बहुत दिनों से सोच रही हूं. आज भी जब हवा का एक हलका सा झोंका बदन को छू कर निकलता है तो उस खुशबू का एहसास करा देता है, पर यह खुशबू तो लगातार आ रही है. कुछ देर बैठे रहने के बाद भी उस खुशबू का एहसास रहा. रश्मि ने आसपास झांका, फिर अपने कमरे की खिड़की से झांक कर देखा.

नीचे वाले घर में नए किराएदार अपना सामान रख रहे थे. कुछ मजदूर बाहर खड़े ट्रक से सामान अंदर ला रहे थे. उस ट्रक के पास एक सजीला नौजवान सफेद कमीज और काली पैंट पहने मजदूरों को सामान यथास्थान रखने का निर्देश दे रहा था. ‘इस का मतलब मेरे सपनों का राजकुमार हमारे नीचे वाले घर में किराएदार के रूप में रहने आया है,’ यह सोचते हुए रश्मि के मन में गुदगुदी होने लगी और वह वापस अपने पलंग पर आ गई.

कालेज जाते समय जब रश्मि रास्ता पार कर रही थी तब उस ने उस नौजवान को पहली बार देखा था. उसे देखते ही रश्मि का दिल जोर से धड़कने लगा. फिर तो पिछले 15 दिन में उस ने 3-4 बार उसे अपनी सोसायटी में देखा. जब भी वह आसपास होता तो एक भीनीभीनी सी खुशबू का झोंका रश्मि के मन को सराबोर कर देता.

2-3 दिन से ज्वर के कारण रश्मि कालेज नहीं जा पाई थी, तो उस का हालचाल जानने उस की सहेली कमल उस से मिलने आ गई. रश्मि ने जब कमल को उस युवक के बारे में बताया तो वह भी उसे छेड़ने लगी कि अब तो रोज ऊपरनीचे करते समय सपनों के राजकुमार के दर्शन होते होंगे. बातों ही बातों में कमल ने बताया कि कालेज में अंगरेजी की नई प्रोफैसर आई हैं. इतने में मां जूस के 2 गिलास ले कर आईं और बोलीं, ‘‘इसे पी कर तैयार हो जाओ. दोपहर का खाना हम लोग बाहर खाएंगे, क्योंकि रसोइए ने 3-4 दिन की छुट्टी ली है.’’

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सुनते ही रश्मि के होश उड़ गए कि अब तो खाना बाहर खाना पड़ेगा, उसे खुद ही चायनाश्ता अपने व मां के लिए बनाना पड़ेगा, क्योंकि उस की आधुनिक मां को किचन के काम से ऐलर्जी थी. वे तो एक भी बार चाय नहीं बनाती थीं. किचन में काम करना उन्हें बिलकुल भी पसंद नहीं था. किचन में काम करना उन्हें गुलामी जैसा लगता था.

मम्मीपापा और रश्मि तैयार हो कर नीचे आए तो देखा कि एक 25-26 साल की महिला साड़ी का पल्लू कमर में खोंसे बालों का बेतरतीब ढंग से जूड़ा बांधे सामान इधर से उधर रख रही है, पर वह युवक कहीं नजर नहीं आ रहा है. उस महिला की नजर जैसे ही रश्मि के परिवार पर पड़ी तो उस ने बड़ी शालीनता से नमस्ते किया.

तभी पापा ने हमारा परिचय कराते हुए कहा कि यह मिसेज किरण सूरज हैं. सूरज व किरण हमारे नए किराएदार हैं. मिसेज शब्द रश्मि के दिमाग पर हथौड़े की तरह बजने लगा यानी उस के सपनों का राजकुमार सूरज शादीशुदा है, उस का दिल बैठ गया. हालात पर काबू पाने के लिए वह जल्दीजल्दी कार में जा कर बैठ गई. घर वापस आते ही वह अपने कमरे का दरवाजा बंद कर के लेट गई. काफी देर सोचने के बाद वह सो गई. जब सो कर उठी तो अपनेआप को उस ने समझा लिया था कि चलो, बात आगे बढ़ने से पहले ही खत्म हो गई.

