उत्तर प्रदेश में कुर्मी, हरियाणा व राजस्थान में गुर्जर, जाट और गुजरात में पटेल जाति मेहनती खेतिहर जातियां मानी जाती हैं. ओबीसी से जुड़ी दूसरी जातियां भी खेतीकिसानी में मेहनत करने वाली होती हैं. पर अब ये भी दूसरी जातियों की तरह अपनी मेहनत का काम छोड़ कर आरक्षण के पीछे भागने लगी हैं. सोचने वाली बात यह है कि देश में सरकारी नौकरियां कितनी हैं? क्या सभी को सरकारी नौकरियां मिल सकती हैं? शायद नहीं. इस के बाद भी सरकारी नौकरियों के लिए आरक्षण की मांग बराबर उठ रही है. राजनीतिक दल सरकारी नौकरियों का लालच दे कर इन जातियों को अपने पीछे चलने को मजबूर कर रहे हैं. वे आरक्षण के जरीए वोट हासिल करना चाहते हैं. दरअसल, धर्म और राजनीति का सहारा ले कर समाज में अपना दबदबा बना चुकी ऊंची जातियां इन को धर्म की पालकी ढोने के लिए अपने साथ रखना चाहती हैं. इस का फायदा उठा कर पिछड़ी जातियों को भी पिछड़ी और बहुत पिछड़ी जातियों के खेमे में बांध दिया है.

पहले जहां पर ये जातियां एकजुट हो कर अपने में सुधार का काम करती थीं, वहीं ये अब यह बंटवारे का शिकार हो गई हैं. इन को लगता है कि आरक्षण के जरीए ही इन का भला हो सकता है. आरक्षण के जरीए अब तक दलित जातियों का भला नहीं हुआ, यह समझने के बाद भी आरक्षण की मांग लगातार बढ़ रही है.

लोकसभा और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में जिस तरह से पिछड़ी जातियों में गाय और राम मंदिर के नाम पर वोट डाले गए हैं, वह बताता है कि अब पिछड़ी जातियां भी धर्म का सहारा ले कर आगे बढ़ना चाहती हैं. काम कर मेहनत के बल पर अपनी पहचान बनाने वाली ये जातियां अब दूसरों के बल पर आगे बढ़ना चाहती हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
  • 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
  • चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप
  • 24 प्रिंट मैगजीन

डिजिटल

(1 महीना)
USD4USD2
 
सब्सक्राइब करें

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
  • 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
  • चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप
 
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...