काफी दिनों से चंद्रयान-2 की चर्चा पूरे विश्व में हो रही थी. 6 सितंबर को तो चंद्रयान-2 पूरे विश्व में नंबर वन ट्रेंडिंग भी था. हमारा मिशन मुकम्मल होने से महज 300 मीटर की दूरी पर अधूरा रह गया. लैंडर विक्रम से हमारा कनेक्शन टूट गया और फिर उसके बाद सूचना मिलना बंद हो गई. खैर हमारा ऑर्बिटर अपना काम पूरी इमानदारी से कर रहा है. उसने विक्रम की एक तस्वीर भेजी जिसके बाद पता चल पाया कि विक्रम सही सलामत तो है लेकिन वो अपने लक्ष्य से थोड़ा भटक गया जिसकी वजह से हार्ड लैंडिंग हुई होगी.

काफी दिनों से ये सब चर्चा चल रही थी तो अचानक एक पांच साल के बच्चे ने मुझसे सवाल किया. सवाल सुनकर मुझे बहुत अचंभा हुआ लेकिन मैं लाजवाब था. उस बच्चे से पूछा कि अगर ये आसमान में फट गया होगा तो ये कहा जाएगा. कही ये हमारे ऊपर तो नहीं गिर जाएगा. बच्चे के सवाल ने मेरे मन में कई सवाल खड़े किए. उस समय तो मैंने उस बच्चे को बरगला दिया लेकिन इस सवाल ने जेहन में के कौंध जरूर पैदा कर दिया. अगले दिन तुरंत मैंने इसरो के एक वैज्ञानिक से बात की. उनसे ये सवाल किया और जानने की कोशिश की आखिरकार स्पेस में अगर कुछ भी टूटता है तो वो जाता कहां है.

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खगोल वैज्ञानिक आर सी कपूर ने बताया कि जब कोई सैटेलाइट या फिर उपकरण अंतरिक्ष में टूटता है तो वह उसी के आस-पास मंडराता रहता है. इतना ही नहीं इसके मंडराने के कारण कई बार दूसरे देश जब कोई मिशन लॉन्च करते हैं तो उनके सामने ये खतरा मंडराता रहता है कि कई इनके टुकड़े दूसरे लॉन्च किए गए उपकरण से टकरा न जाएं. अगर ऐसा होता है तो कई बार मिशन फेल भी हो जाता है. कपूर ने बताया कि कोई भी ऐसा टुकड़ा जिसका साइज 10 सेमी से बड़ा है तो वह समस्या पैदा कर सकता है. इस वक्त 10 सेमी. के हजारों टुकड़े अंतरिक्ष में मंडरा रहे हैं जिनकी वजह से आगे किये जाए वाले शोधों में परेशानी आएगी.

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