दिल्ली में हर घर को हर महीने 20 हजार लिटर पानी मुफ्त मिलता है. ‘महल्ला क्लिनिकों’ में दवाएं मुफ्त मिलती हैं. कुछ जगहों पर वाईफाई मुफ्त है. दिल्ली के सभी 262 रैनबसेरों में रात गुजारने वालों को चाय और रस्क मुफ्त बांटे जाते हैं. अब आम आदमी पार्टी की सरकार इस से भी एक कदम और आगे निकल गई है. पिछले दिनों ऐलान किया गया कि दिल्ली के 10 रैनबसेरों में अब 2 वक्त के बजाय 3 वक्त का खाना भी मुफ्त दिया जाएगा. अगर सरकार लोगों को रहने को ठिकाना, ऊपर से चायनाश्ता व तीन वक्त का खाना भी मुफ्त में मुहैया करा रही है, तो सोचने की बात है कि भला कोई काम करने की जहमत क्यों उठाएगा?
रैनबसेरों के आसपास नजर डालें, तो जहांतहां गंदगी पसरी दिखाई देगी. उन में रह कर मुफ्त खाने व रात बिताने वाले कामचोर कभी खुद हाथ तक नहीं हिलाते. जहां रहते हैं, वहां पर अकेले या मिल कर कभी सफाई तक नहीं करते. दरअसल, वोट बैंक बढ़ाने के लिए नेता करदाताओं का पैसा पानी की तरह बहाने व सरकारी खजाने को लुटाने में भी कोई गुरेज नहीं करते. मुफ्त में खानेपीने की चीजें बांट कर वे सिर्फ अपना मकसद पूरा करने में लगे रहते हैं.
दिल्ली में ही नहीं, देश के कई दूसरे राज्यों में भी इसी तरह मुफ्त का सामान बांटा जाता रहा है. उत्तर प्रदेश में साइकिलें व लैपटौप की रेवडि़यां बांटी गई थीं. पंजाब में किसानों को मुफ्त बिजलीपानी मुहैया कराने के लिए बीते 7 सालों में 32 हजार करोड़ रुपए का भुगतान सरकार कर चुकी है. तमिलनाडु, कर्नाटक वगैरह कई दूसरे राज्यों में भी किसानों को बिजली मुफ्त दी जा रही है.