शाम को उस ने मुंह धोया फिर अपने तथा मम्मी के लिए चाय बनाई. चाय पी कर मम्मी ने कहा, ‘‘थोड़ा नीचे जा कर नए किराएदारों से मिल लो, मैं तो नहीं जा सकती, क्योंकि मेरे सिर में दर्द है. आ कर फिर रात का खाना भी बाहर से और्डर कर देना.’’

मन न होते हुए भी रश्मि नीचे आई तो देखा कि किरण अभी भी उसी साड़ी में वैसे ही सामान कमरे में सजा रही है और उस के रसोईघर से बहुत अच्छी खुशबू आ रही है. खुशबू से रश्मि की भूख जाग गई. उस से दोपहर को भी खाना सही से नहीं खाया गया था.

रश्मि को देखते ही किरण ने दौड़ कर उस का स्वागत किया और उसे ड्राइंगरूम में बैठाया. कुछ ही देर में किरण ने ड्राइंगरूम को बहुत अच्छे ढंग से सजा दिया था. रश्मि को बैठा कर किरण रसोईघर से उस के लिए चाय व नाश्ता ले आई. प्लेट में तले हुए पकौड़े देख कर रश्मि ने मुंह सिकोड़ लिया.

रश्मि नाश्ते के लिए मना करने वाली थी कि किरण ने प्लेट से एक पकौड़ा उठा कर रश्मि के मुंह में यह कह कर डाल दिया कि आप हमारे घर पहली बार आई हैं, कुछ तो खाना ही पड़ेगा.

पकौड़े इतने स्वादिष्ठ थे कि पहला पकौड़ा खाने के बाद रश्मि अपनेआप को रोक नहीं पाई और 5 मिनट में ही उस ने प्लेट खाली कर दी. अपनी व्यस्तता देख कर उसे खुद पर ग्लानि होने लगी. फिर उस ने किरण से कहा कि अगर आप लोगों को किसी चीज की जरूरत हो तो बताइएगा. जल्दीजल्दी सीढ़ी चढ़ कर वह अपने कमरे में आ गई.

शाम को रसोइए के न आने के कारण डिनर का प्रोग्राम बाहर ही था. रेस्तरां में मम्मीपापा के साथ खाना खाते हुए उस ने देखा कि सामने वाली टेबल पर वही युवक यानी सूरज एक स्मार्ट युवती के साथ बैठ कर डिनर कर रहा है.

अपनी तरफ पीठ होने के कारण रश्मि उस युवती का चेहरा तो नहीं देख पाई, लेकिन उस के बालों का जूड़ा बांधने का ढंग तथा उस का स्टाइल देख कर साफ पता चल रहा था कि यह महिला एक आधुनिका है.

अपनी टेबल पर अंधेरा होने के कारण सूरज उस के मम्मीपापा को नहीं देख पाया. अचानक उसे किरण पर बहुत दया आने लगी. रात को वह सूरज के चरित्र के बारे में सोचने लगी. उसे लगा कि उस ने तो अपनेआप को सही समय पर संभाल लिया लेकिन बेचारी किरण का क्या होगा, उसे तो पता भी नहीं कि उस का पति बाहर किस के साथ गुलछर्रे उड़ा रहा है.

अगले दिन रश्मि कालेज जाने के लिए सीढि़यां उतर रही थी तो उस ने देखा कि किरण अपने पति के लिए किचन में नाश्ता व खाना तैयार कर रही है. उस ने सीढि़यों से ही किरण को सुप्रभात कहा और तेजी से कालेज के लिए निकल गई.

