‘‘मनोज बाबू, आप की बैरंग चिट्ठी है.’’

‘‘हमारी बैरंग चिट्ठी,’’ हम ने चुभती हुई निगाहों से रामकिशोर डाकिए की ओर देखा. उस ने अपनी साइकिल के हैंडल पर टंगे हुए झोले में से पत्रों, मनीआर्डर फार्मों का बंडल निकाला और एक बंद लिफाफा निकाल कर हमारी नाक के सामने कर दिया.

‘‘देख लीजिए, आप का ही नामपता लिखा है,’’ रामकिशोर ने कहा. फिर लिफाफा अपनी नाक के पास ले जा कर जोर से सांस खींची और अपनी दाहिनी आंख दबा कर बोला, ‘‘सैंट की खुशबू आ रही है.’’

हम ने लिफाफा उस के हाथ से ले कर उलटपलट कर देखा. लिफाफे पर भेजने वाले का नामपता नहीं था. हम लिफाफे का एक कोना फाड़ने लगे.

‘‘ऊंहूं, पहले 10 रुपए बैरंग चार्जेज दीजिए और मुझे चलता कीजिए,’’ उस ने लिफाफे पर हाथ रखा.

‘‘देता हूं, देता हूं...पहले तनिक देखने तो दो.’’

‘‘आप लिफाफा मुझे दीजिए. मैं इसे खोल देता हूं. आप इस के खत को देख लें. अगर आप के मतलब का हो तो रख लेना वरना मैं पोस्ट आफिस को ‘लेने से इनकारी है’, लिख कर वापस कर दूंगा.’’

रामकिशोर ने एक पिन की सहायता से धीरेधीरे लिफाफा खोला और फिर खत निकाला.

हम ने खत के पहले पन्ने पर नजर डाली, लिखा था :

‘माई डियर, डियर मनोजजी.’ खत की लिखावट जनाना थी. हमारा दिल तेजी से धड़कने लगा. हम ने जल्दी से खत को तह कर के लिफाफे समेत पैंट की जेब में ठूंस लिया.

‘‘हां हां, मेरा ही है,’’ कहने के साथ ही पर्स से 10 का नोट निकाल कर रामकिशोर की ओर बढ़ाया. फिर घर के दरवाजे की ओर देखा और जल्दी से सड़क पर जाते रिकशे को हाथ दे कर रोका.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
  • 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
  • चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप
  • 24 प्रिंट मैगजीन

डिजिटल

(1 महीना)
USD4USD2
 
सब्सक्राइब करें

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
  • 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
  • चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप
 
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...