लिली की बिंदास पहल ने अमित को मुश्किल में डाल दिया. एक दिन वह हंस कर बोली, ‘‘क्या तुम मुझसे दोस्ती करना पसंद करोगे?’’
उस रोज अमित झेंप गया. उसे कोई जवाब नहीं सू झा. बस, मुसकरा दिया.
रातभर वह लिली के ही बारे में सोच रहा था. कल जब उस से मुलाकात होगी, तो वह क्या जवाब देगा? क्या उस के प्रस्ताव को ठुकरा देगा?
लिली पहली लड़की थी, जिस ने उसे प्रपोज किया. एक अदने से शहर से जब वह मुंबई नौकरी करने आया था, तब सिवा नौकरी के उसे
कुछ नहीं पता था. न ही यहां की लड़कियों के तौरतरीके, न ही इस शहर का मिजाज.
लिली अमित को एक रैस्टोरैंट में मिली थी, जहां वह अकसर खाना खाने जाता था. यहीं से दोनों में जानपहचान शुरू हुई.
लिली ने उसे अपना ह्वाट्सएप का नंबर दिया और कहा, ‘‘अगर हां हो, तो जरूर संदेश देना.’’
लिली खूबसूरत थी. छोटे शहर की लड़कियों से अलग उस का रूपरंग बहुत अच्छा. वह फैशनेबल थी.
अमित के लिए यह बिलकुल नया अनुभव था. सोचविचार कर उस ने फैसला लिया कि वह लिली की पहल को नहीं ठुकराएगा.
अगले दिन जब अमित रैस्टोरैंट गया, तो सब से पहले उस की नजर लिली की चेयर पर गई. यही समय होता था लिली के आने का.
अमित ने चारों तरफ नजरें दौड़ाईं, मगर वह नहीं दिखी. वह बेचैन हो गया. आज उस के दिल में एक खालीपन का अनुभव हुआ. कुरसी पर बैठ कर वह खाने का इंतजार करने लगा. रहरह कर उस की नजर दरवाजे पर चली जाती. तभी लिली आती दिखी. अमित का चेहरा खिल गया.
लिली ने मुसकरा कर उसे विश किया. उस के बाद अपनी चेयर पर बैठ कर लिली मोबाइल पर उंगलियां फेरने लगी. अमित से रहा न गया. उस ने तत्काल उसे मैसेज दिया, ‘शाम को खाली हो?’
लिली ने मैसेज का तुरंत जवाब दिया, ‘हां.’
इस तरह दोनों ने शाम को साथ बिताने का फैसला लिया. एक तय जगह पर दोनों मिले. मोटरसाइकिल पर बैठ कर मरीन ड्राइव पर आए. समुद्र के किनारे लगे चबूतरे पर बैठ कर दोनों आपस में बातचीत करने लगे.
‘‘तुम किस कंपनी में हो?’’ लिली ने पूछा.
‘‘मैं यहीं एक सौफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी में इंजीनियर हूं.’’
‘‘अकेले हो? मेरा मतलब शादी से है,’’ लिली ने पूछा.
‘‘अभी कुंआरा हूं,’’ कह कर अमित हंसा.
कुछ सोच कर अमित ने लिली से भी यही सवाल किया. जवाब में लिली ने बतलाया कि वह कुंआरी है. एक कुरियर कंपनी में नौकरी करती है.
इस तरह जब भी समय मिलता, वे दोनों एकदूसरे के साथ बिताना पसंद करते. धीरेधीरे दोनों के संबंध गाढ़े होते गए.
एक रोज लिली गले में सुंदर सी चेन पहन कर आई थी. अमित ने देखा, तो तारीफ किए बिना न रह सका.
‘‘मां ने दी है. आज मेरा बर्थडे है,’’ लिली की इस बात से अमित को शर्मिंदगी हुई. बौयफ्रैंड होने के नाते यह हक सब से पहले उसे जाता था. काश, पहले पता होता, तो वह निश्चय ही लिली को सरप्राइज दे कर निहाल कर देता.
अमित कुछ सोच कर बोला, ‘‘देर से ही सही, आज तुम्हारा बर्थडे मेरे फ्लैट पर धूमधाम से मनेगा. मां से बोल दो कि आने में देर होगी.’’
