आसिफ को ऐसी घुटन में जीने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, उस ने इस की कभी कल्पना भी नहीं की थी. इस घुटन ने उसे पूरी तरह तोड़ दिया था. रहरह कर आसिफ को अपनी पहली बीवी मुमताज की याद आ रही थी.

आज आसिफ की नई बीवी शमा उस पर शब्दों की ऐसी चोट करती थी, जिस का असर सीधे उस के दिल पर होता था, जबकि उस ने अपनी नई बीवी शमा और उस के बच्चों कैफ और आइजा को अपनी सगी औलाद से भी ज्यादा चाहा था और शमा से निकाह इसलिए ही किया था कि किसी बेवा और यतीमों का सहारा बन कर उन्हें दुनिया की हर खुशी देने की कोशिश करेगा. पर शमा लोगों के बहकावे में आ कर शब्दों की ऐसी चोट करती थी कि घर में ?ागड़ा शुरू हो जाता था.

आसिफ के अपनी पहली बीवी से

3 बच्चे फातिमा, आयशा और काशिफ थे. जब आसिफ की दूसरी शादी हुई थी, उस समय फातिमा की उम्र 10 साल, आयशा की उम्र 8 साल और काशिफ की उम्र महज 3 साल थी. शमा की बेटी आइजा की उम्र 10 साल और बेटे कैफ की उम्र 6 साल थी.

आसिफ ने डोनेशन दे कर आइजा और कैफ का एक अच्छे से इंगलिश मीडियम स्कूल में दाखिला करा दिया था, जबकि अपनी बेटी आयशा को साधारण स्कूल में ही रहने दिया था, क्योंकि उस के पास इस समय इतनी रकम नहीं थी कि एकसाथ 3-3 बच्चों के दाखिले के लिए डोनेशन दे सके.

शादी का एक साल प्यारमुहब्बत में गुजर गया और शमा को एक बेटा भी हो गया, जिसे पा कर पूरे घर में खुशी का माहौल था. सब बच्चे अपने छोटे भाई को पा कर खुश थे.

पर, जैसेजैसे समय अपनी रफ्तार से कटता गया, वैसेवैसे शमा में बदलाव आता गया. वह आसिफ की छोटी से छोटी बात पकड़ने लगी और उसे जलील करने लगी.

एक दिन शमा के भाईभाभी घर आए हुए थे. आसिफ का बेटा काशिफ खाना नहीं खा रहा था, तो आसिफ ने उसे पकड़ कर एक निवाला उस के मुंह में डाल दिया.

शमा की भाभी ने यह सब देख लिया और उस ने शमा के कान में जहर घोल दिया.

रात को जब आसिफ थकहार कर घर आया और अपने कमरे में गया, तो शमा मुंह फुलाए बैठी थी. आसिफ को देख वह गुस्से में बोली, ‘‘तुम काशिफ को अपने हाथ से खाना खिला रहे थे. मेरी भाभी ने अपनी आंखों से देखा और मु?ा से कहा कि आसिफ अपनी औलाद को तो अपने हाथ से खाना खिलाता है, पर तुम्हारे बच्चों को कभी ऐसे खाना नहीं खिलाता. भाभी को और मु?ो तुम्हारा बच्चों में यह फर्क करना बहुत बुरा लगा.’’

आसिफ शमा को प्यार से सम?ाते हुए बोला, ‘‘तुम ही मु?ा से कितनी बार शिकायत करती हो कि तुम्हारे 2 छोटे बच्चों को खिलाना मेरे बस की बात नहीं है. ये बच्चे मेरे हाथ से खाना नहीं खाते हैं खासकर काशिफ. आज भी काशिफ खाने में नखरे कर रहा था, तो मैं ने एक निवाला उस के मुंह में डाल दिया.’’

शमा बिगड़ते हुए बोली, ‘‘तो एक टुकड़ा मेरे बच्चों के मुंह में भी डाल देते.’’

आसिफ ने उसे सम?ाया, ‘‘काशिफ अभी बहुत छोटा है. मैं ने सिर्फ उसे ही एक निवाला खिलाया था.’’

लेकिन शमा पर आसिफ की इस दलील का कोई असर नहीं पड़ा और वह अपनी बात पर अड़ी रही.

कुछ दिनों बाद आसिफ काशिफ के लिए एबीसीडी लिखने वाली एक नोटबुक ले आया. जैसे ही उस ने वह नोटबुक शमा को दी और कहा कि इस में काशिफ को लिखना सिखाओ, जल्दी सीख जाएगा.

नोटबुक देखते ही शमा आगबबूला हो गई और नोटबुक को फेंकते हुए बोली, ‘‘सिर्फ अपने बच्चे के लिए ही लाए हो. मेरा भी तो बेटा कैफ है, उस के लिए क्यों नहीं लाए?’’

आसिफ को शमा की यह हरकत बहुत बुरी लगी. वह बोला, ‘‘कैफ तीसरी क्लास में है, उसे इस की क्या जरूरत है, जबकि काशिफ को तो अभी कुछ नहीं आता. उसे सीखने की जरूरत है. वह अभी 3 साल का ही तो है.’’

शमा चिल्ला कर बोली, ‘‘हांहां, सब तुम्हारे बच्चे के लिए ही जरूरी है.

