हर हिंदू भक्त से बारबार कहा जाता है कि कम से कम समय में कम से कम परिश्रम कर के अधिक से अधिक लाभ, अधिक से अधिक सुख अर्जित कर लेना संभव है. भक्त वह बात मान लेता है. मानव मन की इसी दुर्बलता का लाभ उठाते हुए भविष्यवक्ता, साधुसंत टीवी चैनलों पर ज्यादा से ज्यादा समय खरीद कर स्वकल्याण कर रहे हैं. लोगों को इधरउधर की बातों में उलझा कर धन अर्जित कर रहे हैं.

चैनलों के माध्यम से लोगों पर अध्यात्म का जादू चलाने वालों का कहना है कि जो छोटेछोटे उपाय हम बताते हैं उन को श्रद्धा व विश्वास के साथ करने से अपने वर्तमान को बदला जा सकता है, भविष्य की धुंधली तसवीर को पूर्णतया स्पष्टरूप से देखा जा सकता है.

वे कहते हैं कि पूर्वजों ने जो मार्ग दिखाया है उसी मार्ग पर चलने के लिए वे आप को प्रेरित करते हैं ताकि आप का दुखी जीवन, सुख में बदल सके. लाभ अथवा सुखप्राप्ति के लिए किसी दिन विशेष की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं. इस के लिए आप विधिपूर्वक पूजापाठ में व्यस्त हो जाएं. जैसे जैसे आप साधनापथ पर गहनता से प्रवेश करते चले जाएंगे वैसेवैसे सुख आप के नजदीक आता जाएगा.

सुखप्राप्ति के उद्देश्य से रविवार को ‘सूर्यदेव’, सोमवार को ‘शंकर-पार्वती’, मंगलवार को ‘हनुमान,’ बुधवार को ‘बुधदेव’, बृहस्पतिवार को ‘बृहस्पतिदेव’, शुक्रवार को ‘संतोषी मां’ एवं शनिवार को ‘शनिदेव’ से जोड़ दिया गया है. जो भी रविवार व्रत कर के रविवार व्रतकथा, सोमवार व्रत कर के सोमवार व्रतकथा, मंगलवार व्रत कर के मंगलवार व्रतकथा, बुधवार व्रत कर के बुधवार व्रतकथा, बृहस्पतिवार व्रत कर के बृहस्पतिवार व्रतकथा, शुक्रवार व्रत कर के शुक्रवार व्रतकथा और शनिवार व्रत कर के शनिवार व्रतकथा कहता या कथावाचकों से सुनता है, उसे स्वेच्छानुसार भिन्नभिन्न फलों की प्राप्ति होती है. यह उपदेश रातदिन टैलीविजन पर प्रवचनों में घरों में दिया जाता है. देने वाले भगवानों के बिचौलिए, दुकानदार और एजेंट हैं. इसी पर धर्म टिका है. आस्था बेवकूफी का दूसरा नाम है.

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