रवि कमरे से निकल गया. मगर उस की आंखों के पटल से मोनाली का वह दृश्य मिट नहीं पाया था. रवि ने भी फोन पर तनु को सम झाया कि जो कुछ उस ने देखा है वह ऐक्सिडैंटल एनकाउंटर मात्र था. एक दिन मोनाली ने रवि के कमरे में अपना मनपसंद रूम फ्रैशनर स्प्रे किया था. रवि कमरे में घुसते के साथ बोल पड़ा, ‘‘आज कोई स्पैशल खुशबू आ रही है कमरे में.’’
मोनाली वहीं कमरे में कुछ सजावट के सामान रख रही थी. उस ने कहा, ‘‘हां, मैं ने नया स्प्रे किया है. अच्छा नहीं लगा?’’
‘‘नो, नो. तुम्हारी चौइस लाजवाब है. बहुत अच्छा लगा.’’
उसी समय तनु वहां से गुजर रही थी और उस ने उन की बात सुनी. उसे पहली बार भय हुआ कि कहीं शायद अब वह रवि की प्रेमिका नहीं रही.
अगले दिन नए साल का पहला दिन था. नए मेहमान, मोनाली के पिता सुजीत अपनी पत्नी के साथ आए थे. प्रतीक ने रवि से उन का परिचय कराया. फिर प्रतीक और सुजीत दंपती आपस में बातें करने लगे.
सुजीत बोले, ‘‘क्यों न हम नए साल के दिन नए रिश्ते की बात करें? हम लोगों को और मोनाली को तो रवि बहुत पसंद है. आगे आप लोगों की क्या राय है?’’
प्रतीक बोले, ‘‘हम दोनों को तो मोनाली बहुत प्यारी लगी. एक बार रवि से बात कर सगाई की डेट रख लेते हैं.’’
उसी समय तनु चायनाश्ता ट्रे में ले कर आई और टेबल पर सजा गई. उस ने उन लोगों की बातें भी सुनी थीं. उस के दिल में बिजली सी कौंध गई. प्रतीक ने बेटे को आवाज दे कर बुलाया और सुजीत से परिचय करा उन के आने का मकसद बताया.