सुजीत अगले दिन चले गए. मोनाली को 2 दिनों बाद रवि के साथ लौटना था. प्रतीक ने बेटे से कहा, ‘‘हम लोगों को मोनाली सब तरह से तुम्हारे योग्य लग रही है. हम तो बस सामाजिक औपचारिकतावश तुम से हां सुनना चाहते हैं.’’
रवि बोला, ‘‘पर मैं ने मोनाली को उस नजर से कभी नहीं देखा. मैं ने मम्मी को बताया था कि मैं तनु से प्यार करता हूं.’’
‘‘पर यह मु झे मंजूर नहीं है. तुम्हारे दादादादी ने मु झ से पूछ कर प्रभा की शादी मु झ से नहीं की थी.’’
‘‘पर वह देश और जमाना कुछ और था, पापा.’’
प्रतीक बोले, ‘‘मेरे जीतेजी ऐसा नहीं होगा. तनु का धर्म और परंपरा बिलकुल भिन्न हैं.’’
‘‘ओह, नो. मैं ड्रौप कर दूंगी, कोई प्रौब्लम नहीं है. मेरा काम तो खत्म हो गया है. अभी 4 बजे हैं. आप को कितने बजे जाना है?’’
‘‘अभी चलते हैं, वैसे साढ़े 4 बजे बुलाया है.’’
दोनों उसी समय कार से निकल गए. रास्ते में रवि ने कहा, ‘‘गैराज तो 10 मिनट के अंदर पहुंच जाएंगे, चलो, कैफे में कौफी पीते हैं तब तक.’’
दोनों ने कौफी के गिलास उठाए और खड़ेखड़े पीने लगे थे. फिर रवि ने उस से कहा, ‘‘चलो, बाकी कौफी कार में बैठेबैठे पीते हैं.’’
दोनों ने कार में कौफी पी. फिर तनु ने रवि को गैराज में ड्रौप किया. कार से उतर कर रवि बोला, ‘‘थैंक्स. तुम जितनी सुंदर देखने में हो, उतनी ही सुंदर ड्राइव करती हो.’’
तनु मुसकरा कर बोली, ‘‘मैं तुम्हें थैंक्स किस बात के लिए दूं? सुंदर कहने के लिए या ड्राइविंग के लिए?’’
‘‘सुंदर तो तुम्हें सभी कहते ही हैं. अभी ड्राइविंग के लिए सही,’’ रवि बोला.