दुबई के दुबई इंटरनैशनल क्रिकेट स्टेडियम में हुए इस मैच को खेलने की चाहत 12 टीमों की थी, जिस में भारत, पाकिस्तान, इंगलैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसी दिग्गज टीमें तो शामिल थीं ही, साथ ही नामीबिया, स्काटलैंड जैसी नौसिखिया टीमें भी अपना हाथ आजमा रही थीं.
कई देशों ने अपनी ताकत के मुताबिक खेल दिखाया, पर जिस तरह के खेल की उम्मीद भारत से की जा रही थी, उस में वह पूरी तरह नाकाम रहा. दरअसल, यह वर्ल्ड कप शुरू होने से पहले यह मान लिया गया था कि फाइनल मुकाबला खेलने वाली एक टीम तो भारत ही होगी, लड़ाई तो दूसरी टीम के फाइनल में उतरने के लिए हो रही थी.
इस की वजह यह थी कि भारत जिस ग्रुप में था, उस में न्यूजीलैंड और पाकिस्तान के अलावा बाकी 3 टीमें अफगानिस्तान, नामीबिया और स्काटलैंड शामिल थीं. मतलब भारत अगर पाकिस्तान और न्यूजीलैंड में से किसी एक को हरा देता, तो बाकी कच्ची टीमों से आसानी से जीत कर सैमीफाइनल मुकाबले में अपनी जगह बना लेता.
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पर सोचना जितना आसान काम है, उसे पूरा करना उतना ही मुश्किल होता है, वह भी ट्वेंटी-20 मुकाबलों में, जहां कोई एक खिलाड़ी ही पूरे मैच का रुख बदल सकता है. यही भारत के साथ हुआ. भारत का पहला मुकाबला ही पाकिस्तान के साथ था और कागजों पर कमजोर इस टीम को शिकस्त देना भारत के लिए बड़ा ही आसान काम लग रहा था, पर हुआ ठीक इस का उलटा.
भारत ने शर्मनाक तरीके से 10 विकेट से यह मैच गंवा दिया. जले पर नमक अगले ही मैच में न्यूजीलैंड ने छिड़क दिया. पहले 2 मैच हार कर भारत को होश आया, पर तब तक चिड़िया खेत चुग चुकी थी.
आईपीएल मैचों में करोड़ों रुपए में बिकने वाले हमारे खिलाड़ी बाद के 3 मैच जीत तो गए, पर सैमीफाइनल में जाने से चूक गए. इस जगहंसाई में घरेलू दर्शकों ने भी खिलाड़ियों को नहीं बक्शा. किसी ने रोहित शर्मा पर निशाना साधा तो कोई विराट कोहली के पीछे पड़ गया.
हार्दिक पांड्या ने तो बिलकुल निराश किया. आईपीएल मैचों में छक्केचौके जड़ने वाले हार्दिक पांड्या ने खराब फिटनैस के बावजूद टीम में जगह बनाई, पर वे कोई कारनामा नहीं कर पाए. विराट कोहली पर ढंग की टीम न चुनने और अपनी चलाने का भी इलजाम लगा.
अब चूंकि वर्ल्ड कप खत्म हो चुका है और क्रिकेट की दुनिया को आस्ट्रेलिया के रूप में नया विश्व विजेता मिल चुका है, पर भारत की हार के दूसरे उन पहलुओं पर भी हमें गौर करना होगा, जो उन्हें टीम गेम जैसे खेलों में ज्यादा कामयाब नहीं होने देते हैं.
क्रिकेट ही क्यों, अगर हम फुटबाल, हाकी जैसे ज्यादा खिलाड़ियों वाले खेलों पर गौर करें तो वहां भी वर्ल्ड लैवल पर कभी बहुत ज्यादा कामयाब नहीं हो पाते हैं. 11 खिलाड़ियों वाले खेलों को तो छोड़िए 2 खिलाड़ियों वाले खेलों जैसे बैडमिंटन, टेबल टैनिस, लौन टैनिस वगैरह में भी हम खिलाड़ियों के अहम और कोच के साथ उन के बरताव के चलते बहुत ज्यादा अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं.
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नतीजतन, बैडमिंटन में सायना नेहवाल और पीवी सिंधू की जोड़ी टूट जाती है और उन के रिश्तों में खटास आ जाती है. लिएंडर पेस और महेश भूपति कभी एकसाथ लौन टैनिस नहीं खेलने का ऐलान कर देते हैं.
चूंकि क्रिकेट में हमारे देश के लोग ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं, तो वहां की बातें ज्यादा होती हैं. इस वर्ल्ड कप से पहले ही विराट कोहली ने ट्वैंटी-20 टीम का भविष्य में कप्तान न बनने का ऐलान कर दिया था और रवि शास्त्री का भी बतौर हैड कोच यह आखिरी टूर्नामैंट था, पर जिस तरह का खेल खिलाड़ियों ने दिखाया, उस से यही लगा कि टीम में कुछ भी ठीक नहीं है.
वैसे भी देखा जाए तो टीमवर्क वाले खेलों में टीम के चुनाव का मुद्दा बड़ा खास होता है. भारत जैसे देश में हर राज्य, जाति और तबके के खिलाड़ी को टीम में रखे जाने का दबाव होता है और अलग माहौल व रहनसहन वाले खिलाड़ी आपस में जल्दी से घुलमिल नहीं पाते हैं.
