हालांकि यह वाकिआ उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के एक छोटे से गांव गढ़ा का है, लेकिन इस का गहरा ताल्लुक देश में पनप रहे गुरमीत राम रहीम सिंह जैसे बाबाओं और बाबावाद से है.
गढ़ा के पुराने राम जानकी मंदिर में जुलाई के महीने से अखंड रामायण का पाठ चल रहा था. 21 अगस्त, 2017 को एक दलित नौजवान भी रामायण का पाठ करने इस मंदिर में गया, तो पुजारी कुंवर बहादुर ने उसे भगा दिया.
दूसरे दलित व पिछड़े भी रामायण के पाठ में हिस्सा लेने न आने लगें, इस बाबत पुजारी ने मंदिर के दरवाजे पर एक तख्ती टांग दी, जिस पर लिखा था कि मंदिर में दलित बिरादरी के लोगों के रामायण पढ़ने आने पर रोक है.
इस पर छोटी बिरादरी वालों ने खूब हल्ला मचाया और इलजाम लगाया कि रामायण पढ़ने गए कई दलितों और पिछड़ों को राम जानकी मंदिर से भगा दिया गया.
बवाल मचने पर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट एसके मिश्र ने वही किया, जो आमतौर पर हर लैवल पर प्रशासन करता है. पुलिस, कानूनगो और लोकपाल से घटना की जांच कराई गई. रिपोर्ट में कहा गया कि चूंकि दलित नौजवान शराब के नशे में था, इसलिए उसे भगाया गया था.
बात आईगई हो गई, लेकिन कुछ दलितों और पिछड़ों ने खुल कर कहा कि उन्हें छोटी जाति का होने के चलते मंदिर में चल रहे रामायण के पाठ में हिस्सा लेने से पुजारी ने रोका था.
यह कोई नई बात नहीं है. न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि देशभर में ब्राह्मण पंडेपुजारी छोटी जाति वालों को मंदिर में आने से रोकते रहे हैं. कुछ मामलों में बवाल मचता है, तो उन की जांच के नाम पर किसी तरह लीपापोती कर दी जाती है.