जोरजोर से लाउडस्पीकर से नेताजी के पहुंचने की खबर दी जा रही थी. हालांकि धीमी आवाज में लाउडस्पीकर बजाने का सरकारी आदेश था, फिर भी पुलिस वाले चुप्पी साधे थे. जनता धूप में घंटों बैठी इंतजार कर रही थी. भरी दोपहरी में पास के एक खेत में उन का हैलीकौप्टर लैंड करने वाला था.

गोपाल अपने खेत में किनारे चुपचाप खड़ा उन के आने का इंतजार कर रहा था. वह सहमा हुआ था. पिछली रात पुलिस वालों ने उस के खेत में लगे गेहूं को जला डाला था, क्योंकि नेताजी का हैलीकौप्टर उसी के खेत में उतरना था. उस की पहुंच भी अगर नेताजी तक होती, तो शायद ऐसा नहीं होता.

महाजन से कर्ज ले कर उस ने फसल को बड़ी मेहनत से लगाया था. अब तो वह इस साल भी उन का कर्ज नहीं भर पाएगा. खाने के लाले तो पड़ ही गए थे, ऐसे में खुदकुशी ही उस के लिए आखिरी रास्ता दिख रहा था.

थोड़ी देर में नेताजी का हैलीकौप्टर जैसे ही खेत में उतरा, चारों तरफ काले कपड़े वाले बंदूकधारी उन्हें घेर कर खड़े हो गए. अब उन के आसपास कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता था.

गोपाल भी गेहूं जलाने का मुआवजा लेने के लिए अर्जी लिए खड़ा था. लेकिन सिक्योरिटी वालों ने उसे डंडे मार कर भगा दिया.

नेताजी मंच पर पहुंच चुके थे. उन के नाम का जयकारा लग रहा था. काली वरदी में बौडीगार्ड की नजरें चारों तरफ थीं. उन की जान को खतरा बढ़ गया था, क्योंकि वे सरकार के खिलाफ जोरदार आवाज उठा रहे थे.

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