रचित और सिद्धि में गहरी दोस्ती है. दोनों बाइक पर साथसाथ बेरोकटोक घूमतेफिरते हैं. रचित की मां सुधा कहती हैं, ‘‘अगर उन का बेटा अपनी गर्लफ्रैंड को घर ला कर मिलाए तो वे उस से मिलने से कैसे मना कर सकती हैं. आज की पीढ़ी के बच्चों को आप मना नहीं कर सकते?’’

लेकिन दुनियादारी की सीमाएं हैं. कोई भी मां नहीं चाहेगी कि उस का किशोर बेटा अपनी गर्लफ्रैंड के संग हाथ में हाथ डाले उस के सामने आ खड़ा हो.

बच्चों की आजादी पर मां को बाहरी टोकाटोकी का भी सामना करना पड़ता है. इसलिए ज्यादातर मांएं जानना चाहती हैं कि उन का बेटा किस से मिल रहा है? उस की गर्लफ्रैंड कैसी है? शायद यही कारण है कि मांएं अपने बेटे की शादी जल्दी और अपनी पसंद की युवती से करना चाहती हैं. मगर हर मां के लिए कुछ खास बातों पर ध्यान देना जरूरी है:

बेटे की पसंद

यदि आप के बेटे को कोई युवती बहुत पसंद है और वह उसे जीवनसाथी बनाना चाहता है, लेकिन आप उस की गर्लफ्रैंड को पसंद नहीं करतीं तो यह फीलिंग अपने तक ही रखें. अपने बेटे की गर्लफ्रैंड को गुलाब का कांटा न मानें. कांटे मां को नुकसान तो नहीं पहुंचाते हैं लेकिन चुभते जरूर हैं. बेटे पर एकाधिकार छिन जाने का भय मां को कुछकुछ सताने लगता है.

देख कर भी इग्नोर करें

अकसर जब बेटा अपनी मां को अपनी पसंद की युवती से मिलवाता है, तब आजकल की आधुनिक मां बाहरी मन से हां तो करती है लेकिन अंदर ही अंदर बेटे के हाथ से निकलने का डर उसे सताता है.

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