शाम होतेहोते पूरी बस्ती में काफी जोरों का हंगामा मच गया था. 2 दिनों के बाद मान्यवर नेताजी बस्ती का दौरा करने वाले थे. नेताजी के करकमलों द्वारा ही उस बस्ती को गैरकानूनी रूप से बसाया गया था. नेताजी की यह तुरुप की चाल सौलिड वोटबैंक साबित हो रही थी.

गरीबों की इस बस्ती में हर तरह का गैरकानूनी काम होता था. ‘गरीब’ बस्ती वालों को नेताजी का पूरा साथ मिला था. इस वजह से पुलिस वाले भी बस्ती के अंदर घुसने में घबराते थे.

बेरोकटोक ‘गरीब’ बस्ती वाले सत्कर्म करते रहते थे. न पानी, न सड़क, फिर भी वहां एक इंच जगह खाली नहीं थी. सांप जैसी बनी झोपड़ियां, जहां एक बार कोई बाहर का आदमी घुस जाए, तो शायद ही जिंदा वापस लौटे.

इस बस्ती में सभी कलाकार रहते थे. कोई ड्रग्स का धंधा करता, तो कोई कच्ची शराब बेचता, तो कोई चोरी की गाडि़यों के पुरजे बेचता था. बस्ती के अंदर बीसियों रद्दी वालों की दुकानें थीं. लोहे के सामान और तांबे के तार खूब बिकते थे.

बस्ती की ‘गरीब’ औरतें पास के औद्योगिक क्षेत्र में बनी कंपनियों में ?ाड़ू मारने और पैकिंग करने का काम किया करती थीं. 20-30 फीसदी कम पगार लेने के चलते उन्हें आसानी से काम मिल जाया करता था, पर कम पगार की भरपाई वे कंपनियों में से सामान चोरी कर के किया करती थीं.

चौकीदार को धमका कर या फिर मुफ्त की दारू का लालच दे कर या फिर चोरी के माल में हिस्सा दे कर मिला लिया जाता था. कुछ शातिर औरतें जासूसी भी करती थीं. उन से मिली सूचना के आधार पर ही कंपनियों में रात में चोरियां होती थीं. कई औरतें, जिन के पति दारूबाज थे, वे नौकरी के साथसाथ जिस्मफरोशी का धंधा कर के अपना घर चलाती थीं.

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