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कालेज जा कर पता चला कि अंगरेजी की जो नई टीचर आने वाली थीं, वे 2 दिन बाद जौइन करेंगी. क्लास खाली देख कर सभी दोस्तों ने मिल कर शाहरुख खान की नई पिक्चर देखने का प्रोग्राम बनाया.

फिल्म समाप्त होने के बाद जैसे ही रश्मि व उस की सहेलियां बाहर निकलीं तो उस ने देखा कि सूरज भी अपनी उस आधुनिका के साथ फिल्म देखने आया है. हाईहील पहने उस आधुनिका का चेहरा भीड़ के कारण रश्मि नहीं देख पाई, लेकिन इस बार उस ने अपने दिमाग पर ज्यादा जोर नहीं डाला.

घर आ कर उस ने देखा कि नीचे ताला लगा हुआ है. ‘लगता है किरण कहीं बाहर गई है,’ सोचते हुए रश्मि अपने कमरे में आ गई. किरण से अब उस को सहानुभूति हो गई थी. बेचारी अपने पति के लिए कितना काम करती है. अच्छा खाना पकाती है, लेकिन उस का पति किसी आधुनिका के साथ बाहर घूमता रहता है.

आज रसोइया आ गया था, इसलिए उन्हें खाना खाने बाहर नहीं जाना पड़ा. अगले दिन रश्मि तबीयत खराब होने के कारण कालेज नहीं जा पाई. किरण ने जब उस की तबीयत के बारे में सुना तो वह उस के लिए टमाटर का स्वादिष्ठ सूप बना कर उस का हालचाल पूछने घर आई.

सूप पी कर रश्मि को बहुत अच्छा लगा. साथ ही रश्मि ने सोचा कि वह किरण को सूरज की असलियत बता दे ताकि वह किचन की चारदीवारी से बाहर निकल कर खुद को सजाएसंवारे तथा कुछ पढ़लिख ले ताकि सूरज उस आधुनिका के बजाय किरण को साथ ले कर घूमे.

अगले दिन सवेरेसवेरे खटरपटर की आवाज से रश्मि की आंख खुल गई. ‘शायद किरण किचन में अपने पति के लिए खाना बना रही है,’ रश्मि ने सोचा. अब वह स्वस्थ थी. उठ कर वह भी कालेज के लिए तैयार हो गई.

जब वह कालेज के लिए निकली तो देखा कि मां अभी सो कर उठी हैं. उस ने मां को बाय किया और कालेज के लिए निकल गई. नीचे देखा तो ताला लगा हुआ था. सोचा कालेज से आ कर वह किरण से बात करेगी.

आज कालेज में अंगरेजी की नई लैक्चरर की क्लास थी. रश्मि की सीट खिड़की के पास थी, जो कोरिडोर में खुलती थी. खिड़की से उस ने देखा कि मैडम आ रही हैं, ‘‘अरे, यह तो वही हाईहील, जूड़ा बांधने का वही ढंग, वही स्टाइल. अरे, यह तो सूरज की गर्लफ्रैंड है यानी कि हमारी अंगरेजी की नई टीचर.’’

उसे बड़ा गुस्सा आया. उस ने सोचा, ‘चलो, आज इस का चेहरा भी देख लेते हैं,’ लेकिन जैसे ही मैडम ने कक्षा में प्रवेश किया और रश्मि की नजर उस के चेहरे पर पड़ी तो उस के होश उड़ गए… ‘अरे, यह तो किरण है,’ वही आधुनिका जिसे उस ने कई बार सूरज के साथ घूमते देखा, लेकिन उस का चेहरा नहीं देख पाई. फिर उसे ध्यान आया कि किचन में खाना बनाते हुए किरण का चेहरा जो हाथ धो कर अपने पल्लू से पोंछती है, आज वही किरण उस के सामने खड़ी लगातार अंगरेजी में लैक्चर दे रही है. उस के शब्द रश्मि के सिर के ऊपर से निकलते जा रहे थे, लेकिन कानों ने सुनना बंद कर दिया था.

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