उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के रहने वाले हनीफ की पत्नी नगीना को एक दिन सांप ने डस लिया. परिवार वाले नगीना को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए. प्राथमिक उपचार के साथ ही डाक्टर ने उसे किसी बड़े अस्पताल में ले जा कर बेहतर इलाज कराने की सलाह दी, लेकिन वे उसे कसबा जहांगीराबाद में एक तांत्रिक के पास ले गए.
वह तांत्रिक कुछ नहीं कर पाया, तो नगीना को दूसरे तांत्रिकों के पास भी ले जाया गया. इसी भागादौड़ी के बीच नगीना की सांसों की डोर टूट गई. इस के बाद भी एक झाड़फूंक करने वाले ने रातभर लाश को रखवाया और सुबह गंगनगर ले गया.
उसी तांत्रिक के कहने पर नगीना के हाथपैर बांध कर नहर में तैराया गया. झाड़फूंक के दौरान ही उसे डुबोया व निकाला जाता रहा. सभी को उम्मीद थी कि तांत्रिक नगीना की लाश में जान डाल देगा, पर घंटों चले तमाशे के बाद भी जब नगीना के जिस्म में जान नहीं आ सकी, तो तांत्रिक ने इसे ऊपर वाले की मरजी बता कर पल्ला झाड़ लिया.
ऐसा किसी के साथ पहली बार नहीं हुआ है, बल्कि सांप द्वारा काटने के मामले में ऐसा अंधविश्वास एक जमाने से लोगों के दिलोदिमाग पर कायम है.
गैरसरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत में हर साल तकरीबन 5 हजार लोगों की मौत सांप के काटने से होती है. इन में से ज्यादातर लोगों की मौत तब होती है, जब उन्हें डाक्टरों के पास नहीं ले जाया जाता. उन की जान झाड़फूंक के चक्कर में ही चली जाती है.
मुजफ्फरनगर जिले के एक परिवार को भी अंधविश्वास की कीमत घर के मुखिया बुंदू की जान दे कर चुकानी पड़ी. दरअसल, वह सांपों को पकड़ने और उन्हें मारने का आदी था. एक दिन विष्णुगिरी नामक शख्स के घर में 2 सांप निकल आए, तो उसे बुलाया गया. उस ने एक सांप को पकड़ कर स्टील के बरतन में बंद कर लिया, लेकिन इसी बीच दूसरे सांप ने उसे डस लिया. इस से कुछ ही देर में वह बेहोश हो कर गिर पड़ा.