Social News: सैंट्रल एडमिनिस्ट्रल ट्रिब्यूनल ने हाल ही में घरेलू विवाद के चलते एक नौजवान की लगी सरकारी नौकरी पर रोक लगाने वाले फैसले पर केंद्र सरकार और स्टाफ सिलैक्शन कमीशन को निर्देश दिया कि इस नौजवान की उम्मीदवारी को कामयाब कैंडिडेट के तौर पर लिया जाए और 3 महीने में इस के अपौइंटमैंट प्रोसैस को पूरा किया जाए.
इस कैंडिडेट का नाम है जतिन कुमार, जिस ने स्टाफ सिलैक्शन कमीशन के तहत केंद्रीय सचिवालय सेवा में असिस्टैंट सैक्शन औफिसर के पद पर नौकरी पाई थी.
लेकिन इसी बीच उस के भाई और भाभी के बीच पारिवारिक विवाद हो गया और भाभी ने अपनी ससुराल
के तमाम लोगों के खिलाफ दहेज को ले कर सताने का मामला दर्ज करा दिया था.
यही वजह थी कि अपौइंटमैंट लैटर जारी होने के बाद भी जतिन की नौकरी पर रोक लगा दी गई थी. हालांकि, 1 मार्च, 2025 को सैशन कोर्ट ने जतिन पर लगे आरोपों को बेबुनियाद पाते हुए उसे बरी कर दिया था.
सैंट्रल एडमिनिस्ट्रल ट्रिब्यूनल ने संबंधित महकमों से कहा कि यह नौजवान पहले ही बहुत दुखदर्द ?ोल चुका है. पारिवारिक विवाद के चलते कैंडिडेट की नौकरी पर रोक लगाना सताने जैसा ही बरताव है. अब बगैर देरी किए उस की बहाली पर 3 महीने में प्रोसैस पूरा करें.
एक और मामले पर नजर डालते हैं. मध्य प्रदेश के नीमच जिले के अठाना गांव के रहने वाले कृष्ण कुमार धाकड़ नाम के एक नौजवान ने अपनी ससुराल अंता, जिला बारां, राजस्थान में ही एक चाय की दुकान खोल दी है.
इस दुकान का नाम उस ने ‘498ए टी कैफे’ रखा है. वहां वह हथकड़ी पहन कर चाय बनाता है. इतना ही नहीं, दुकान पर उस ने दूल्हे का एक सेहरा और वरमाला भी सजा रखी है.
कृष्ण कुमार धाकड़ ने अपनी दुकान के बाहर अलगअलग पोस्टर और होर्डिंग लगाए हुए हैं, जिन में बड़े ही संजीदा स्लोगन लिखे गए हैं. एक पोस्टर पर लिखा है कि ‘जब तक नहीं मिलता न्याय, तब तक उबलती रहेगी चाय’. दूसरे पोस्टर पर लिखा है कि ‘आओ चाय पर करें चर्चा, 125 में कितना देना पड़ेगा खर्चा’.
ऐसा करने की वजह बताते हुए कृष्ण कुमार धाकड़ का कहना है कि उस के खिलाफ दहेज के नाम पर सताने के झूठे आरोप लगाए गए हैं और यह कदम उस ने अपने हालात को समाज के सामने रखने के लिए उठाया है.
कृष्ण कुमार धाकड़ ने भी बताया कि वह पहले यूपीएससी की तैयारी कर रहा था. 6 जुलाई, 2018 को उस की शादी अंता की रहने वाली एक लड़की से हुई थी.
इस के बाद साल 2019 में उस ने और उस की पत्नी ने साथ मिल कर मधुमक्खीपालन का कारोबार शुरू किया था. इस काम को राज्य लैवल पर भी पहचान मिली और उस की पत्नी को 8 अप्रैल, 2021 को मध्य प्रदेश के तब के मुख्यमंत्री द्वारा अवार्ड दिया गया था.
कृष्ण कुमार धाकड़ ने आरोप लगाया कि साल 2022 में उस की पत्नी अपने मायके लौट गई और शहद का कारोबार ठप हो गया. इस के बाद पत्नी ने कृष्ण कुमार धाकड़ पर आईपीसी की धारा 498ए (दहेज प्रताड़ना) और धारा 125 (भरणपोषण) के तहत केस दर्ज कराया.
कृष्ण कुमार धाकड़ का कहना है कि इन धाराओं के तहत चल रहे ज्यादातर मुकदमे ?ाठे होते हैं. उस का यह भी कहना है कि उसे तकरीबन 250 किलोमीटर दूर से पेशी पर आना पड़ता था. घर में केवल उस की बूढ़ी मां ही उस के साथ हैं.
कृष्ण कुमार धाकड़ ने यह भी आरोप लगाया कि उस की पत्नी ने पूरी योजना के तहत कारोबार और जायदाद पर कब्जा किया और अब उसे तलाक देने के बदले 25 लाख रुपए की मांग की जा रही है.
