धीरेन रात में चूल्हे पर रोटी बना रहा था. उसे हर रोज अपने हाथ से खाना बनाना पड़ता था. रेशमी कटोरे में बनी हुई सब्जी ले कर चली आई.
‘‘यह सब्जी रख लो. आलूमटर और गोभी की मिक्स सब्जी बनाई है. खा
कर देखना,’’ रेशमी ने प्यार से कहा.
‘‘लेकिन, अभी रोटी सेंक रहा हूं,’’ कह कर धीरेन ने कटोरे की सब्जी रख ली.
‘‘हटो, मैं रोटी बना देती हूं. तुम खाना खा लो,’’ रेशमी ने कहा.
रेशमी तवे पर रोटी सेंकने लगी. धीरेन उस की दी हुई सब्जी के साथ गरमगरम रोटियां खाने लगा.
‘‘वाह, मजा आ गया. बड़ी मजेदार सब्जी बनी है,’’ धीरेन उंगलियां
चाट कर खाने लगा. रेशमी खुशी से मुसकरा उठी.
दूसरे दिन धीरेन ने फुटपाथ की दुकान से एक नाइटी खरीदी. वह नाइटी उस ने रेशमी को ला कर दे दी.
‘‘देखो, इसे पहन लेना. यह नाइटी तुम्हारे बदन पर खूब जंचेगी.’’
‘‘इसे मैं रात में पहन लूंगी,’’ रेशमी ने कहा.
‘‘कुलदीप को इस नाइटी पर शक हुआ तो?’’ धीरेन ने कहा.
‘‘कह दूंगी कि मैं ने खरीदी है,’’ रेशमी ने कहा.
‘‘आज रात तुम्हारे कमरे में आऊंगी. मेरा इंतजार कर लेना,’’ रेशमी ने धीमे से कहा.
तभी कुलदीप ने दुकान से पुकारा, ‘‘रेशमी, यह खाली टोकरी ले जाओ. इसे बरामदे में रख दो.’’
रेशमी बड़बड़ाई, ‘‘जब देखो, मुझ से खाली टोकरी उठवाता है. बाज आई ऐसे मर्द से.’’
आधी रात हो गई थी. रेशमी सोई नहीं थी. बगल में कुलदीप दारू पी कर सो रहा था. रेशमी कमरे से दबे पैर निकल कर धीरेन के कमरे में चली गई.
धीरेन जाग रहा था. वह रेशमी का इंतजार कर रहा था. उस ने रेशमी को बांहों में जकड़ लिया.
रेशमी ने धीरेन की दी हुई नाइटी पहन रखी थी, जिसे रेशमी ने पलभर में उतार दिया. इश्क की आग भड़क गई. दोनों ने एकदूसरे को बांहों में जकड़ लिया.
धीरेन रेशमी के साथ सैक्स करने लगा. कुछ देर तक यह खेल चलता रहा. जिस्म की आग जब ठंडी हो गई, तब दोनों अलग हो गए. रेशमी संतुष्ट हो कर अपने कमरे में सोने चली गई.
देशी दारू की दुकान में गहमागहमी थी. कुछ लोग आते और दारू की बोतल ले कर चले जाते थे. कई बेवड़े पी कर झूमते नजर आ रहे थे. मयखाने की हवाओं में भी नशा था.
कुलदीप अपने दोस्त किशन, सूरज और अजय के साथ बैठा दारू पी रहा था. जब नशा चढ़ा तो सभी लड़खड़ाते हुए उठे और रात के अंधेरे में घर चल दिए. कुछ दूर जाने पर कुलदीप के दोस्त अपने रास्ते निकल गए.
कुलदीप नशे में अकेले लड़खड़ाता हुआ चला जा रहा था. रास्ते में बड़े नाले पर एक पुलिया पड़ती थी, जिस की बाउंड्री ढह चुकी थी.
नशे के झोंक में कुलदीप लड़खड़ा कर बड़े नाले में गिर गया. आसपास अंधेरा और सन्नाटा था. उसे नाले में गिरते किसी ने भी नहीं देखा था.
