लेखिका- डा. संगीता बलवंत
महिला एवं बाल विकास संबंधी संयुक्त समिति विधानमंडल दल, उत्तर प्रदेश की सभापति होने के नाते मैं समिति द्वारा विभिन्न जिलों में विभिन्न विभागों का स्थलीय निरीक्षण करने पहुंची थी. उसी सिलसिले में बिजनौर जिले में चिकित्सा, बाल कल्याण, समाज कल्याण, शिक्षा इत्यादि विभागों का निरीक्षण करने के बाद हम जिला कारागार पहुंचे.
जिला कारागार में हम लोग 17 नवंबर, 2018 की सुबह पहुंचने वाले थे, लेकिन 16 नवंबर, 2018 का कार्यक्रम समय से खत्म हो जाने के चलते हम लोग 16 की शाम को ही जिला कारागार पहुंच गए. तय समय से पहले पहुंच जाने पर भी जेल अधीक्षक ने बहुत व्यवस्थित ढंग से पूरी जेल का निरीक्षण कराया और जब तक हम लोग जेल का निरीक्षण कर के वापस हुए, तब तक जेल के प्रांगण में माइक, मेज, कुरसी, दरी वगैरह चीजें लगा कर प्रांगण को सभा स्थल जैसा बना दिया गया था. मेज पर कुछ शील्ड और मैडल भी रखे गए थे.
जेलर आकाश शर्मा ने आग्रह करते हुए कहा, ‘‘सभापति महोदयाजी, जेल में पिछले दिनों कुछ प्रतियोगिताएं हुई थीं. हम चाहते हैं कि विजेताओं को आप अपने हाथों द्वारा पुरस्कृत करें.’’
‘‘ठीक है, मैं कर दूंगी. किसकिस चीज की प्रतियोगिताएं हुई हैं?’’
‘‘जी, गायन, रंगोली, डांस, कैरम, शतरंज और निबंध प्रतियोगिताएं कराई गई थीं.’’
‘‘इतनी सारी प्रतियोगिताएं... यह तो बहुत अच्छी बात है.’’
बातचीत करते हुए हम लोग मंच तक पहुंचे और अपनीअपनी जगह पर बैठ गए.
जेलर महोदय ने अपने हाथ में माइक लिया और संचालन शुरू किया. सब से पहले दीप जला कर मेरा और समिति के सभी सदस्यों को मालाएं पहनाई गईं.