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Writer- जीतेंद्र मोहन भटनागर

चमकी को फंसा लाने के बाद से जब बांके ने पीछे खुले हिस्से और आगे बरामदे के साथ 2 कमरों वाली इस झुग्गी में जब प्रवेश किया था तब सबकुछ कच्चा था और छत पर खपरैल था.

बाद में रेलवे ट्रैक के समीप होने का फायदा उठाते हुए और आसपास बनते फ्लैटों से चुराई गई सीमेंट और ईंटों से उस ने धीरेधीरे अपनी पक्की झुग्गी बना ली.

शराब पीने की बुरी लत के साथ, साथ में काम करने वाली महिला लेबर पर हमेशा बांके की बुरी नीयत रहती थी और वह हमेशा उन्हें किसी भी तरह फंसाने की कोशिश में लगा रहता था.

आजकल उस की नजर बिंदा पर थी. गरीब बिंदा का पति मर चुका था और एक साल के बच्चे को ले कर वह काम पर आती थी.

ब्रदी चूंकि बांके के चरित्र से अच्छी तरह वाकिफ था, इसलिए उस ने नई लेबर होने के चलते बिंदा को अपने साथ लगा लिया था, जिस के चलते बद्री से लड़झगड़ कर वह घर चला आया था.

आते समय उस ने रास्ते में पड़ने वाले शराब के ठेके पर बैठ कर खूब शराब पी...

चूंकि बिंदा के प्रति बहुत गंदे खयाल उस के दिमाग में उमड़घुमड़ रहे थे और शराब पूरी तरह असर कर चुकी थी, इसलिए जब महुआ उस के सामने पड़ी तो वह उसे देख कर बांके ने अपने होशहवास खो दिए.

यह तो महुआ की किस्मत अच्छी थी जो श्याम सुंदर उसे बुलाने आ गया, वरना पता नहीं महुआ का क्या होता.

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