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गोपाल डर से कांप रहा था और उस के दिल की धड़कन तेज होती जा रही थी. पर जैसे ही उन लड़कों के हाथ उस की चोटी पर पहुंचते कि क्लास टीचर आते हुए दिख गए. उन्हें देखते ही सब लड़के अपनीअपनी डैस्क की ओर भाग गए और उस की जान बच गई.

क्लास टीचर ने सब की हाजिरी लगाई और पूछा, ‘‘आज नया लड़का कौन आया है क्लास में?’’

कुछ देर पहले हुई घटना से गोपाल अभी भी डरा हुआ था. डरतेडरते उस ने अपना हाथ उठाया था. मास्टरजी ने अपने मोटे चश्मे को नाक के ऊपर चढ़ाया और उस की ओर कुछ पल ध्यान से देखा, मानो उस का परीक्षण कर रहे हों, फिर बोले, ‘‘गणित में पक्के हो?’’

गोपाल को समझ में नहीं आया कि क्या जवाब दे. मास्टरजी ने एकाएक उस पर सवालों की बौछार कर दी थी, ‘‘खड़े हो जाओ और जल्दीजल्दी बताओ कि 97 और 83 कितना हुआ?’’

गोपाल ने एक पल सोचा और बोला, ‘‘180.’’

‘‘सोलह सत्ते कितना?’’

‘‘एक सौ बारह,’’ गोपाल ने तुरंत जवाब दिया.

‘‘तेरह का पहाड़ा बोलो,’’ टीचर ने आगे कहा.

‘‘तेरह एकम तेरह,

तरह दूनी छब्बीस, तेरह तिया उनतालीस... तेरह नम एक सौ सत्रह, तेरह धाम एक सौ तीस,’’ गोपाल एक ही सांस में तेरह का पहाड़ा पढ़ गया.

‘‘उन्नीस का पहाड़ा आता है?’’

‘‘जी आता है. सुनाऊं क्या?’’ गोपाल का आत्मविश्वास अब बढ़ रहा था.

‘‘नहीं रहने दो,’’ टीचर की आवाज अब कुछ नरम हो गई थी.

‘‘तुम्हें पहाड़े किस ने सिखाए?’’

‘‘मां ने घर पर ही सिखाए हैं,’’ गोपाल ने दबी आवाज में जवाब दिया था.

‘‘तुम्हारी मां कितनी पढ़ीलिखी हैं?’’ मास्टरजी की आवाज में अविश्वास था.

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