वैब सीरीज ‘इनसाइड ऐज’ में जातिवाद का दंश किस तरह नए खिलाड़ी को तोड़ देता है, बड़ी बारीकी से दिखाया गया था. फिल्म ‘चक दे इंडिया’ में भी झारखंड की खिलाड़ियों को जंगली होने तमगा दिया जाता है और अमीर खिलाड़ी किस तरह गरीब होनहार खिलाड़ी का भविष्य खराब कर सकते हैं या ऐसी चाहत रखते हैं, यह भी दिखाने की कोशिश की गई थी.
अब रहीसही कसर क्रिकेट खिलाड़ियों को मिलने वाले इश्तिहारों ने पूरी कर दी है. वे पैसा बनाने की हवस में जुआ खेलने को बढ़ावा देने वाले इश्तिहारों में भी दिखाई देने लगे हैं कि मोबाइल फोन में फलां एप डालो, अपनी टीम बनाओ और पैसा कमाओ, जबकि ऐसे खेलों की लत लगने से नौजवान पीढ़ी अपने मांबाप की पसीने की गाढ़ी कमाई को भी गंवाने में परहेज नहीं करते है. ये गेमिंग एप बहुत ही खतरनाक चलन है जो कई बार बड़े अपराध की शक्ल भी ले लेता है.
राजस्थान के चुरू में जुलाई, 2021 में पुलिस ने औनलाइन जुआ खिलाने वाले गिरोह को पकड़ा था. पुलिस ने इस मामले में 16 आरोपियों को गिरफ्तार किया था.
पुलिस के बयान के मुताबिक, ये लोग एप के जरीए अलगअलग औनलाइन खेले जाने वाले खेलों में समूह बना कर उस में शामिल होते हैं, बाहर के एक खिलाड़ी को शामिल कर उस से रुपए लगवाते हैं और फिर उसे हरवा कर अलगअलग पेमेंट गेटवे के जरीए रकम हासिल कर लेते हैं.
हालांकि क्रिकेट खेल से जुड़े एप खुद को जुआ खेलाने वाला नहीं बताते हैं, पर उन का मकसद पैसा कमाना ही होता है और खेलने वाला अपना पैसा कहां से ला रहा है, इस से उन्हें कोई सरोकार नहीं होता है.
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ऐसे इश्तिहारों के अलावा भी क्रिकेट खिलाड़ी दूसरे तमाम इश्तिहारों से पैसा बटोर रहे हैं. अब वे देश के लिए कम, बल्कि पैसे के लिए खेलते ज्यादा नजर आते हैं. उन्हें आईपीएल खेलने से कोई थकावट नहीं होती है, पर वर्ल्ड कप में हारने पर उन्हें ऐसी तमाम कमियां गिनाने का मौका मिल जाता है कि उन शैड्यूल इतना टाइट होता है, लिहाजा उन्हें थोड़ा आराम मिलना चाहिए.
लेकिन जब खिलाड़ियों को आराम दिया जाता है तब वे इश्तिहारों के जरीए पैसा बनाने में मशगूल हो जाते हैं. यही वजह है कि साल 2018 में ही विराट कोहली ने उन विचारों को खारिज कर दिया था कि इश्तिहारों पर ज्यादा समय बिताना एक क्रिकेटर के लिए ध्यान भंग करने वाला हो सकता है.
क्रिकेट के चहेतों को इस बात से फर्क नहीं पड़ता है कि कौन सा खिलाड़ी कैसे देखते ही देखते करोड़ों रुपयों में खेलने लगता है, पर उन्हें इस बात पर कोफ्त जरूर होती है कि जो खिलाड़ी आईपीएल में चौकेछक्कों की झड़ी लगा देते हैं या अपनी गेंदबाजी से सामने वाले को धूल चटा देते हैं, वे आपस में एक टीम के तौर पर क्यों बेहतरीन खेल नहीं दिखा पाते हैं?
हमें तो आस्ट्रेलिया के दिग्गज खिलाड़ी डेविड वार्नर से सीख लेनी चाहिए, जिन्हें खराब खेल के चलते बीच आईपीएल में ही हैदराबाद की प्लेइंग 11 टीम से बाहर कर दिया गया था, पर हालिया वर्ल्ड कप में उन्होंने अपने कातिलाना खेल से टूर्नामैंट ही कब्जा लिया.
फाइनल मुकाबले में अपनी टीम को जीत के मुहाने तक ले जाने वाले डेविड वार्नर ने ताबड़तोड़ पारी खेलते हुए 38 गेंदों में 53 रन बनाए थे. उन्हें अपने बेहतरीन प्रदर्शन के लिए टी20 वर्ल्ड कप का ‘प्लेयर औफ द टूर्नामैंट’ भी बनाया गया था.
डेविड वार्नर ने इस ट्वैंटी-20 वर्ल्ड कप में कुल 289 रन बनाए थे. उन्हीं के कभी न हार मानने के जज्बे ने आस्ट्रेलिया टीम का मनोबल इतना ज्यादा बढ़ाया कि पहले सैमीफाइनल में और बाद में फाइनल मुकाबले में टीम ने पाकिस्तान और न्यूजीलैंड को करारी शिकस्त दी.