अमित बहुत खुश था. लिली के साथ वह एक अच्छी सी दुकान में गया. वहां उस की पसंद के सोने के झुमके दिलवाए. 40,000 रुपए का बिल चुकता किया.
लिली ने मना किया, मगर अमित के लिए अपने पहले प्यार का तोहफा था. उस के बाद केक और पिज्जा ले कर अपने फ्लैट पर आया. दोनों ने खूब मजे किए. रात 11 बजने को हुए. ‘‘अच्छा तो मैं चलती हूं,’’ कह कर लिली ने अपना पर्स संभाला.
अमित का मन तो नहीं था उसे छोड़ने का, मगर कैसे कहे. जुमाजुमा चार दिनों की मुलाकात थी. कहीं वह बुरा न मान ले.
लिली अमित के करीब आई. उस के गालों को हलके से चूम लिया. अमित का रोमरोम खिल उठा.
लिली के जाने के बाद अमित उस के ही ख्वाबों और खयालों में डूबा रहा. रहरह कर गालों पर अपनी उंगलियां फेरता तो ऐसा लगता लिली अब भी उस के करीब है. एक अजीब सी मादकता उस के ऊपर हावी हो गई. तभी मोबाइल फोन की घंटी बजी. फोन लिली का था.
‘‘पहुंच गई?’’ अमित ने पूछा.
‘हां,’ लिली का जवाब था, ‘क्या कर रहे हो? सोए नहीं?’ उस ने पूछा.
‘‘नींद नहीं आ रही,’’ अमित का जवाब था.
‘रात के 2 बज रहे हैं. औफिस नहीं जाना है?’
‘‘यार, तुम तो अभी से मेरी चिंता करने लगी?’’
‘क्या करूं. दिल के हाथों मजबूर हूं.’
‘‘ऐसा क्या देखा मु झ में?’’ पूछ कर अमित हंसा.
लिली सोच कर बोली, ‘कभीकभी भावनाओं के आगे शब्द कम पड़ जाते हैं,’ वह आगे बोली, ‘तुम ने मु झ में क्या देखा?’
अमित थोड़ा शरमाते हुए बोला, ‘‘तुम्हारे होंठ. जब गुलाबी लिपस्टिक लगा कर आती हो, तो ऐसा लगाता है मानो गुलाब की 2 पंखुडि़यां एकदूसरे को चूम रही हों.’’
‘ऐसा था तो पहल क्यों नहीं की?’ लिली ने शरारत की.
‘‘डरता था, कहीं तुम बुरा न मान जाओ.’’
‘मन तो नहीं कर रहा, पर क्या करें नौकरी जो करनी है. अच्छा, गुडनाइट,’ लिली ने मोबाइल का स्विच औफ कर दिया.
आज लिली सफेद कपड़े पर गुलाब रंग के फूल बने छींटे वाला पहन कर आई थी. बालों को खास तरीके से गूंथा था. लट चेहरे पर झूल रही थी. गोरा रंग उस पर सुर्ख गुलाबी होंठ कयामत ढा रहे थे. अमित उसे देखता ही रह गया.
आज शाम दोनों ने फिल्म देखने का प्रोग्राम बनाया. सिनेमाघर का सन्नाटा पा कर अमित की भावनाएं कुछ ज्यादा उबाल लेने लगीं. रहा न गया तो उस के होंठों को चूम लिया. लिली पहले तो सकपकाई, पर बाद में सहज हो गई.
यह सिलसिला अब ऐसे ही चलता रहा. अब दोनों के बीच कुछ भी परदा नहीं रहा.
एक रोज लिली परेशान थी. अमित ने उस की परेशानी की वजह पूछी, तो वह बोली, ‘‘मु झे 50,000 रुपए की सख्त जरूरत है.’’
यह पहला मौका था, जब लिली ने उस से रुपयों की डिमांड की. इज्जत का सवाल था, इसलिए वह मना न कर सका. तुरंत उस के खाते में 50,000 रुपए ट्रांसफर कर दिए.
अब लिली खुश थी. तकरीबन 2 महीने हो गए दोनों की दोस्ती को. बातोंबातों में लिली ने बताया था कि वह मुंबई में अकेली रहती है. मातापिता पूना में रहते हैं. क्यों न हम एकसाथ रहें?