कुलदीप हाथपैर मार कर नाले से निकलने की कोशिश करने लगा. वह जितना हाथपैर मारता, उतना ही कीचड़ और बदबूदार पानी से भरे नाले में धंसता चला गया. वह बड़े नाले में डूब गया था.
आधी रात तक कुलदीप जब घर नहीं लौटा, तब रेशमी घबराने लगी.
‘‘अभी तक कुलदीप नहीं आया,’’ रेशमी ने धीरेन से कहा.
‘‘सुबह का इंतजार करते हैं. हम लोग साथ चल कर उसे ढूंढ़ेंगे,’’ धीरेन ने तसल्ली दी.
सुबह हुई. थाने में लोगों की भीड़ लगी थी. पुलिस को एक शख्स की लाश बड़े नाले में तैरती हुई मिली थी. रेशमी और धीरेन ने थाने पहुंच कर लाश की शिनाख्त कुलदीप के रूप में की थी.
रेशमी जोरजोर से रो रही थी. पुलिस ने कुलदीप की लाश रेशमी को सौंप दी थी. उसी दिन कुलदीप का दाह संस्कार कर दिया था. रेशमी विधवा हो गई थी.
रोज कमानेखाने वाले लोगों को शोक मनाने का भी कहां समय होता है. कुछ दिनों से बंद पड़ी सब्जी की दुकान रेशमी ने खोल दी थी.
रेशमी की मदद के लिए धीरेन सामने आया. वह सब्जी मंडी से सुबह में सब्जियां टैंपो से ले आता था. रेशमी अपनी सब्जी दुकान में सब्जियां बेच देती थी.
इस तरह तकरीबन 2 महीने गुजर गए थे. रेशमी की जिंदगी ठीकठाक चलने लगी थी, लेकिन आसपास के लोगों को रेशमी खटकने लगी थी. सुधा नाम की एक अधेड़ औरत रेशमी को कुलटा साबित करने पर तुली थी.
सुधा आसपास की अनपढ़ औरतों को बतलाने लगी, ‘‘रेशमी एक विधवा औरत है. वह घर में अकेले रहती है. उस के घर में एक जवान लड़का धीरेन क्यों रहता है, जबकि उस के पति कुलदीप की मौत हो गई है?’’
एक अनपढ़ और जाहिल औरत गीता ने कहा, ‘‘रेशमी का धीरेन के साथ क्या संबंध है? वह सब्जी मंडी से उस की दुकान के लिए सब्जियां क्यों लाता है?’’
एक दिन सुधा ने रेशमी को समझाया, ‘‘धीरेन को घर से निकाल दो. कोई दूसरा किराएदार रख लो. एक अकेली औरत को जवान लड़के के साथ रहना ठीक नहीं है.’’
तब रेशमी ने तपाक से जवाब दिया, ‘‘धीरेन में कोई खराबी नहीं है. वह मेरे कामकाज में मदद कर देता है. भला उसे मैं घर से क्यों निकाल दूं?’’ यह सुन कर सुधा चुप हो गई थी.
महल्ले का एक बदमाश था प्रकाश. वह गली के नुक्कड़ पर लड़कों के साथ खड़ा रहता था. आसपास के लोग उस से खौफ खाते थे. सुधा ने प्रकाश से रेशमी की चुगली कर दी.
प्रकाश तो ऐसे मौके की तलाश में रहता था. वह रेशमी की सब्जी दुकान पर अपने गुरगों के साथ पहुंच गया. उस समय रेशमी दुकान पर बैठी थी.
‘‘इस घर में धीरेन नाम का कोई आदमी रहता है?’’ प्रकाश ने कड़क कर रेशमी से पूछा.
‘‘हां, धीरेन मेरे घर में रहता है,’’ रेशमी ने कहा.
‘‘उसे बाहर बुलाओ,’’ प्रकाश ने गरज कर कहा.
सुन कर धीरेन कमरे से बाहर आ गया, ‘‘क्या बात है?’’