औलाद ही बताया था.