Social Awareness: कहते हैं कि सौत तो पुतले की भी नहीं भाती, लेकिन अब यह कहावत पतियों पर ज्यादा लागू होने लगी है, जो अपनी पत्नियों के आशिकों को पचा नहीं पा रहे हैं.
गांवदेहात से ले कर बड़े शहरों तक शादीशुदा औरतें अब इफरात से उसी तरह इश्क फरमा रही हैं, जिस तरह अब से कोई 30 -40 साल पहले तक मर्द सब्जी मंडी के छुट्टे सांड़ की तरह इधरउधर मुंह मारते फिरते थे और बीवी चूं भी नहीं कर पाती थी.
अब तसवीर बदल रही है. मीडिया में आएदिन ये हैडिंग सुर्खियों में रहती हैं कि पत्नी ने प्रेमी संग मिल कर पति की हत्या की. 3 बच्चों की मां आशिक संग भागी या फिर इस के उलट पति ने पत्नी के प्रेमी को बेरहमी से ठिकाने लगाया या फिर शौहर ने बदचलन बीवी की हत्या की.
नाजायज रिश्ते हमेशा से ही तकलीफदेह हो कर घर उजाड़ते रहे हैं, फिर चाहे वे पति के हों या पत्नी के. इन का अंत कभी सुखद नहीं होता, बल्कि आमतौर पर खूनखराबे से ही होता है.
पत्नी की नाक काटी
लेकिन यह खबर जरा हट कर थी, जिस में पति ने अपनी बेवफा पत्नी की नाक ही चबा डाली. दिलचस्प लेकिन चिंताजनक घटना उत्तर प्रदेश के हरदोई इलाके की बीती 18 जून की है.
32 साला पूजा की शादी देवरिया के एक प्रसिद्धनगर गांव के 36 साला रामखिलावन के साथ कोई 10 साल पहले हुई थी. शादी के बाद 9 साल ठीकठाक और हंसीखुशी गुजरे. दोनों के 2 साल के अंतर से 2 बेटे हुए जिन के नाम उन्होंने पवन और रमन रखे.
लेकिन पिछले एक साल से पूजा गांव के ही 37 साला सुशील कुमार को दिल दे बैठी. प्यार का यह खेल कब और कैसे शुरू हुआ, इस की भनक भी रामखिलावन को नहीं लगी और जब लगी तब तक पानी सिर से गुजर चुका था.
सुशील की पत्नी की मौत कुछ महीने पहले ही हुई है, इस के बाद से वह अकेला था. यह तनहाई पूजा ने दूर कर दी, जिस का जरीया मोबाइल फोन बना. दोनों नएनवेले प्रेमियों की तरह घंटों बतियाने लगे.
जब इस तरफ रामखिलावन का ध्यान गया तो उस ने पूजा को टोकना शुरू कर दिया, जिस पर पूजा यह बहाना बना कर बात को टरका जाती थी कि मायके वालों से बात हो रही है.
गलत नहीं कहा जाता कि इश्क और मुश्क यानी कस्तूरी छिपाए नहीं छिपते. यही पूजा और सुशील के साथ हुआ, जिन पर रामखिलावन को शक तो था, लेकिन कोई सुबूत नहीं था. लिहाजा, वह इस ताक में रहने लगा कि दोनों को रंगे हाथ पकड़ कर उन की पोल खोली जाए और सबक भी सिखाया जाए.
यह मौका रामखिलावन को 18 जून की शाम मिल भी गया, जब पूजा सुशील से मिलने उस के घर चली गई. तब उसे तनिक भी एहसास नहीं हुआ कि रामखिलावन, जो कई दिनों से जासूसों की तरह उस पर नजर रखे हुए है, दबे पैर पीछेपीछे चला आ रहा है.
अभी पूजा सुशील के पास जा कर बैठी ही थी कि झट से पति प्रकट हो गया और उस के बेवक्त सुशील के यहां होने के बाबत सवालजवाब करने लगा. उस ने पूजा से घर चलने को कहा तो पूजा ने जाने से इनकार कर दिया.
इस इनकार ने रामखिलावन के गुस्से में घी डालने जैसा काम किया. बात बढ़ी और बहस से होते मारपीट तक पहुंच गई. हल्ला मचा तो गांव के लोग भी मुफ्त का तमाशा देखने की गरज से इकट्ठा हो गए.
भीड़ देख पूजा ने भी शर्मलाज या लिहाज जो भी कह लें का घूंघट उतार फेंका और रामखिलावन पर ही आरोप लगाने लगी. बेवफाई के बाद की इस बेहयाई पर रामखिलावन और ज्यादा बौखला गया और उस की तरफ झपटा तो अपनी माशूका को बचाने के लिए सुशील बीच में आ गया.