इन दोनों मामलों में 2 नौजवान दहेज के नाम पर सताए जाने का दर्द झेल रहे हैं. जतिन देवर है तो कृष्ण कुमार धाकड़ पति है. एक को सरकारी नौकरी मिलने में दिक्कत हो रही है, तो दूसरा अपनी ससुराल में चाय की दुकान लगा कर बैठा है और हथकड़ी पहन कर चाय बना रहा है. पत्नी से यह मामला सुलटाने के लिए उसे 25 लाख रुपए चाहिए, ताकि तलाक मिल सके.
जतिन केस से बरी हो चुका है, तो कृष्ण कुमार धाकड़ ने ऐसे ज्यादातर मुकदमों को झूठा बताया है यानी वह खुद को बेकुसूर बता रहा है. अब सवाल यह उठता है कि क्या वाकई ऐसे ज्यादातर मामले ?ाठे और फर्जी होते हैं?
सब से पहले जानते हैं कि इंडियन पीनल कोड (आईपीसी) की धारा 498ए क्या है? आईपीसी की धारा 498ए के कानून मुताबिक, अगर किसी औरत का पति या उस के पति का कोई भी रिश्तेदार उस औरत के साथ क्रूरता (मारपीट करना, परेशान करना) करता है या मानसिक रूप से व किसी भी दूसरी तरह से परेशान करता है, उस शख्स पर आईपीसी की धारा 498ए के तहत मुकदमा दर्ज कर ऐक्शन लिया जाता है.
आईपीसी की धारा 498ए किनकिन मामलों पर लगती है :
* अगर किसी औरत का पति अपनी पत्नी को खुदकुशी करने के लिए उकसाता है, तो वह इस धारा के तहत कुसूरवार होगा.
* अगर किसी औरत का पति या उस के पति का कोई भी नातेदार (परिवार का सदस्य) उस औरत से दहेज की मांग करता है और दहेज न देने के चलते उसे परेशान करता है, तो उस शख्स पर धारा 498ए के तहत मुकदमा दर्ज कर ऐक्शन लिया जाता है.
* अगर किसी शादीशुदा औरत के औलाद नहीं हो रही है और उसे औलाद न होने के चलते ताने मारे जा रहे है या उस के साथ किसी भी तरह का गलत बरताव कर मानसिक रूप से परेशान किया जाता है.
* रोजाना गृहकलेश के चलते किसी औरत के साथ मारपीट किए जाने पर.
क्यों दर्ज होते हैं झूठे केस
झूठे दहेज केस ऐसे मामले होते हैं, जिन में किसी औरत द्वारा अपने पति या ससुराल वालों पर दहेज मांगने, सताने या मारपीट करने का झूठा आरोप लगाया जाता है. ऐसे मामलों में औरत या उस का परिवार जानबूझ कर लड़के और उस के परिवार पर गलत आरोप लगाता है, ताकि उन पर कानूनी और मानसिक दबाव बनाया जा सके.
इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी तीखी बात कही है. 10 दिसंबर, 2024 को जस्टिस बीवी नागरत्ना और एन. कोटिस्वर सिंह की बैंच ने कहा कि अगर बिना खास आरोप के अगर केस में पारिवारिक सदस्यों का नाम जोड़ा जाता है, तो इस पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी कि बेबुनियाद और आम आरोपों से कानूनी प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल होगा. अदालत ने यह भी बताया कि कई बार पति और उस के परिवार के खिलाफ इस धारा (धारा 498ए) का सहारा लिया जाता है, ताकि पत्नी की गैरजरूरी मांगों को पूरा कराया जा सके.
इस से पहले भी साल 2022 के फरवरी महीने में सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि आजकल दहेज प्रताड़ना यानी आईपीसी की धारा 498ए के प्रावधान का पति के रिश्तेदारों के खिलाफ अपना स्कोर सैटल करने के लिए टूल की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि इस तरह के क्रिमिनल केस जिस में बरी होना संभावित भी क्यों न हो, फिर भी आरोपी के लिए यह गंभीर दाग छोड़ जाता है. इस तरह के किसी भी प्रयोग को हतोत्साहित करने की जरूरत है.
ऐसा नहीं है कि देश में शादीशुदा औरतों के दहेज मांगने के नाम पर सताया, मारापीटा या जान तक से मारा नहीं जाता है और ऐसे लोगों पर कड़े से कड़े कदम उठाने चाहिए, पर उन औरतों पर भी लगाम लगनी चाहिए जो आईपीसी की धारा 498ए का गलत इस्तेमाल करती हैं.
कानून ने आप को यह धारा अपने बचाव के लिए दी है, पर इस का मतलब यह नहीं है कि इस की आड़ में आप अपनी ससुराल वालों का जीना हराम कर दो.
जतिन और कृष्ण कुमार धाकड़ तो महज 2 उदाहरण हैं, जबकि अदालतों में ऐसे झूठे केसों में बहुत से मासूम नरक जैसी जिंदगी भोगने को मजबूर हैं. वे एक ऐसे अपराध के लिए अदालत में जूते घिस रहे हैं, जो उन्होंने किया ही नहीं है. Social News