वही तो पढ़ कर इंजीनियर बनेगा न… मेरा बच्चा कुछ न बने… सब अपने बेटे के लिए ही लाओ.’’

आसिफ को शमा से ऐसी उम्मीद न थी. उस ने जरा सी बात का बतंगड़ बना दिया. न आसिफ को खाना दिया और न उस से बात की.

आसिफ ने वह नोटबुक फाड़ दी, तब कहीं जा कर शमा का गुस्सा

शांत हुआ.

आसिफ को अब अपने ही घर में घुटन होने लगी थी. उस का घर में मन नहीं लगता था, इसलिए वह देर से घर आता था. वह जानता था कि उस की कोई न कोई बात पकड़ कर शमा ?ागड़ा करेगी और वह चाह कर भी अपने छोटे बेटे को गले नहीं लगा सकता, क्योंकि एक बार ऐसा करने पर घर में क्लेश हो गया था.

एक रात की बात है. आसिफ और शमा सोए हुए थे. रात को काशिफ की नींद खुली और वह ‘अम्मीअब्बू’ कहता हुआ आसिफ के पास आ गया. केवल आसिफ और शमा ही डबलबैड पर सोए हुए थे.

काशिफ बोला, ‘‘अब्बा, मैं आप के पास सोऊंगा.’’

आसिफ ने काशिफ को सम?ाया, तो वह रोने लगा. बच्चे का रोना सुन कर शमा बोली, ‘‘लिटा लो न अपने पास.’’

आसिफ ने शमा की बात सुन कर काशिफ को अपने पास लिटा लिया, पर अभी उसे लेटे हुए आधा घंटा ही

हुआ था कि शमा ने गुस्से में अपना तकिया उठाया और दूसरे कमरे में सोने चली गई.

आसिफ ने देखा कि शमा बिस्तर पर नहीं है, तो वह उठ कर दूसरे कमरे में गया. वहां उस ने देखा कि शमा मोबाइल देख रही थी.

आसिफ शमा से बोला, ‘‘तुम यहां क्यों आ गई?’’

शमा बोली, ‘‘नींद नहीं आ रही थी, इसलिए आ गई.’’

आसिफ सम?ा गया था कि जो इतनी देर से नींद आ रही है कह कर सो गई थी, उस की अचानक नींद कैसे गायब हो गई.

आसिफ बोला, ‘‘सचसच बताओ कि क्या बात है?’’

शमा गुस्से में बोली, ‘‘जाओ, अपनी औलाद को चिपका कर सुलाओ. यहां क्या करने आए हो? मु?ो सोने दो. मु?ो नहीं आना तुम्हारे पास. अपनी औलाद को गले से लगा कर सो जाओ, वही तुम्हारे लिए सबकुछ है.’’

आसिफ शमा की ऐसी बेरुखी देख कर हैरत में पड़ गया और उसे सम?ाते हुए बोला, ‘‘अरे बाबा, मैं काशिफ को नीचे सुला देता हूं.’’

आसिफ ने काशिफ को बिस्तर से उठा कर नीचे सुला दिया, पर शमा फिर भी नहीं आई. वह गुस्से में मुंह फुलाए दूसरे कमरे में पड़ी रही.

कई दिन तक शमा का मुंह फूला रहा और आसिफ घुटता रहा.

एक बार घर पर शमा के मेहमान आए थे. उन के बच्चों ने काशिफ की साइकिल तोड़ दी. इस के बाद शमा के बेटे कैफ की भी साइकिल खराब हो गई. उस ने आसिफ से कहा, ‘‘मेरी साइकिल ठीक करा दो.’’

आसिफ ने बोला, ‘‘कल करा दूंगा.’’

पर, अगले दिन आसिफ को ध्यान नहीं रहा और वह काम पर चला गया. फिर क्या था. शमा ऐंठ गई. आसिफ ने सम?ाया कि काशिफ की भी साइकिल उस ने ठीक नहीं कराई है, पर शमा ने उसे खूब खरीखोटी सुनाई.

एक बार आसिफ की बेटी आयशा की तबीयत काफी खराब हो गई थी. आसिफ ने तुरंत उस का इलाज करा दिया था, पर जब शमा की बेटी आइजा को पीलिया हो गया, तो आसिफ ने उस का भी इलाज अच्छे डाक्टर के क्लिनिक में कराया, पर वहां शमा के रिश्तेदारों ने कान भर दिए कि तेरे ही बच्चे क्यों बीमारी का शिकार होते हैं.

शमा का यह सुनना था कि उस का गुस्सा फूट पड़ा आसिफ पर. वह बोली, ‘‘मेरे बच्चों का ध्यान नहीं रखते हो, न ही ढंग से इलाज कराते हो. अगर आज इन का असली बाप होता, तो यह इतनी बीमार न होती.’’

आसिफ बोला, ‘‘ऐसा कौन सा घर नहीं है, जहां बच्चे बीमार नहीं होते हैं. मैं सगा बाप नहीं तो क्या मैं ने इलाज कराने में कोई कमी की?’’

इतना सुनना था कि शमा और ज्यादा भड़क गई. वह अपने बच्चों को ले कर मायके चली गई. आसिफ हैरान सा उसे जाते देखता रहा.

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