‘‘मैं इस लड़की से शादी नहीं करूंगा, क्योंकि इसे एड्स है,’’ मोहन ने शोभा के घर में सभी के सामने कह दिया. मोहन अपने मांबाप के साथ शोभा को देखने उस के गांव आया था. उसे क्या पता था कि शोभा वही लड़की होगी, जिस ने गाड़ी में घटी एक घटना में खुद अपने मुंह से यह स्वीकार किया था. मोहन को 7 महीने पहले की वह घटना याद आ गई...

मोहन एक नौकरी के सिलसिले में दिल्ली जा रहा था. रेलगाड़ी के जिस डब्बे में उसे सीट मिली थी, उस में ज्यादा सवारियां नहीं थीं. मोहन के कुछ फासले पर एक खूबसूरत लड़की बैठी थी. वह शायद अकेली सफर कर रही थी. दोनों नजरें चुरा कर एकदूसरे को देखे जा रहे थे. मोहन को उस लड़की को देख कर अजीब सी गुदगुदी हो रही थी. वह अजीब सी कशिश महसूस कर रहा था. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था. जाने कब रात हुई और कब मोहन उस लड़की की खूबसूरती का मजा लेते हुए नींद की गोद में चला गया. रात के 10 बजे मोहन की नींद खुली. उस ने देखा कि कुछ लड़के डब्बे में चढ़ आए थे और उस लड़की के पास बैठे थे.

वह लड़की कुछ सकुचाई, फिर अपना सामान उठा कर उन लड़कों से दूर जा बैठी. लड़के ?ामते हुए उस लड़की के पास फिर जा पहुंचे. शायद उन्होंने शराब भी पी रखी थी. वे अब उसे छेड़ने लगे थे. कुछ देर बाद मोहन ने देखा कि वह लड़की भी उन लड़कों से बातचीत करने लगी थी. उन में हंसीमजाक चलने लगा था. वे लड़के अब उस के गालों को सहलाने लगे थे, उसे अपनी ओर खींचने लगे थे. बाकी मुसाफिरों की परवाह न कर के उस के अंगों से खेलने लगे थे. वह लड़की उन से बोली थी, ‘यार, मौजमस्ती करना चाहते हो तो करो, मगर प्यार से और बारीबारी से.’ उन लड़कों की तो मानो मुराद पूरी हो गई थी. उन लड़कों में से एक दादा किस्म के लड़के ने बाकी सभी को दूर हटाते हुए कहा था, ‘

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