यह बिहार के बांका जिले के तहत आने वाले बेलहर ब्लौक की घटना है. वहां के टेंगरा गांव में एक तथाकथित तांत्रिक जोड़े ने दुर्गा पूजा के मौके पर महाष्टमी पूजा करने के दौरान अपने 4 साला बेटे के सिर में कील ठोंक कर उस की बलि दे दी.

तांत्रिक योगेंद्र पंडित और उस की पत्नी मुनिया देवी पिछले कई सालों से तंत्र विद्या की सिद्धि में लगे हुए थे. इसी सिलसिले में उन दोनों ने अपने मासूम बेटे गुलिया की बलि दे दी.

तांत्रिक विधि से इलाज करने के लिए योगेंद्र पंडित पिछले 10-15 सालों से लगातार तांत्रिक क्रिया करता आ रहा था और बिहार, झारखंड व उत्तर प्रदेश के जिलों में जाता था.

इसी तरह राजस्थान की एक घटना है. 4 साल की रिजवाना की उस के ही पिता ने रमजान महीने में अल्लाह को खुश करने के लिए कुरबानी दे दी.

रिजवाना अपने ननिहाल में थी. रिजवाना के पिता को धार्मिक लोगों से जो जानकारी मिली उस से उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि अगर कोई आदमी अपने सब से प्रिय की कुरबानी देता है तो उसे ज्यादा सवाब मिलेगा. इस भरम में उस ने अपनी बेटी की ही कुरबानी दे दी.

इस के लिए धार्मिक मौलाना भी कुसूरवार हैं जो अपनी तकरीर में कहते फिरते हैं कि जो अपने सब से ज्यादा प्यारे की कुरबानी देता है उसे सवाब ज्यादा मिलता है.

समाज में इस तरह का भरम फैलाने वाले और थोथी दलील देने वाले लोग सब से बड़े गुनाहगार हैं जो इस तरह की बातें लोगों के बीच फैलाते रहते हैं.

यह बहुत ज्यादा धार्मिक होने का नतीजा है. इस तरह की घटनाओं को बढ़ावा देने का काम मुल्ले, पंडित और धार्मिक गुरु कर रहे हैं.

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