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‘‘ऐसे तो वह और कइयों से साथ रही होगी?’’ अमित के पापा ने सच ही कहा था, मगर अमित के दिमाग में घुसे तब न. उस के ऊपर तो लिली का भूत सवार था. आखिरकार अमित की मां के आगे पापा को झुकना पड़ा. मकान का एक हिस्सा बेच कर उन्होंने अमित को रुपए दे दिए. जातेजाते एक नसीहत दी कि देखना, तुम एक दिन पछताओगे.

अमित रुपए पा कर मुंबई लौट आया.

फ्लैट लिली के नाम खरीदा. लिली का कहना था कि जब शादी करनी है, तो चाहे तुम अपने नाम खरीदो या फिर मेरे, बात तो एक ही है.

अब दोनों निश्चिंत थे. एक हफ्ते बाद अमित ने लिली से कोर्ट मैरिज करने के लिए कहा. वह टालती रही.

आजिज आ कर एक दिन अमित ने तल्ख शब्दों में कहा, ‘‘लिली, अब देर किस बात की है?’’

‘‘अमित, शादी कर के घरगृहस्थी में तो फंसना ही है. क्यों न कुछ दिन और मजे ले लें,’’ लिली की यह बात उसे अच्छी नहीं लगी.

दूसरे दिन औफिस के काम से अमित अहमदाबाद चला गया. 2 दिन बाद लौटा तो देखा कि एक आदमी उस के फ्लैट के अंदर था.

‘‘यह कौन है?’’ अंदर घुसते ही उस ने सब से पहले लिली से सवाल किया.

‘‘मेरा फुफेरा भाई. आज ही आया है.’’

अमित दूसरे कमरे में आया. पीछेपीछे लिली भी आई.

‘‘पहले तो तुम ने इस के बारे में कोई जिक्र नहीं किया था. अब यह कहां से आ गया?’’

उस रोज किसी तरह लिली ने बहाना कर के फुफेरे भाई का मामला  टाला. मगर अमित इस से संतुष्ट नहीं था. वह अकसर उस से शादी की जिद करने लगा.

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