इसी धक्कामुक्की और झगड़े के दौरान गुस्साए रामखिलावन ने पूजा की नाक चबा डाली, जिस से भीड़ भी दहशत में आ गई. पुलिस आई और मामला दर्ज हुआ पूजा और सुशील ने कटी नाक एहतियात से डब्बी में संभाल कर रख ली.
पहले सीएचसी और फिर हरदोई मैडिकल कालेज में पूजा को इलाज के लिए भरती किया गया, जहां डाक्टरों ने उस की नाक की मरहमपट्टी कर उसे लखनऊ रैफर कर दिया. लखनऊ मैडिकल कालेज के डाक्टर उस की कटी नाक जोड़ने की कोशिश में जुट गए.
2 रास्ते या कोई तीसरा भी
लेकिन समाज में जो नाक कटी उस को दुनिया का कोई डाक्टर नहीं जोड़ सकता. एक झटके में एक अच्छीखासी बसीबसाई गृहस्थी उजड़ गई. क्या पूजा या किसी शादीशुदा औरत को गैरमर्द से प्यार करने का हक नहीं? इस सवाल से ही जुड़ा एक अहम सवाल यह भी है कि जब शौहर बीवी की आशिकी से वाकिफ हो जाए तो वह बेचारा क्या करे?
जिन्हें लगता है कि घरवाली ही उन की मर्दानगी को कठघरे में खड़ा कर उन की गैरत और घरखानदान की इज्जत को मिट्टी में मिला रही है. रामखिलावन जैसे पतियों की रात की नींद और दिन का चैन छिन जाता है, जब उन्हें यह पता चल जाता है कि उन की पत्नी किसी गैरमर्द के पहलू में बैठी मौज कर रही है और डंके की चोट पर कर रही है, तो वह बेचारे क्या करे? खामोशी से बीवी को गुलछर्रे उड़ाते देखता रहे या फिर बीवी और उस के आशिक का कत्ल ही कर दे?
पति इन 2 रास्तों में से ज्यादातर दूसरा रास्ता चुनने के लिए मजबूर हो जाते हैं, जिस से उन्हें भी कुछ हासिल नहीं होता सिवा जेल जाने के. लेकिन एक तीसरा रास्ता भी है, जिसे जानने से पहले एक निगाह कुछ उन ताजा हादसों पर डालना जरूरी है, जिन से पता चलता है कि कैसे अब बीवी का आशिक शौहर के गले की हड्डी बनता जा रहा है :
* बैतूल, मध्य प्रदेश. 16 जून, 2025. इस दिन एक शादीशुदा औरत रानी (बदला नाम) अपने आशिक राजा के साथ गुजरात से वापस लौट रही थी. शाहपुर बसस्टैंड पर घेर कर राजा और रानी की जम कर धुनाई पति बलदेव नागले और उस के दर्जनभर साथियों ने की, जिन्होंने रानी को तो कम ही मारा, लेकिन राजा की धुनाई इतनी बेरहमी से की गई कि मौके पर ही उस की मौत हो गई. पुलिस ने 11 लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
* अलीगढ़, उत्तर प्रदेश. 17 जून, 2025. शहर के गंगीरी इलाके में रहने वाले पेशे से ट्रक ड्राइवर ऋषि की हत्या उस की पत्नी ललिता ने अपने आशिक नीरेश के साथ मिल कर की. नीरेश रिश्ते में ललिता का देवर भी लगता है.
इस मामले में ललिता और नीरेश के संबंध काफी पहले से थे, जिन्हें ले कर ऋषि आएदिन ललिता की पिटाई किया करता था. इस से तंग आ कर ललिता और नीरेश ने उसे रास्ते से ही हटा दिया. अब दोनों प्रेमी जेल में हैं.
* कोटद्वार, उत्तराखंड. 5 जून, 2025. इस दिन एक लाश कोटद्वार, दुगड्डा रोड पर मिली थी, जिस की शिनाख्त दिल्ली के वसंतकुंज के बाशिंदे रविंद्र कुमार के तौर पर हुई. पुलिस जांच में पता चला कि रविंद्र कुमार की हत्या किसी और ने नहीं, बल्कि उस की ही बीवी रीना सिंधु ने अपने आशिक परितोष कुमार के साथ मिल कर की थी और लाश को उत्तराखंड में यह सोचते हुए फेंक दिया था कि कुछ दिनों में मामला आयागया हो जाएगा और दोनों कहीं और रहने लगेंगे. हत्या करने के बाद वे बिजनौर में रहने भी लगे थे. लेकिन अब वे जेल में हैं.
* भवानी मंडी, झलावाड़, राजस्थान. 20 जून, 2025. पति मनीष और पत्नी सरोज के बीच आ गया था उन का किराएदार रामसेवक, जिस पर सरोज मरमिटी थी. मनीष एक समझदार पति की तरह सरोज को समझाता भी रहता था कि यह सब ठीक नहीं लेकिन सरोज समझनेसमझाने की स्टेज से काफी आगे निकल चुकी थी.
