लेदर की ब्लैक जैकेट, हाई हील बूट, जींस और सिर पर हिजाब पहन कर जब वह 250 सीसी वाली 2 लाख रुपए की होंडा सीबीआर स्पोर्ट्स बाइक ले कर सड़क पर निकलती है तो शायद ही कोई ऐसा हो जो उस की तरफ मुड़ कर न देखे. जी हां, यह है रोशनी मिसबाह. जामिया मिलिया इसलामिया यूनिवर्सिटी की एमए की छात्रा, गाजियाबाद की रहने वाली.

यह पढ़ कर आप एक बार जरूर सोचेंगे कि जिस इसलाम में महिलाओं पर तमाम तरह की पाबंदियां हैं, क्या उस इसलाम में ऐसा संभव है? लेकिन आप यह भूल रहे हैं कि खुली सोच वाला, पढ़ालिखा इसलामिक तबका बहुत तेजी से बदल रहा है. अपने बच्चों के भविष्य और कैरियर को ले कर उन्हें चिंता भी होने लगी है और उन्हें कुछ बनाने की दिल में चाह भी है.

इस तरह की सोच देश के लिए भी अच्छी है और इस्लाम के लिए भी. क्योंकि आगे बढ़ने वाले ही देश के लिए कुछ कर पाते हैं. लेकिन इस का मतलब यह कतई नहीं है कि इस विचार धारा के लोग अपने धर्म को भूलने या नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. रोशनी मिसबाह को ही ले लीजिए. वह बिना हिजाब पहने घर से नहीं निकलती, जिसे इसलाम में महिलाओं के जरूरी माना गया है. न ही वह दूसरी लड़कियों की तरह मौडर्न है.

अरेबिक एंड कल्चरल स्टडीज में एमए कर रही रोशनी मिसबाह अपने बाइकिंग शौक और अपनी रिलीजियस वैल्यू के चलते सोशल मीडिया पर तो चर्चित है ही, युवा लड़कियों के लिए भी प्रेरणा है. उसे हिजाबी बाइकर के नाम से जाना जाता है. वह बाइक राइडर्स ग्रुप जैसे विंड चेजर्स और दिल्ली रौयल एनफील्ड राइडर्स की मेंबर है. रोशनी मिसबाह का यह शौक एक तरह से बचपन में ही शुरू हो गया था.

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