अमित को यह अटपटा लगा. इस से अच्छा है कि दोनों शादी कर लें. अमित यही चाहता था, मगर लिली तैयार नहीं हुई.
‘‘अमित, शादी कोई गुड्डेगुड्डी का खेल नहीं. पहले हम एकदूसरे को सम झ लें, फिर शादी कर लेंगे. लिव इन रिलेशनशिप में रहेंगे, तो एकदूसरे को सम झने में आसानी होगी,’’ दोटूक कह कर लिली ने अपनी मंशा जाहिर कर दी.
अब अमित को फैसला लेना था कि वह इसे स्वीकार करता है या नहीं.
अमित लिली को खोना नहीं चाहता था, वहीं उस के संस्कार बिना शादी किसी लड़की के साथ रहने की इजाजत नहीं दे रहे थे.
‘‘यह कैसा संबंध लिली? बिना शादी हम एकदूसरे के साथ रहें? क्या रह जाएगा हमारेतुम्हारे बीच? ऐसे ही साथ रहना है, तो शादी कर लेने में क्या बुराई है?’’
‘‘कैसी दकियानूसी बात कर रहे हो? मैं बर्फ नहीं, जो तुम्हारे साथ रह कर पिघल जाऊंगी? साल 6 महीने साथ रह लेंगे तो क्या बिगड़ जाएगा?’’ लिली ने उलाहना दिया, ‘‘तुम कौन सी दुनिया में रह रहे हो अमित. यह नई दुनिया है. पुराने रिवाज टूट रहे हैं,’’ लिली के प्रस्ताव के आगे अमित ने हाथ खड़े कर दिए.
लिली कुछ कपड़े और एक सूटकेस ले कर अमित के पास रहने चली आई. लिली रविवार को अपने मांबाप से मिलने पूना जाती थी. अमित भी जाना चाहता था, मगर वह मना कर देती. पर क्यों, यह उस की सम झ से परे था.
लिली के रूपरंग में पूरी तरह डूबे अमित को लिली के सिवा कुछ नहीं सू झता. आहिस्ताआहिस्ता लिली अमित के हर मामले में दखल देने लगी. अमित पूरी तरह से लिली पर निर्भर हो गया.
अपने महीने की तनख्वाह लिली के हाथ में सौंप कर अमित निश्चिंत रहता. एक दिन लिली पूना गई, तो 3 दिन बाद लौटी.
अमित परेशान हो गया. लिली को फोन लगाता, तो स्विच औफ मिलता. 3 दिनों के बाद लिली लौट आई.
अमित ने शिकायत भरे लहजे में उस से हुई देरी की वजह पूछी, तो वह नाराज हो गई. वह बोली, ‘‘अमित, मैं तुम्हारी बीवी नहीं हूं. हम दोस्त हैं. बेहतर होगा, मेरे बारे में ज्यादा खोजबीन न किया करो.’’
यह सुन कर अमित को बुरा लगा. मगर यह सोच कर चुप रहा कि लिली ने सही कहा कि वे सिर्फ दोस्त हैं.
अमित के बिगड़े मूड को लिली ने भांप लिया. सो, गलती सुधारने की नीयत से वह अमित के करीब आ कर बैठ गई. उस के बालों पर हाथ फेरते हुए बोली, ‘‘डार्लिंग, नाराज मत होना. मां की तबीयत ठीक नहीं थी. उन्होंने रोक लिया, तो रुकना पड़ा.’’
लिली की सफाई पर अमित का मूड बदल गया.
‘‘तुम नहीं जानती कि मैं कितना परेशान था,’’ बच्चे सरीखा बरताव था अमित का. लिली उस की कमजोरी जानती थी.
सुबह दोनों अपनेअपने काम पर निकल गए. शाम को दोनों ने फिर से बाहर खाने की योजना बनाई. रात 10 बजे लौट कर आए. जैसे ही आराम करने के लिए बिस्तर पर गए, तभी लिली के मोबाइल फोन की घंटी बजी. वह बरामदे में आई. वह 15 मिनट बाद वापस आई. आते ही बिस्तर पर पड़ गई.