कोई हल न निकलते देख मनीष ने रामसेवक से यह सोचते हुए अपना घर खाली करवा लिया कि दोनों दूर रहेंगे तो चोंच लड़ाना बंद हो जाएगा, लेकिन हुआ उलटा. सरोज और रामसेवक ने सोते हुए मनीष पर खौलता तेल डाल कर उस की हत्या करने की कोशिश की. सरोज ने यूट्यूब पर बौयलिंग औयल वीडियो सर्च कर के यह आइडिया लिया था. अब वह भी जेल में है. पर इस बंदे का गजब काम इन हत्याओं की गिनती दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है. पति बदले की आग में जलता रहता है, दूसरी तरफ पत्नी और उस का प्रेमी भी चैन और सुकून से नहीं रह पाते, क्योंकि उन्हें प्यार जताने के अलावा सैक्स सुख के रास्ते में सब से बड़ा रोड़ा पति ही लगता है. ऐसे में उन्हें हत्या के सिवा कोई दूसरा रास्ता नहीं सूझता.
कुछ ऐसा ही हाल जौनपुर के अरविंद बिंद नाम के नौजवान का था, जिस की शादी कुछ दिनों पहले ही रीता से हुई थी.
शादी के बाद ही अरविंद को पता चल गया था कि रीता ने मजबूरी और दबाव में उस से शादी की थी, वरना तो वह उन की ही बिरादरी के यशवंत बिंद से प्यार करती थी. शादी के कुछ दिन बाद तक रीता ससुराल में रही पर फिर यशवंत के साथ रहने चली गई.
एक मजबूर और सम?ादार पति की तरह अरविंद ने रीता को समझाने की कोशिश की लेकिन इस का उस पर कोई असर नहीं हुआ. उलटे उस ने साफसाफ कह दिया कि वह ससुराल में नहीं रहना चाहती और अगर इस बाबत ज्यादा जोरजबरदस्ती की गई, तो वह खुदकुशी कर लेगी.
इस पर अरविंद ने सब्र नहीं खोया, न ही उस ने हत्या जैसा कोई हिंसक रास्ता अख्तियार किया, उलटे उस ने यह फैसला लेते हुए सब को चौंका दिया कि वह खुद अपनी बीवी की शादी उस के आशिक के साथ करवाएगा. अपने कहे पर उस ने अमल भी किया और 16 जून को जौनपुर के दुर्गा मंदिर में रीता और यशवंत की शादी करा दी.
इस अनूठी शादी की चर्चा देशभर में हुई और हर किसी ने अरविंद के फैसले और पहल की तारीफ की.
तलाक है तीसरा रास्ता अरविंद की इस समझदारी से फायदा यह हुआ कि बेकार का खूनखराबा होने से बच गया, जबकि दूसरे मामलों से समझ यही आता है कि हर मामले में हत्या हुई या फिर हिंसा हुई, क्योंकि किसी को कोई हल नहीं सूझ रहा था.
यह भी ठीक है कि हर कोई अरविंद जितनी दिलेरी, बुद्धिमानी और दरियादिली नहीं दिखा सकता, लेकिन इतना तो कर ही सकता है कि न मानने या न समझाने पर पत्नी को तलाक दे दे, जिस से पत्नी भी चैन से अपने आशिक के साथ रहे और वह खुद भी दूसरी शादी कर सके.
यह ठीक है कि तलाक में सालोंसाल लग जाते हैं, लेकिन इस से बचने का भी आसान रास्ता यह है कि तलाक दोनों की रजामंदी से लिया जाए. हिंदू मैरिज ऐक्ट की धारा (13 बी) में यह इंतजाम है कि पतिपत्नी दोनों अदालत जा कर यह दरख्वास्त दें कि अब हमारा साथ रहना मुमकिन नहीं, इसलिए हमे तलाक की डिक्री दी जाए. आमतौर पर इस धारा के तहत एक साल के अंदर तलाक मिल जाता है और अदालतें ज्यादा सवालजवाब भी नहीं करतीं.
जब वजह कुछ भी खासतौर से किसी और से इश्क ही क्यों न हो, जिस के चलते पत्नी साथ नहीं रहना चाहती तो उसे जबरन रहने के लिए मजबूर करना एक हादसे या वारदात को न्योता देने जैसा ही काम है, जिस का खात्मा किसी की हत्या और फिर जेल ही होता है. फिर जिंदगी का भी कोई माने या सुख नहीं
रह जाता.
आपसी रजामंदी से तलाक में ये सारे झंझट आपसी समझौते कर दूर किए जा सकते हैं इन की भी लिखापढ़ी को तलाक के मसौदे में शामिल कर लेना चाहिए. Social Awareness