एक तरफ औरतों के हालात में सुधार लाने के लिए दुनियाभर में कोशिशें की जा रही हैं, घरेलू हिंसा को पूरी तरह बंद करने के लिए कोशिशें हो रही हैं, इस के बाद भी हमारे देश में आज भी कुछ पत्नियां पति से पिटाई होने को भी प्यार की बात समझती हैं.

समाज पर मर्दवादी सोच की छाप के चलते कुछ औरतें पति से मार को प्रसाद के रूप में ग्रहण करती हैं. और तो और वे यह सोचती हैं कि अगर उन के पति उन्हें मारतेपीटते नहीं हैं, तो वे उन से प्यार नहीं करते हैं.

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भले ही शारीरिक हिंसा के दौरान पैर, हाथ समेत शरीर के दूसरे अंगों में फ्रैक्चर हो जाए, लेकिन यह बहुत आम बात है. सब से ज्यादा चिंता की बात यह है कि सरकार इस तरह की हिंसा को बंद करने के लिए कानून भी बना चुकी है और सजा का प्रावधान भी है, लेकिन कुछ औरतों या समाज पर इस का कोई असर नहीं पड़ रहा है.

अभी हाल की ही घटना है. कुछ दिनों के लिए मेरा बिहार में रहना हुआ था. वहां अकसर पड़ोस से शाम के समय एक पड़ोसन के चीखनेचिल्लाने की आवाजें आती थीं. एक बार दिन के समय मेरा अपनी उस पड़ोसन से आमनासामना हो गया और धीरेधीरे बोलचाल भी शुरू हो गई. जल्द ही वह पड़ोसन काफी घुलमिल गई. लेकिन मु झे यह जान कर हैरानी हुई कि आज के समय में भी पढ़ेलिखे लोगों में भी यह सोच हो सकती है.

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